मेरी इस दवा को सिर्फ चार महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के काबिल हो जाएंगे। आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।

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कोविड वैक्सीन के लिए गर्भवती गायों का क़त्ल

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Last updated date 29/09/2022


"DISEASE FREE WORLD" ASSALAM O ALAIKUM WA RAHMATULLAH WA BARKATOHU ! भारतीय कोविड वैक्सीन विकसित करने के लिए नवजात पशुओं के ख़ून का प्रयोग:- वैक्सीन के विकास जैसी बायोलॉजिकल रिसर्च में, नवजात पशु का ब्लड सिरम एक प्रमुख घटक है, जो आयात के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और भारत बायोटेक की ओर से, उनके द्वारा विकसित की जा रही, कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सिन के बारे में, हाल ही में जारी एक रिसर्च पेपर में, वैज्ञानिकों ने उल्लेख किया है, कि इसमें इस्तेमाल हो रहा एक प्रमुख घटक, नवजात पशु से लिया गया ब्लड सिरम है। ये घटक कोविड वैक्सीन में पहली बार इस्तेमाल नहीं हो रहा है; नवजात पशु से लिया गया ब्लड सिरम, बायोल़जिकल रिसर्च का एक ज़रूरी हिस्सा होता है, और आमतौर से दूसरे देशों से आयात होता है। हालांकि अब इसके कुछ कृत्रिम विकल्प भी उपलब्ध हैं, लेकिन पशु सिरम उत्पादों की व्यापक उपलब्धता ने, इसे कोविड वैक्सीन के विकास की प्रक्रिया का, एक प्रमुख हिस्सा बना दिया है। नवजात पशु के रक्त के इस्तेमाल का विज्ञान:- कोवैक्सिन निष्क्रिय किए गए वैक्सीन्स की श्रेणी में आती है, जिसमें पैथोजंस को निष्क्रिय कर दिया जाता है, ताकि ये संक्रमण न फैला सकें. लेकिन फिर भी शरीर का इम्यून सिस्टम, वायरस के कुछ हिस्सों को पहचान सकता है, जिससे एक प्रतिक्रिया चालू हो जाती है. वैक्सीन तैयार करने के लिए, लैब में वेरो सीसीएल-81 सेल्स विकसित किए जाते हैं- जो एक सामान्य वयस्क अफ्रीकी ग्रीन मंकी के, गुर्दों से लिए गए सेल्स होते हैं. इस सेल्स को फिर नियंत्रित परिस्थितियों में, बायोरिएक्टर्स के अंदर सार्स-सीओवी-2 वायरस के सामने लाया जाता है. क़रीब 36 घंटे के बाद इस वायरस को निकालकर, निष्क्रिय कर दिया जाता है। निष्क्रिय किए गए वायरस को, कुछ गुणवर्धक औषधियों के साथ मिलाया जाता है- ऐसे पदार्थ जो इम्यून रेस्पॉन्स को बढ़ाते हैं. कोवैक्सिन के मामले में ये औषधियां फिटकिरी, और इमीडैज़ोकुईनोलीन कहा जाने वाला एक मॉलीक्यूल होता है, जो वायरसों से आरएनए की बेहतर पहचान करने में, शरीर की सहायता करता है। लैब में सेल्स विकसित करने के लिए, वैज्ञानिकों को ऐसी परिस्थितियां पैदा करनी पड़ती हैं, जिनमें सेल्स बंटकर ऐसे विशिष्ट सेल्स का रूप ले लें, जो उनके प्रयोगों के लिए चाहिए होता है। कोवैक्सिन के लिए वैज्ञानिकों ने नवजात बछड़े के 5-10 प्रतिशत सिरम के साथ, डलबेको का मॉडिफाइड ईगल मीडियम (डीएमईएम) इस्तेमाल किया. डीएमईएम में कई ज़रूरी पोषक होते हैं, जो सेल को बांटने के लिए आवश्यक होते हैं। लेकिन, अलग अलग तरह के सेल्स को सक्रिय करने के लिए, बहुकोशिकीय जीवों के सेल्स को, बटवारे के लिए पोषकों पर निर्भर रहने के अलावा, कुछ अन्य स्पेशल मॉलिक्यूल्स की ज़रूरत होती है, जिन्हें ‘ग्रोथ फैक्टर्स’ कहा जाता है। सेल्स के अंदर रिसेप्टर्स होते हैं, जो अलग अलग ग्रोथ फैक्टर्स को रेस्पांड करते हैं। इन ग्रोथ फैक्टर्स को नियमित करके, वैज्ञानिक ये नियंत्रित कर सकते हैं, कि किस तरह के सेल विकसित होंगे। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के, सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिकुलर बायोल़जी की एक वैज्ञानिक, वी राधा ने दिप्रिंट को समझाया, ‘विकास का विनियमन अगर केवल पोषकों पर आधारित होता, तो हमारे पास एक जैसे सेल्स से भरा बैग होता। कोई विभेदन या विशेष कार्य न होते’। उन्होंने बताया, ‘किसी भ्रूण के विशेष क्षेत्र में, ग्रोथ को रोकने या बढ़ाने के लिए, प्रकृति ने एक संकेत झरना क़ायम किया है, और ये कंट्रोल मॉलिक्यूल्स के एक सेट पर निर्भर होता है, जिन्हें ग्रोथ फैक्टर्स कहते हैं’। बहुकोशिकीय जीवों के इस पहलू को समझने में बहुत साल लग गए, और पिछले 70 सालों में ही वैज्ञानिक, शरीर के बाहर सेल्स विकसित करना शुरू कर पाए। वैज्ञानिकों ने गाय के भ्रूण से निकाले गए सिरम का, व्यापक रूप से इस्तेमाल किया, जिनमें ये ग्रोथ फैक्टर्स बहुत मात्रा में होते हैं। भ्रूण का सिरम लेने के लिए, गर्भवती गाय को मारकर उसका भ्रूण निकाला जाता है। फिर उस भ्रूण से ख़ून निकालकर लैब में भेजा जाता है, जहां सिरम को अलग किया जाता है। पिछले कुछ सालों में नैतिक दुविधा, और इस प्रक्रिया की निर्दयता को देखते हुए, वैज्ञानिक नवजात बछड़ों से निकाला गया सिरम इस्तेमाल करने लगे। इसमें बछड़े की पैदाइश के 3 से 10 दिन के भीतर, इसका ब्लड ले लिया जाता है। ‘इसमें सिर्फ एक समस्या ये है, कि तब तक ख़ून में एंटीबॉडीज़ विकसित हो जाते हैं, जो लैब के प्रयोगों में दख़ल डाल सकते हैं’। उन्होंने आगे कहा कि इसमें ख़ासतौर से तब समस्या हो सकती है, अगर लैबोरेटरी के काम में, ऐसे व्हाइट ब्लड सेल्स विकसित करने पड़ जाएं, जो किसी भी जानवर के इम्यून सिस्टम में शामिल होते हैं। इस पर क़ाबू पाने के लिए, सिरम को एक निर्धारित समय तक गर्म किया जाता है, जो ‘कॉम्प्लिमेंट सिस्टम’ को निष्क्रिय कर देता है- इम्यून रेस्पॉन्स का वो हिस्सा, जो एंटीबॉडी को सक्रिय करता है। पशु के खून का सिरम, किसी भी दूसरे क़िस्म के जानवर के मुक़ाबले, ज़्यादा आसानी से मिल जाता है, क्योंकि इसका सीधा कारण ये है, कि ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड और अमेरिका जैसे देशों में, बड़ी संख्या में मवेशी फार्म्स मौजूद हैं। उन्होंने ये भी कहा, कि चूंकि भारत में गौ हत्या पर पाबंदी है, इसलिए किसी भी तरह की बायोलॉजिकल रिसर्च करने वाली लैब्स, इस ब्लड सिरम को बड़ी मात्रा में आयात करती हैं। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2019-20 में लगभग 2.80 लाख डॉलर (मौजूदा विनिमय दरों के हिसाब से क़रीब 2 करोड़ रुपए) मूल्य के कैटल सिरम उत्पाद आयात किए। इस साल ये आयात काफी बढ़ गए हैं, और केवल अप्रैल से जून के बीच, 2.1 लाख डॉलर (लगभग 1.51 करोड़ रुपए) मूल्य के ऐसे उत्पाद आयात किए गए। संभावित विकल्प:- लेकिन अब ऐसी टेक्नॉलॉजीज़ विकसित हो गई हैं, जिनमें सिरम की जगह सिंथेटिक या कृत्रिम रूप से तैयार ग्रोथ फैक्टर्स इस्तेमाल किए जा सकते हैं। रेकॉम्बीनैंट डीएनए टेक्नोल़जी से, जिसमें अलग अलग ऑर्गेनिज़म्स की जिनेटिक कोडिंग के टुकड़ों को एक साथ रखकर, उन्हें एक होस्ट ऑर्गेनिज़म में दाख़िल किया जाता है, वैज्ञानिक ऐसे बहुत से ग्रोथ फैक्टर्स, कृत्रिम रूप से लैब में तैयार कर सकते हैं। लेकिन, डीएनए रेकॉम्बीनैंट टेक्नोल़जी, ज़्यादा महंगी होती है, और इसके लिए विशेष लैब्स की ज़रूरत होती है। कैटल सिरम जो बीफ इंडस्ट्री का एक उप-उत्पाद होता है, आसानी से मिल जाता है। सिग्मा-एल्ड्रिच और थर्मो फिशर साइंटिफिक जैसी बहुत सी कंपनियां, सिरम के मानकीकृत फॉर्मुलेशंस बेच रही हैं। #HAKEEMMDABURIZWAN BUMS,hons.(BU) #UNANIPHYSICIAN Spl in #LIFESTYLEDISEASES #UNANIMEDICINESRESEARCHCENTRE JAMSHEDPUR JHARKHAND CONTACT 9334518872 8651274288 WHAT'S APP 9334518872 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN website https://umrc.co.in/



Last updated date 02/01/2021

कोरोनावायरस से लाखों की जानें गईं , लेकिन क्या ये जानलेवा है?

कोरोनावायरस से दुनिया भर में पांच लाख से अधिक मौतों के बाद भी वैज्ञानिक पूरी तरह नहीं जान पाए हैं कि वायरस कितना जानलेवा है। इस समय भारत, ब्राज़ील, नाइजीरिया जैसे सघन आबादी वाले देशों में महामारी फैल रही है।


मृत्यु दर की सही जानकारी होने से स्थितियों का अंदाज़ा लगा सकेंगे। वैसे, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरस से भविष्य में लगभग पौने पांच लाख मौतों का अधिकृत आंकड़ा पेश किया है। विश्व में मौतों की दर भी बदल सकती है। एक-दो अपवादों को छोड़कर महामारी का प्रकोप पहले एशिया, पश्चिम यूरोप और उत्तर अमेरिका के सम्पन्न देशों में हुआ। यहां अच्छी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है।


वायरस अब भारत, ब्राज़ील, मेक्सिको, नाइजीरिया और अन्य देशों में फैल रहा है। इन देशों में बड़ी संख्या में लोग भीड़ भरी बस्तियों में रहते हैं। इनमें अस्पतालों में प्रर्याप्त संसाधन नहीं हैं।

Last updated date 21/10/2020

کورونا - یہ نام اتفاق نہیں، خفیہ انتخاب ہے

"کرونا" - یہ نام اتفاق نہیں خفیہ انتخاب ہے." یہ معلومات پڑھ کر آپ کی آنکھیں پھٹی کی پھٹی رہ جائیں گی۔ وہم اور خوف سے دنیا میں پھیلائے گئے باطل نظریات کو "کرونا وائرس" کہا جاتا ہے. کیا آپ جانتے ہیں یہ لفظ "کرونا" یہودیوں کی مذھبی کتاب "تلمود" میں بھی بڑے معنی خیز انداز میں موجود ہے.  کرونا کو عبرانی میں קרא נא ایسے لکھا جاتا ہے اسکی معنی ہے *"پکارنا یا آواز لگانا"* کس کو پکارنا؟ اسکا جواب ہے یہودیوں کا مسیحا آرتھوڈوکس یہودیت کے مطابق مسیحا جسے انگلش میں Moshiach یا Hashem کہتے ہیں، دجال نہیں بلکہ ایک ایسا لبرل یہودی النسل رہنماء ہوگا جو مسجد اقصی کو شہید کرکے اسکی جگہ دجال کیلیے "ہیکل سلیمانی" تعمیر کرے گا یہودیت کے مطابق جب وہ مسیحا آئے گا تو اس وقت سب لوگ گھروں میں چھپے ہوئے ہوں گے، اسے پکار رہے ہوں گے یعنی ہر کوئی اسے ان الفاظ سے پکار رہا ہوگا کہ کرونا کرونا کرونا....... یعنی اے ہمارے مسیحا آجاؤ، آجاؤ، اب آجاؤ.....!! اسکے علاوہ نئے کرونا وائرس کو (COVID-19) کا نام بھی یہودیوں نے دیا ہے اور آپ اسے بھی ہرگز اتفاق نہ سمجھیں. میں ہمیشہ قارئین کو سمجھاتا رہا ہوں کہ یہودی ہمیشہ ذو معنی الفاظ ایجاد کرتے ہیں جن کا ظاہری مطلب کچھ اور جبکہ اصل مطلب کچھ اور ہی ہوتا ہے.  لفظ COVID یہودی مذھبی کتاب "تلمود" کے پانچویں باپ masechet Berachot کے پہلے پیراگراف میں کچھ اس موجود ہے אין עומדין להתפלל אלא מתוך כובד דראש  اسکی معنی ہے کہ "کسی شخص کو اس وقت تک نماز کے لئے نہیں اٹھنا چاہیئے جب تک کہ اس کو کووڈ COVID نہ ہو۔ کووڈ کیا ہے؟  یہودی علماء اسکی تشریح کرتے ہوئے بتاتے ہیں کہ اس کا مطلب ہے عاجزی، یعنی آپ کا اس بات پر ایمان ہو کہ ہم کچھ بھی نہیں ہیں اور ہاشم (مسیحا) کے بغیر ہم کچھ کر بھی نہیں سکتے اس لیے ہمیں اس کو کووڈ COVID کے ساتھ پکارنا ہوگا، عاجزی سے اسے آواز دینی ہوگی۔ اور کیا آواز دینی ہوگی؟ اسکا جواب ہے 19.  اب یہ 19 کیا ہے؟  19. Sim Shalom ("Grant Peace") - asks God for peace, goodness, blessings, kindness and compassion.  یہاں 19 کا مطلب تلمود میں موجود یہودی نماز کا انیسواں کلمہ ہے. یعنی ہمیں کرونا کے ساتھ 19 واں کلمہ دہراتے رہنا ہوگا جب ہی ہمارا مسیحا آکر مسجد اقصی گرا کر وہاں دجال کے لیے ہیکل سلیمانی تعمیر کرے گا۔ اب آپ کو سمجھ آگئی ہوگی کہ صیہونی اپنے پلانز کو کس طرح خفیہ "ذو معنی الفاظ" بناکر پیش کرتے ہیں.  اب آپ اسرائیلی وزیر صحت اور وزیر دفاع کے بیانات ذہن میں لاکر ان پر غور کریں جس میں ایک کہتا ہے کہ ہمیں کرونا سے کوئی پریشانی نہیں اور دوسرا کہتا ہے کہ ہمیں نجات دلانے والا "مسیحا" جلد آنے والا ہے. اسکے علاوہ اسرائیل کے چیف ربی نے بھی اعلان کیا ہے کہ مسیحا اسی سال آئے گا پچھلے دنوں آپ نے ٹویٹر پر اسکا ٹرینڈ بھی دیکھا ہوگا جو پاکستان میں قادیانیوں نے بنایا تھا اور یہودیوں کے وہ نظریاتی باطل غلام جو اس وقت پاکستان میں موجود ہیں انہوں نے اس پر خوب محنت کی تھی۔  جی ہاں 100% بالکل ٹھیک سمجھ رہے ہیں آپ  اسی لیے سب کو گھروں میں قید کروا کے ہر جگہ کرونا کرونا کروایا جارہا ہے۔ یہ محض اتفاق نہیں ڈیجیٹل دور کے آغاز میں اس کرونا کے نام پر آپ کے لئے جو ویکسین تیار کی گئی ہے اس سے آپ کے دماغ سے حقیقی معبود کا خیال نکال کر آپ کو دجال کی پیروی پر آمادہ کیا جارہا ہے لہذا اس لفظ کو بھی استعمال کرنے سے روکیں کیوں کہ کرونا وائرس نہیں صرف یہودیوں کا پیدا کیا گیا ایک باطل نظریاتی وہم ہے۔ ، 5G اور ایجنڈہ نینو چپ ۔ ۔ ۔ ۔ ! اکانومسٹ میگزین اپریل 2020 شمارے میں 5 خفیہ پلانز کا اعلان کیا گیا ہے۔  اس تحریر میں پانچوں یہودی پلانز کو ڈی کوڈ کیا جائے گا۔ نمبر 1 : Everything is Under Control اس کے معنی ہیں "ہر چیز طے شدہ منصوبے کے مطابق ہمارے کنٹرول میں ہے"۔ ایک طرف پوری دنیا کرونا سے ڈر کر گھروں میں بیٹھی ہوئی ہے، حکومتیں سکڑ کر دارالحکومتوں تک محدود ہو گئیں، عوام کو دو وقت کی روٹی کے لالے پڑ گئے، کئی ممالک کو اپنی حیثیت برقرار رکھنے کے خطرے کا سامنا ہے لیکن آپ دیکھیں وہیں یہودی میگزین فخریہ کہتا ہے کہ Everything is Under Control.  یہ بات عقلمندوں کے کان کھڑے کرنے کے لئے کافی ہے۔ کرونا وائرس کے ذریعے جس جال کو بچھایا گیا ہے وہ بالکل توقعات کے عین مطابق پورا ہو رہا ہے  تبھی تو یہودی میگیزین فخریہ کہتا ہے کہ سب کچھ طے شدہ منصوبے کے مطابق ان کے کنٹرول میں ہے۔ نمبر 2 : Big Government اس سے مراد عالمی حکومت ہے۔ اس بڑی حکومت کو یہودی دانا بزرگوں کی خفیہ دستاویزات  دی الیومیناٹی پروٹوکولز میں  "سپر گورنمنٹ" کے نام سے بار بار بیان کیا گیا ہے۔  اس کی تفصیلات بھی بیان کی گئی ہیں جن کے مطابق پوری دنیا کی ایک ہی "عالمی سپر گورنمنٹ" بنائی جائے گی  جس کا حکمران فرعون و نمرود کی طرح پوری دنیا پر اپنے مسیحا کے ذریعے حکمرانی کرے گا  یہاں یہ بتانا بھی ضروری سمجھوں گا کہ ان کی عالمی حکومت بن چکی ہے۔  یہ اقوام متحدہ ہے۔ صرف اس کا اعلان نہیں کیا گیا۔  ان کا منصوبہ یہ ہے کہ مستقبل میں کسی بھی وقت دنیا میں کرائسز پیدا کرکے (جیسے اس وقت ہیں) اقوام متحدہ کو ایک عالمی سپر حکومت میں تبدیل کر دیا جائے گا۔  اقوام متحدہ کے جو بھی ادارے ہوں گے انہیں وزارتوں میں تبدیل کرکے اسے عالمی سپر گورنمنٹ قرار دے دیا جائے گا اور اس حکومت کی باگ دوڑ یہودی النسل ایسے شخص کے ہاتھ دی جائے گی  جو دجال کے لیے ہیکل سلیمانی تعمیر کرے گا اور یہودیوں کو چھوڑ کر باقی پوری دنیا کی اقوام کو اپنا غلام بنا لے گا۔  اب موجودہ دور میں آ جائیں، برطانوی وزیراعظم سے لیکر بہت سے عالمی رہنماؤں نے اب کھل کر کہنا شروع کر دیا ہے کہ  ایک عالمی حکومت بننی چاہیے۔ یہ سب اسی عالمی سپر گورنمنٹ بنانے کی راہ ہموار کر رہے ہیں۔ اب اگر اقوام متحدہ کا کوئی ایسا حکمران بن جائے جو ویکسین دینے کا اعلان کر دے  تو دنیا کا کون سا ملک ہو گا جو اس کی حکمرانی تسلیم نہ کرے گا ؟؟ نمبر 3 : Liberty  لبرٹی کا مطلب ہے "آزادی"۔ یہاں آزادی سے مراد دنیا کو جو آزادی حاصل ہے اس کا کنٹرول اس "خفیہ ہاتھ" کے پاس ہے جو اکانومسٹ نے بطور علامت اپنے کور فوٹو پر نمایاں کیا ہے۔ یہ وہ "خفیہ ہاتھ" ہے جو پردے میں رہ کر پوری دنیا کو چلاتا ہے۔ آپ اس ہاتھ کو یہودیوں کے 13 خفیہ خاندان سمجھیں جو پوری دنیا کی معیشت، زراعت، میڈیا، حکومت الغرض ہر چیز کی باگ دوڑ سنبھالتے ہیں، ورلڈ بینک ہو یا آئی ایم ایف یہ تمام ادارے ان کے فنڈز سے چلتے ہیں،  اقوام متحدہ کا خرچہ پانی یہی دیتے ہیں، اقوام متحدہ کے تمام بڑے اداروں کے سربراہاں ان کے اپنے لوگ اور یہودی النسل ہیں۔  اقوام متحدہ کو آپ ان کے گھر کی لونڈی سمجھیں، آئی ایم ایف اور ورلڈ بینک جیسے ادارے درحقیقت اقوام متحدہ کے ادارے ہی ہیں۔  آج یہ 13 یہودی خاندان اپنے مسیحا کے انتظار میں ہیں جس کے بارے حال ہی میں اسرائیلی یہودی ربی اور یہاں تک کہ اسرائیلی سرکاری وزراء بھی اعلان کر چکے ہیں کہ مسیحا اسی سال آ رہا ہے۔ ایک نے تو یہ بھی کہہ دیا ہے کہ وہ مسیحا سے ملاقات بھی کر چکا ہے اور بتا دیا کہ مسیحا اسی سال کسی بھی وقت آ جائے گا۔ یعنی یہ لوگ جانتے ہیں کہ مسیحا کون ہے لیکن اس کافلحال اعلان نہیں کر رہے۔ نمبر 4 : وائرس یعنی کہ "کرونا وائرس" کا کنٹرول بھی اسی "خفیہ ہاتھ" کے پاس ہے۔ جب پوری دنیا وائرس کے خوف سے کانپ رہی ہےتو یہ لوگ کون ہیں جو کہتے ہیں کہ وائرس ان کے قابو میں ہے؟یا ہم یوں کہہ سکتے ہیں کہ وائرس کے ذریعے انہوں نے پوری دنیا کو اپنے قابو میں کر رکھا ہے۔ اسرائیلی وزیر دفاع خود کہتے ہیں کہ ہمیں وائرس سے کوئی پریشانی نہیں ہے (اسکی وڈیو پچھلی پوسٹ میں شیئر کر چکا ہوں)کیونکہ جب 70 فیصد آبادی کو کرونا متاثر کر لے گا تو پھر ازخود ختم ہو جائے گا۔یعنی وہ پہلے سے جانتے ہیں کہ اتنے فیصد آبادی متاثر ہو گی لیکن ساتھ ہی کسی قسم کی انہیں پریشانی بھی نہیں ہے، یہ اس بات کی علامت ہے کہ پردے کے پیچھے وہ بہت کچھ جانتے ہیں جب ہی تو بالکل مطمئن ہیں،اسی لیے نہ لاک ڈاؤن کرتے ہیں نہ ہی انہیں کوئی پریشانی ہے بلکہ اعلانیہ کہتے ہیں کہ وائرس ان کے قابو میں ہے۔ نمبر 5 : The Year Without winter اس کو اگر ڈی کوڈ کریں تو اس کا مطلب ہو گا کہ اس سال دنیا کو موسم سرما گھروں میں قید رہ کر گزارنا پڑ سکتا ہے۔ یاد رہے اس وقت سال کا چوتھا مہینہ اپریل چل رہا ہےلیکن انہوں نے اعلان کر دیا ہے کہ اس سال موسم سرما نہیں ہو گا یعنی دنیا موسم سرما کے مزے اس سال نہیں لے سکے گی ۔ یہاں یہ بتانا ضروری سمجھوں گا کہ کرونا وائرس پر بنی فلم Contagion میں بھی ایک ڈائلاگ بالکل ایسا ہی سننے کو ملتا ہے۔ایک لڑکی ویکسین کی عدم دستیابی پر اکتاتے ہوئی کہتی ہے کہ یعنی اس سال میرا موسم سرما برباد ہو جائے گا کیونکہ مجھے گھر میں قید رہ کر گزارنا ہو گا۔  اکانومسٹ میگزین، کانٹیجئین فلم اور موجودہ صورتحال کا آپس میں بہت گہرا تعلق ہے۔ اگر حالات بالکل اس فلم جیسے ہی چلتے ہیں تو پھر آپ کو وقت سے پہلے ہوشیار رہ کر تیاری کرنی ہو گی۔ اگر لاک ڈاؤن مزید چند ماہ چلتا ہے تو ہر ملک کے پاس کھانے پینے کی اشیاء کی قلت ہو جائے گی، ڈاکے پڑنا شروع ہو جائیں گے، اس دفعہ لوگ پیسے نہیں بلکہ روٹی اور راشن چھیننے کے لیے ایک دوسرے پر بندوق چلائیں گے۔ اس فلم میں بلکل ایسے ہی مناظر دیکھنے کو ملتے ہیں(اگر آپ نے Contagion فلم نہیں دیکھی تو میری وال پر موجود ہے جلدی دیکھ لیں) اسکے علاوہ ۔ ۔ ۔۔ کچھ اور عوامل بھی ہیں جنہیں ابھی تک اکانومسٹ میگزین نے نمایاں نہیں کیا۔ شاید اگلے مہینے کے شمارے میں ظاہر کر دیں۔ میں آپ کو پہلے ہی آگاہ کر دیتا ہوں۔ پہلا پروجیکٹ 5G ہے : سب سے پہلے 5G انسٹالیشن ہے جو لاک ڈاؤن کے دوران دنیا کے بیشتر ممالک میں چپکے سے کی جا رہی ہے۔ عالمی میڈیا کو اس کی رپورٹنگ سے روکا گیا ہے۔ میڈیا پر آپکو 5G کے متعلق کوئی خبر نہیں ملے گی۔ لندن  میں مکمل لاک ڈاؤن ہے لیکن وہاں 5 جی انسٹالیشن کا عملہ پھر بھی دن رات پولز پر ٹاورز نصب کرنے میں مصروف ہے۔ پاکستان میں ٹیلی نار اور زونگ کمپنیوں نے اشتہارات کے ذریعے 5جی کی پروموش شروع کر دی ہے۔ آخر یہ 5G کیا بلا ہے؟ یہ آپ کے لیے سمجھنا بہت ضروری ہے۔ یہ دراصل انٹرنیٹ اسپیڈ کی تیز ترین رفتار ہے جو اگر کسی علاقے میں لگا دی (انسٹال) کر دی جائے تواس پورے علاقے کو ایک "سپر کمپیوٹر" کے ذریعے ہر وقت وڈیو پر دیکھا جا سکے گا، علاقے کا کوئی فرد ایسا نہیں بچے گا جس کی جاسوسی ممکن نہ ہو۔موبائل سے لیکر ٹی وی. ایل سی ڈی یا ایل ای ڈی ، فرج، آٹو پارٹس اور گھر کی تمام اشیاء میں نصب چھوٹے خفیہ کمیروں کے ذریعے چوبیس گھنٹے ہر فرد کی جاسوسی ممکن ہو جائے گی۔ ملٹری سطح پر یہ کام پہلے ہی دنیا کی بڑی افواج کرتی رہی ہیں لیکن عوامی سطح پر اسے لانے کا بہت زیادہ سائنسی نقصان بھی ہے،کیونکہ اس ٹیکنالوجی کی شعائیں انسانی دماغ کے لئے انتہائی خطرناک ہیں، ماہرین کے مطابق 5G سگنلز میں رہنے والا انسان ایسا ہو گا جیسے اسکا دماغ مائیکرو ویو اوون میں پڑا ہوا ہو۔ یہ انسان کو مختلف ذہنی بیماریوں کا شکار کر دے گی  لیکن خفیہ ہاتھ کو اس کی پرواہ نہیں کہ انسانوں کے دماغ پر کیا بیتتی ہے، انہیں صرف پوری دنیا کو ڈجیٹلائیز کرنا ہے اور اس مقصد کے لئے لاکھوں انسانوں کو مارنا پڑا تو وہ اس سے بھی دریغ نہیں کریں گے۔ دوسرا پروجیکٹ Nano Chip بذریعہ ویکسین : حال ہی میں ایک آرٹیکل پڑھا جس میں بل گیٹس نے 1 بلین ڈالرز کی سرمایہ کاری کرنے کا اعلان کیا۔یہ اعلان پوری دنیا کو ڈجیٹلائیز کرنے کے متعلق تھا۔ سوال یہ ہے کہ پوری دنیا کو ڈجیٹلائز کیسے کیا جائے گا؟  اسکا جواب ہے 5G اور Nano chip سے۔دیکھیں 5G کے ٹاورز بظاہر تو آپ کو انٹرنیٹ کی تیز سپیڈ دینے کے لئے ہوں گے لیکن ان کا اصل خفیہ مقصد انسانوں میں لگی نینو چپ(بہت زیادہ چھوٹی چپ) میں جمع ہونے والا ڈیٹا (یعنی آپ کی دماغی سوچ) کسی خفیہ جگہ جمع کرنا ہو گا۔ وہ "خفیہ ہاتھ"جسے آپ اکانومسٹ میگزین پر دیکھ سکتے ہیں پوری دنیا کے انسانوں کے دماغوں میں پیدا ہونے والی سوچ کو کسی نامعلوم جگہ پر اپنے "سپر کمپیوٹر" کے ذریعے دیکھے گا۔  میں وثوق سے کہہ دیتا ہوں، وہ یہودیوں کا مسیحا ہو گا جو "اقوام متحدہ کی سپر گورنمنٹ" سنبھالتے ہی ان ٹیکنالوجیز سے انسانوں کے دماغ بھی پڑھ لے گا بلکہ کسی کے بولنے سے پہلے اس کے خیالات بھی جان لے گا۔ بالکل ایسی ہی ایک حدیث بھی ملتی ہے کہ دجال ایک جگہ سے گزرے گا جہاں کسی شخص کے والدین فوت ہو گئے ہوں گے، وہ شخص سوچ رہا ہو گا کہ کاش میرے والدین دوبارہ زندہ ہو جائیں، دجال اس کی یہ سوچ اور خواہش پہچان لے گا اور اس کے بولنے سے پہلے ہی اس کے پاس جا کر اسے کہے گا کہ اگر میں تمہارے والدین کو زندہ کر دوں تو کیا تم مجھے خدا مان لو گے۔ وہ شخص بولے گا ہاں کیوں نہیں، پھر دجال اپنے شیاطین کو حکم دے گا وہ اس شخص کے والدین کے مردہ اجسام میں داخل ہو کر زندہ ہو کر کھڑے ہو جائیں گے اور اس شخص کو کہیں گے کہ بیٹا یہ (دجال) تمہارا رب ہے اس کی بات مان لو، اس کی اطاعت کرو۔ یہاں یہ بھی ثابت ہوتا ہے کہ دجال اور اس کی قوتوں کو شیاطین کی مدد حاصل ہو جائے گی۔ یعنی وہ کسی ایسی چیز حاصل کرنے میں بھی کامیاب ہو جائیں گے جس سے دنیا میں موجود  غیر مرئی مخلوق یعنی "جنات" سے ان کا رابطہ ممکن ہو جائے گا اور اسی کی مدد سے دجال  شیطانوں سے مدد لے گا۔ رسول اللہ (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) نے فرمایا :اللہ روئے زمین کے تمام شیاطین کو دجال کے تابع کر دےگا (تاکہ اس فتنہ عظیم سے دنیا کے آخری بہترین مسلمانوں کی آزمائش کرے)۔ اب اس سارے منظرعام کو اگر مختصر بیان کیا جائے تو یہ کچھ ایسا ہو گا کہ؛ "خفیہ ہاتھ" کامیاب ہو رہا ہے، ہر چیز طے شدہ منصوبے کے مطابق ان کے کنٹرول میں ہے۔ کرونا وائرس سے دنیا کو لاک ڈاؤن کروا کے وہ اپنے منصوبے میں کامیاب ہو رہے ہیں، ساتھ ہی انہوں نے چپکے سے 5G انسٹالیشن شروع کر دی ہے اور بل گیٹس نے نینو چپس کی شروعات کے لئے اقوام متحدہ سے 1 بلین ڈالر کا معاہدہ بھی کر لیا ہے ،اس معاہدے میں ویکسین بنے گی اور اسی ویکسین کے اندر اتنی چھوٹی نینو چپ ہو گی کہ جو انسان کو خوردبین سے ہی نظر آ سکتی ہے، وہ دنیا کے ہر انسان کو دی جائے گی۔Contagion فلم میں جو ویکسین سب کو دی جاتی ہے وہ ناک میں ڈالی جاتی ہے اور ساتھ ہی ایک ڈجیٹل کڑا ہاتھ میں پہنا دیا جاتا ہے- جس سے ان کو کسی "خفیہ جگہ" سے مانیٹر کیا جا سکتا ہے۔ اب مجھے پورا یقین ہے- بل گیٹس بھی اقوام متحدہ کو چلانے والے "خفیہ ہاتھ" کے ساتھ مل کر ایسی ہی ویکسین بنائے گا جو ناک یا منہ میں ڈالی جائے گی اور اسی کے ذریعے نینو چپ بھی ہر انسان کے جسم میں داخل کی جائے گی۔ چونکہ چپ انتہائی چھوٹی ہے اور کسی بھی ویکسین کے ذریعے جسم میں ڈالی جا سکتی ہے- لہذا کسی انسان کو پتا ہی نہیں چلے گا کہ وہ چپ زدہ ہو چکا ہے۔ دجال کو دنیا میں خوش آمدید کہنے کی تیاریاں عروج پر ہیں ۔ ۔ ۔ ۔ ۔  جو پہلے سے اس فتنے سے آگاہ ہوں گے وہی اس سے بچ پائیں گے ۔ جو لاعلم ہوں گے وہ پھنس جائیں گے، بہک جائیں گے، گمراہ ہو جائیں گے، سیلابی پانی میں تنکوں کی طرح بہہ جائیں گے۔خواتین و حضرات سے درخواست ہے کہ اس دجال کے فتنے کو قرآن و سنت کی روشنی میں سمجھنے کی بھر پور کوشش کریں- اور اس فتنے سے بچنے کے لئے دین اسلام میں جو راہنمائی دی گئی ہے اسے اپنی زندگیوں میں فوری طور پر اختیار کریں-  تاکہ کہیں بے خبری میں اپنی دنیا و آخرت اپنے ہاتھوں سے برباد نہ کر لیں- دجال کے فتنے سے بچنے کے لئے سورہ الکہف کی پہلی دس آیات کی روزانہ تلاوت کریں اور دجال کے فتنے سے بچنے کی مسنون دعائیں یاد کر کے اپنے معمول کے اذکار میں شامل فرمائیں اللہ تعالیٰ ہمیں توبہ کرنے اور قرآن وسنت کے مطابق زندگی گزارنے کی توفیق عطا فرمائے آمین ثم آمین یا رب العالمین جزاک اللہ خیرا و احسن الجز



Last updated date 30/09/2020

खुला पत्र

माननीय प्रधानमंत्री ,भारत सरकार , दिल्ली! माननीय मुख्यमंत्री गण एवं भारत के सम्मानित नागरिक गण आदाब , जय भारत!!! विषय:- देश व दुनिया में फैले कोविड-19 (कोरोनावायरस) महामारी की रोकथाम, बचाव और ईलाज में सहभागिता सुनिश्चित करने के संबंध में।


महाशय,  मैं, हकीम मो अबू रिज़वान, बी यू एम एस, आनर्स(बी यू), (यूनानी चिकित्सक, यूनानी मेडिसींस रिसर्च सेंटर, जमशेदपुर झारखंड।) 1992 ई में राजकीय तिब्बी कालेज पटना से पास आउट हूं, और उस समय से अबतक लगातार सिर्फ और सिर्फ यूनानी पद्धति द्वारा मरीजों का इलाज करता आ रहा हूं। यानी इस प्रोफेशन में लगभग 27-28 वर्षों का तजुर्बा हो चुका है, और लाइफस्टाइल डीज़ीज़, वायरल डीज़ीज़ वगैरह के ईलाज में काफी लंबा अनुभव रहा है।  देश में इस महामारी से मैं भी आहत हूं, और अपने अनुभव से सहृदय समर्पित भाव से अपने देश की जनता की सच्ची सेवा करना चाहता हूं।  ये तो बड़ी अच्छी बात है कि आयूष मंत्रालय की ओर से हम यूनानी पद्धति वालों को सेवा का मौक़ा दिया जा रहा है। जो स्वागत योग्य है। मुझे बड़ी खुशी होगी कि इस ग्रूप का मैं भी हिस्सा बनूं।  आपको ये सुचित करते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि मैं ने किसी अन्य वायरल डीज़ीज़ का ईलाज का प्रयोग अपने घर से लेकर बाहर तक के मरीजों पर आज़माया और नतीजा बेहतर मिला। कोई भी वायरल डीज़ीज़ हो उनको तीन दिनों में ही ठीक किया जा सकता है, lऐसा मैं अपने अनुभव से कहता हूं। इसलिए आप अगर चाहें तो मुझे इसकी ज़िम्मेदारी सौंपी जाए। ऐसा अस्पताल जहां कोरोनावायरस के मरीजों को रखा गया है lवहां पर आपके द्वारा दी गई ज़िम्मेदारी सहर्ष सहृदय स्वीकार्य होगा।  ये अलग बात है कि,


  हम भी छू सकते हैं, सूरज की कलाई   हम गरीबों को हिमायत नहीं मिलती।  इस प्रकार की अपनी हार्दिक इच्छा मैं सभी माननीय मुख्यमंत्रियों को भी ईमेल के ज़रिए भेज चुका हूं कि अमुक तरीक़े से यूनानी पद्धति में बहुत ही आसान ईलाज शत् प्रतिशत संभव है।  मेरे व्हाट्सएप से लगभग बीस हजार लोग जुड़े हैं जिनसे इस वायरल डीज़ीज़ (कोरोना वायरस) के ईलाज के बारे में पूरी पूरी जानकारी साझा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।सोशल मीडिया , फेसबुक और यूट्युब चैनल के द्वारा भी लोगों से इस कोरोनावायरस से बचाव और ईलाज साझा कर चुका हूं।  आपके सामने मैं अपने ईलाज के तरीक़े पेश करने की हिम्मत कर रहा हूं। कोरोनावायरस या किसी भी वायरल डीज़ीज़ का अचुक इलाज का मैं आपके सामने दावा करने की कोशिश कर रहा हूं। कोरोनावायरस या किसी भी वायरल डीज़ीज़ से बचाव:-  जब भी कभी इस तरह की महामारी का प्रकोप फैले तो आरंभ में ही इससे बचने हेतु उचित उपाय कर लिया जाए तो किसी को भी वायरल अटैक होगा ही नहीं। उसके लिए व्यक्ति को अपना "रोग प्रतिरोधक क्षमता" मज़बूत करने पर ध्यान देना चाहिए।उसका भी बहुत आसान तरीक़ा है।रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए नित्य प्रति दिन अपने भोजन में "विटामिन सी" की उचित मात्रा (0.2 ग्राम/दिन) नेचुरल तरीक़े से लें(गोली, कैप्सुल या सीरप कदापि नहीं)। इस के लिए आपको एक अमरूद, या दो मौसम्मी या दो संतरे या तीन आम या चार टमाटर (इनमें से कोई भी एक) रोज़ाना लें।  (इस तरह ऐसा करके हम अपने शरीर के बाहर और अंदर मौजूद "डेन्ड्रिटिक सेल" को मज़बूत करते हैं जो हमारे अंदर प्रवेश करने वाले वाह्य हानिकारक जीवाणुओं जैसे :-बैक्टिरिया,पैथोजींस और वायरस से लड़ कर हमें सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।) और कोई भी एनीमल प्रोटीन और डेयरी प्रोडक्ट्स से दूर रहें, यानी इस्तेमाल बिल्कुल ही नहीं करें।  लाख टके का सवाल यह है कि इंसानी शरीर नेचर से निर्मित है। और जब इसके भीतर कोई परेशानी या बीमारियां उत्पन्न हो जाए तो उसे "नेचुरल विधि" ही ठीक करेंगी,न कि कोई केमिकल (ऐलोपैथिक दवाएं)। वायरस को कभी भी किसी भी दवा से नहीं मार सकते।  सिर्फ यही वो तरिक़ा है जिससे उसे ख़त्म किया जा सकता है और शरीर के बाहर भी फेंका जा सकता है। इस बात का मैं ख़ास तौर पर उल्लेख करना चाहूंगा कि वायरल डीज़ीज़ कोरोना वायरस का यूनानी पद्धति से इलाज करने पर मरीज़ तीन या चार दिन में ही पूरी तरह सेहतमंद हो जाता है। मैं चाहूंगा कि आप मेरे इस प्रस्ताव को मंजूरी दें ताकि मुझे अपनी प्रतिभा साबित करने का अवसर मिले। इस बाबत मेरे पास हजारों पन्नों पर आधारित अनेकानेक रिसर्च पेपर्स बतौर साक्ष्य भी मौजूद हैं।   श्रीमान,आशा करता हूं कि आप उल्लेखित बातों से सहमत हों। और मेरे इस प्रस्ताव को मंजूरी देने की कृपा करेंगे। निस्संदेह मैं अपने आप को देशसेवा में लीन हो कर ख़ुद को गौरवान्वित महसूस करूंगा।  आपका विश्वासभाजन HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES +UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE+ SHRUTI CHOWK PURANI BASTI ROAD JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND INDIA-831006 CONTACT 8651274288 & 9334518872 WHAT'S APP 9334518872 & 8651274288 E-mail:-umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN दिनांक 2 मई 2020

Last updated date 30/09/2020

दैनिक उदीतवाणी जमशेदपुर में 04/04/2020 को प्रकाशित लेख

कोरोना एक "एन्फ्लूएंजा लाईक इलनेस" है, इससे घबराएं नहीं, बल्कि अपना इम्यूनिटी पावर बढ़ाए : हकीम मो अबू रिज़वान जमशेदपुर : आज सारी दुनिया में कोरोना वायरस के नाम पर कोहराम मचाया जा रहा है. ये वायरस भी उतना ही ख़तरनाक है जितना कॉमन कोल्ड है।ईमर्जिंग वायरस पुस्तक के लेखक डा रिओनाल्ड होरोविट्ज़ ने कहा है कि अगर कोई ईनसान कौमन कोल्ड से मर सकता है तो वो किसी भी वायरस से मर सकता है,बशर्ते कि उसका ईम्युनिटी पावर "ज़ीरो" रहे।लेकिन मृत्यु दर एक हज़ार में केवल एक होगा।वायरस नान लीविंग है,इसकी कोई शक्ल नहीं,बार बार ये अपना रूप बदलता रहता है,तो जब आप अपने दुशमन को पहचान ही नहीं पाएंगे तो मारेंगे किसे?ऐसा आजतक कोई तरीक़ा नहीं निकला जिससे ये पता लगाया जा सके वो "अमुक वायरस" ही है।"पी सी आर" के अविष्कारक डा कैरी मूलस ने ख़ुद कहा है कि इस टेस्ट से सिर्फ उसके जेनेटिक सिक्वैंस और प्रोटीन का ही पता चल सकता है।केवल अपने शरीर का "हाई टेम्परेचर" ही किसी वायरस को हमेशा केलिए मार सकता है और शरीर बाहर फेंक सकता है। किसी भी वायरल डीज़ीज़ से वही लोग पीड़ित होते हैं जिनकी इम्यूनिटी पावर ‘ज़ीरो’ हो, उनकी ही मृत्यु भी हो सकती है. लेकिन इसके उलट जितने भी लोग आज कोरोना वायरस से मारे गए हैं, हकीकत यह है कि वे सभी ऐलोपैथिक दवाओं की वजह से ही मारे गए है. उक्त बातें यूनानी फिजिशियन हकीम मो अबू रिज़वान (बीयूएमएस) ने कही. उन्होंने कहा कि जितने भी वायरल डिज़ीज़ेज़ हैं, उन सभी में समानता होती है,जैसे:- प्लेट्लेट्स का कम हो जाना, हाई फीवर, कफ एंड कोल्ड, बदन दर्द, सिर दर्द, बेचैनी वगैरह होता ही है. हकीम मो अबू रिज़वान ने बताया कि वायरल डिजिज का इलाज आप अपने घर में ही करेंगे, तो सच में जिंदा रहेंगे और सेहतमंद भी हो जाएंगे. कोरोना वायरस के इलाज में "विटामीन सी" कारगर:-


यूनानी फिजिशियन हकीम मो अबू रिज़वान ने बताया कि कोरोना जैसे वायरल डिज़ीज़ के इलाज में नेचुरल "विटामिन सी" (ऐलोपैथ की विटामिन सी नहीं) काफी कारगर है. यह शरीर का इम्यूनिटी पावर बढ़ाता है. जिससे बाहरी नुक़सानदायक वायरस का शरीर पर दुष्प्रभाव नहीं दिखता है. उन्होंने बताया कि आज ‘कोरोना’ को लेकर विश्व में हाय तौबा मची हुई है. जबकि उक्त वायरस हजारो वर्षों से है. कहा कि, आज जितने भी लोगों की मृत्यू हुई है. उनमें अधिकांश लोग उम्रदराज हैं. जिनकी इम्यूनिटी पावर कमजोर है, उन्हें ही नुक़सान होता है. कहा कि उम्रदराज लोगों की भी अगर इम्यूनिटी पावर मजबूत हो, तो उन्हें कोई इन्फ्लूएंजा नुक़सान नहीं पहुंचा सकता है. कोरोना ही नहीं किसी "वायरल डीज़ीज़ का ईला इस प्रकार करें:-(यह मत सोचिएगा कि इतनी ठंढी चीजें इतनी मात्रा में लेंगे तो खांसी सर्दी हो जाएगा,बल्कि उदाहरण में बताएनुसार सही क्वांटिटी में लेंगे तो ये आपके लिए दवा बन जाएगी।) पहले दिन:- BODY WEIGHT (80KG) --------------------------------- = 8 10 यानी पहले दिन 8 (आठ) गिलास मोसम्मी या संतरा जूस और 8 (आठ) गिलास नारियल पानी बारी बारी पिलाते रहें। * दूसरे दिन:- BODY WEIGHT (80 KG) ----------------------------------- =4 20 यानी 4 (चार) गिलास मोसम्मी या संतरा जूस और 4 (चार) गिलास नारियल पानी बारी बारी से पिलाते रहें।और शाम में BODY WEIGHT (80 KG)×5 = 400 GRAM खीरा और टमाटर (बराबर बराबर) खिलाएं। * तीसरे दिन BODY WEIGHT (80 KG) =2.6


30 यानी 2.6 (लगभग ढाई गिलास) गिलास मोसम्मी या संतरा जूस और 2.6 (लगभग ढाई गिलास) गिलास नारियल पानी बारी बारी से पिलाते रहें दोपहर बारह बजे तक। दोपहर के समय में BODY WEIGHT (80 KG)×5 = 400 GRAM खीरा और टमाटर (बराबर बराबर) खिलाएं। हाई फीवर होने पर : हकीम मो अबू रिज़वान का कहना है कि हाई फीवर होने की चिंता नहीं करनी है. यही वो "हथियार" है जिससे वायरस मर जाएगा. ऊपर लिखे तरीके से बुख़ार 101-102 डिग्री फारेनहाइट से अधिक नहीं बढ़ेगा. अगर बुख़ार इससे अधिक बढ़े तो उसके लिए किसी भी तरह की ऐलोपैथिक दवा या कुछ भी देने की ज़रूरत नहीं है. केवल इतना करना है कि एक बर्तन में गर्म पानी और दूसरे बर्तन में ठंडा पानी लें.बारी बारी से कपड़े भिगोकर पूरा शरीर पोछते रहें. बस इतना ही काफी है. (फोटो -- पेज में हकीम मो अबू रिज़वान)

Last updated date 29/09/2020

कोरोनावायरस बिज़नेस का असली चेहरा

ये है कोरोनावायरस/बिज़नेस का असली चेहरा..! कोरोनावायरस पीड़ितों से निजी अस्पतालों में उनके परिजनों से बुख़ार की दवा, विटामिन सप्लीमेंट और पीपीई किट के नाम पर मोटा बिल थमाया जा रहा है। दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में मरीज़ भर्ती करने से पहले एडवांस में पैसा लिया जा रहा है।पीपीई किट केलिए ही रोज़ नौ हज़ार रुपए तक वसूले जा रहे हैं। मुंबई में रोज़ एक-एक लाख रुपए वसूले जा रहे हैं। काले कारनामों की बानगी:-


दिल्ली के अशोक कुमार बारह दिन मैक्स अस्पताल में भर्ती रहा, हाइड्रौक्सी क्लोरो क्वीन और विटामिन सी डी दवा दी। इसका कुल मिलाकर बिल 4.40 लाख रुपए। इसमें 1.06 लाख रुपए पीपीई किट केलिए, 1.58 लाख रुपए रूम रेंट का। एक मरीज़ जिनका नाम पप्पू कोहली। उनसे साढ़े पांच लाख रुपए वसूले गए जिसमें रोज़ 8,900/- रुपए पीपीई किट केलिए ही वसूले गए। मुंबई अस्पताल में 15 दिन भर्ती मरीज़ सेवंतीलाल एच पारीख का बिल 16 लाख रुपए बना। नानावती अस्पताल की ये करतूत है।उस मरीज़ को वेंटिलेटर पर रखा गया था, ऐसा अस्पताल प्रबंधन ने कहा। अहमदाबाद के डी एच एस मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में सविताबेन के निधन के बाद परिजनों ने अस्पताल पर मोटी रकम वसूलने का आरोप लगाया। वहां एक दिन का खर्च 50-1.10 लाख रुपए तक है।14 दिन रूकने से 6-15.40 लाख रुपए तक का खर्च आता है।


हरियाणा के करणाल 4 लाख रुपए तो मध्य प्रदेश के इंदौर में 3 लाख रुपए वसूले जाने की ख़बर है।

Last updated date 29/09/2020

كيف يحمي القناع كورونافيروس? النية وجدول الأعمال والهدف كلها متشابهة - "هزيمة

كيف يحمي القناع كورونافيروس? النية وجدول الأعمال والهدف كلها متشابهة - "هزيمة فيروس كورونا وإفشالها بأي ثمن". مهما كان الناس يفقدون وظائفهم أو الأشخاص الذين يسعون جاهدين حتى الموت أو حتى انهيار الاقتصاد. لا يهم! علينا فقط هزيمة CORONAVIRUS! آسف لا CORONAVIRUS ، ولكن NOVEL CORONAVIRUS.     هناك فرق بين كل من CORONAVIRUS ، أحدهما يسمى HUMAN CORONAVIRUS كما كان لدينا FLU عدة مرات منذ طفولتنا مع هذا الفيروس ، هذا هو النوع القديم. الآن ، NOVEL CORONAVIRUS هو جديد بسبب حدوث LOCKDOWN.     دعونا أولاً نفهم الفرق بين نوعي الفيروس. يرجى إلقاء نظرة على الجدول أدناه للمقارنة: -     القديم (HUMANVVIRUS) جديد (NOVEL VIRUS) 4.18 ريال عماني 2.2 CFR 0.147 0.1 اللقاحات / الأدوية × ×     الأول هو القدرة على التدمير والثاني هو قدرته على الانتشار السريع أو الإرسال. يمكننا أن نقبل أحدهما كأخ غير الآخر. إذا نظرت إلى الجدول أعلاه ، فستلاحظ أن الفيروس الأقدم ، الذي أصابنا به عدة مرات في الماضي والذي استردناه كان لديه ضعف القدرة على الانتشار أو الإرسال مقارنة بـ VIRUS NEW. كان هذا هو ميل انتشار أو نقل فيروس OLD VIRUS.     الآن نأتي إلى نزعته المدمرة. الأمر نفسه في كلتا الحالتين - إذا أصيب 1000 شخصًا ، فسوف يموت واحد فقط وسيتعافى 999 شخصًا. لا يوجد لدى VIRUS أي لقاح أو أدوية للتسبب في شفاء المريض. لقد تعافوا من تلقاء أنفسهم. معدل وفياتهم منخفض للغاية ، أي 0.1٪ ، وهذا يعني أن شخصًا واحدًا فقط سيموت في الألف و 999 شفاء. هذه حالة "INFLUENZA LIKE ILLNESS" ، الذي يصطف العديد من أبناء عمومته على شكل H1N1 و H1N2 و INFLUENZA A و INFLUENZA B ، ومعظمهم لديهم نفس معدل النقل والتدمير تقريبًا. ليس لدينا أي عداء مع هؤلاء. إن عدونا الرئيسي هو NOVEL CORONAVIRUS الذي يتعين علينا هزيمته بأي ثمن ، على الرغم من أن الفيروس الجديد أضعف من الفيروس الأقدم.     منذ اليوم فصاعدًا ، تعاونت مع الحكومة الهندية ومنظمة الصحة العالمية في هذه المهمة لهزيمة NOVEL CORONAVIRUS بأي ثمن. أنا وأنت جميعًا نستفيد من هذا LOCKDOWN بمعنى أنك في منزلك وأنا في منزلي. لذلك يتم تحقيق هدفنا بالكامل. ثم بالطبع يقوم بائعو الخضروات بعملهم اليومي عن طريق ارتداء FACEMASK. إذا كنت مصابًا بـ CORONAVIRUS وأنا عطس ، فعندئذ تبقى العدوى داخل FACMASKS - فكرة ممتازة ، من الدرجة الأولى! لقد درست أكثر لتقوية هذه النظرية واستنتجت أن هناك طريقتان أخريان للانتقال. تكشف ورقة بحثية في مجلة الجمعية الطبية الأمريكية في 4 مارس 2020 أن هذا الفيروس يمكن أن ينتقل أيضًا عن طريق البراز أو البراز. [كان هناك تلوث بيئي واسع النطاق من قبل مريض واحد من سارس - COV - 2 مع تورط خفيف في الجهاز التنفسي العلوي. كانت عينات حوض المرحاض والمغسلة إيجابية ، مما يشير إلى أن سفك الفيروس في البراز يمكن أن يكون طريقًا محتملًا لانتقال العدوى. - JAMA، 4 MARCH]     اقترح تقرير نشرته منظمة الصحة العالمية في 26 مارس 2020 أنه يمكن أن يكون انتقال العدوى بين الإنسان أو الإنسان أو الحيوان أو الحيوان.   هذا LOCKDOWN هو في الأساس للإنسان للبقاء في الداخل. ماذا عن الحيوانات الضالة التي تعيش في العراء على سبيل المثال. الكلاب ، القطط ، الخنازير ، الأبقار؟ هذه الحيوانات تعيش على الطرق. يجب أن ينشروا CORONAVIRUS من خلال فضلاتهم. من أجل تعزيز معركتنا ضد هذه المهمة ، أود أن أعرض اقتراحي على الحكومة الهندية ومنظمة الصحة العالمية. فكرت في البداية أن أطلب موافقتك هل سأمضي قدما. يجب أن نقوم أنت وأنا بتطوير DIAPER لهذه الحيوانات الضالة مثل الكلاب والقطط والحمير والخنازير وما إلى ذلك ، ويجب عليهم دائمًا ارتداء حفاضات حتى لا تكون فضلات هناك مكشوفة. بنفس الطريقة التي نرتدي بها أقنعة ، نخطو إلى الخارج. دعونا نفترض أن هذه الفكرة قد تم تنفيذها بحيث عندما تستيقظ في صباح اليوم التالي ، انظر من شرفتك وأنت أكبر من هذا المنظر الرائع لجميع الحيوانات الضالة التي ترتدي DIAPERS البيضاء. في اليوم الثاني ، تبدو DIAPERS كبيرة ولكن كل شخص سعيد بأن جراثيم CORONAVIRUS محصورة. يأتي إلى اليوم الثالث ، واليوم الرابع ، واليوم الخامس ، واليوم السادس ، ثم اليوم السابع. في اليوم السابع ، تبدو DIAPERS أكبر ويكون DIAPERS متسخًا والجو بأكمله ملوث برائحة كريهة.     الآن في حالة أن يرتدي الإنسان FACEMASK ، فإننا نعطس أو نسعلها ونلمسها عن غير قصد أو نضعها في المنزل أو السيارات ونشتري الفواكه والخضروات. يبلغ قطر CORONAVIRUS 100 نانومتر والنانومتر صغير جدًا.     تذكر ، تنتشر العدوى حيثما يكون هناك ركود. العدوى فقط في المياه الراكدة. تتلاشى العدوى أو الجراثيم في المياه المتدفقة.     تذكر أن أكبر اثنين من برامج مكافحة الفيروسات الموهوبة إلينا من قبل الله هما SUNLIGHT و FRESH AIR. لكن تجنب الهواء النقي وضوء الشمس معتقدين أنني إذا عطست أو سعلت في FACEMASK فأنا أمنع تلوث فيروس VIRUS. نحن في الواقع نقوم بتمكين فيروس VIRUS من الازدهار كما هو مغلق في الداخل وزيادة فرص ازدهار فيروس VIRUS.     فلنتحدث الآن في سياق الأطفال الصغار. يُسمح لهم بالخروج في الهواء الطلق في ضوء الشمس والهواء النقي. في مثل هذه الحالات سوف تنخفض حصانتهم. تذكر ، إذا لم يُسمح للأطفال بالخروج في الهواء الطلق والتفاعل ، فسوف يمرضون كثيرًا ، حتى عندما يخرجون بعد شهر أو 4 أشهر أو حتى عام واحد ، فلن يتمكنوا من البقاء حتى أصغر الجراثيم.     نحن كبالغين ما زلنا نخرج لشراء الضروريات ولكن ماذا عن الأطفال الذين لا يخرجون على الإطلاق. ما هي أنواع التأثير التي سيكون لها هذا على عقولهم وأجسادهم؟      أخيرًا ، كيف أعجبتك فكرتي عن DIAPER؟ هل توافق على ذلك؟ معًا يمكننا تقديم اقتراحنا إلى حكومة الهند. سؤالي الثاني هو ما إذا كان FACEMASK يوفر لك أي نوع من الحماية؟ ما أشعر به هو أنه عندما نضع هذا FACEMASK هناك خوف مجهول يكمن في أذهاننا أننا محكوم عليهم بالفشل ... سيحكم عليهم بالفشل ....!      أشعر أن هذا نوع من المؤامرة التي نشعر فيها كضحية يتم التغلب عليها من قبل قوى الشر. فكرنا السلبي هو أكبر عدونا. هذا مثبت علميا. إذا لم نتمكن من العيش ، فلن تستطيع أي قوة على وجه الأرض أن تجعلنا نعيش. هذه هي الحقيقة المطلقة باسم "الموت".



Last updated date 29/09/2020

دعوة رحمة لـ "كورونا": -    أيها الرجل الشرير!

"دعوة رحمة لـ "كورونا": -    أيها الرجل الشرير! ما هو الخراب الذي حدث باسمي ، كنت أتجول في هذا الكون بأكمله منذ العصور القديمة. لقد سمعت هذا القول - "تعال ، أنت الريح ، حيث الريح." بنفس الطريقة التي تأخذني بها هذه الريح ، أذهب إلى هناك. لأنني ميت ، لست على قيد الحياة. أتشبث بما أجده في الطريق ، ولا أعيش حتى في دمه ، ولكن بدلاً من الثانية الأولى من خلاياه ، أذهب إلى الطبقة الثالثة. ثم أعيش على قيد الحياة بتناول الطعام من داخل تلك الخلايا. في نفس الوقت أقوم بزيادة عدد السكان لديك وتحصل على سعال محموم وما إلى ذلك. أنت مضطرب وتهرب إلى الطبيب. ما رأيك أن هذا الطبيب سيقتلني وينتهي بي! لا على الاطلاق. لا شك أن والده يجب أن يردع شعري. لأنه حيث أعيش ، لا يوجد دواء وما إلى ذلك يمكن أن يصل إلى هناك. نعم ، من المؤكد أنك قتلت ، وربما لا تعرف أنني لا أقتل ، ولكنك تقتل فقط من الدواء الذي يقدمه لك الطبيب. كان نظام المناعة لديك كافياً لقتلي ومحاربتي. مع هجومه الذي تعرضت للضرب في ثلاثة أيام فقط وسوف تكون بصحة جيدة. عندما يزداد عدد السكان بشكل كبير داخل الخلية ، أريد الخروج من هناك ، لكن ارتفاع درجة حرارة دمك يقتلني. ويخرجها من جسدك أيضًا. ثم تصبح بصحة جيدة مرة أخرى. أي أن عدوي ليس سوى درجة الحرارة العالية لجسمك ، والتي تفقد بسببها وتفوز. ولكن بسبب الأدوية التي يعطيها لك الطبيب لقتلي ، تتلف خلاياك. وعندما تتلف الخلايا ، تنتهي عندها ، والآن أخبرني من قتلك؟ أنا أو طبيبك. تذكر الرجل الشرير! أنت نفسك أعداء لبعضكما البعض. لكن انت تلومني أنا ميت ، ماذا ستضربني يا دكتور! ثم ماذا يفعل هذا الطبيب أيضا للفقراء؟ وهي ليست مجرد "وكيل" لشركات الأدوية ومنظمة الصحة العالمية وحكوماتها. يقتلك في سياق قتلي ، يحصل على ثوابه. المستشفى الذي تموت فيه أثناء العلاج لا تحصل حتى على مكافأة عميقة ويتم نشر أخبار وفاتك بأحرف جريئة في جميع صحف اليوم التالي ، لخلق "جو من الخوف" في المجتمع. .     فهم يا رجل! هذه اللعبة كلها هي "تجارة الخوف". ترقصك الحكومة وتخيفك بإصبعك باسم ميت ، هل فهمت شيئًا؟     نعم ، باسمي ، تقوم شركات الأدوية بأعمالها بمليارات التريليونات. أي أن كتفي يجري بمسدس. تباع أفضل الأدوية لمعرفة أنني "كورونا" أو "H1N1" أو "حمى الضنك" أو "شيكونغونيا" أو "أنفلونزا الخنازير" أو أي شخص آخر. أنت تجري الكثير من التحقيقات ، لكن هل تعرف أي شيء؟     حتى من خلال اختبار تفاعل البوليميراز المتسلسل (PCR) ، لا يمكن تحقيق أي شيء ، ولكن يمكنك فقط اكتشاف البروتين والتسلسل الجيني الخاص بي.لأنني ليس لدي شكل أو مظهر ، فإن هويتي ليست صعبة ، وعندما لا يمكنك تحديد هويتي ، ستقتلني. كيف؟ اسأل العالم "كاري موليس" ، الذي اخترع اختبار PCR ، هذا ما سيقوله. ولكن بسبب هذا التحقيق ، تكسب جيدًا أيضًا. من بين أفضل عشرة باحثين في العالم ، واسمهم "ليونارد هورويكز" ، قال لك كتابه "فيروس ناشئ" كل شيء ، ولكن لم يكن هناك وقت للحصول على معلومات عني. عندما كشف عن الفيروس المسمى "إيبولا" ، "زيكا" ، إلخ ، اختطفت الحكومة الأمريكية منزل حكومته منه ، وأعلن الخيانة. لقد قال حتى أنه خطير مثل "نزلات البرد" الشائعة أو أي فيروس آخر مثل "حمى الضنك" و "شيكونغونيا" و "H1N1" و "زيكا" و "أنفلونزا الخنازير". هل سمعت من قبل أنه حتى شخص ميت بسبب "نزلات البرد" ، لا ينتشر "حمى الضنك" عبر البعوض. قيل لك مدى خطورة. مجرد التفكير ، إذا كانت البعوضة التي تحمل فيروس حمى الضنك ، عندما لا يمكن أن يموت البعوض من هذا الفيروس ، كيف يمكن أن تموت؟ تقتل بأدوية الوباتشيك. لكنك تلوم فيروس حمى الضنك المسكين.     بقدر ما تريد مع المطهر ، اغسل أيدي الناس ، ولكن أيضًا استحم ، لكنني لن أموت لأنني أموت ، أموت ، كيف يمكنك قتلي مع هذا المطهر. نعم ، أنت تقتل بالتأكيد البكتيريا والميكروبات ومسببات الأمراض الودية ، وما زلت في يدك ، لأنني شخص ميت. هذا يعني أنك تضر نفسك أثناء قتلي. أعني أن أقول أنه في العالم الخارجي لا يمكنك قتلي ولا في الخلايا الداخلية. ثم أنت تقوم بمليار عمل فقط باسم قتلي ، أليس كذلك.    أنت تبيع الكثير من أقنعة الوجه ، أي أنك تتاجر بملايين الكرور. إنه لأمر جيد ، جيد جدًا أن عملك يقع باسمي. ملحوظة:- لقد قمت بإنشاء دواء Unani واحد يسمى HEALTH IN BOX®. مع هذا الدواء ، تصبح جميع أمراض نمط الحياة معكوسة إلى الأبد. أي أن كل مرض يفشل فيه الأطباء ويخبرونك بتناول دواء الوباتش طوال حياتك ، على العكس من ذلك ، أصبحت المحطة الأولى لطب الوباتشيك جزءًا من حياتك لسنوات عديدة بمجرد أن بدأت بتناول دوائي HEALTH IN BOX®. سأكون قادرًا على إيقاف هذا الدواء بعد أربعة أشهر من استخدامه ، وسوف أتمكن من العيش حياة صحية. دعني أخبرك أن أمراض نمط الحياة مثل السمنة ، ارتفاع ضغط الدم ، مرض السكري ، الربو ، الكوليسترول ، الغدة الدرقية ، مشكلة القلب ، السرطان ، التهاب الكبد والبطن ، الصداع النصفي ، الصدفية ، الجيوب الأنفية ، التهاب المفاصل ، OSTEOTPTPITITSTARIT يذهب. عبوة هذا الدواء هي 240 غرامًا لمدة شهر ، وهو فقط 3000 / روبية. يتم إرسال هذا الدواء من البريد السريع في كل مكان في الهند. حكيم أبو رضوان BUMS ، مع مرتبة الشرف (BU) طبيب أونياني متخصصون في أمراض نمط الحياة مركز البحوث الطبية UNANI طريق شروتي تشوك بوراني باستي JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND. رقم الاتصال 8651274288 & 9334518872 ما هو AAP 9334518872 و 8651274288 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com يوتيوب حكيم MD ABU RIZWAN



Last updated date 29/09/2020

HEALTH IN BOX से आप किसी भी लाइलाज बीमारी का इलाज करें और अच्छी आमदनी पाएं

ASSALAM O ALAIKUM WA RAHMATULLAH WA BARKATOHU !बेरोज़गारों केलिए सुनहरा अवसर:-HEALTH IN BOX ® यूनानी दवा से 20% - 40% तक आय करने का सुनहरा अवसर आपके सामने है, जो इस प्रकार है:-20%= 5-9 packet's25%= 10-19 packet's30%= 20-49 packet's 40%= 50-100 Packet's(एक पैकेट HEALTH IN BOX ® का मूल्य ₹ 3000/- है।) मैं, हकीम मुहम्मद अबू रिज़वान (जमशेदपुर, झारखंड) 1993 से अपने व्यक्तिगत रूप से चिकित्सा सेवाएँ प्रदान कर रहा हूँ। मैंने अंग्रेजी दवा और एलोपैथिक डॉक्टरों के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है। ये डॉक्टर किसी कसाई और डाकू से कम नहीं हैं। मैं लंबे समय से "DISEASE FREE WORLD" नामक एक अभियान चला रहा हूं। मुझे उम्मीद है कि आप इस अभियान में मेरा साथ देंगे और मुझे प्रोत्साहित करेंगे। और अंग्रेजी दवा के घातक प्रभावों से मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, थायरॉइड, हार्ट ब्लॉकेज, कैंसर, गठिया और अन्य घातक बीमारियों जैसे LIFESTYLE DISEASES वाले रोगियों की रक्षा के लिए आम जनता की मदद करेंगे। और उन्हें अंग्रेजी दवा से दूर रखने की कोशिश करेंगे।अनुसंधान कार्य लंबे समय से चल रहा है और परिणामस्वरूप, पिछले कुछ वर्षों से, केवल एक दवा, "HEALTH IN BOX", से सभी प्रकार की बीमारियों का इलाज करना शुरू कर दिया है।


परिणाम उल्लेखनीय है। फिर क्या हुआ, मैं अपने पास आने वाले सभी मरीजों को केवल एक ही दवा देता हूं:- "HEALTH IN BOX ®" महाशय जी! मैंने वो देखा है कि हमारे समाज के अधिकतर लोग अपनी अल्प आय और सीमित संसाधनों के कारण हमेशा तनाव में रहते हैं। इसलिए, मैं ने सोचा है कि ऐसे यूवक या बेरोज़गार लोग आगे आएं और मुझसे जूड़ें। ऐसा करके अपनी आय बढ़ाने की कोशिश क्यों न करें।आज भी इलाज इतना आसान है कि मेरी दवा"HEALTH IN BOX"कोई भी आसानी से किसी भी बीमार आदमी का इलाज कर सकता है। तो फिर आप क्यों नहीं? इस मुसीबत की घड़ी में जहां लाखों लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी, खासकर बेरोजगार युवाओं को, उन्हें आगे बढ़कर मेरी पेशकश को गले लगाने की कोशिश करनी चाहिए। "HEALTH IN BOX" पूरी तरह से यूनानी दवा है। इसकी सभी सामग्रियों में केवल जड़ी-बूटियां हैं। इस दवा का उपयोग सभी उम्र के सभी प्रकार के रोगों के उपचार में किया जाता है। नतीजा माशाल्लाह। केवल उन लोगों को जो मेरे बताए सभी नियमों का पालन करते हैं, उन्हें 100% परिणाम प्राप्त होते हैं।यह वास्तव में किसी भी बीमारी का इलाज नहीं है, लेकिन यह किसी भी बीमारी के "कारणों" पर काम करता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सभी बीमारियों का केवल एक ही कारण है, और वह है: -"ग्लूकोज और इंसुलिन के आपसी तालमेल की गड़बड़ी।""HEALTH IN BOX"सभी प्रकार की जीवन शैली(LIFESTYLE DISEASES) बीमारियाँ जैसे: कैंसर, मधुमेह, हाई बीपी, मोटापा, हार्ट ब्लॉकेज, लीवर, पेट और किडनी की समस्याएँ, डायलिसिस, सोरायसिस, सेक्स समस्याएँ, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, कोलेस्ट्रॉल, थायराइड की समस्याएँ, हड्डियाँ और जोड़ों आदि रोगों के लिए लोग अंग्रेजी दवाइयों का प्रयोग जीवन भर करते हैं क्यों कि डॉक्टर यही सलाह देते हैं। HEALTH IN BOX का इस्तेमाल शुरू करते ही अधिकांश रोगों में, इस के परिणाम पहले ही दिन प्राप्त होते हैं। यानी यह दवा पहले दिन से काम करना शुरू कर देती है। अंग्रेज़ी दवा पहले ही दिन बंद हो जाती है और हमेशा केलिए कोई भी रोग रिवर्स हो जाती है।"मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप इस पर विचार करें।" सेवाभाव से लोगों की भलाई केलिए अवश्य मुझसे जुड़कर अवसर का लाभ उठाएं। लोगों को अंग्रेज़ी दवाओं से और डॉक्टरों से और रोगों से मुक्ति दिलाने में अपनी भूमिका निभाने का प्रयास करें।HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons. (BU)


UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES+ UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE+ SHRUTI CHOWK PURANI BASTI ROAD JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND संपर्क करें 9334518872 8651274288 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN Visit us our website https://umrc.co.in

Last updated date 22/09/2020

WHO (वर्ल्ड हारर आर्गनाइजेशन)

जिस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं आया है। उसी बीमारी का इलाज करवा कर लाखों लोग ठीक भी हो गए। वाह! और तो और कुछ लोगों ने इस खौफ (Corona Virus) के तथाकथित ईलाज के नाम पर करोड़ों /अरबों कमा भी लिये। भरपेट कमा लेने के बाद जैसे N-95 मास्क बेकार घोषित हो गया। यकीन करें कमाई के बाद सेनेटाइजर, हैंडवाश और immunity booster दवायें भी बेअसर घोषित हो जाएंगी।फिर वैक्सीन से कमाने का दौर शुरू होगा।आप डर बनाये रखिये और हम बाजार बनाये रखते हैं।


*WHO" हमेशा आपके डर के साथ है!"* *(World Horror Organization)* अंग्रेजों की ग़ुलामी के ज़माने से भी अधिक अन्याय है ये तो। मास्क सैनिटाइजर से वायरस का कौन सा बाल बांका कर लेंगे, बल्कि उसके उलट सिर्फ और सिर्फ स्वंय का ही नुकसान होता है। अब इस संकट की घड़ी में, जबकि लोगों का रोज़गार छिन गया,दो रोटी का जुगाड़ भी कठिन है। और बदकिस्मती से आपलोग मास्क, सैनिटाइजर, सोशल डिस्टेंसिग,लाकडाउन, टेस्ट को अकारण ही सरकारी आमदनी का जरिया बना लिया है। अगर आम जनता से इतनी ही हमदर्दी है तो मास्क , सैनिटाइजर आदि लोगों को बांटने चाहिए क्योंकि इस so called महामारी से बचाव हो। लेकिन प्रशासन को इस से क्या मतलब? "आमदनी" का एक नया "श्रोत" का अविष्कार जो हो गया।


WHO का कौन सा गाइड लाइन है जिसमें बिना मास्क, सैनिटाइजर वाले को "दंडित" करो या उसकी "पिटाई" करें या "जेल" में डाल दिया जाए? बहुत ही दुखी मन से मैं ने ये बातें लिखी हैं क्योंकि मैं इस "गोरखधंधे" के सुत्रधारकों के काले कारनामों को भलिभांति जानता हूं। सबूत व साक्ष्य भी मौजूद हैं।

Last updated date 20/09/2020

CORONA BUSINESS

WHO का कुकर्म एक बार फिर साबित हो गया है। एक ख़बर:-"WHO OFFERED $ 20 MILLION BRIBE TO SEE COVID-19 MEDICINE POISONED- MADAGASCAR PRESIDENT. THIS IS NOT MY IDEA SUGGESTED BY THE LEADER OF A VILLAGE IN A RURAL PART OF AFRICA. AND THIS SHOWS US THE BEST IDEA OF ALL- ASK THE PEOPLE TO SOLVE THE PROBLEM FOR THEMSELVES. PEOPLE WHO LIVE IN A COMMUNITY KNOW THEIR WAY OF LIFE-STORY PG3.(मैडागास्कर द्वारा कोविड-19 की ईलाज के लिए बनाई गई घरेलू (आयूर्वेदिक) दवाई पर रोक लगाने के लिए WHO ने वहां के राष्ट्रपति ANDRY RAJOELINA को 20 मिलियन डॉलर की रक़म "घूस" में देने की पेशकश की।) इसके पहले भी 2009 में H1N1 वायरस (जिससे SWINE FLU फैला था) के संदर्भ में PACE (PARLIAMENTARY ASSEMBLY COMMITTEE OF EUROPE) ने WHO को चोर और लुटेरा घोषित किया था। क्योंकि उस समय इस "वर्ल्ड हेल्थ (हरामी) आर्गनाइजेशन" (WHO) ने $ 18 मिलीयन का घोटाला/घपला किया था। जिसका फांडाफोड़ दो जर्नलिस्टों (SHERYL ATTKISON और JON RAPPOPORT) ने किया था। दूसरे 195 अंधभक्त देशों की तरह हमारा भारत भी समाज की सेहत के दुश्मन के PROTOCOL को मानकर कोरोनावायरस पीड़ितों का क़त्ल आम कर रहे हैं। और इसके बदले में हमारे केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को WHO में एक पद मिल गया है। बहरहाल ! मेरे प्यारे भोले-भाले मित्रो, किसी भी वायरल डीज़ीज़ से डरने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है बल्कि आपको अपने IMMUNITY POWER को बढ़ा कर बचाव करने की कोशिश करें। FRESH AIR और SUNLIGHT और NATURAL VITAMIN C की भरपूर मात्रा लें और सुरक्षित रहें निडर रहें। शरीर का HIGH TEMPERATURE वायरस का दुशमन। लेकिन उन हाई क्वालिफाइड जाहिल वह गंवार डॉक्टर सबसे पहले मरीज़ के बुखार को ही नार्मल करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो डॉक्टर ने बुखार को नार्मल करके वायरस को बचा लिया और मरीज़ को मौत के क़रीब कर दिया।ये सारा काम एक सोची समझी रणनीति और साज़िश के तहत किया जा रहा है। हम सब NATURE द्वारा NATURAL ITEMS से बने हैं।इस हालत में हमें जब भी कोई बीमारी या तकलीफ़ हो जाती है तो उसका निदान, बचाव और ईलाज सिर्फ और सिर्फ नेचुरल चीज़ों और तरीकों से ही शत् प्रतिशत मुमकिन है। NATURAL यानी GOD MADE ITEMS से किसी वायरल डिज़ीज़ का ईलाज शत प्रतिशत संभव है। NO MEDICATION ONLY EDUCATION, VIRUS ब्लड में रहता ही नहीं तो दवा से कैसे मारोगे ? वायरस कभी भी ब्लड में रहता ही नहीं है,ये हमारे शरीर में दाख़िल होकर TRAVEL करते हुए CELL के पहले दूसरे नहीं बल्कि तीसरे LAYER में जाकर छुपकर सुरक्षित हो जाता है।


जहां पर LIVING BEING की तरह MULTIPLY करता है। इसी दौरान हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस से लड़ाई शुरू कर देता है और उसी क्रम में बाडी टेम्परेचर हाई हो जाता है।इस दौरान एक समय आएगा जब वायरस CELL से बाहर ब्लड में आएगा ही जहां ब्लड का उच्च तापमान वायरस का क़त्ल आम कर देगा।अब आप ही बताइए इसमें दवा की ज़रूरत ही कहां है, जबकि कोई दवा CELL के भीतर पहुंचता ही नहीं है। REMDESIVIR वो दवा है जो EBOLA में भी परीक्षण किया गया था और बुरी तरह नाकाम रहा।अब एकबार फिर इसे कोरोनावायरस केलिए प्रयोग किया जा रहा है, यानी मरीज़ की मौत का सामान तैयार किया जा रहा है। ANTIMALARIAL दवा HYDROXYCHLOROQUIN कोरोनावायरस के मरीजों के ऊपर आज़माया जा रहा है।ये बेगैरतों की टोली इन्सानी ज़िन्दगी को GUINEA PIG समझते हैं।ज़रा सोचिए, मलेरिया PARASITE से होता है। PARASITE और VIRUS में क्या कोई एकरूपता है? नहीं, तो फिर उन गंवार डॉक्टरों को समझ नहीं आ रहा क्या? ऐसा नहीं है, बल्कि ये तो फार्मास्युटिकल कंपनियों की रणनीति ही यही है, ताकि उनका व्यापार और मुनाफा चलता रहे। ANTIBIOTICS का वायरस से क्या नाता हो सकता है। कोई लगाव ही नहीं है तो फिर कोरोनावायरस पीड़ितों को क्यों दिया जा रहा है? ऊपर वर्णित दवाएं और ANTI HIV DRUGS & BCG VACCINE केवल EXPERIMENTAL DRUGS यानी प्रयोगात्मक तौर पर आज़मा कर देखा जा रहा है। इन्सानियत इतना गिर जाएगा,वो भी सिर्फ "बिज़नेस" केलिए? यानी आप मानव नहीं GUINEA PIG हो इसीलिए।इन दवाओं को आप पर आज़माया जा रहा है फिर "लगा तो तीर नहीं तो तुक्का।"डाक्टरों की वेष-भूषा ऐसी जैसे डरावने ASTRONAUTS, मतलब किसी नाटक के कैरेक्टर इतनी मौतें उसी ऐलोपैथी ईलाज का नतीजा, वायरस की दवा या टीका बना ही नहीं।और न ही बन सकती है।PHARMA COMPANIES का ढोंग है।World HEALTH ORGANIZATION की सरपरस्ती में विश्व के 195 देश WHO की ग़ुलामी करके हज़ारों लाखों लोगों को मौत के घाट उतार रही हैं। कोरोनावायरस पीड़ितों की एक एक डेड बॉडी अस्पतालों केलिए "बीयरर चेक" सामान हैं। कोरोनावायरस संक्रमित मरीज़ अगर किसी अस्पताल में भर्ती हुआ तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- बतौर REWARD फार्मास्युटिकल कंपनियों की ओर से मिलता है। और इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कोई मरीज़ अगर VENTILATOR तक पहुंचता है तो फिर उसके ज़िन्दा वापस लौटने के चांसेज नगण्य हो जाती हैं और उस एक की मृत्यु हो जाने पर उस अस्पताल को जितनी फंडिंग दी जाती है उसे सुनकर बेहोश हो जाएंगे। कुल US $ 39000/प्रति डेड बॉडी। यानी LOOT LO OFFER चल रहा है। अब इसमें डॉक्टरों को दोषी करार देने की कोई ज़रूरत नहीं, उन्हें तो शतरंज का मोहरा बना दिया गया है। अगर वो अपनी ज़बान खोलने की कोशिश की तो नौकरी से निकाले जाएंगे,सर्टीफिकेट रद्द कर दी जाएगी।गैम्बलर कहीं और बैठा है। ये सारा गेम प्लान फार्मास्युटिकल कंपनियों का है, और WHO जैसी संस्था (जो पूरी दुनिया क स्वास्थ्य का ज़िम्मेदार है) उन कंपनियों की मुट्ठी में है। और इस तरह सिर्फ और सिर्फ दवा,मास्क, सैनिटाइजर, टेस्ट किट,पी पी ई, वैन्टीलेटर इत्यादि का अरबों खरबों डालर का व्यापार होगा। इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि कितने लोगों की मौत हो गई।ये तो चाहते हैं कि दुनिया की आबादी कम से कम पंद्रह प्रतिशत घट जाए। मैं आपको 1975 के उस दौर में ले चलता हूं जहां विश्व की टाप टेन कंपनियों में से दूसरे नंबर की कंपनी MERCK की बात करेंगे। इस कंपनी के CEO जिसका नाम HENRY GODSON था। उसका कहना था:-"उनके दिल में एक ही तकलीफ़ है कि दुनिया में सिर्फ़ "मरीज़" ही उनकी कंपनी की दवा इस्तेमाल कर पाते हैं। वो उस दिन का सपना देख रहे थे जब वो दुनिया के सेहतमंद लोगों को भी अपनी दवा बेच सकेंगे।"


इसका मतलब क्या है?वो चाहते थे कि सारी दुनिया बीमार पड़ जाए या बीमार न भी पड़े, फिर भी उनके प्रोडक्ट्स ज़रूर बिकें।" LOCKDOWN NO SOLUTION, सच्चाई यही है। सबसे पहले तो ये पता कीजिए कि ये "ज्ञान" किसने दिया। WHO की चीफ साइंटिस्ट MRS SWAMINATHAN ने NDTV के RAVISH KUMAR के साथ एक इंटरव्यू में यह क़बूल किया कि LOCKDOWN का सुझाव WHO ने नहीं दिया। फिर किसने कहा, "CHINA" ने तो नहीं दिया। बिल्कुल सही समझे आप, लेकिन अभी भी आप ग़लत हो।ये सुझाव WHO ने ही दिया, तो झूठ बोलने का क्या मतलब? SOCIAL DISTSNCING भी कोई SOLUTION नहीं है।आप ख़ुद देखिए,क्या ऐसा करने से कोरोना वायरस ख़त्म हो गया? ISOLATION भी कोई SOLUTION नहीं है। आपने पूरी जनता को उनके घरों में क़ैद कर दिया। ऐसा नहीं है कि घरों में वायरस नहीं है, ये तो हर जगह मौजूद है। फिर ISOLATION का क्या मतलब! FACEMASK IS JUST LIKE A DIAPER, जी हां बिल्कुल सही समझे आप।मास्क लगाना केवल हेल्थ वर्करों (डॉक्टरों, नर्सों वगैरह) केलिए ज़रूरी है।आम जनता को तभी लगाना चाहिए जब वो किसी पोजीटिव मरीज़ के संपर्क में आने वाले हैं। SANITIZER तो आपकी IMMUNITY POWER को कमज़ोर कर रही है। इसमें लगभग अस्सी प्रतिशत अल्कोहल होता है। इसे लगाते ही आपके चमड़ी को भेदते हुए रक्त में पहुंच जाता है।ये आपके DENDRITIC CELLS को क्षति पहुंचाती है और आप के IMMUNITY POWER को घटाती है। फिर आप कभी भी किसी भी वायरल डीज़ीज़ या किसी अन्य बीमारियों से बच नहीं पाएंगे। यानी SANITIZER इस्तेमाल कराकर आप को बीमार बनाने का काम किया जा रहा है।WHO ने सैनिटाइजर के दो फार्मूले बताये हैं। पहला जिसमें 80% तक इथेनॉल हो, 0.125% तक हाइड्रोजन पेरोक्साइड और 1.45% ग्लिसराल हो। दूसरे फार्मूले के तहत इसमें इथेनॉल की जगह 75% आइसोप्रोपाइल अल्कोहल हो सकती है,बाकी घटक पहले फार्मूले की तरह ही बने रहेंगे। अमेरिका के "सेंटर फॉर डीज़ीज़ कंट्रोल" के अनुसार, "हाथों की सफाई से सांस से जुड़े संक्रमण का ख़तरा 21% तक घट जाता है।" PHARMCEUTICAL COMPANIES मीलियन ट्रीलीयन डालर की कमाई में जुटी हैं, वो भी EXPERIMENTAL DRUGS प्रयोग करके।क्योंकि आर एन ए वायरस की कोई दवा बन नहीं सकती, तो क्या ये कोरोनावायरस पीड़ित रोगियों को GUINEA PIG समझती हैं? आपने देखा होगा कि ऐसा एक भी कोरोनावायरस पीड़ित अपने घर में नहीं मरा, बल्कि ईलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मृत्यु हुई। रूह को कंपकंपा देने वाली एक ख़बर देता हूं।जब कोरोना वायरस पोजीटिव मरीज़ अस्पताल में भर्ती होता है तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- का "REWARD"मिलता है। और ईलाज के दौरान कोई मरीज़ अगर VENTILATOR पर चला गया तो वहां से ज़िंदा वापस लौटने की उम्मीद नगन्य है।उस अस्पताल को इस के लिए प्रति रोगी USD $ 39000 बतौर REWARD दिया जाता है।(इस बात का भांडा फोड़ एक पाकिस्तानी डॉक्टर अबरार कुरैशी ने अपने एक वीडियो संदेश में कही है।) LEONARD HOROWITZ ने भी अपने एक वीडियो इंटरव्यू में किया था कि जिस किसी भी अस्पताल में वायरल डीज़ीज़ से पीड़ित रोगी भर्ती होता है तो कहीं से उस अस्पताल को "फंडिंग दी जाती है। उनकी गणना वायरल डीज़ीज़ पर रिसर्च कर रहे टाप टेन साइंटिस्ट में की जाती है। उनकी पुस्तक का नाम "EMERGING VIRUS" है।) जागो ईंडिया जागो क्योंकि सरकार आपको आपके घर में क़ैदी बनाने जा रही है। आख़िर ये कोरोनावायरस एक फ्लू ही तो है, जिस को ILI (INFLUENZA LIKE ILLNESS) की श्रेणी में रखा गया है।तो ऐसा क्यों किया जा रहा है कि कोई कोरोनावायरस पोजीटिव मरीज़ का पता चलता है तो उसको घर से इस तरह उठा कर अस्पताल ले जाया जाता है मानो वो कोई "मुजरिम है। आख़िर क्यों नहीं उसे यह ईख़्तियार दिया जाता है कि वो अपनी मर्ज़ी से किसी भी प्राईवेट क्लीनिक में किसी यूनानी चिकित्सक, आयूर्वेदिक चिकित्सक, होमियोपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर के अपना ईलाज कराए। HERD IMMUNITY के बारे में जानकारी प्राप्त करें। JOHN HOPKINS BLOOMBERG SCHOOL OF PUBLIC HEALTH के अनुसार,"जब अधिकांश आबादी एक संक्रामक बीमारी के प्रति IMMUNE हो जाती है तो यह INDIRECT PROTECTION प्रदान करता है।"इसे ही HERD IMMUNITY कहा जाता है। ये उनलोगों को भी PROTECTION प्रदान करता है जो बीमारी से संक्रमित नहीं हैं। R 0(आर नाट) यह एक MATHEMATICAL TERM है, जो ये बताता है कि एक संक्रामक बीमारी कितना संक्रामक है।इसे REPRODUCTION NUMBER (प्रजनन संख्या) कहते हैं। जैसे ही संक्रमण किसी आदमी में पहुंचता है यह ख़ुद को REPRODUCE कर लेता है।R 0 उन लोगों की औसत संख्या बताता है जो एक संक्रमित आदमी से संक्रमित हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी बीमारी का R 0 18 है तो उससे संक्रमित आदमी औसतन 18 लोगों को संक्रमित करेगा। ये बहुत ही बड़ा सवाल है, किसी बड़ी साज़िश की "बू" आती है तो आप भी महसूस करें। ISOLATION CENTRE भी जेल या क़ैदख़ाना से क्या कम है।

Last updated date 17/09/2020

CORONA BUSINESS

WHO का कुकर्म एक बार फिर साबित हो गया है। एक ख़बर:-"WHO OFFERED $ 20 MILLION BRIBE TO SEE COVID-19 MEDICINE POISONED- MADAGASCAR PRESIDENT. THIS IS NOT MY IDEA SUGGESTED BY THE LEADER OF A VILLAGE IN A RURAL PART OF AFRICA. AND THIS SHOWS US THE BEST IDEA OF ALL- ASK THE PEOPLE TO SOLVE THE PROBLEM FOR THEMSELVES. PEOPLE WHO LIVE IN A COMMUNITY KNOW THEIR WAY OF LIFE-STORY PG3.(मैडागास्कर द्वारा कोविड-19 की ईलाज के लिए बनाई गई घरेलू (आयूर्वेदिक) दवाई पर रोक लगाने के लिए WHO ने वहां के राष्ट्रपति ANDRY RAJOELINA को 20 मिलियन डॉलर की रक़म "घूस" में देने की पेशकश की।) इसके पहले भी 2009 में H1N1 वायरस (जिससे SWINE FLU फैला था) के संदर्भ में PACE (PARLIAMENTARY ASSEMBLY COMMITTEE OF EUROPE) ने WHO को चोर और लुटेरा घोषित किया था। क्योंकि उस समय इस "वर्ल्ड हेल्थ (हरामी) आर्गनाइजेशन" (WHO) ने $ 18 मिलीयन का घोटाला/घपला किया था। जिसका फांडाफोड़ दो जर्नलिस्टों (SHERYL ATTKISON और JON RAPPOPORT) ने किया था। दूसरे 195 अंधभक्त देशों की तरह हमारा भारत भी समाज की सेहत के दुश्मन के PROTOCOL को मानकर कोरोनावायरस पीड़ितों का क़त्ल आम कर रहे हैं। और इसके बदले में हमारे केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को WHO में एक पद मिल गया है। बहरहाल ! मेरे प्यारे भोले-भाले मित्रो, किसी भी वायरल डीज़ीज़ से डरने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है बल्कि आपको अपने IMMUNITY POWER को बढ़ा कर बचाव करने की कोशिश करें। FRESH AIR और SUNLIGHT और NATURAL VITAMIN C की भरपूर मात्रा लें और सुरक्षित रहें निडर रहें। शरीर का HIGH TEMPERATURE वायरस का दुशमन। लेकिन उन हाई क्वालिफाइड जाहिल वह गंवार डॉक्टर सबसे पहले मरीज़ के बुखार को ही नार्मल करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो डॉक्टर ने बुखार को नार्मल करके वायरस को बचा लिया और मरीज़ को मौत के क़रीब कर दिया।ये सारा काम एक सोची समझी रणनीति और साज़िश के तहत किया जा रहा है। हम सब NATURE द्वारा NATURAL ITEMS से बने हैं।इस हालत में हमें जब भी कोई बीमारी या तकलीफ़ हो जाती है तो उसका निदान, बचाव और ईलाज सिर्फ और सिर्फ नेचुरल चीज़ों और तरीकों से ही शत् प्रतिशत मुमकिन है। NATURAL यानी GOD MADE ITEMS से किसी वायरल डिज़ीज़ का ईलाज शत प्रतिशत संभव है। NO MEDICATION ONLY EDUCATION, VIRUS ब्लड में रहता ही नहीं तो दवा से कैसे मारोगे ? वायरस कभी भी ब्लड में रहता ही नहीं है,ये हमारे शरीर में दाख़िल होकर TRAVEL करते हुए CELL के पहले दूसरे नहीं बल्कि तीसरे LAYER में जाकर छुपकर सुरक्षित हो जाता है।


जहां पर LIVING BEING की तरह MULTIPLY करता है। इसी दौरान हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस से लड़ाई शुरू कर देता है और उसी क्रम में बाडी टेम्परेचर हाई हो जाता है।इस दौरान एक समय आएगा जब वायरस CELL से बाहर ब्लड में आएगा ही जहां ब्लड का उच्च तापमान वायरस का क़त्ल आम कर देगा।अब आप ही बताइए इसमें दवा की ज़रूरत ही कहां है, जबकि कोई दवा CELL के भीतर पहुंचता ही नहीं है। REMDESIVIR वो दवा है जो EBOLA में भी परीक्षण किया गया था और बुरी तरह नाकाम रहा।अब एकबार फिर इसे कोरोनावायरस केलिए प्रयोग किया जा रहा है, यानी मरीज़ की मौत का सामान तैयार किया जा रहा है। ANTIMALARIAL दवा HYDROXYCHLOROQUIN कोरोनावायरस के मरीजों के ऊपर आज़माया जा रहा है।ये बेगैरतों की टोली इन्सानी ज़िन्दगी को GUINEA PIG समझते हैं।ज़रा सोचिए, मलेरिया PARASITE से होता है। PARASITE और VIRUS में क्या कोई एकरूपता है? नहीं, तो फिर उन गंवार डॉक्टरों को समझ नहीं आ रहा क्या? ऐसा नहीं है, बल्कि ये तो फार्मास्युटिकल कंपनियों की रणनीति ही यही है, ताकि उनका व्यापार और मुनाफा चलता रहे। ANTIBIOTICS का वायरस से क्या नाता हो सकता है। कोई लगाव ही नहीं है तो फिर कोरोनावायरस पीड़ितों को क्यों दिया जा रहा है? ऊपर वर्णित दवाएं और ANTI HIV DRUGS & BCG VACCINE केवल EXPERIMENTAL DRUGS यानी प्रयोगात्मक तौर पर आज़मा कर देखा जा रहा है। इन्सानियत इतना गिर जाएगा,वो भी सिर्फ "बिज़नेस" केलिए? यानी आप मानव नहीं GUINEA PIG हो इसीलिए।इन दवाओं को आप पर आज़माया जा रहा है फिर "लगा तो तीर नहीं तो तुक्का।"डाक्टरों की वेष-भूषा ऐसी जैसे डरावने ASTRONAUTS, मतलब किसी नाटक के कैरेक्टर इतनी मौतें उसी ऐलोपैथी ईलाज का नतीजा, वायरस की दवा या टीका बना ही नहीं।और न ही बन सकती है।PHARMA COMPANIES का ढोंग है।World HEALTH ORGANIZATION की सरपरस्ती में विश्व के 195 देश WHO की ग़ुलामी करके हज़ारों लाखों लोगों को मौत के घाट उतार रही हैं। कोरोनावायरस पीड़ितों की एक एक डेड बॉडी अस्पतालों केलिए "बीयरर चेक" सामान हैं। कोरोनावायरस संक्रमित मरीज़ अगर किसी अस्पताल में भर्ती हुआ तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- बतौर REWARD फार्मास्युटिकल कंपनियों की ओर से मिलता है। और इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कोई मरीज़ अगर VENTILATOR तक पहुंचता है तो फिर उसके ज़िन्दा वापस लौटने के चांसेज नगण्य हो जाती हैं और उस एक की मृत्यु हो जाने पर उस अस्पताल को जितनी फंडिंग दी जाती है उसे सुनकर बेहोश हो जाएंगे। कुल US $ 39000/प्रति डेड बॉडी। यानी LOOT LO OFFER चल रहा है। अब इसमें डॉक्टरों को दोषी करार देने की कोई ज़रूरत नहीं, उन्हें तो शतरंज का मोहरा बना दिया गया है। अगर वो अपनी ज़बान खोलने की कोशिश की तो नौकरी से निकाले जाएंगे,सर्टीफिकेट रद्द कर दी जाएगी।गैम्बलर कहीं और बैठा है। ये सारा गेम प्लान फार्मास्युटिकल कंपनियों का है, और WHO जैसी संस्था (जो पूरी दुनिया क स्वास्थ्य का ज़िम्मेदार है) उन कंपनियों की मुट्ठी में है। और इस तरह सिर्फ और सिर्फ दवा,मास्क, सैनिटाइजर, टेस्ट किट,पी पी ई, वैन्टीलेटर इत्यादि का अरबों खरबों डालर का व्यापार होगा। इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि कितने लोगों की मौत हो गई।ये तो चाहते हैं कि दुनिया की आबादी कम से कम पंद्रह प्रतिशत घट जाए। मैं आपको 1975 के उस दौर में ले चलता हूं जहां विश्व की टाप टेन कंपनियों में से दूसरे नंबर की कंपनी MERCK की बात करेंगे। इस कंपनी के CEO जिसका नाम HENRY GODSON था। उसका कहना था:-"उनके दिल में एक ही तकलीफ़ है कि दुनिया में सिर्फ़ "मरीज़" ही उनकी कंपनी की दवा इस्तेमाल कर पाते हैं। वो उस दिन का सपना देख रहे थे जब वो दुनिया के सेहतमंद लोगों को भी अपनी दवा बेच सकेंगे।"


इसका मतलब क्या है?वो चाहते थे कि सारी दुनिया बीमार पड़ जाए या बीमार न भी पड़े, फिर भी उनके प्रोडक्ट्स ज़रूर बिकें।" LOCKDOWN NO SOLUTION, सच्चाई यही है। सबसे पहले तो ये पता कीजिए कि ये "ज्ञान" किसने दिया। WHO की चीफ साइंटिस्ट MRS SWAMINATHAN ने NDTV के RAVISH KUMAR के साथ एक इंटरव्यू में यह क़बूल किया कि LOCKDOWN का सुझाव WHO ने नहीं दिया। फिर किसने कहा, "CHINA" ने तो नहीं दिया। बिल्कुल सही समझे आप, लेकिन अभी भी आप ग़लत हो।ये सुझाव WHO ने ही दिया, तो झूठ बोलने का क्या मतलब? SOCIAL DISTSNCING भी कोई SOLUTION नहीं है।आप ख़ुद देखिए,क्या ऐसा करने से कोरोना वायरस ख़त्म हो गया? ISOLATION भी कोई SOLUTION नहीं है। आपने पूरी जनता को उनके घरों में क़ैद कर दिया। ऐसा नहीं है कि घरों में वायरस नहीं है, ये तो हर जगह मौजूद है। फिर ISOLATION का क्या मतलब! FACEMASK IS JUST LIKE A DIAPER, जी हां बिल्कुल सही समझे आप।मास्क लगाना केवल हेल्थ वर्करों (डॉक्टरों, नर्सों वगैरह) केलिए ज़रूरी है।आम जनता को तभी लगाना चाहिए जब वो किसी पोजीटिव मरीज़ के संपर्क में आने वाले हैं। SANITIZER तो आपकी IMMUNITY POWER को कमज़ोर कर रही है। इसमें लगभग अस्सी प्रतिशत अल्कोहल होता है। इसे लगाते ही आपके चमड़ी को भेदते हुए रक्त में पहुंच जाता है।ये आपके DENDRITIC CELLS को क्षति पहुंचाती है और आप के IMMUNITY POWER को घटाती है। फिर आप कभी भी किसी भी वायरल डीज़ीज़ या किसी अन्य बीमारियों से बच नहीं पाएंगे। यानी SANITIZER इस्तेमाल कराकर आप को बीमार बनाने का काम किया जा रहा है।WHO ने सैनिटाइजर के दो फार्मूले बताये हैं। पहला जिसमें 80% तक इथेनॉल हो, 0.125% तक हाइड्रोजन पेरोक्साइड और 1.45% ग्लिसराल हो। दूसरे फार्मूले के तहत इसमें इथेनॉल की जगह 75% आइसोप्रोपाइल अल्कोहल हो सकती है,बाकी घटक पहले फार्मूले की तरह ही बने रहेंगे। अमेरिका के "सेंटर फॉर डीज़ीज़ कंट्रोल" के अनुसार, "हाथों की सफाई से सांस से जुड़े संक्रमण का ख़तरा 21% तक घट जाता है।" PHARMCEUTICAL COMPANIES मीलियन ट्रीलीयन डालर की कमाई में जुटी हैं, वो भी EXPERIMENTAL DRUGS प्रयोग करके।क्योंकि आर एन ए वायरस की कोई दवा बन नहीं सकती, तो क्या ये कोरोनावायरस पीड़ित रोगियों को GUINEA PIG समझती हैं? आपने देखा होगा कि ऐसा एक भी कोरोनावायरस पीड़ित अपने घर में नहीं मरा, बल्कि ईलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मृत्यु हुई। रूह को कंपकंपा देने वाली एक ख़बर देता हूं।जब कोरोना वायरस पोजीटिव मरीज़ अस्पताल में भर्ती होता है तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- का "REWARD"मिलता है। और ईलाज के दौरान कोई मरीज़ अगर VENTILATOR पर चला गया तो वहां से ज़िंदा वापस लौटने की उम्मीद नगन्य है।उस अस्पताल को इस के लिए प्रति रोगी USD $ 39000 बतौर REWARD दिया जाता है।(इस बात का भांडा फोड़ एक पाकिस्तानी डॉक्टर अबरार कुरैशी ने अपने एक वीडियो संदेश में कही है।) LEONARD HOROWITZ ने भी अपने एक वीडियो इंटरव्यू में किया था कि जिस किसी भी अस्पताल में वायरल डीज़ीज़ से पीड़ित रोगी भर्ती होता है तो कहीं से उस अस्पताल को "फंडिंग दी जाती है। उनकी गणना वायरल डीज़ीज़ पर रिसर्च कर रहे टाप टेन साइंटिस्ट में की जाती है। उनकी पुस्तक का नाम "EMERGING VIRUS" है।) जागो ईंडिया जागो क्योंकि सरकार आपको आपके घर में क़ैदी बनाने जा रही है। आख़िर ये कोरोनावायरस एक फ्लू ही तो है, जिस को ILI (INFLUENZA LIKE ILLNESS) की श्रेणी में रखा गया है।तो ऐसा क्यों किया जा रहा है कि कोई कोरोनावायरस पोजीटिव मरीज़ का पता चलता है तो उसको घर से इस तरह उठा कर अस्पताल ले जाया जाता है मानो वो कोई "मुजरिम है। आख़िर क्यों नहीं उसे यह ईख़्तियार दिया जाता है कि वो अपनी मर्ज़ी से किसी भी प्राईवेट क्लीनिक में किसी यूनानी चिकित्सक, आयूर्वेदिक चिकित्सक, होमियोपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर के अपना ईलाज कराए। HERD IMMUNITY के बारे में जानकारी प्राप्त करें। JOHN HOPKINS BLOOMBERG SCHOOL OF PUBLIC HEALTH के अनुसार,"जब अधिकांश आबादी एक संक्रामक बीमारी के प्रति IMMUNE हो जाती है तो यह INDIRECT PROTECTION प्रदान करता है।"इसे ही HERD IMMUNITY कहा जाता है। ये उनलोगों को भी PROTECTION प्रदान करता है जो बीमारी से संक्रमित नहीं हैं। R 0(आर नाट) यह एक MATHEMATICAL TERM है, जो ये बताता है कि एक संक्रामक बीमारी कितना संक्रामक है।इसे REPRODUCTION NUMBER (प्रजनन संख्या) कहते हैं। जैसे ही संक्रमण किसी आदमी में पहुंचता है यह ख़ुद को REPRODUCE कर लेता है।R 0 उन लोगों की औसत संख्या बताता है जो एक संक्रमित आदमी से संक्रमित हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी बीमारी का R 0 18 है तो उससे संक्रमित आदमी औसतन 18 लोगों को संक्रमित करेगा। ये बहुत ही बड़ा सवाल है, किसी बड़ी साज़िश की "बू" आती है तो आप भी महसूस करें। ISOLATION CENTRE भी जेल या क़ैदख़ाना से क्या कम है।

Last updated date 17/09/2020

CORONA BUSINESS

WHO का कुकर्म एक बार फिर साबित हो गया है। एक ख़बर:-"WHO OFFERED $ 20 MILLION BRIBE TO SEE COVID-19 MEDICINE POISONED- MADAGASCAR PRESIDENT. THIS IS NOT MY IDEA SUGGESTED BY THE LEADER OF A VILLAGE IN A RURAL PART OF AFRICA. AND THIS SHOWS US THE BEST IDEA OF ALL- ASK THE PEOPLE TO SOLVE THE PROBLEM FOR THEMSELVES. PEOPLE WHO LIVE IN A COMMUNITY KNOW THEIR WAY OF LIFE-STORY PG3.(मैडागास्कर द्वारा कोविड-19 की ईलाज के लिए बनाई गई घरेलू (आयूर्वेदिक) दवाई पर रोक लगाने के लिए WHO ने वहां के राष्ट्रपति ANDRY RAJOELINA को 20 मिलियन डॉलर की रक़म "घूस" में देने की पेशकश की।) इसके पहले भी 2009 में H1N1 वायरस (जिससे SWINE FLU फैला था) के संदर्भ में PACE (PARLIAMENTARY ASSEMBLY COMMITTEE OF EUROPE) ने WHO को चोर और लुटेरा घोषित किया था। क्योंकि उस समय इस "वर्ल्ड हेल्थ (हरामी) आर्गनाइजेशन" (WHO) ने $ 18 मिलीयन का घोटाला/घपला किया था। जिसका फांडाफोड़ दो जर्नलिस्टों (SHERYL ATTKISON और JON RAPPOPORT) ने किया था। दूसरे 195 अंधभक्त देशों की तरह हमारा भारत भी समाज की सेहत के दुश्मन के PROTOCOL को मानकर कोरोनावायरस पीड़ितों का क़त्ल आम कर रहे हैं। और इसके बदले में हमारे केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को WHO में एक पद मिल गया है। बहरहाल ! मेरे प्यारे भोले-भाले मित्रो, किसी भी वायरल डीज़ीज़ से डरने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है बल्कि आपको अपने IMMUNITY POWER को बढ़ा कर बचाव करने की कोशिश करें। FRESH AIR और SUNLIGHT और NATURAL VITAMIN C की भरपूर मात्रा लें और सुरक्षित रहें निडर रहें। शरीर का HIGH TEMPERATURE वायरस का दुशमन। लेकिन उन हाई क्वालिफाइड जाहिल वह गंवार डॉक्टर सबसे पहले मरीज़ के बुखार को ही नार्मल करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो डॉक्टर ने बुखार को नार्मल करके वायरस को बचा लिया और मरीज़ को मौत के क़रीब कर दिया।ये सारा काम एक सोची समझी रणनीति और साज़िश के तहत किया जा रहा है। हम सब NATURE द्वारा NATURAL ITEMS से बने हैं।इस हालत में हमें जब भी कोई बीमारी या तकलीफ़ हो जाती है तो उसका निदान, बचाव और ईलाज सिर्फ और सिर्फ नेचुरल चीज़ों और तरीकों से ही शत् प्रतिशत मुमकिन है। NATURAL यानी GOD MADE ITEMS से किसी वायरल डिज़ीज़ का ईलाज शत प्रतिशत संभव है। NO MEDICATION ONLY EDUCATION, VIRUS ब्लड में रहता ही नहीं तो दवा से कैसे मारोगे ? वायरस कभी भी ब्लड में रहता ही नहीं है,ये हमारे शरीर में दाख़िल होकर TRAVEL करते हुए CELL के पहले दूसरे नहीं बल्कि तीसरे LAYER में जाकर छुपकर सुरक्षित हो जाता है।


जहां पर LIVING BEING की तरह MULTIPLY करता है। इसी दौरान हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस से लड़ाई शुरू कर देता है और उसी क्रम में बाडी टेम्परेचर हाई हो जाता है।इस दौरान एक समय आएगा जब वायरस CELL से बाहर ब्लड में आएगा ही जहां ब्लड का उच्च तापमान वायरस का क़त्ल आम कर देगा।अब आप ही बताइए इसमें दवा की ज़रूरत ही कहां है, जबकि कोई दवा CELL के भीतर पहुंचता ही नहीं है। REMDESIVIR वो दवा है जो EBOLA में भी परीक्षण किया गया था और बुरी तरह नाकाम रहा।अब एकबार फिर इसे कोरोनावायरस केलिए प्रयोग किया जा रहा है, यानी मरीज़ की मौत का सामान तैयार किया जा रहा है। ANTIMALARIAL दवा HYDROXYCHLOROQUIN कोरोनावायरस के मरीजों के ऊपर आज़माया जा रहा है।ये बेगैरतों की टोली इन्सानी ज़िन्दगी को GUINEA PIG समझते हैं।ज़रा सोचिए, मलेरिया PARASITE से होता है। PARASITE और VIRUS में क्या कोई एकरूपता है? नहीं, तो फिर उन गंवार डॉक्टरों को समझ नहीं आ रहा क्या? ऐसा नहीं है, बल्कि ये तो फार्मास्युटिकल कंपनियों की रणनीति ही यही है, ताकि उनका व्यापार और मुनाफा चलता रहे। ANTIBIOTICS का वायरस से क्या नाता हो सकता है। कोई लगाव ही नहीं है तो फिर कोरोनावायरस पीड़ितों को क्यों दिया जा रहा है? ऊपर वर्णित दवाएं और ANTI HIV DRUGS & BCG VACCINE केवल EXPERIMENTAL DRUGS यानी प्रयोगात्मक तौर पर आज़मा कर देखा जा रहा है। इन्सानियत इतना गिर जाएगा,वो भी सिर्फ "बिज़नेस" केलिए? यानी आप मानव नहीं GUINEA PIG हो इसीलिए।इन दवाओं को आप पर आज़माया जा रहा है फिर "लगा तो तीर नहीं तो तुक्का।"डाक्टरों की वेष-भूषा ऐसी जैसे डरावने ASTRONAUTS, मतलब किसी नाटक के कैरेक्टर इतनी मौतें उसी ऐलोपैथी ईलाज का नतीजा, वायरस की दवा या टीका बना ही नहीं।और न ही बन सकती है।PHARMA COMPANIES का ढोंग है।World HEALTH ORGANIZATION की सरपरस्ती में विश्व के 195 देश WHO की ग़ुलामी करके हज़ारों लाखों लोगों को मौत के घाट उतार रही हैं। कोरोनावायरस पीड़ितों की एक एक डेड बॉडी अस्पतालों केलिए "बीयरर चेक" सामान हैं। कोरोनावायरस संक्रमित मरीज़ अगर किसी अस्पताल में भर्ती हुआ तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- बतौर REWARD फार्मास्युटिकल कंपनियों की ओर से मिलता है। और इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कोई मरीज़ अगर VENTILATOR तक पहुंचता है तो फिर उसके ज़िन्दा वापस लौटने के चांसेज नगण्य हो जाती हैं और उस एक की मृत्यु हो जाने पर उस अस्पताल को जितनी फंडिंग दी जाती है उसे सुनकर बेहोश हो जाएंगे। कुल US $ 39000/प्रति डेड बॉडी। यानी LOOT LO OFFER चल रहा है। अब इसमें डॉक्टरों को दोषी करार देने की कोई ज़रूरत नहीं, उन्हें तो शतरंज का मोहरा बना दिया गया है। अगर वो अपनी ज़बान खोलने की कोशिश की तो नौकरी से निकाले जाएंगे,सर्टीफिकेट रद्द कर दी जाएगी।गैम्बलर कहीं और बैठा है। ये सारा गेम प्लान फार्मास्युटिकल कंपनियों का है, और WHO जैसी संस्था (जो पूरी दुनिया क स्वास्थ्य का ज़िम्मेदार है) उन कंपनियों की मुट्ठी में है। और इस तरह सिर्फ और सिर्फ दवा,मास्क, सैनिटाइजर, टेस्ट किट,पी पी ई, वैन्टीलेटर इत्यादि का अरबों खरबों डालर का व्यापार होगा। इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि कितने लोगों की मौत हो गई।ये तो चाहते हैं कि दुनिया की आबादी कम से कम पंद्रह प्रतिशत घट जाए। मैं आपको 1975 के उस दौर में ले चलता हूं जहां विश्व की टाप टेन कंपनियों में से दूसरे नंबर की कंपनी MERCK की बात करेंगे। इस कंपनी के CEO जिसका नाम HENRY GODSON था। उसका कहना था:-"उनके दिल में एक ही तकलीफ़ है कि दुनिया में सिर्फ़ "मरीज़" ही उनकी कंपनी की दवा इस्तेमाल कर पाते हैं। वो उस दिन का सपना देख रहे थे जब वो दुनिया के सेहतमंद लोगों को भी अपनी दवा बेच सकेंगे।"


इसका मतलब क्या है?वो चाहते थे कि सारी दुनिया बीमार पड़ जाए या बीमार न भी पड़े, फिर भी उनके प्रोडक्ट्स ज़रूर बिकें।" LOCKDOWN NO SOLUTION, सच्चाई यही है। सबसे पहले तो ये पता कीजिए कि ये "ज्ञान" किसने दिया। WHO की चीफ साइंटिस्ट MRS SWAMINATHAN ने NDTV के RAVISH KUMAR के साथ एक इंटरव्यू में यह क़बूल किया कि LOCKDOWN का सुझाव WHO ने नहीं दिया। फिर किसने कहा, "CHINA" ने तो नहीं दिया। बिल्कुल सही समझे आप, लेकिन अभी भी आप ग़लत हो।ये सुझाव WHO ने ही दिया, तो झूठ बोलने का क्या मतलब? SOCIAL DISTSNCING भी कोई SOLUTION नहीं है।आप ख़ुद देखिए,क्या ऐसा करने से कोरोना वायरस ख़त्म हो गया? ISOLATION भी कोई SOLUTION नहीं है। आपने पूरी जनता को उनके घरों में क़ैद कर दिया। ऐसा नहीं है कि घरों में वायरस नहीं है, ये तो हर जगह मौजूद है। फिर ISOLATION का क्या मतलब! FACEMASK IS JUST LIKE A DIAPER, जी हां बिल्कुल सही समझे आप।मास्क लगाना केवल हेल्थ वर्करों (डॉक्टरों, नर्सों वगैरह) केलिए ज़रूरी है।आम जनता को तभी लगाना चाहिए जब वो किसी पोजीटिव मरीज़ के संपर्क में आने वाले हैं। SANITIZER तो आपकी IMMUNITY POWER को कमज़ोर कर रही है। इसमें लगभग अस्सी प्रतिशत अल्कोहल होता है। इसे लगाते ही आपके चमड़ी को भेदते हुए रक्त में पहुंच जाता है।ये आपके DENDRITIC CELLS को क्षति पहुंचाती है और आप के IMMUNITY POWER को घटाती है। फिर आप कभी भी किसी भी वायरल डीज़ीज़ या किसी अन्य बीमारियों से बच नहीं पाएंगे। यानी SANITIZER इस्तेमाल कराकर आप को बीमार बनाने का काम किया जा रहा है।WHO ने सैनिटाइजर के दो फार्मूले बताये हैं। पहला जिसमें 80% तक इथेनॉल हो, 0.125% तक हाइड्रोजन पेरोक्साइड और 1.45% ग्लिसराल हो। दूसरे फार्मूले के तहत इसमें इथेनॉल की जगह 75% आइसोप्रोपाइल अल्कोहल हो सकती है,बाकी घटक पहले फार्मूले की तरह ही बने रहेंगे। अमेरिका के "सेंटर फॉर डीज़ीज़ कंट्रोल" के अनुसार, "हाथों की सफाई से सांस से जुड़े संक्रमण का ख़तरा 21% तक घट जाता है।" PHARMCEUTICAL COMPANIES मीलियन ट्रीलीयन डालर की कमाई में जुटी हैं, वो भी EXPERIMENTAL DRUGS प्रयोग करके।क्योंकि आर एन ए वायरस की कोई दवा बन नहीं सकती, तो क्या ये कोरोनावायरस पीड़ित रोगियों को GUINEA PIG समझती हैं? आपने देखा होगा कि ऐसा एक भी कोरोनावायरस पीड़ित अपने घर में नहीं मरा, बल्कि ईलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मृत्यु हुई। रूह को कंपकंपा देने वाली एक ख़बर देता हूं।जब कोरोना वायरस पोजीटिव मरीज़ अस्पताल में भर्ती होता है तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- का "REWARD"मिलता है। और ईलाज के दौरान कोई मरीज़ अगर VENTILATOR पर चला गया तो वहां से ज़िंदा वापस लौटने की उम्मीद नगन्य है।उस अस्पताल को इस के लिए प्रति रोगी USD $ 39000 बतौर REWARD दिया जाता है।(इस बात का भांडा फोड़ एक पाकिस्तानी डॉक्टर अबरार कुरैशी ने अपने एक वीडियो संदेश में कही है।) LEONARD HOROWITZ ने भी अपने एक वीडियो इंटरव्यू में किया था कि जिस किसी भी अस्पताल में वायरल डीज़ीज़ से पीड़ित रोगी भर्ती होता है तो कहीं से उस अस्पताल को "फंडिंग दी जाती है। उनकी गणना वायरल डीज़ीज़ पर रिसर्च कर रहे टाप टेन साइंटिस्ट में की जाती है। उनकी पुस्तक का नाम "EMERGING VIRUS" है।) जागो ईंडिया जागो क्योंकि सरकार आपको आपके घर में क़ैदी बनाने जा रही है। आख़िर ये कोरोनावायरस एक फ्लू ही तो है, जिस को ILI (INFLUENZA LIKE ILLNESS) की श्रेणी में रखा गया है।तो ऐसा क्यों किया जा रहा है कि कोई कोरोनावायरस पोजीटिव मरीज़ का पता चलता है तो उसको घर से इस तरह उठा कर अस्पताल ले जाया जाता है मानो वो कोई "मुजरिम है। आख़िर क्यों नहीं उसे यह ईख़्तियार दिया जाता है कि वो अपनी मर्ज़ी से किसी भी प्राईवेट क्लीनिक में किसी यूनानी चिकित्सक, आयूर्वेदिक चिकित्सक, होमियोपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर के अपना ईलाज कराए। HERD IMMUNITY के बारे में जानकारी प्राप्त करें। JOHN HOPKINS BLOOMBERG SCHOOL OF PUBLIC HEALTH के अनुसार,"जब अधिकांश आबादी एक संक्रामक बीमारी के प्रति IMMUNE हो जाती है तो यह INDIRECT PROTECTION प्रदान करता है।"इसे ही HERD IMMUNITY कहा जाता है। ये उनलोगों को भी PROTECTION प्रदान करता है जो बीमारी से संक्रमित नहीं हैं। R 0(आर नाट) यह एक MATHEMATICAL TERM है, जो ये बताता है कि एक संक्रामक बीमारी कितना संक्रामक है।इसे REPRODUCTION NUMBER (प्रजनन संख्या) कहते हैं। जैसे ही संक्रमण किसी आदमी में पहुंचता है यह ख़ुद को REPRODUCE कर लेता है।R 0 उन लोगों की औसत संख्या बताता है जो एक संक्रमित आदमी से संक्रमित हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी बीमारी का R 0 18 है तो उससे संक्रमित आदमी औसतन 18 लोगों को संक्रमित करेगा। ये बहुत ही बड़ा सवाल है, किसी बड़ी साज़िश की "बू" आती है तो आप भी महसूस करें। ISOLATION CENTRE भी जेल या क़ैदख़ाना से क्या कम है।

Last updated date 17/09/2020

CORONA BUSINESS

WHO का कुकर्म एक बार फिर साबित हो गया है। एक ख़बर:-"WHO OFFERED $ 20 MILLION BRIBE TO SEE COVID-19 MEDICINE POISONED- MADAGASCAR PRESIDENT. THIS IS NOT MY IDEA SUGGESTED BY THE LEADER OF A VILLAGE IN A RURAL PART OF AFRICA. AND THIS SHOWS US THE BEST IDEA OF ALL- ASK THE PEOPLE TO SOLVE THE PROBLEM FOR THEMSELVES. PEOPLE WHO LIVE IN A COMMUNITY KNOW THEIR WAY OF LIFE-STORY PG3.(मैडागास्कर द्वारा कोविड-19 की ईलाज के लिए बनाई गई घरेलू (आयूर्वेदिक) दवाई पर रोक लगाने के लिए WHO ने वहां के राष्ट्रपति ANDRY RAJOELINA को 20 मिलियन डॉलर की रक़म "घूस" में देने की पेशकश की।) इसके पहले भी 2009 में H1N1 वायरस (जिससे SWINE FLU फैला था) के संदर्भ में PACE (PARLIAMENTARY ASSEMBLY COMMITTEE OF EUROPE) ने WHO को चोर और लुटेरा घोषित किया था। क्योंकि उस समय इस "वर्ल्ड हेल्थ (हरामी) आर्गनाइजेशन" (WHO) ने $ 18 मिलीयन का घोटाला/घपला किया था। जिसका फांडाफोड़ दो जर्नलिस्टों (SHERYL ATTKISON और JON RAPPOPORT) ने किया था। दूसरे 195 अंधभक्त देशों की तरह हमारा भारत भी समाज की सेहत के दुश्मन के PROTOCOL को मानकर कोरोनावायरस पीड़ितों का क़त्ल आम कर रहे हैं। और इसके बदले में हमारे केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को WHO में एक पद मिल गया है। बहरहाल ! मेरे प्यारे भोले-भाले मित्रो, किसी भी वायरल डीज़ीज़ से डरने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है बल्कि आपको अपने IMMUNITY POWER को बढ़ा कर बचाव करने की कोशिश करें। FRESH AIR और SUNLIGHT और NATURAL VITAMIN C की भरपूर मात्रा लें और सुरक्षित रहें निडर रहें। शरीर का HIGH TEMPERATURE वायरस का दुशमन। लेकिन उन हाई क्वालिफाइड जाहिल वह गंवार डॉक्टर सबसे पहले मरीज़ के बुखार को ही नार्मल करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो डॉक्टर ने बुखार को नार्मल करके वायरस को बचा लिया और मरीज़ को मौत के क़रीब कर दिया।ये सारा काम एक सोची समझी रणनीति और साज़िश के तहत किया जा रहा है। हम सब NATURE द्वारा NATURAL ITEMS से बने हैं।इस हालत में हमें जब भी कोई बीमारी या तकलीफ़ हो जाती है तो उसका निदान, बचाव और ईलाज सिर्फ और सिर्फ नेचुरल चीज़ों और तरीकों से ही शत् प्रतिशत मुमकिन है। NATURAL यानी GOD MADE ITEMS से किसी वायरल डिज़ीज़ का ईलाज शत प्रतिशत संभव है। NO MEDICATION ONLY EDUCATION, VIRUS ब्लड में रहता ही नहीं तो दवा से कैसे मारोगे ? वायरस कभी भी ब्लड में रहता ही नहीं है,ये हमारे शरीर में दाख़िल होकर TRAVEL करते हुए CELL के पहले दूसरे नहीं बल्कि तीसरे LAYER में जाकर छुपकर सुरक्षित हो जाता है।


जहां पर LIVING BEING की तरह MULTIPLY करता है। इसी दौरान हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस से लड़ाई शुरू कर देता है और उसी क्रम में बाडी टेम्परेचर हाई हो जाता है।इस दौरान एक समय आएगा जब वायरस CELL से बाहर ब्लड में आएगा ही जहां ब्लड का उच्च तापमान वायरस का क़त्ल आम कर देगा।अब आप ही बताइए इसमें दवा की ज़रूरत ही कहां है, जबकि कोई दवा CELL के भीतर पहुंचता ही नहीं है। REMDESIVIR वो दवा है जो EBOLA में भी परीक्षण किया गया था और बुरी तरह नाकाम रहा।अब एकबार फिर इसे कोरोनावायरस केलिए प्रयोग किया जा रहा है, यानी मरीज़ की मौत का सामान तैयार किया जा रहा है। ANTIMALARIAL दवा HYDROXYCHLOROQUIN कोरोनावायरस के मरीजों के ऊपर आज़माया जा रहा है।ये बेगैरतों की टोली इन्सानी ज़िन्दगी को GUINEA PIG समझते हैं।ज़रा सोचिए, मलेरिया PARASITE से होता है। PARASITE और VIRUS में क्या कोई एकरूपता है? नहीं, तो फिर उन गंवार डॉक्टरों को समझ नहीं आ रहा क्या? ऐसा नहीं है, बल्कि ये तो फार्मास्युटिकल कंपनियों की रणनीति ही यही है, ताकि उनका व्यापार और मुनाफा चलता रहे। ANTIBIOTICS का वायरस से क्या नाता हो सकता है। कोई लगाव ही नहीं है तो फिर कोरोनावायरस पीड़ितों को क्यों दिया जा रहा है? ऊपर वर्णित दवाएं और ANTI HIV DRUGS & BCG VACCINE केवल EXPERIMENTAL DRUGS यानी प्रयोगात्मक तौर पर आज़मा कर देखा जा रहा है। इन्सानियत इतना गिर जाएगा,वो भी सिर्फ "बिज़नेस" केलिए? यानी आप मानव नहीं GUINEA PIG हो इसीलिए।इन दवाओं को आप पर आज़माया जा रहा है फिर "लगा तो तीर नहीं तो तुक्का।"डाक्टरों की वेष-भूषा ऐसी जैसे डरावने ASTRONAUTS, मतलब किसी नाटक के कैरेक्टर इतनी मौतें उसी ऐलोपैथी ईलाज का नतीजा, वायरस की दवा या टीका बना ही नहीं।और न ही बन सकती है।PHARMA COMPANIES का ढोंग है।World HEALTH ORGANIZATION की सरपरस्ती में विश्व के 195 देश WHO की ग़ुलामी करके हज़ारों लाखों लोगों को मौत के घाट उतार रही हैं। कोरोनावायरस पीड़ितों की एक एक डेड बॉडी अस्पतालों केलिए "बीयरर चेक" सामान हैं। कोरोनावायरस संक्रमित मरीज़ अगर किसी अस्पताल में भर्ती हुआ तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- बतौर REWARD फार्मास्युटिकल कंपनियों की ओर से मिलता है। और इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कोई मरीज़ अगर VENTILATOR तक पहुंचता है तो फिर उसके ज़िन्दा वापस लौटने के चांसेज नगण्य हो जाती हैं और उस एक की मृत्यु हो जाने पर उस अस्पताल को जितनी फंडिंग दी जाती है उसे सुनकर बेहोश हो जाएंगे। कुल US $ 39000/प्रति डेड बॉडी। यानी LOOT LO OFFER चल रहा है। अब इसमें डॉक्टरों को दोषी करार देने की कोई ज़रूरत नहीं, उन्हें तो शतरंज का मोहरा बना दिया गया है। अगर वो अपनी ज़बान खोलने की कोशिश की तो नौकरी से निकाले जाएंगे,सर्टीफिकेट रद्द कर दी जाएगी।गैम्बलर कहीं और बैठा है। ये सारा गेम प्लान फार्मास्युटिकल कंपनियों का है, और WHO जैसी संस्था (जो पूरी दुनिया क स्वास्थ्य का ज़िम्मेदार है) उन कंपनियों की मुट्ठी में है। और इस तरह सिर्फ और सिर्फ दवा,मास्क, सैनिटाइजर, टेस्ट किट,पी पी ई, वैन्टीलेटर इत्यादि का अरबों खरबों डालर का व्यापार होगा। इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि कितने लोगों की मौत हो गई।ये तो चाहते हैं कि दुनिया की आबादी कम से कम पंद्रह प्रतिशत घट जाए। मैं आपको 1975 के उस दौर में ले चलता हूं जहां विश्व की टाप टेन कंपनियों में से दूसरे नंबर की कंपनी MERCK की बात करेंगे। इस कंपनी के CEO जिसका नाम HENRY GODSON था। उसका कहना था:-"उनके दिल में एक ही तकलीफ़ है कि दुनिया में सिर्फ़ "मरीज़" ही उनकी कंपनी की दवा इस्तेमाल कर पाते हैं। वो उस दिन का सपना देख रहे थे जब वो दुनिया के सेहतमंद लोगों को भी अपनी दवा बेच सकेंगे।"


इसका मतलब क्या है?वो चाहते थे कि सारी दुनिया बीमार पड़ जाए या बीमार न भी पड़े, फिर भी उनके प्रोडक्ट्स ज़रूर बिकें।" LOCKDOWN NO SOLUTION, सच्चाई यही है। सबसे पहले तो ये पता कीजिए कि ये "ज्ञान" किसने दिया। WHO की चीफ साइंटिस्ट MRS SWAMINATHAN ने NDTV के RAVISH KUMAR के साथ एक इंटरव्यू में यह क़बूल किया कि LOCKDOWN का सुझाव WHO ने नहीं दिया। फिर किसने कहा, "CHINA" ने तो नहीं दिया। बिल्कुल सही समझे आप, लेकिन अभी भी आप ग़लत हो।ये सुझाव WHO ने ही दिया, तो झूठ बोलने का क्या मतलब? SOCIAL DISTSNCING भी कोई SOLUTION नहीं है।आप ख़ुद देखिए,क्या ऐसा करने से कोरोना वायरस ख़त्म हो गया? ISOLATION भी कोई SOLUTION नहीं है। आपने पूरी जनता को उनके घरों में क़ैद कर दिया। ऐसा नहीं है कि घरों में वायरस नहीं है, ये तो हर जगह मौजूद है। फिर ISOLATION का क्या मतलब! FACEMASK IS JUST LIKE A DIAPER, जी हां बिल्कुल सही समझे आप।मास्क लगाना केवल हेल्थ वर्करों (डॉक्टरों, नर्सों वगैरह) केलिए ज़रूरी है।आम जनता को तभी लगाना चाहिए जब वो किसी पोजीटिव मरीज़ के संपर्क में आने वाले हैं। SANITIZER तो आपकी IMMUNITY POWER को कमज़ोर कर रही है। इसमें लगभग अस्सी प्रतिशत अल्कोहल होता है। इसे लगाते ही आपके चमड़ी को भेदते हुए रक्त में पहुंच जाता है।ये आपके DENDRITIC CELLS को क्षति पहुंचाती है और आप के IMMUNITY POWER को घटाती है। फिर आप कभी भी किसी भी वायरल डीज़ीज़ या किसी अन्य बीमारियों से बच नहीं पाएंगे। यानी SANITIZER इस्तेमाल कराकर आप को बीमार बनाने का काम किया जा रहा है।WHO ने सैनिटाइजर के दो फार्मूले बताये हैं। पहला जिसमें 80% तक इथेनॉल हो, 0.125% तक हाइड्रोजन पेरोक्साइड और 1.45% ग्लिसराल हो। दूसरे फार्मूले के तहत इसमें इथेनॉल की जगह 75% आइसोप्रोपाइल अल्कोहल हो सकती है,बाकी घटक पहले फार्मूले की तरह ही बने रहेंगे। अमेरिका के "सेंटर फॉर डीज़ीज़ कंट्रोल" के अनुसार, "हाथों की सफाई से सांस से जुड़े संक्रमण का ख़तरा 21% तक घट जाता है।" PHARMCEUTICAL COMPANIES मीलियन ट्रीलीयन डालर की कमाई में जुटी हैं, वो भी EXPERIMENTAL DRUGS प्रयोग करके।क्योंकि आर एन ए वायरस की कोई दवा बन नहीं सकती, तो क्या ये कोरोनावायरस पीड़ित रोगियों को GUINEA PIG समझती हैं? आपने देखा होगा कि ऐसा एक भी कोरोनावायरस पीड़ित अपने घर में नहीं मरा, बल्कि ईलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मृत्यु हुई। रूह को कंपकंपा देने वाली एक ख़बर देता हूं।जब कोरोना वायरस पोजीटिव मरीज़ अस्पताल में भर्ती होता है तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- का "REWARD"मिलता है। और ईलाज के दौरान कोई मरीज़ अगर VENTILATOR पर चला गया तो वहां से ज़िंदा वापस लौटने की उम्मीद नगन्य है।उस अस्पताल को इस के लिए प्रति रोगी USD $ 39000 बतौर REWARD दिया जाता है।(इस बात का भांडा फोड़ एक पाकिस्तानी डॉक्टर अबरार कुरैशी ने अपने एक वीडियो संदेश में कही है।) LEONARD HOROWITZ ने भी अपने एक वीडियो इंटरव्यू में किया था कि जिस किसी भी अस्पताल में वायरल डीज़ीज़ से पीड़ित रोगी भर्ती होता है तो कहीं से उस अस्पताल को "फंडिंग दी जाती है। उनकी गणना वायरल डीज़ीज़ पर रिसर्च कर रहे टाप टेन साइंटिस्ट में की जाती है। उनकी पुस्तक का नाम "EMERGING VIRUS" है।) जागो ईंडिया जागो क्योंकि सरकार आपको आपके घर में क़ैदी बनाने जा रही है। आख़िर ये कोरोनावायरस एक फ्लू ही तो है, जिस को ILI (INFLUENZA LIKE ILLNESS) की श्रेणी में रखा गया है।तो ऐसा क्यों किया जा रहा है कि कोई कोरोनावायरस पोजीटिव मरीज़ का पता चलता है तो उसको घर से इस तरह उठा कर अस्पताल ले जाया जाता है मानो वो कोई "मुजरिम है। आख़िर क्यों नहीं उसे यह ईख़्तियार दिया जाता है कि वो अपनी मर्ज़ी से किसी भी प्राईवेट क्लीनिक में किसी यूनानी चिकित्सक, आयूर्वेदिक चिकित्सक, होमियोपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर के अपना ईलाज कराए। HERD IMMUNITY के बारे में जानकारी प्राप्त करें। JOHN HOPKINS BLOOMBERG SCHOOL OF PUBLIC HEALTH के अनुसार,"जब अधिकांश आबादी एक संक्रामक बीमारी के प्रति IMMUNE हो जाती है तो यह INDIRECT PROTECTION प्रदान करता है।"इसे ही HERD IMMUNITY कहा जाता है। ये उनलोगों को भी PROTECTION प्रदान करता है जो बीमारी से संक्रमित नहीं हैं। R 0(आर नाट) यह एक MATHEMATICAL TERM है, जो ये बताता है कि एक संक्रामक बीमारी कितना संक्रामक है।इसे REPRODUCTION NUMBER (प्रजनन संख्या) कहते हैं। जैसे ही संक्रमण किसी आदमी में पहुंचता है यह ख़ुद को REPRODUCE कर लेता है।R 0 उन लोगों की औसत संख्या बताता है जो एक संक्रमित आदमी से संक्रमित हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी बीमारी का R 0 18 है तो उससे संक्रमित आदमी औसतन 18 लोगों को संक्रमित करेगा। ये बहुत ही बड़ा सवाल है, किसी बड़ी साज़िश की "बू" आती है तो आप भी महसूस करें। ISOLATION CENTRE भी जेल या क़ैदख़ाना से क्या कम है।

Last updated date 17/09/2020

CORONA BUSINESS

WHO का कुकर्म एक बार फिर साबित हो गया है। एक ख़बर:-"WHO OFFERED $ 20 MILLION BRIBE TO SEE COVID-19 MEDICINE POISONED- MADAGASCAR PRESIDENT. THIS IS NOT MY IDEA SUGGESTED BY THE LEADER OF A VILLAGE IN A RURAL PART OF AFRICA. AND THIS SHOWS US THE BEST IDEA OF ALL- ASK THE PEOPLE TO SOLVE THE PROBLEM FOR THEMSELVES. PEOPLE WHO LIVE IN A COMMUNITY KNOW THEIR WAY OF LIFE-STORY PG3.(मैडागास्कर द्वारा कोविड-19 की ईलाज के लिए बनाई गई घरेलू (आयूर्वेदिक) दवाई पर रोक लगाने के लिए WHO ने वहां के राष्ट्रपति ANDRY RAJOELINA को 20 मिलियन डॉलर की रक़म "घूस" में देने की पेशकश की।) इसके पहले भी 2009 में H1N1 वायरस (जिससे SWINE FLU फैला था) के संदर्भ में PACE (PARLIAMENTARY ASSEMBLY COMMITTEE OF EUROPE) ने WHO को चोर और लुटेरा घोषित किया था। क्योंकि उस समय इस "वर्ल्ड हेल्थ (हरामी) आर्गनाइजेशन" (WHO) ने $ 18 मिलीयन का घोटाला/घपला किया था। जिसका फांडाफोड़ दो जर्नलिस्टों (SHERYL ATTKISON और JON RAPPOPORT) ने किया था। दूसरे 195 अंधभक्त देशों की तरह हमारा भारत भी समाज की सेहत के दुश्मन के PROTOCOL को मानकर कोरोनावायरस पीड़ितों का क़त्ल आम कर रहे हैं। और इसके बदले में हमारे केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को WHO में एक पद मिल गया है। बहरहाल ! मेरे प्यारे भोले-भाले मित्रो, किसी भी वायरल डीज़ीज़ से डरने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है बल्कि आपको अपने IMMUNITY POWER को बढ़ा कर बचाव करने की कोशिश करें। FRESH AIR और SUNLIGHT और NATURAL VITAMIN C की भरपूर मात्रा लें और सुरक्षित रहें निडर रहें। शरीर का HIGH TEMPERATURE वायरस का दुशमन। लेकिन उन हाई क्वालिफाइड जाहिल वह गंवार डॉक्टर सबसे पहले मरीज़ के बुखार को ही नार्मल करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो डॉक्टर ने बुखार को नार्मल करके वायरस को बचा लिया और मरीज़ को मौत के क़रीब कर दिया।ये सारा काम एक सोची समझी रणनीति और साज़िश के तहत किया जा रहा है। हम सब NATURE द्वारा NATURAL ITEMS से बने हैं।इस हालत में हमें जब भी कोई बीमारी या तकलीफ़ हो जाती है तो उसका निदान, बचाव और ईलाज सिर्फ और सिर्फ नेचुरल चीज़ों और तरीकों से ही शत् प्रतिशत मुमकिन है। NATURAL यानी GOD MADE ITEMS से किसी वायरल डिज़ीज़ का ईलाज शत प्रतिशत संभव है। NO MEDICATION ONLY EDUCATION, VIRUS ब्लड में रहता ही नहीं तो दवा से कैसे मारोगे ? वायरस कभी भी ब्लड में रहता ही नहीं है,ये हमारे शरीर में दाख़िल होकर TRAVEL करते हुए CELL के पहले दूसरे नहीं बल्कि तीसरे LAYER में जाकर छुपकर सुरक्षित हो जाता है।


जहां पर LIVING BEING की तरह MULTIPLY करता है। इसी दौरान हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस से लड़ाई शुरू कर देता है और उसी क्रम में बाडी टेम्परेचर हाई हो जाता है।इस दौरान एक समय आएगा जब वायरस CELL से बाहर ब्लड में आएगा ही जहां ब्लड का उच्च तापमान वायरस का क़त्ल आम कर देगा।अब आप ही बताइए इसमें दवा की ज़रूरत ही कहां है, जबकि कोई दवा CELL के भीतर पहुंचता ही नहीं है। REMDESIVIR वो दवा है जो EBOLA में भी परीक्षण किया गया था और बुरी तरह नाकाम रहा।अब एकबार फिर इसे कोरोनावायरस केलिए प्रयोग किया जा रहा है, यानी मरीज़ की मौत का सामान तैयार किया जा रहा है। ANTIMALARIAL दवा HYDROXYCHLOROQUIN कोरोनावायरस के मरीजों के ऊपर आज़माया जा रहा है।ये बेगैरतों की टोली इन्सानी ज़िन्दगी को GUINEA PIG समझते हैं।ज़रा सोचिए, मलेरिया PARASITE से होता है। PARASITE और VIRUS में क्या कोई एकरूपता है? नहीं, तो फिर उन गंवार डॉक्टरों को समझ नहीं आ रहा क्या? ऐसा नहीं है, बल्कि ये तो फार्मास्युटिकल कंपनियों की रणनीति ही यही है, ताकि उनका व्यापार और मुनाफा चलता रहे। ANTIBIOTICS का वायरस से क्या नाता हो सकता है। कोई लगाव ही नहीं है तो फिर कोरोनावायरस पीड़ितों को क्यों दिया जा रहा है? ऊपर वर्णित दवाएं और ANTI HIV DRUGS & BCG VACCINE केवल EXPERIMENTAL DRUGS यानी प्रयोगात्मक तौर पर आज़मा कर देखा जा रहा है। इन्सानियत इतना गिर जाएगा,वो भी सिर्फ "बिज़नेस" केलिए? यानी आप मानव नहीं GUINEA PIG हो इसीलिए।इन दवाओं को आप पर आज़माया जा रहा है फिर "लगा तो तीर नहीं तो तुक्का।"डाक्टरों की वेष-भूषा ऐसी जैसे डरावने ASTRONAUTS, मतलब किसी नाटक के कैरेक्टर इतनी मौतें उसी ऐलोपैथी ईलाज का नतीजा, वायरस की दवा या टीका बना ही नहीं।और न ही बन सकती है।PHARMA COMPANIES का ढोंग है।World HEALTH ORGANIZATION की सरपरस्ती में विश्व के 195 देश WHO की ग़ुलामी करके हज़ारों लाखों लोगों को मौत के घाट उतार रही हैं। कोरोनावायरस पीड़ितों की एक एक डेड बॉडी अस्पतालों केलिए "बीयरर चेक" सामान हैं। कोरोनावायरस संक्रमित मरीज़ अगर किसी अस्पताल में भर्ती हुआ तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- बतौर REWARD फार्मास्युटिकल कंपनियों की ओर से मिलता है। और इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कोई मरीज़ अगर VENTILATOR तक पहुंचता है तो फिर उसके ज़िन्दा वापस लौटने के चांसेज नगण्य हो जाती हैं और उस एक की मृत्यु हो जाने पर उस अस्पताल को जितनी फंडिंग दी जाती है उसे सुनकर बेहोश हो जाएंगे। कुल US $ 39000/प्रति डेड बॉडी। यानी LOOT LO OFFER चल रहा है। अब इसमें डॉक्टरों को दोषी करार देने की कोई ज़रूरत नहीं, उन्हें तो शतरंज का मोहरा बना दिया गया है। अगर वो अपनी ज़बान खोलने की कोशिश की तो नौकरी से निकाले जाएंगे,सर्टीफिकेट रद्द कर दी जाएगी।गैम्बलर कहीं और बैठा है। ये सारा गेम प्लान फार्मास्युटिकल कंपनियों का है, और WHO जैसी संस्था (जो पूरी दुनिया क स्वास्थ्य का ज़िम्मेदार है) उन कंपनियों की मुट्ठी में है। और इस तरह सिर्फ और सिर्फ दवा,मास्क, सैनिटाइजर, टेस्ट किट,पी पी ई, वैन्टीलेटर इत्यादि का अरबों खरबों डालर का व्यापार होगा। इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि कितने लोगों की मौत हो गई।ये तो चाहते हैं कि दुनिया की आबादी कम से कम पंद्रह प्रतिशत घट जाए। मैं आपको 1975 के उस दौर में ले चलता हूं जहां विश्व की टाप टेन कंपनियों में से दूसरे नंबर की कंपनी MERCK की बात करेंगे। इस कंपनी के CEO जिसका नाम HENRY GODSON था। उसका कहना था:-"उनके दिल में एक ही तकलीफ़ है कि दुनिया में सिर्फ़ "मरीज़" ही उनकी कंपनी की दवा इस्तेमाल कर पाते हैं। वो उस दिन का सपना देख रहे थे जब वो दुनिया के सेहतमंद लोगों को भी अपनी दवा बेच सकेंगे।"


इसका मतलब क्या है?वो चाहते थे कि सारी दुनिया बीमार पड़ जाए या बीमार न भी पड़े, फिर भी उनके प्रोडक्ट्स ज़रूर बिकें।" LOCKDOWN NO SOLUTION, सच्चाई यही है। सबसे पहले तो ये पता कीजिए कि ये "ज्ञान" किसने दिया। WHO की चीफ साइंटिस्ट MRS SWAMINATHAN ने NDTV के RAVISH KUMAR के साथ एक इंटरव्यू में यह क़बूल किया कि LOCKDOWN का सुझाव WHO ने नहीं दिया। फिर किसने कहा, "CHINA" ने तो नहीं दिया। बिल्कुल सही समझे आप, लेकिन अभी भी आप ग़लत हो।ये सुझाव WHO ने ही दिया, तो झूठ बोलने का क्या मतलब? SOCIAL DISTSNCING भी कोई SOLUTION नहीं है।आप ख़ुद देखिए,क्या ऐसा करने से कोरोना वायरस ख़त्म हो गया? ISOLATION भी कोई SOLUTION नहीं है। आपने पूरी जनता को उनके घरों में क़ैद कर दिया। ऐसा नहीं है कि घरों में वायरस नहीं है, ये तो हर जगह मौजूद है। फिर ISOLATION का क्या मतलब! FACEMASK IS JUST LIKE A DIAPER, जी हां बिल्कुल सही समझे आप।मास्क लगाना केवल हेल्थ वर्करों (डॉक्टरों, नर्सों वगैरह) केलिए ज़रूरी है।आम जनता को तभी लगाना चाहिए जब वो किसी पोजीटिव मरीज़ के संपर्क में आने वाले हैं। SANITIZER तो आपकी IMMUNITY POWER को कमज़ोर कर रही है। इसमें लगभग अस्सी प्रतिशत अल्कोहल होता है। इसे लगाते ही आपके चमड़ी को भेदते हुए रक्त में पहुंच जाता है।ये आपके DENDRITIC CELLS को क्षति पहुंचाती है और आप के IMMUNITY POWER को घटाती है। फिर आप कभी भी किसी भी वायरल डीज़ीज़ या किसी अन्य बीमारियों से बच नहीं पाएंगे। यानी SANITIZER इस्तेमाल कराकर आप को बीमार बनाने का काम किया जा रहा है।WHO ने सैनिटाइजर के दो फार्मूले बताये हैं। पहला जिसमें 80% तक इथेनॉल हो, 0.125% तक हाइड्रोजन पेरोक्साइड और 1.45% ग्लिसराल हो। दूसरे फार्मूले के तहत इसमें इथेनॉल की जगह 75% आइसोप्रोपाइल अल्कोहल हो सकती है,बाकी घटक पहले फार्मूले की तरह ही बने रहेंगे। अमेरिका के "सेंटर फॉर डीज़ीज़ कंट्रोल" के अनुसार, "हाथों की सफाई से सांस से जुड़े संक्रमण का ख़तरा 21% तक घट जाता है।" PHARMCEUTICAL COMPANIES मीलियन ट्रीलीयन डालर की कमाई में जुटी हैं, वो भी EXPERIMENTAL DRUGS प्रयोग करके।क्योंकि आर एन ए वायरस की कोई दवा बन नहीं सकती, तो क्या ये कोरोनावायरस पीड़ित रोगियों को GUINEA PIG समझती हैं? आपने देखा होगा कि ऐसा एक भी कोरोनावायरस पीड़ित अपने घर में नहीं मरा, बल्कि ईलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मृत्यु हुई। रूह को कंपकंपा देने वाली एक ख़बर देता हूं।जब कोरोना वायरस पोजीटिव मरीज़ अस्पताल में भर्ती होता है तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- का "REWARD"मिलता है। और ईलाज के दौरान कोई मरीज़ अगर VENTILATOR पर चला गया तो वहां से ज़िंदा वापस लौटने की उम्मीद नगन्य है।उस अस्पताल को इस के लिए प्रति रोगी USD $ 39000 बतौर REWARD दिया जाता है।(इस बात का भांडा फोड़ एक पाकिस्तानी डॉक्टर अबरार कुरैशी ने अपने एक वीडियो संदेश में कही है।) LEONARD HOROWITZ ने भी अपने एक वीडियो इंटरव्यू में किया था कि जिस किसी भी अस्पताल में वायरल डीज़ीज़ से पीड़ित रोगी भर्ती होता है तो कहीं से उस अस्पताल को "फंडिंग दी जाती है। उनकी गणना वायरल डीज़ीज़ पर रिसर्च कर रहे टाप टेन साइंटिस्ट में की जाती है। उनकी पुस्तक का नाम "EMERGING VIRUS" है।) जागो ईंडिया जागो क्योंकि सरकार आपको आपके घर में क़ैदी बनाने जा रही है। आख़िर ये कोरोनावायरस एक फ्लू ही तो है, जिस को ILI (INFLUENZA LIKE ILLNESS) की श्रेणी में रखा गया है।तो ऐसा क्यों किया जा रहा है कि कोई कोरोनावायरस पोजीटिव मरीज़ का पता चलता है तो उसको घर से इस तरह उठा कर अस्पताल ले जाया जाता है मानो वो कोई "मुजरिम है। आख़िर क्यों नहीं उसे यह ईख़्तियार दिया जाता है कि वो अपनी मर्ज़ी से किसी भी प्राईवेट क्लीनिक में किसी यूनानी चिकित्सक, आयूर्वेदिक चिकित्सक, होमियोपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर के अपना ईलाज कराए। HERD IMMUNITY के बारे में जानकारी प्राप्त करें। JOHN HOPKINS BLOOMBERG SCHOOL OF PUBLIC HEALTH के अनुसार,"जब अधिकांश आबादी एक संक्रामक बीमारी के प्रति IMMUNE हो जाती है तो यह INDIRECT PROTECTION प्रदान करता है।"इसे ही HERD IMMUNITY कहा जाता है। ये उनलोगों को भी PROTECTION प्रदान करता है जो बीमारी से संक्रमित नहीं हैं। R 0(आर नाट) यह एक MATHEMATICAL TERM है, जो ये बताता है कि एक संक्रामक बीमारी कितना संक्रामक है।इसे REPRODUCTION NUMBER (प्रजनन संख्या) कहते हैं। जैसे ही संक्रमण किसी आदमी में पहुंचता है यह ख़ुद को REPRODUCE कर लेता है।R 0 उन लोगों की औसत संख्या बताता है जो एक संक्रमित आदमी से संक्रमित हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी बीमारी का R 0 18 है तो उससे संक्रमित आदमी औसतन 18 लोगों को संक्रमित करेगा। ये बहुत ही बड़ा सवाल है, किसी बड़ी साज़िश की "बू" आती है तो आप भी महसूस करें। ISOLATION CENTRE भी जेल या क़ैदख़ाना से क्या कम है।

Last updated date 17/09/2020

CORONA BUSINESS

WHO का कुकर्म एक बार फिर साबित हो गया है। एक ख़बर:-"WHO OFFERED $ 20 MILLION BRIBE TO SEE COVID-19 MEDICINE POISONED- MADAGASCAR PRESIDENT. THIS IS NOT MY IDEA SUGGESTED BY THE LEADER OF A VILLAGE IN A RURAL PART OF AFRICA. AND THIS SHOWS US THE BEST IDEA OF ALL- ASK THE PEOPLE TO SOLVE THE PROBLEM FOR THEMSELVES. PEOPLE WHO LIVE IN A COMMUNITY KNOW THEIR WAY OF LIFE-STORY PG3.(मैडागास्कर द्वारा कोविड-19 की ईलाज के लिए बनाई गई घरेलू (आयूर्वेदिक) दवाई पर रोक लगाने के लिए WHO ने वहां के राष्ट्रपति ANDRY RAJOELINA को 20 मिलियन डॉलर की रक़म "घूस" में देने की पेशकश की।) इसके पहले भी 2009 में H1N1 वायरस (जिससे SWINE FLU फैला था) के संदर्भ में PACE (PARLIAMENTARY ASSEMBLY COMMITTEE OF EUROPE) ने WHO को चोर और लुटेरा घोषित किया था। क्योंकि उस समय इस "वर्ल्ड हेल्थ (हरामी) आर्गनाइजेशन" (WHO) ने $ 18 मिलीयन का घोटाला/घपला किया था। जिसका फांडाफोड़ दो जर्नलिस्टों (SHERYL ATTKISON और JON RAPPOPORT) ने किया था। दूसरे 195 अंधभक्त देशों की तरह हमारा भारत भी समाज की सेहत के दुश्मन के PROTOCOL को मानकर कोरोनावायरस पीड़ितों का क़त्ल आम कर रहे हैं। और इसके बदले में हमारे केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को WHO में एक पद मिल गया है। बहरहाल ! मेरे प्यारे भोले-भाले मित्रो, किसी भी वायरल डीज़ीज़ से डरने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है बल्कि आपको अपने IMMUNITY POWER को बढ़ा कर बचाव करने की कोशिश करें। FRESH AIR और SUNLIGHT और NATURAL VITAMIN C की भरपूर मात्रा लें और सुरक्षित रहें निडर रहें। शरीर का HIGH TEMPERATURE वायरस का दुशमन। लेकिन उन हाई क्वालिफाइड जाहिल वह गंवार डॉक्टर सबसे पहले मरीज़ के बुखार को ही नार्मल करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो डॉक्टर ने बुखार को नार्मल करके वायरस को बचा लिया और मरीज़ को मौत के क़रीब कर दिया।ये सारा काम एक सोची समझी रणनीति और साज़िश के तहत किया जा रहा है। हम सब NATURE द्वारा NATURAL ITEMS से बने हैं।इस हालत में हमें जब भी कोई बीमारी या तकलीफ़ हो जाती है तो उसका निदान, बचाव और ईलाज सिर्फ और सिर्फ नेचुरल चीज़ों और तरीकों से ही शत् प्रतिशत मुमकिन है। NATURAL यानी GOD MADE ITEMS से किसी वायरल डिज़ीज़ का ईलाज शत प्रतिशत संभव है। NO MEDICATION ONLY EDUCATION, VIRUS ब्लड में रहता ही नहीं तो दवा से कैसे मारोगे ? वायरस कभी भी ब्लड में रहता ही नहीं है,ये हमारे शरीर में दाख़िल होकर TRAVEL करते हुए CELL के पहले दूसरे नहीं बल्कि तीसरे LAYER में जाकर छुपकर सुरक्षित हो जाता है।


जहां पर LIVING BEING की तरह MULTIPLY करता है। इसी दौरान हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस से लड़ाई शुरू कर देता है और उसी क्रम में बाडी टेम्परेचर हाई हो जाता है।इस दौरान एक समय आएगा जब वायरस CELL से बाहर ब्लड में आएगा ही जहां ब्लड का उच्च तापमान वायरस का क़त्ल आम कर देगा।अब आप ही बताइए इसमें दवा की ज़रूरत ही कहां है, जबकि कोई दवा CELL के भीतर पहुंचता ही नहीं है। REMDESIVIR वो दवा है जो EBOLA में भी परीक्षण किया गया था और बुरी तरह नाकाम रहा।अब एकबार फिर इसे कोरोनावायरस केलिए प्रयोग किया जा रहा है, यानी मरीज़ की मौत का सामान तैयार किया जा रहा है। ANTIMALARIAL दवा HYDROXYCHLOROQUIN कोरोनावायरस के मरीजों के ऊपर आज़माया जा रहा है।ये बेगैरतों की टोली इन्सानी ज़िन्दगी को GUINEA PIG समझते हैं।ज़रा सोचिए, मलेरिया PARASITE से होता है। PARASITE और VIRUS में क्या कोई एकरूपता है? नहीं, तो फिर उन गंवार डॉक्टरों को समझ नहीं आ रहा क्या? ऐसा नहीं है, बल्कि ये तो फार्मास्युटिकल कंपनियों की रणनीति ही यही है, ताकि उनका व्यापार और मुनाफा चलता रहे। ANTIBIOTICS का वायरस से क्या नाता हो सकता है। कोई लगाव ही नहीं है तो फिर कोरोनावायरस पीड़ितों को क्यों दिया जा रहा है? ऊपर वर्णित दवाएं और ANTI HIV DRUGS & BCG VACCINE केवल EXPERIMENTAL DRUGS यानी प्रयोगात्मक तौर पर आज़मा कर देखा जा रहा है। इन्सानियत इतना गिर जाएगा,वो भी सिर्फ "बिज़नेस" केलिए? यानी आप मानव नहीं GUINEA PIG हो इसीलिए।इन दवाओं को आप पर आज़माया जा रहा है फिर "लगा तो तीर नहीं तो तुक्का।"डाक्टरों की वेष-भूषा ऐसी जैसे डरावने ASTRONAUTS, मतलब किसी नाटक के कैरेक्टर इतनी मौतें उसी ऐलोपैथी ईलाज का नतीजा, वायरस की दवा या टीका बना ही नहीं।और न ही बन सकती है।PHARMA COMPANIES का ढोंग है।World HEALTH ORGANIZATION की सरपरस्ती में विश्व के 195 देश WHO की ग़ुलामी करके हज़ारों लाखों लोगों को मौत के घाट उतार रही हैं। कोरोनावायरस पीड़ितों की एक एक डेड बॉडी अस्पतालों केलिए "बीयरर चेक" सामान हैं। कोरोनावायरस संक्रमित मरीज़ अगर किसी अस्पताल में भर्ती हुआ तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- बतौर REWARD फार्मास्युटिकल कंपनियों की ओर से मिलता है। और इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कोई मरीज़ अगर VENTILATOR तक पहुंचता है तो फिर उसके ज़िन्दा वापस लौटने के चांसेज नगण्य हो जाती हैं और उस एक की मृत्यु हो जाने पर उस अस्पताल को जितनी फंडिंग दी जाती है उसे सुनकर बेहोश हो जाएंगे। कुल US $ 39000/प्रति डेड बॉडी। यानी LOOT LO OFFER चल रहा है। अब इसमें डॉक्टरों को दोषी करार देने की कोई ज़रूरत नहीं, उन्हें तो शतरंज का मोहरा बना दिया गया है। अगर वो अपनी ज़बान खोलने की कोशिश की तो नौकरी से निकाले जाएंगे,सर्टीफिकेट रद्द कर दी जाएगी।गैम्बलर कहीं और बैठा है। ये सारा गेम प्लान फार्मास्युटिकल कंपनियों का है, और WHO जैसी संस्था (जो पूरी दुनिया क स्वास्थ्य का ज़िम्मेदार है) उन कंपनियों की मुट्ठी में है। और इस तरह सिर्फ और सिर्फ दवा,मास्क, सैनिटाइजर, टेस्ट किट,पी पी ई, वैन्टीलेटर इत्यादि का अरबों खरबों डालर का व्यापार होगा। इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि कितने लोगों की मौत हो गई।ये तो चाहते हैं कि दुनिया की आबादी कम से कम पंद्रह प्रतिशत घट जाए। मैं आपको 1975 के उस दौर में ले चलता हूं जहां विश्व की टाप टेन कंपनियों में से दूसरे नंबर की कंपनी MERCK की बात करेंगे। इस कंपनी के CEO जिसका नाम HENRY GODSON था। उसका कहना था:-"उनके दिल में एक ही तकलीफ़ है कि दुनिया में सिर्फ़ "मरीज़" ही उनकी कंपनी की दवा इस्तेमाल कर पाते हैं। वो उस दिन का सपना देख रहे थे जब वो दुनिया के सेहतमंद लोगों को भी अपनी दवा बेच सकेंगे।"


इसका मतलब क्या है?वो चाहते थे कि सारी दुनिया बीमार पड़ जाए या बीमार न भी पड़े, फिर भी उनके प्रोडक्ट्स ज़रूर बिकें।" LOCKDOWN NO SOLUTION, सच्चाई यही है। सबसे पहले तो ये पता कीजिए कि ये "ज्ञान" किसने दिया। WHO की चीफ साइंटिस्ट MRS SWAMINATHAN ने NDTV के RAVISH KUMAR के साथ एक इंटरव्यू में यह क़बूल किया कि LOCKDOWN का सुझाव WHO ने नहीं दिया। फिर किसने कहा, "CHINA" ने तो नहीं दिया। बिल्कुल सही समझे आप, लेकिन अभी भी आप ग़लत हो।ये सुझाव WHO ने ही दिया, तो झूठ बोलने का क्या मतलब? SOCIAL DISTSNCING भी कोई SOLUTION नहीं है।आप ख़ुद देखिए,क्या ऐसा करने से कोरोना वायरस ख़त्म हो गया? ISOLATION भी कोई SOLUTION नहीं है। आपने पूरी जनता को उनके घरों में क़ैद कर दिया। ऐसा नहीं है कि घरों में वायरस नहीं है, ये तो हर जगह मौजूद है। फिर ISOLATION का क्या मतलब! FACEMASK IS JUST LIKE A DIAPER, जी हां बिल्कुल सही समझे आप।मास्क लगाना केवल हेल्थ वर्करों (डॉक्टरों, नर्सों वगैरह) केलिए ज़रूरी है।आम जनता को तभी लगाना चाहिए जब वो किसी पोजीटिव मरीज़ के संपर्क में आने वाले हैं। SANITIZER तो आपकी IMMUNITY POWER को कमज़ोर कर रही है। इसमें लगभग अस्सी प्रतिशत अल्कोहल होता है। इसे लगाते ही आपके चमड़ी को भेदते हुए रक्त में पहुंच जाता है।ये आपके DENDRITIC CELLS को क्षति पहुंचाती है और आप के IMMUNITY POWER को घटाती है। फिर आप कभी भी किसी भी वायरल डीज़ीज़ या किसी अन्य बीमारियों से बच नहीं पाएंगे। यानी SANITIZER इस्तेमाल कराकर आप को बीमार बनाने का काम किया जा रहा है।WHO ने सैनिटाइजर के दो फार्मूले बताये हैं। पहला जिसमें 80% तक इथेनॉल हो, 0.125% तक हाइड्रोजन पेरोक्साइड और 1.45% ग्लिसराल हो। दूसरे फार्मूले के तहत इसमें इथेनॉल की जगह 75% आइसोप्रोपाइल अल्कोहल हो सकती है,बाकी घटक पहले फार्मूले की तरह ही बने रहेंगे। अमेरिका के "सेंटर फॉर डीज़ीज़ कंट्रोल" के अनुसार, "हाथों की सफाई से सांस से जुड़े संक्रमण का ख़तरा 21% तक घट जाता है।" PHARMCEUTICAL COMPANIES मीलियन ट्रीलीयन डालर की कमाई में जुटी हैं, वो भी EXPERIMENTAL DRUGS प्रयोग करके।क्योंकि आर एन ए वायरस की कोई दवा बन नहीं सकती, तो क्या ये कोरोनावायरस पीड़ित रोगियों को GUINEA PIG समझती हैं? आपने देखा होगा कि ऐसा एक भी कोरोनावायरस पीड़ित अपने घर में नहीं मरा, बल्कि ईलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मृत्यु हुई। रूह को कंपकंपा देने वाली एक ख़बर देता हूं।जब कोरोना वायरस पोजीटिव मरीज़ अस्पताल में भर्ती होता है तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- का "REWARD"मिलता है। और ईलाज के दौरान कोई मरीज़ अगर VENTILATOR पर चला गया तो वहां से ज़िंदा वापस लौटने की उम्मीद नगन्य है।उस अस्पताल को इस के लिए प्रति रोगी USD $ 39000 बतौर REWARD दिया जाता है।(इस बात का भांडा फोड़ एक पाकिस्तानी डॉक्टर अबरार कुरैशी ने अपने एक वीडियो संदेश में कही है।) LEONARD HOROWITZ ने भी अपने एक वीडियो इंटरव्यू में किया था कि जिस किसी भी अस्पताल में वायरल डीज़ीज़ से पीड़ित रोगी भर्ती होता है तो कहीं से उस अस्पताल को "फंडिंग दी जाती है। उनकी गणना वायरल डीज़ीज़ पर रिसर्च कर रहे टाप टेन साइंटिस्ट में की जाती है। उनकी पुस्तक का नाम "EMERGING VIRUS" है।) जागो ईंडिया जागो क्योंकि सरकार आपको आपके घर में क़ैदी बनाने जा रही है। आख़िर ये कोरोनावायरस एक फ्लू ही तो है, जिस को ILI (INFLUENZA LIKE ILLNESS) की श्रेणी में रखा गया है।तो ऐसा क्यों किया जा रहा है कि कोई कोरोनावायरस पोजीटिव मरीज़ का पता चलता है तो उसको घर से इस तरह उठा कर अस्पताल ले जाया जाता है मानो वो कोई "मुजरिम है। आख़िर क्यों नहीं उसे यह ईख़्तियार दिया जाता है कि वो अपनी मर्ज़ी से किसी भी प्राईवेट क्लीनिक में किसी यूनानी चिकित्सक, आयूर्वेदिक चिकित्सक, होमियोपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर के अपना ईलाज कराए। HERD IMMUNITY के बारे में जानकारी प्राप्त करें। JOHN HOPKINS BLOOMBERG SCHOOL OF PUBLIC HEALTH के अनुसार,"जब अधिकांश आबादी एक संक्रामक बीमारी के प्रति IMMUNE हो जाती है तो यह INDIRECT PROTECTION प्रदान करता है।"इसे ही HERD IMMUNITY कहा जाता है। ये उनलोगों को भी PROTECTION प्रदान करता है जो बीमारी से संक्रमित नहीं हैं। R 0(आर नाट) यह एक MATHEMATICAL TERM है, जो ये बताता है कि एक संक्रामक बीमारी कितना संक्रामक है।इसे REPRODUCTION NUMBER (प्रजनन संख्या) कहते हैं। जैसे ही संक्रमण किसी आदमी में पहुंचता है यह ख़ुद को REPRODUCE कर लेता है।R 0 उन लोगों की औसत संख्या बताता है जो एक संक्रमित आदमी से संक्रमित हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी बीमारी का R 0 18 है तो उससे संक्रमित आदमी औसतन 18 लोगों को संक्रमित करेगा। ये बहुत ही बड़ा सवाल है, किसी बड़ी साज़िश की "बू" आती है तो आप भी महसूस करें। ISOLATION CENTRE भी जेल या क़ैदख़ाना से क्या कम है।

Last updated date 17/09/2020

CORONA BUSINESS

WHO का कुकर्म एक बार फिर साबित हो गया है। एक ख़बर:-"WHO OFFERED $ 20 MILLION BRIBE TO SEE COVID-19 MEDICINE POISONED- MADAGASCAR PRESIDENT. THIS IS NOT MY IDEA SUGGESTED BY THE LEADER OF A VILLAGE IN A RURAL PART OF AFRICA. AND THIS SHOWS US THE BEST IDEA OF ALL- ASK THE PEOPLE TO SOLVE THE PROBLEM FOR THEMSELVES. PEOPLE WHO LIVE IN A COMMUNITY KNOW THEIR WAY OF LIFE-STORY PG3.(मैडागास्कर द्वारा कोविड-19 की ईलाज के लिए बनाई गई घरेलू (आयूर्वेदिक) दवाई पर रोक लगाने के लिए WHO ने वहां के राष्ट्रपति ANDRY RAJOELINA को 20 मिलियन डॉलर की रक़म "घूस" में देने की पेशकश की।) इसके पहले भी 2009 में H1N1 वायरस (जिससे SWINE FLU फैला था) के संदर्भ में PACE (PARLIAMENTARY ASSEMBLY COMMITTEE OF EUROPE) ने WHO को चोर और लुटेरा घोषित किया था। क्योंकि उस समय इस "वर्ल्ड हेल्थ (हरामी) आर्गनाइजेशन" (WHO) ने $ 18 मिलीयन का घोटाला/घपला किया था। जिसका फांडाफोड़ दो जर्नलिस्टों (SHERYL ATTKISON और JON RAPPOPORT) ने किया था। दूसरे 195 अंधभक्त देशों की तरह हमारा भारत भी समाज की सेहत के दुश्मन के PROTOCOL को मानकर कोरोनावायरस पीड़ितों का क़त्ल आम कर रहे हैं। और इसके बदले में हमारे केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को WHO में एक पद मिल गया है। बहरहाल ! मेरे प्यारे भोले-भाले मित्रो, किसी भी वायरल डीज़ीज़ से डरने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है बल्कि आपको अपने IMMUNITY POWER को बढ़ा कर बचाव करने की कोशिश करें। FRESH AIR और SUNLIGHT और NATURAL VITAMIN C की भरपूर मात्रा लें और सुरक्षित रहें निडर रहें। शरीर का HIGH TEMPERATURE वायरस का दुशमन। लेकिन उन हाई क्वालिफाइड जाहिल वह गंवार डॉक्टर सबसे पहले मरीज़ के बुखार को ही नार्मल करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो डॉक्टर ने बुखार को नार्मल करके वायरस को बचा लिया और मरीज़ को मौत के क़रीब कर दिया।ये सारा काम एक सोची समझी रणनीति और साज़िश के तहत किया जा रहा है। हम सब NATURE द्वारा NATURAL ITEMS से बने हैं।इस हालत में हमें जब भी कोई बीमारी या तकलीफ़ हो जाती है तो उसका निदान, बचाव और ईलाज सिर्फ और सिर्फ नेचुरल चीज़ों और तरीकों से ही शत् प्रतिशत मुमकिन है। NATURAL यानी GOD MADE ITEMS से किसी वायरल डिज़ीज़ का ईलाज शत प्रतिशत संभव है। NO MEDICATION ONLY EDUCATION, VIRUS ब्लड में रहता ही नहीं तो दवा से कैसे मारोगे ? वायरस कभी भी ब्लड में रहता ही नहीं है,ये हमारे शरीर में दाख़िल होकर TRAVEL करते हुए CELL के पहले दूसरे नहीं बल्कि तीसरे LAYER में जाकर छुपकर सुरक्षित हो जाता है।


जहां पर LIVING BEING की तरह MULTIPLY करता है। इसी दौरान हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस से लड़ाई शुरू कर देता है और उसी क्रम में बाडी टेम्परेचर हाई हो जाता है।इस दौरान एक समय आएगा जब वायरस CELL से बाहर ब्लड में आएगा ही जहां ब्लड का उच्च तापमान वायरस का क़त्ल आम कर देगा।अब आप ही बताइए इसमें दवा की ज़रूरत ही कहां है, जबकि कोई दवा CELL के भीतर पहुंचता ही नहीं है। REMDESIVIR वो दवा है जो EBOLA में भी परीक्षण किया गया था और बुरी तरह नाकाम रहा।अब एकबार फिर इसे कोरोनावायरस केलिए प्रयोग किया जा रहा है, यानी मरीज़ की मौत का सामान तैयार किया जा रहा है। ANTIMALARIAL दवा HYDROXYCHLOROQUIN कोरोनावायरस के मरीजों के ऊपर आज़माया जा रहा है।ये बेगैरतों की टोली इन्सानी ज़िन्दगी को GUINEA PIG समझते हैं।ज़रा सोचिए, मलेरिया PARASITE से होता है। PARASITE और VIRUS में क्या कोई एकरूपता है? नहीं, तो फिर उन गंवार डॉक्टरों को समझ नहीं आ रहा क्या? ऐसा नहीं है, बल्कि ये तो फार्मास्युटिकल कंपनियों की रणनीति ही यही है, ताकि उनका व्यापार और मुनाफा चलता रहे। ANTIBIOTICS का वायरस से क्या नाता हो सकता है। कोई लगाव ही नहीं है तो फिर कोरोनावायरस पीड़ितों को क्यों दिया जा रहा है? ऊपर वर्णित दवाएं और ANTI HIV DRUGS & BCG VACCINE केवल EXPERIMENTAL DRUGS यानी प्रयोगात्मक तौर पर आज़मा कर देखा जा रहा है। इन्सानियत इतना गिर जाएगा,वो भी सिर्फ "बिज़नेस" केलिए? यानी आप मानव नहीं GUINEA PIG हो इसीलिए।इन दवाओं को आप पर आज़माया जा रहा है फिर "लगा तो तीर नहीं तो तुक्का।"डाक्टरों की वेष-भूषा ऐसी जैसे डरावने ASTRONAUTS, मतलब किसी नाटक के कैरेक्टर इतनी मौतें उसी ऐलोपैथी ईलाज का नतीजा, वायरस की दवा या टीका बना ही नहीं।और न ही बन सकती है।PHARMA COMPANIES का ढोंग है।World HEALTH ORGANIZATION की सरपरस्ती में विश्व के 195 देश WHO की ग़ुलामी करके हज़ारों लाखों लोगों को मौत के घाट उतार रही हैं। कोरोनावायरस पीड़ितों की एक एक डेड बॉडी अस्पतालों केलिए "बीयरर चेक" सामान हैं। कोरोनावायरस संक्रमित मरीज़ अगर किसी अस्पताल में भर्ती हुआ तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- बतौर REWARD फार्मास्युटिकल कंपनियों की ओर से मिलता है। और इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कोई मरीज़ अगर VENTILATOR तक पहुंचता है तो फिर उसके ज़िन्दा वापस लौटने के चांसेज नगण्य हो जाती हैं और उस एक की मृत्यु हो जाने पर उस अस्पताल को जितनी फंडिंग दी जाती है उसे सुनकर बेहोश हो जाएंगे। कुल US $ 39000/प्रति डेड बॉडी। यानी LOOT LO OFFER चल रहा है। अब इसमें डॉक्टरों को दोषी करार देने की कोई ज़रूरत नहीं, उन्हें तो शतरंज का मोहरा बना दिया गया है। अगर वो अपनी ज़बान खोलने की कोशिश की तो नौकरी से निकाले जाएंगे,सर्टीफिकेट रद्द कर दी जाएगी।गैम्बलर कहीं और बैठा है। ये सारा गेम प्लान फार्मास्युटिकल कंपनियों का है, और WHO जैसी संस्था (जो पूरी दुनिया क स्वास्थ्य का ज़िम्मेदार है) उन कंपनियों की मुट्ठी में है। और इस तरह सिर्फ और सिर्फ दवा,मास्क, सैनिटाइजर, टेस्ट किट,पी पी ई, वैन्टीलेटर इत्यादि का अरबों खरबों डालर का व्यापार होगा। इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि कितने लोगों की मौत हो गई।ये तो चाहते हैं कि दुनिया की आबादी कम से कम पंद्रह प्रतिशत घट जाए। मैं आपको 1975 के उस दौर में ले चलता हूं जहां विश्व की टाप टेन कंपनियों में से दूसरे नंबर की कंपनी MERCK की बात करेंगे। इस कंपनी के CEO जिसका नाम HENRY GODSON था। उसका कहना था:-"उनके दिल में एक ही तकलीफ़ है कि दुनिया में सिर्फ़ "मरीज़" ही उनकी कंपनी की दवा इस्तेमाल कर पाते हैं। वो उस दिन का सपना देख रहे थे जब वो दुनिया के सेहतमंद लोगों को भी अपनी दवा बेच सकेंगे।"


इसका मतलब क्या है?वो चाहते थे कि सारी दुनिया बीमार पड़ जाए या बीमार न भी पड़े, फिर भी उनके प्रोडक्ट्स ज़रूर बिकें।" LOCKDOWN NO SOLUTION, सच्चाई यही है। सबसे पहले तो ये पता कीजिए कि ये "ज्ञान" किसने दिया। WHO की चीफ साइंटिस्ट MRS SWAMINATHAN ने NDTV के RAVISH KUMAR के साथ एक इंटरव्यू में यह क़बूल किया कि LOCKDOWN का सुझाव WHO ने नहीं दिया। फिर किसने कहा, "CHINA" ने तो नहीं दिया। बिल्कुल सही समझे आप, लेकिन अभी भी आप ग़लत हो।ये सुझाव WHO ने ही दिया, तो झूठ बोलने का क्या मतलब? SOCIAL DISTSNCING भी कोई SOLUTION नहीं है।आप ख़ुद देखिए,क्या ऐसा करने से कोरोना वायरस ख़त्म हो गया? ISOLATION भी कोई SOLUTION नहीं है। आपने पूरी जनता को उनके घरों में क़ैद कर दिया। ऐसा नहीं है कि घरों में वायरस नहीं है, ये तो हर जगह मौजूद है। फिर ISOLATION का क्या मतलब! FACEMASK IS JUST LIKE A DIAPER, जी हां बिल्कुल सही समझे आप।मास्क लगाना केवल हेल्थ वर्करों (डॉक्टरों, नर्सों वगैरह) केलिए ज़रूरी है।आम जनता को तभी लगाना चाहिए जब वो किसी पोजीटिव मरीज़ के संपर्क में आने वाले हैं। SANITIZER तो आपकी IMMUNITY POWER को कमज़ोर कर रही है। इसमें लगभग अस्सी प्रतिशत अल्कोहल होता है। इसे लगाते ही आपके चमड़ी को भेदते हुए रक्त में पहुंच जाता है।ये आपके DENDRITIC CELLS को क्षति पहुंचाती है और आप के IMMUNITY POWER को घटाती है। फिर आप कभी भी किसी भी वायरल डीज़ीज़ या किसी अन्य बीमारियों से बच नहीं पाएंगे। यानी SANITIZER इस्तेमाल कराकर आप को बीमार बनाने का काम किया जा रहा है।WHO ने सैनिटाइजर के दो फार्मूले बताये हैं। पहला जिसमें 80% तक इथेनॉल हो, 0.125% तक हाइड्रोजन पेरोक्साइड और 1.45% ग्लिसराल हो। दूसरे फार्मूले के तहत इसमें इथेनॉल की जगह 75% आइसोप्रोपाइल अल्कोहल हो सकती है,बाकी घटक पहले फार्मूले की तरह ही बने रहेंगे। अमेरिका के "सेंटर फॉर डीज़ीज़ कंट्रोल" के अनुसार, "हाथों की सफाई से सांस से जुड़े संक्रमण का ख़तरा 21% तक घट जाता है।" PHARMCEUTICAL COMPANIES मीलियन ट्रीलीयन डालर की कमाई में जुटी हैं, वो भी EXPERIMENTAL DRUGS प्रयोग करके।क्योंकि आर एन ए वायरस की कोई दवा बन नहीं सकती, तो क्या ये कोरोनावायरस पीड़ित रोगियों को GUINEA PIG समझती हैं? आपने देखा होगा कि ऐसा एक भी कोरोनावायरस पीड़ित अपने घर में नहीं मरा, बल्कि ईलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मृत्यु हुई। रूह को कंपकंपा देने वाली एक ख़बर देता हूं।जब कोरोना वायरस पोजीटिव मरीज़ अस्पताल में भर्ती होता है तो उस अस्पताल को प्रति रोगी ₹ 13000/- का "REWARD"मिलता है। और ईलाज के दौरान कोई मरीज़ अगर VENTILATOR पर चला गया तो वहां से ज़िंदा वापस लौटने की उम्मीद नगन्य है।उस अस्पताल को इस के लिए प्रति रोगी USD $ 39000 बतौर REWARD दिया जाता है।(इस बात का भांडा फोड़ एक पाकिस्तानी डॉक्टर अबरार कुरैशी ने अपने एक वीडियो संदेश में कही है।) LEONARD HOROWITZ ने भी अपने एक वीडियो इंटरव्यू में किया था कि जिस किसी भी अस्पताल में वायरल डीज़ीज़ से पीड़ित रोगी भर्ती होता है तो कहीं से उस अस्पताल को "फंडिंग दी जाती है। उनकी गणना वायरल डीज़ीज़ पर रिसर्च कर रहे टाप टेन साइंटिस्ट में की जाती है। उनकी पुस्तक का नाम "EMERGING VIRUS" है।) जागो ईंडिया जागो क्योंकि सरकार आपको आपके घर में क़ैदी बनाने जा रही है। आख़िर ये कोरोनावायरस एक फ्लू ही तो है, जिस को ILI (INFLUENZA LIKE ILLNESS) की श्रेणी में रखा गया है।तो ऐसा क्यों किया जा रहा है कि कोई कोरोनावायरस पोजीटिव मरीज़ का पता चलता है तो उसको घर से इस तरह उठा कर अस्पताल ले जाया जाता है मानो वो कोई "मुजरिम है। आख़िर क्यों नहीं उसे यह ईख़्तियार दिया जाता है कि वो अपनी मर्ज़ी से किसी भी प्राईवेट क्लीनिक में किसी यूनानी चिकित्सक, आयूर्वेदिक चिकित्सक, होमियोपैथिक डॉक्टर से संपर्क कर के अपना ईलाज कराए। HERD IMMUNITY के बारे में जानकारी प्राप्त करें। JOHN HOPKINS BLOOMBERG SCHOOL OF PUBLIC HEALTH के अनुसार,"जब अधिकांश आबादी एक संक्रामक बीमारी के प्रति IMMUNE हो जाती है तो यह INDIRECT PROTECTION प्रदान करता है।"इसे ही HERD IMMUNITY कहा जाता है। ये उनलोगों को भी PROTECTION प्रदान करता है जो बीमारी से संक्रमित नहीं हैं। R 0(आर नाट) यह एक MATHEMATICAL TERM है, जो ये बताता है कि एक संक्रामक बीमारी कितना संक्रामक है।इसे REPRODUCTION NUMBER (प्रजनन संख्या) कहते हैं। जैसे ही संक्रमण किसी आदमी में पहुंचता है यह ख़ुद को REPRODUCE कर लेता है।R 0 उन लोगों की औसत संख्या बताता है जो एक संक्रमित आदमी से संक्रमित हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी बीमारी का R 0 18 है तो उससे संक्रमित आदमी औसतन 18 लोगों को संक्रमित करेगा। ये बहुत ही बड़ा सवाल है, किसी बड़ी साज़िश की "बू" आती है तो आप भी महसूस करें। ISOLATION CENTRE भी जेल या क़ैदख़ाना से क्या कम है।

Last updated date 17/09/2020

O R A C क्या है?

*ORAC* का अर्थ *ऑक्सीजन रेडिकल एब्सॉरबेन्ट केपेसिटी* (Oxygen Radical Absorbance Capacity.) जितना अधिक ORAC, होगा उतनी ही ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता हमारे *फेफड़ो* को और *रक्त* को होगी।भविष्य में हमें हमारे अस्तित्व, जीवन बचाने के लिए हमे हमारी *रोग प्रतिरोधक शक्ति(Immunity)* को बढ़ानी होगी। हमारे जीवन में मसालों और जड़ीबूटियों का रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए बहुत महत्व है। मसाले और जड़ीबूटियों का अमूल्य धरोहर प्रकृति से हमे मिला है। 👍🙏 आइए कुछ जड़ीबूटियों और मसालों के ORAC क्षमता (values) पर नजर डाले :1. लौंग Clove : 314,446 ORAC 2. दालचीनी Cinnamon :267,537 ORAC 3. कॉफी Coffee. :243000 ORAC 4. हल्दी Turmeric :102,700 ORAC 5. कोका Cocoa :80,933 ORAC 6. जीरा Cumin : 76,800 ORAC 7. अजवाइन Parsley :74,349 ORAC 8. तुलसी Tulsi : 67,553 ORAC 9. अजवायन के फूल Thyme : 27,426ORAC 10. अदरक Ginger :28,811 ORAC अदरक, तुलसी, हल्दी आदि के *सत्व(रस)* की ORAC की क्षमता दस गुणी ज्यादा होती है। इसलिए इनका प्रयोग करना चाहिए। खून में ऑक्सीजन ग्रहण की क्षमता को (OXYGEN CARRYING CAPACITY OF THE BLOOD) प्रकृति में मिलने वाले विभिन्न फलों, हरी शाकसब्ब्जी, पत्तेदार सब्जियों, मसालों, वनस्पतियों, जड़ीबूटियों आदि से भरपूर मात्रा में प्राप्त किया जा सकता है।उत्तम क्षमता वाले ORAC खाद्यपदार्थ (आहार) और पोषक तत्व (Nutrients) जैसे कि *Iron, Vitamin C, Zinc, Omega 3, Magnesium and Vitamin D* आदि शारिरिक क्षमता और सुरक्षा कवच को सुदृढ़ तथा मजबूत करते हैं। तुलसी, अदरक, कालीमिर्च, हल्दी, दालचीनी, लोंग के अतिरिक्त जड़ीबूटी जैसे *ब्राह्मी, अश्वगंधा, सतावरी, मुलेठी, अर्जुनारिष्ट, पीपर, धनिया, काला जीरा, इलाइची* आदि वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। अतः यह किसी भी वेक्सीन या ठीके से बहुत ज्यादा प्रभावशाली है वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट्स के।चूंकि 80% कोरोना के पोसिटिव मरीज़ों में कोई लक्षण नहीं होने की वजह से हम हर समय अनिश्चितता के वातावरण में रहने को बाध्य हो रहे हैं।130 करोड़ आबादी वाले देश में सबका टेस्ट करना असंभव है। प्रति दिन यदि दस लाख टेस्ट करे तो भी 35 वर्ष लग जाएगें। *उपरोक्त सभी बातों का निष्कर्ष निकलता है कि हमारे शरीर में इम्युनिटी उतनी ही आवश्यक है जितनी जरूरत कंप्यूटर में इंटेल (Intel) की है।*



Last updated date 16/09/2020

कोरोना मरीज़-फार्मा कंपनियों के लिए एक BEARER CHEQUE

आपको कोई लाईलाज बीमारी है,या जीवन भर अंग्रेजी दवा खाने को बाध्य हों,या और अपनी बीमारी से सदा केलिए छुटकारा पाकर सेहतमंद जीवन जीना चाहते हों। डाबिटीज़ को दूर भगायें,कभी भी न हो हाई बीपी से सामना,कोलेस्टरोल से भयभीत न होना कभी,ये तो हमारी जिन्दगी है|         कोरोना, चिकनगुनिया, डेन्गू, एच 1एन 1, स्वाइन फ्लू, ज़ीका, नीपा या कोई भी 'फ्लू' कभी जानलेवा होता ही नहीं,बल्कि जानलेने वाला तो उस वायरल डीज़ीज़ के ईलाज में  ईस्तेमाल की जानेवाली 'टैमीफ्लू' वगैरह जैसी दवायें हैं , और तो और अब कोरोना वायरस के लिए तो एच आई वी एड्स की दवा देने केलिए सहमति बन भी गई है| SCIENTIST और रीसर्चर्स (जिसमें सर्वोच्च नाम LEONARD HOROWIDTH) का तो इतना तक कहना है कि सर्दी जुकाम या कॉमन कोल्ड से अगर लोग मर सकते  हैं (वही लोग जिनकी ईम्यूनिटी यानि 'रोग प्रतिरोधक क्षमता गौण हो जाती है|) तो किसी भी वाययल डीजीज़ जैसे - चिकनगुनिया,डेन्गू,फ्लू,एच1 एन1,एच आई वी एड्स,ईत्यादि से भी किसी की मृत्यु हो सकती है| KERRY MULUS जो PCR TEST के जनक हैं।उनका कहना है कि PCR TEST से जो जांच की जाती है उससे किसी वायरस का नहीं बल्कि केवल उसके GENETIC SEQUENCE या PROTEIN का ही पता चलता है। जब ये ही पता नहीं चलता है कि कौन सा वायरस है तो मारेंगे किसे? वायरस का न तो कोई SHAPE होता है और न ही ये हमारे BLOOD STREAM में मौजूद रहता है तो मारेंगे किसे?ये वायरस तो हमारे शरीर के भीतर कोशिकाओं क पहले दूसरे नहीं बल्कि तीसरे LAYER में जाकर छुप जाता है।    बस यूं समझ लीजिए कि ऐलोपैथिक फार्मास्युटिकल कम्पनियों का ड्रामा मात्र है,ताकि उनका व्यापार धड़ल्ले से चलता रहे। कुछ लोग चाहते हैं कि दुनिया की आबादी पंद्रह प्रतिशत घट जाए।WHO और सरकारों का सहयोग भी इस मामले में बराबर बराबर है।     एक बहुत ही SHOCKING NEWS देना चाहता हूं।वो ये कि जिस किसी भी अस्पताल में किसी भी वायरल डीज़ीज़ के जितने ज़्यादा मरीज़ भर्ती होते हैं उन अस्पतालों को FUNDING मुहैय्या कराई जाती है। इतना ही नहीं जिस अस्पताल में जितने ज़्यादा मरीजों की मौत होती है उन अस्पतालों को REWARDS भी मिलते हैं और अख़बार में फ्रंट पेज पर पूरी अहमियत के साथ ख़बरें छापी जाती हैं ताकि जनता को डरता जाए।     आपने सुना ही है कि आपको SANITIZER से बार बार हाथ धोने की हिदायत दी गई है। पता होना चाहिए कि SANITIZER से हाथ धोने से केवल FRIENDLY BACTERIA और MICROBES ही मरेंगे, वायरस नहीं मरेंगे। वायरस तो पहले ही मरे हुए हैं।ये वायरस LIVING BEHAVIOUR तब दिखाते हैं जब वो CELL के अंदर छुपे हुए होते हैं, जहां वो MULTIPLY होने लगते हैं।     ये सब तो आज के दौर के मेडीकल साईन्स का सबसे बड़ा फ्राड मात्र है,'एक भय का व्यापार' मात्र यानि 'डीजीज़ मोन्जरिंग' है,जो लगातार एक 'सिस्टम' के तहत चलाया जा रहा है|जिसमें 'मेडीकल कम्पनिय़ाँ' ही हैं, जिनको अपना कारोबार चलाना है,और अपने मुनाफे भर से मतलब है,न कि हमारी सेहत से|ये डाक्टर साहिबान जो ऊँची-ऊँची डिग्रियां लेकर ऊँची-ऊँची फीस मरीज़ों से वसूलते नजर आते हैं,ऐसा प्रतीत होता है,मानो 'फार्मासियूटीकल्स कम्पनीज़' के 'रजिस्टर्ड एजेन्ट' या 'मेडीएटर' की तरह  काम करने वाले हैं। उनको सिर्फ और सिर्फ हमारी 'बीमारी' की चिन्ता रहती है न कि हमारी 'सेहत' की| क्यूंकी ऐसी ही व्यवस्था है कि उनसे ईलाज करवाना शुरु कर दिया एकबार तो फिर आप उनके परमानेन्ट कस्टमर बन गये|फिर क्या, जीवन भर 'कष्ट से मरते रहिए|'.     CORONA  कुछ लोगों की कमाई का ज़रिया बना हुआ है।लैब में इसके जांच की फीस सिर्फ और सिर्फ ₹ 4500/- है।डर और भय का माहौल तो ऐसा तैयार किया जा रहा है कि मानो क़यामत आनेवाली है,या आ ही गई।    हमारे देश में कल (20th MARCH,2020) तक 14,514 लोगों की जांच की गई, जिसमें सिर्फ 271 यानी 1.86% लोग ही संक्रमित या POSITIVE पाए गए। फिर इतना हाय तौबा क्यों मचाया जा रहा है?     जिस वायरस का अंत ही केवल "हाई फीवर" से हो सकता है तो हमारे क़ाबिल डॉक्टर सबसे पहले उसे ही ख़त्म करके "वायरस" को सुरक्षा प्रदान करने में मदद करते हैं। इसके लिए तो WHO का गाइडलाइंस भी आ गया है:-" 99 डिग्री फारेनहाइट से अधिक ज्वर मिले तो ANTIPYRETIC, ANALGESIC, ANTIBIOTICS अवश्य ही दें।"   एलोपैथी ड्रग माफिया के तो वल्ले वल्ले हैं, आमदनी के कई नये द्वार जो खुल गये :-     PCR TEST जिससे ये कभी भी पता नहीं चलता कि ये कौन सा वायरस है। उससे केवल उसके GENETIC SIQUENCE का और उसके PROTEIN का ही पता चलता है।      SANITIZER से जितना भी हाथ धोएंगे, केवल फ्रेंडली बैटरिया ही मरेंगे, वायरस नहीं। क्योंकि वायरस तो पहले से ही मुर्दा है। वायरस हमेशा NON LIVING होता है और अदृश्य यानी INVISIBLE। जब ये हमारे शरीर में कोशिकाओं के भीतर दाख़िल होता है तो जानदार (LIVING) की तरह BEHAVE करता है और वहां पर ही MULTIPLY होने लगता है। GLOVES, MASKS की बिक्री जोरों पर है।   मैं तो चैलेंज करता हूं कि अगर किसी "माई के लाल" में दम है तो सच जो मेरा वाला है, उसपर सहमति जताते हुए मेरा साथ दे। इसके इलाज में एक रूपए की अंग्रेजी दवा की ज़रूरत है और न ही किसी तरह की जांच करने की।     मीडिया से लेकर सरकारी तंत्र इसके प्रचार प्रसार में जुटा है।अजब ग़ज़ब अनर्गल बातें अख़बारों में सलाह के नाम पर परोसा जा रहा है।    "घड़ी डिटर्जेंट" का ऐड:- "क्या आप जानते हैं कि आपके कपड़े बीमारी फैला सकते हैं?आज मैल सिर्फ वो नहीं जो दिख जाए, अंजाने में कोई वायरस आपके कपड़ों पर लग कर किसी बड़ी बीमारी का कारण बन सकता है। अपने कपड़े रोज़ धोएं, यानि सुरक्षित और स्वस्थ रहें।"     अब इस विज्ञापन से आप क्या निष्कर्ष निकालेंगे? 65000 लोगों को सर्विलांस पर रखा गया है। अभी देश में क़रीब 5500 लोगों को क्वारेंटाइश में रखा गया है।इन लोगों में यदि बीमारी का लक्षण दिखता है तो इनके जांच को प्राथमिकता दी जाएगी। नमूनों की जांच की क्षमता बढ़ाई जा रही है।   कल 20 मार्च 2020 तक के आंकड़ों को देखें:- देश    लोगों की जांच   संक्रमित   प्रतिशत भारत      14,514           271        1.86 चीन     3,20,000      81,300      25.41 इटली   2,06,886     41,035      19.84 ईरान       80,000      18,407       23.01 स्पेन        30,000      17,147       57.16 जर्मनी  1,67,000      10,999         6.59 फ्रांस        36,747      10,877      29.60 अमेरिका  1,03,945  10,442      10.04 द कोरिया  3,16,664   8,654        2.73 यू के         64,621        3277        5.07 जापान      14,901         950         6.38 रूस       1,43,519        253          0.18 यू ए ई     1,25,000        140          0.11 आंकड़ों को देखें,ये क्या हो रहा है।आज 21 मार्च, 2020 को सरकार ने "जनता कर्फ्यू" का ऐलान किया है, लोगों ने स्वीकार किया और वो अपने घरों में नज़रबंद हो गए। धूप और शुद्ध हवा वायरस का दुश्मन है जिसमें जाने की ही मनाही है, आगे भुगतने को तैयार रहें।     विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 7अप्रैल को 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' मनाया जाता है|जानिए क्या है हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं और आम-जन के सेहत की स्थिति:-     * पाँच लाख डाक्टर्स की कमी है देश में|10,189 लोगों पर 'एक सरकारी डाक्टर' है|विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानक के मुताबिक 'एक हजार लोगों पर एक डाक्टर' होना चाहिए|      * महज़ 56 हजार छात्र हर साल 462 मेडिकल कालेजों से ग्रेजुएट होते हैं,जबकि देश की जनसंख्या प्रतिवर्ष 2.6 करोड़ बढ़ रही है|     * 90,343 लोगों के बीच एक सरकारी अस्पताल है देश में| 12 किलोमीटर औसतन दूरी आम भारतीय को तय करनी पड़ती है मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं केलिए|     * 13 राज्यों के 64 ज़िलों में क़रीब 27 करोड़ लोगों केलिए एक भी ब्लड बैंक नहीं है|     * 68.3 वर्ष है भारत में जीवन प्रत्याशा की दर|पुरुषों की औसत आयु 66.9 वर्ष तथा महिलाओं की 69.9 वर्ष हे|     * एक हजार बच्चों में 41 बच्चों की मृत्यु जन्म के एक साल के भीतर हो जाती है    * प्रति 10,000 में से 174 मातृ मृत्यु दर|मतलब हर घंटे में 5 महिलाओं की प्रसव के दौरान होनेवाली जटिलताओं के कारण मृत्यु हो जाती है|    * भारत में सबसे ज्यादा मौतें हृदय से संबंधित बीमारी की वजह से होती हैं|2005 से 2016 के बीच इन मौतों में 53% की बढोतरी हुई है|     * 25 लाख लोगों की असामयिक मृत्यु अकेले प्रदुषण से हो जाती है|    नोट:-    इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अपना विचार अवश्य व्यक्त करें, मुझे अच्छा लगेगा| साथ ही आगे अपने सर्किल में ज़रुर शेयर करें |          * मेरे पास दवा केवल एक ही है, जो पावडर की शक्ल में है| 4 - 4 ग्राम सुबह-शाम काढ़ा बनाकर पीना है|    * ₹ 3000/- रूपये एक महीना (किसी भी बीमारी के लिए) है।    * ₹ 6000/- रुपए एक महीना (CANCER, HIV AIDS & TUMOUR के लिए) है।    * इंडिया या इंडिया के बाहर कहीं भी स्पीड पोस्ट या कूरियर के द्वारा दवा भेजने का इंतज़ाम है|   HAKEEM MD ABU RIZWAN             BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN



Last updated date 16/09/2020

कोरोनावायरस का ईलाज कुरान मजीद में

आप अल्लाह के पाक कलाम में एक जगह '19' बिल्कुल साफ़ लिखा पाएंगे, जो भयंकर कष्ट देने वाला बताया गया है। 'हम अनक़रीब (बहुत जल्द) उसे सक़र (नर्क) भेज देंगे. और तुम क्या जानो कि सक़र क्या है? वह किसी को छोड़ने वाली और बाक़ी रखने वाली नहीं है। "बदन को जलाकर स्याह कर देने वाली है।" ' उस पर 19 हैं। (पवित्र क़ुरआन 74:26-30) आपको यह देखकर ताज्जुब होगा कि जिस बीमारी के हमले से दुनिया दहशत में है, उसका नाम है #covid_19 आपको यह देखकर भी ताज्जुब होगा कि इसी सूरत, सूरह मुदस्सिर के शुरू में रब ने यह फ़रमाया है: "अपने कपड़े पाक रखो और गन्दगी से दूर ही रहो।" "अपनी कोशिशों को अधिक समझकर उसके क्रम को भंग न करो।" (आयत 4, 5 व 6) इसी बात पर आज सारी दुनिया की सरकारें ज़ोर दे रही हैं। ...और यह भी लिखा है कि वह न बाक़ी रखेगी न छोड़ देगी। (आयत 28) जो लोग कोविड 19 से बच जाएंगे, वे भी उसकी वजह से चौपट हो चुकी इकोनॉमी के कष्टों से न बच पाएंगे। कोविड 19 के अटैक का कारण, पवित्र क़ुरआन की रौशनी में: यह बीमारी जिस देश में पैदा हुई, वहाँ क्यों पैदा हुई? यह हरगिज़ न होगा वह तो मेरी आयतों का दुश्मन था।शीघ्र ही मैं उसे घेरकर कठिन चढ़ाई चढ़वाऊँगा। (आयत 12 व 13) इलाज: पवित्र क़ुरआन की सूरह नंबर 74 आयत नंबर 13 में अल्लाह ने बता दिया है कि कोविड 19 की दवा ऊँचाई पर है। चीन में ऊंची चढ़ाई पर एक फल मिलता है, जिसमें आँवले से अस्सी गुना ज़्यादा विटामिन सी होता है। इसका नाम #Sea buck thorn है। यह तिब्बत और लद्दाख़ में भी मिलता है। #Allahpathy के अनुसार रब ने Covid_19 का इलाज भी इसी सूरह में बता दिया है। आप इस सूरह को सूरह यासीन से जोड़कर पढ़ लें तो पूरा ट्रीटमेंट आपके सामने आ जाएगा। सूरह यासीन की आयत नंबर 56 व 57 में अल्लाह की आयतों को मानने वाले, फल खाने वालों के लिए सलामती की भविष्यवाणी है। फलों से भरपूर मात्रा में विटामिन सी मिलता है और फलों का विटामिन सी इंसान की इम्यूनिटी को बूस्ट करता है। अल्हम्दुलिल्लाह! याद रखें कि सिंथेटिक विटामिन सी की गोलियाँ इम्यूनिटी को नेचुरल विटामिन सी जितना सपोर्ट नहीं करतीं। इसलिए विटामिन सी की गोलियाँ खाना फ़ायदा न देगा। 7 #Ajwah खजूर खाने वाले पर उस दिन कोई ज़हर असर नहीं करता। (भावार्थ हदीस) कोरोना वायरस बॉडी में जो ज़हर पैदा करेगा, उन ज़हरों को #अजवा_खजूर खाकर बेअसर किया जा सकता हैं। अल्लाह के नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ऐसा फ़रमाने के बाद #अजवाखजूर काफ़ी क़ीमती बिकने लगी और आज भी काफ़ी क़ीमती बिकती है। ग़रीब लोग इसे ख़रीद नहीं सकते। वैसे भी इसका प्रोडक्शन बहुत कम है। ग़रीब लोग इसकी जगह #Moringa Leaves यानि सहजन की पत्तियाँ खा लें। उनके जिस्म में पड़े हुए ज़हर भी बेअसर हो जाएंगे और यह हर देश में पैदा होता है। हमारे देश में ग़रीब बिहारी भाई बहन इसे अपने घर आँगन में ज़रूर बोते हैं। इसमें विटामिन सी के साथ प्रोटीन और कैल्शियम भी बहुत होता है। इसके 28 ग्राम पत्तों में 7 गिलास संतरा जूस से ज़्यादा विटामिन सी होता है। जो बूढ़ा बीमार रोज़ 20-20 पत्ते कच्चे चबाकर या उन्हें सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर खाने लगता है, उसका शरीर फिर से जवानी की तरफ़ लौटने लगता है क्योंकि यह दुनिया का #Highest ORAC value Food है। जो लोग डायलिसिस करा रहे हैं, वे इसके पत्ते खाने लगते हैं तो उनका डायलिसिस कम होने लगता है और उनके गुर्दे ठीक हो जाते हैं। तौरात में लिखा है कि अल्लाह ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को पानी का ज़हरीला असर दूर करने के लिए इस #Tree Of Life को पानी में डालने के लिए कहा था। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने ऐसा किया तो उस पानी का ज़हरीला असर दूर हो गया था। देखें: Exodus 15:25 वह पेड़ Moringa olrifera था। आज वैज्ञानिकों ने मोरिंगा यानि सहजन के इस गुण की पुष्टि कर दी है। सो आप जब पानी पिएं तो इसके कुछ पत्तों को धोकर उसके साथ खा लिया करें। इससे पानी का ज़हरीला असर दूर हो जाएगा क्योंकि आजकल पानी में आर्सेनिक और दूसरे ज़हरों की क्वांटिटी बढ़ चुकी है। बुख़ार में टेम्प्रेचर को बढ़ने से रोकने के लिए: नारियल पानी और मौसमी जूस पीते रहें। पानी के बजाय यही पिएं और शरीर पर ताज़े पानी में भिगोकर पाक साफ़ सूती कपड़ा रखते रहें। बॉडी टेंपरेचर 101 और 102 से ऊपर नहीं जाएगा, इन् शा अल्लाह! सूखी खाँसी का इलाज: रब ने पवित्र क़ुरआन में शहद, अंजीर और सोंठ/अदरक का तारीफ़ के साथ ज़िक्र किया है। ये सब  सूखी खाँसी को दूर करते हैं। ज़ैतून का तेल भी सूखी खाँसी के ख़िलाफ़ एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार है।  यदि आप खाँसी से पीड़ित हैं, विशेष रूप से रात में, बिस्तर पर जाने से पहले ज़ैतून के तेल का एक बड़ा चमचा लेना याद रखें। शहद, अंजीर और ज़ैतून अंदर की गंदगी को ख़ारिज करके जिस्म को पाक करते हैं जिसका हुक्म सूरह मुदस्सिर में दिया गया है कि गंदगी से दूर ही रहो। सबसे अच्छी दवा क़ुरआन है। -हदीस बहवाला तिब्बे नबवी, लेखक:इब्ने क़य्यिम) कोरोना की दवा भी क़ुरआन है क्योंकि कोरोना की वजह भी चीन द्वारा पवित्र क़ुरआन को पढ़ने पर पाबंदी लगाना है और उसे बदलने की कोशिश करना है। अल्लाह को यह पसंद नहीं है कि इंसान ख़ुद को इतना बड़ा समझे कि वह दूसरे लोगों के मानवाधिकार ख़त्म कर दे, उनकी आस्था, उनका धर्म, उनका सुख-चैन और आज़ादी और उनका जीवन ख़त्म कर दे। जब ऐसा करने वाले कष्ट में पड़ें तो अगर वे उससे निकलना चाहें तो वे रब के सामने अपनी ग़लती मानकर उसे सुधार लें और 'सीधे रास्ते' पर चलें। इसी को तौबा कहते हैं। अब कुछ वीडियोज़ ऐसी सामने आई हैं, जिनमें चीन के लोगों को भारी संख्या में पवित्र क़ुरआन और नमाज़ पढ़ते हुए दिखाया गया है। ऐसा लगता है कि चीन के हाकिम अपनी ग़लती समझ चुके हैं और वे उसे सुधार रहे हैं। इसके बाद से चीन में कोविड 19 के नए मरीज़ मिलने बंद हो गए हैं। #कोविड_19 के इस इलाज को केवल वही लोग समझ सकते हैं, जिन्हें अल्लाह ने ईमान के साथ  इल्मो-हिकमत बख़्शी है और जो लोग बीमारी की वजह और उससे शिफ़ा के क़ुदरती निज़ाम को समझते हैं। ख़ुलासा: जब ईमान यानि अवचेतन मन के सही विश्वास के साथ शिफ़ाबख़्श फ़ूड खाया जाता है तो रब शिफ़ा देता है।



Last updated date 16/09/2020

किसी भी वायरल डीज़ीज़ में इस लेमन जूस को न भूलें

🍋 नींबू की एक बूंद ICEJUICE यदि आप अपने नथुने में लेमन जूस की केवल एक बूंद डालते हैं, तो वायरस जो नाक, गले और फेफड़ों में पड़ा है, कफ के रूप में मुंह में आ जाएगा, जिसे आपको बाहर थूकना है। फिर गुनगुने पानी में नींबू के रस की कुछ बूंदें और थोड़ा सा नमक, गार्गल करके थूक दें। तब आपको बड़ी राहत महसूस होगी। फिर अपनी उँगलियों से नारियल के तेल को अपनी नासिका में लगायें। इस आसान प्रक्रिया का पालन करने के बाद भी, अगर कोई साबित करता है कि उसे कोई राहत नहीं मिली है, मैं चुनौती देताहूं और उन्हें एकबार आज़माने की सलाह दूंगा। जब कोरोना वायरस पूरी दुनिया को हिला देने वाला खलनायक है। लेमन जूस भी दोगुना हो जाता है और एक सैनिटाइज़र के रूप में शानदार काम करता है। अपने हाथों और सिर पर नींबू का रस लगाएं , और अपने कपड़ों पर स्प्रे करें और कमरों में छिड़कें, कोरोनावायरस आपको या आपके प्रियजनों को प्रभावित नहीं करेगा। यह आपके पास नहीं आएगा, जैसा कि मैंने ऊपर वर्णित किया है, स्वयं के ऊपर उपरोक्त उपाय का सफलतापूर्वक परीक्षण किया और सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के बाद, उन्होंने उपरोक्त उपाय कई अन्य लोगों को सुझाए जो कोरोनावायरस से संक्रमित थे। तत्काल राहत पाने वाले सभी ने उन्हें धन्यवाद दिया। "साइनाइड की एक बूंद दुश्मन द्वारा पकड़े गए एक सैनिक को मार देती है" ... जबकि "लेमन जूस की एक बूंद किसी की जान बचाती है।"



Last updated date 16/09/2020

COMPARE THE DEATH'S BETWEEN corona & others CAUSES

``` The number of deaths in the world in the last 3 months of 2020 3,14,687 : Corona virus 3,69,602 : Common cold 3,40,584 : Malaria 3,53,696 : suicide 3,93,479 : road accidents 2,40,950 : HIV 5,58,471 : alcohol 8,16,498 : smoking 11,67,714: Cancer Then do you think Corona is dangerous? Or is the purpose of the media campaign to settle the trade war between China and America or to reduce financial markets to prepare the stage of financial markets for mergers and acquisitions or to sell US Treasury bonds to cover the fiscal deficit in them Or Is it a Panic created by Pharma companies to sell their products like sanitizer, masks, medicine etc. Do not Panic & don't kill yourself with unecessary fear. This posting is to balance your newsfeed from posts that caused fear and panic. 33,38,724 People are sick with Coronavirus at the moment, of which 32,00,000 are abroad. This means that if you are not in or haven't recently visited any foreign country, this should eliminate 95% of your concern. If you do contact Coronavirus, this still is not a cause for panic because: 81% of the Cases are MILD 14% of the Cases are MODERATE Only 5% of the Cases are CRITICAL Which means that even if you do get the virus, you are most likely to recover from it. Some have said, “but this is worse than SARS and SWINEFLU!” SARS had a fatality rate of 10%, Swine flu 28% while COVID-19 has a fatality rate of 2% Moreover, looking at the ages of those who are dying of this virus, the death rate for the people UNDER 55 years of age is only 0.4% This means that: if you are under 55 years of age and don't live out of India - you are more likely to win the lottery (which has a 1 in 45,000,000 chance) Let's take one day ie 1 May as an example when Covid 19 took lives of 6406 in the world. On the same day: 26,283 people died of Cancer 24,641 people died of Heart Disease 4,300 people died of Diabetes Suicide took 28 times more lives than the virus did. Mosquitoes kill 2,740 people every day, HUMANS kill 1,300 fellow humans every day, and Snakes kill 137 people every day. (Sharks kill 2 people a year) SO DO THE DAILY THINGS TO SUPPORT YOUR IMMUNE SYSTEM , PROPER HYGIENE AND DO NOT LIVE IN FEAR. Join to Spread *Hope* instead of Fear. The Biggest Virus is not Corona Virus but Fear! ``` *SHARE TO STOP PANIC*



Last updated date 16/09/2020

बिना दवा कोरोना वायरस या किसी अन्य वायरल डीज़ीज़ का ईलाज यूनानी पद्धति से

"CORONA VIRUS का ईलाज" (all types of viral diseases)THROUGH UNANI SYSTEM at HOME:-          -:OPEN CHALLENGE:- (देशहित में मानवता को समर्पित मेरे इस उपचार विधि को जन जन तक पहुंचाने में मदद करें। इसके अलावा और कोई विकल्प ही नहीं है।) बस इतना ही समझ लीजिए कि इंसानी शरीर नेचर से निर्मित है। और जब इसके भीतर कोई परेशानी या बीमारियां उत्पन्न हो जाए तो उसे "नेचुरल" तरीक़े ही ठीक करेंगी,न कि कोई केमिकल (ऐलोपैथिक दवाएं), किसी भी तरह की दवाएं चाहे आयूर्वेदिक हो, यूनानी हो, होमियोपैथिक हो,वो वायरस को कभी भी नहीं मार सकती हैं क्योंकि आप दवाओं से सिर्फ उसी को मार सकते हैं जो आपके ब्लड में मौजूद हो। लेकिन कोई भी वायरस ब्लड में तो रहता ही नहीं है। वायरल फीवर चाहे कोई भी हो उसे इस नीचे दी गई नेचुरल विधि के ज़रिए ही ठीक किया जा सकता है। जैसे ही कोई भी वायरल फीवर के लक्षण दिखाई दे तो नीचे लिखे "यूनानी पद्धति" का मेरा बार-बार का आज़माया TREATMENT शुरू कर दें:- * मरीज़ को पका हुआ खाना बिल्कुल न दें। * पहले दिन:- BODY WEIGHT (60KG) / 10 = 6 यानी पहले दिन 6 (छ:) गिलास मोसम्मी या संतरा जूस और 6 (छ:) गिलास नारियल पानी बारी बारी पिलाते रहें। * नोट:- (नारियल पानी (COCONUT WATER) की जगह एक अनार/एक गिलास नारियल पानी खाएं।)  * दूसरे दिन:- BODY WEIGHT (60 KG) / 20 = 3 यानी 3 (तीन) गिलास मोसम्मी या संतरा जूस और 3 (तीन) गिलास नारियल पानी बारी बारी से पिलाते रहें।और शाम में BODY WEIGHT (60 KG)×5 = 300 GRAM खीरा और टमाटर (बराबर बराबर) खिलाएं।  * तीसरे दिन:- BODY WEIGHT (60 KG) / 30 = 2 यानी 2 (दो) गिलास मोसम्मी या संतरा जूस और 2 (दो) गिलास नारियल पानी बारी बारी से पिलाते रहें दोपहर बारह बजे तक।और दोपहर के समय में BODY WEIGHT (60 KG)×5 = 300 GRAM खीरा और टमाटर (बराबर-बराबर) खिलाएं। रात के भोजन में सादा खाना जिसमें तेल और प्रोटीन की मात्रा कम से कम रहे। किसी भी रूप में एनीमल और डेयरी प्रोडक्ट्स भोजन में शामिल न करें।और अगले दिन यानि चौथे दिन वो बिल्कुल सेहतमंद हो जाएगा।   "ईन्शा अल्लाह" HIGH FEVER की चिंता न करें। यही वो हथियार है जिससे वायरस मारा जाएगा। ऊपर लिखे तरीक़े से ईलाज चलाने पर बुख़ार 101-102° F से अधिक नहीं बढ़ेगा। -:आपकी सेवा केलिए चौबीस घंटे उपलब्ध:- HAKEEM MD ABU RIZWAN   BUMS,hons.(BU)   UNANI PHYSICIAN Specialist in LIFESTYLE DISEASES



Last updated date 16/09/2020

सच्चाई छुप नहीं सकती

जिस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं आया है। उसी बीमारी का इलाज करवा कर लाखों लोग ठीक भी हो गए। वाह! और तो और कुछ लोगों ने इस खौफ (Corona Virus) के तथाकथित ईलाज के नाम पर करोड़ों /अरबों कमा भी लिये। भरपेट कमा लेने के बाद जैसे N-95 मास्क बेकार घोषित हो गया। यकीन करें कमाई के बाद सेनेटाइजर, हैंडवाश और immunity booster दवायें भी बेअसर घोषित हो जाएंगी।फिर वैक्सीन से कमाने का दौर शुरू होगा।आप डर बनाये रखिये और हम बाजार बनाये रखते हैं। *WHO" हमेशा आपके डर के साथ है!"* *(World Horror Organization)*



Last updated date 16/09/2020

शर्मनाक व अनैतिक कृत्य

आयुर्वेद के डॉक्टर ने COVID-19 के इलाज का किया दावा… SC ने लगाया 10,000 का जुर्माना… (20 August 2020 HIND WATAN SAMACHAR LUCKNOW) ओमप्रकाश वैद ज्ञानतारा ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कोरोना के इलाज की दवा की खोज करने का दावा किया है,उन्होंने अपनी याचिका में इस दवाई का इस्तेमाल देशभर के सभी डॉक्टरों और अस्पतालों में कराए जाने की मांग कोर्ट से की है। आयुर्वेदिक दवा और शल्यचिकित्सा (BAMS) की डिग्री रखने वाले ग्यांतारा ने अदालत से मांग करते हुए कहा कि कोर्ट भारत सरकार के सचिव और स्वास्थ्य विभाग को कोविड​​-19 के इलाज के लिए उसके द्वारा बनाई गई दवाओं का उपयोग करने का आदेश दे,लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, ‘हमारा मानना है कि ग्यांतारा की जनहित याचिका के जरिए रखी गई मांग पूरी तरह से गलत है और लोगों के बीच यह संदेश जाना जरूरी है कि इस तरह की बेतुकी बातें को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर नहीं करनी चाहिए। बता दें कि महामारी की शुरुआत से ही दुनियाभर में इसके वैक्सीन बनाने को लेकर रिसर्च जारी है,लेकिन अभी तक सिर्फ रूस ने ही इसमें कामयाबी हासिल की है।रूस ने दावा किया है कि उसने दुनिया का पहला कोरोना टीका बना लिया है,दुनियाभर के लोगों यकीन दिलाने के लिए ये टीका सबसे पहले रूस के प्रधानमंत्री की बेटी को लगाया गया था। हालांकि अभी भी इस वायरस के टीके को लेकर पूरी दुनिया में रिसर्च जारी है।



Last updated date 16/09/2020

कोरोना की नहीं, किसानों की चिंता करें यूनानी पद्धति के माध्यम से....!

अजब गजब दुनिया और दुनिया भर के लोग.....! जिसे देखो, कोरोनावायरस से पीड़ित रोगियों को बचाने में लगे हैं और ऐसे दिखाते हैं कि जैसे आसमान से तारे तोड़ लाए हैं। उन तमाम महानुभावों से विनम्र निवेदन है, अपील है कि अगर कोरोनावायरस के संदर्भ में कुछ करना ही है तो उससे पीड़ित रोगियों का इलाज तो बाद की बात है, पहले लोगों को जागरूक करें कि ये कोई बड़ी आफत नहीं बल्कि फार्मास्युटिकल कंपनियों की बहुत बड़ी साज़िश है। वायरस से लड़ना हम इंसानों का काम है ही नहीं, न ही हमें इससे बचने और भागने की ज़रूरत ही है। बल्कि, ऐलोपैथिक दवाओं से, डॉक्टरों से लोगों को बचाने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जाना चाहिए। हमारे अंदर "रोग प्रतिरोधक क्षमता" को बूस्ट कर देना ही काफी है। बाक़ी, वायरस से लड़ने का काम तो हमारे शरीर में मौजूद DENDRITIC CELLS का ही है, जिसका हमें केवल सहयोग करना चाहिए। सरकार ऐसा करती, तो न इतने लोगों की जानें जातीं, न ही लोगों में इस कोरोनावायरस का इतना ज़्यादा भय समाता। रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत करने के लिए प्रति दिन एक अमरूद, दो संतरे या मोसम्मी, तीन आम या चार टमाटर का सेवन करना काफ़ी है। लेकिन लाख टके का सवाल ये है कि अमरूद, संतरे,मोसम्मी,आम या फिर टमाटर से तो केवल हमारे भारत देश के किसानों को फायदा हो सकता है। लेकिन हमारी सरकार को तो इस बात की चिंता है कि इस अमरूद संतरे मोसम्मी आम से फार्मास्युटिकल कंपनियों का व्यापार संभव नहीं,जो हर हाल में करवाया जाना है।



Last updated date 16/09/2020

कोरोना प्रश्नोत्तर

निम्न प्रश्नों का उत्तर देंl 1:- कोरोनावायरस कैसी बीमारी है जिसमें बिना दवा के 90% लोग अच्छे हो जाते हैं? उत्तर:- कोरोनावायरस कोई महामारी नहीं है, बिल्कुल भी नहीं है। ये तो फार्मास्युटिकल कंपनियों के द्वारा व्यवसायीकरण है। ये ILI (INFLUENZA LIKE ILLNESS) मात्र भर है। किसी भी तरह से ये इतना जानलेवा है ही नहीं। कोरोनावायरस या किसी अन्य वायरल डीज़ीज़ से 1000 में केवल एक ही व्यक्ति मर सकता है और 999 व्यक्ति ठीक हो जाते हैं। और बदकिस्मती से वो मरने वाला एक आदमी भी ऐसा होता है जिसकी "रोग प्रतिरोधक क्षमता" एकदम निम्न हो। आज भी हम देखते हैं कि वायरस से पीड़ित रोगियों में 90% तो स्वस्थ हो जाते हैं,तो यह बिल्कुल मत सोचिएगा कि ऐलोपैथिक दवा से ठीक हो जाते हैं, बल्कि उनकी "रोग प्रतिरोधक क्षमता" उच्चतम स्तर की रही है। 2:- भारत सरकार आयुर्वेदिक यूनानी होम्योपैथिक डॉक्टरों को रिसर्च करने के लिए आयुष मंत्रालय को क्यों नहीं आदेश देता है ? उत्तर:- इस देश का दुर्भाग्य ही है कि जिस यूनानी पद्धति, आयूर्वेद को भारतीय धरोहर माना जाता है उसी को ALTERNATIVE या वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति बता कर किनारे लगा दिया गया है। जैसा कि हम सब जानते हैं, भारत देश भी वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (डब्लू एच ओ) का सदस्य है। ये उसी को फौलो करता है। हम जानते हैं कि यह संस्था फार्मास्युटिकल कंपनियों के लिए "मुंह" का काम करता है, और भारत में ऐलोपैथिक दवाओं के व्यवसाय की अपार संभावनाएं हैं। यहां पर उसी की सुनी जाती है। सरकार भी उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं कर सकती है। क्योंकि फार्मा कंपनियां सरकार को इतना "चंदा" देती हैं कि उसकी बराबरी कोई भी नहीं कर सकता, कौर्पोरेट कंपनियां भी नहीं। मतलब स्वास्थ के मामले में सिर्फ़ और सिर्फ़ फार्मा कंपनियों को व्यापारिक दृष्टि से फ़ायदा पहुंचाने में सारे सरकारी तंत्र लगी होती हैं। अब सवाल यह उठता है कि ऐसी स्थिति में सरकार क्यों अपनी देशी चिकित्सा पद्धति पर ध्यान देना चाहेगी। देशी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने से तो हमारे किसान भाई करोड़पति लखपति बनने लगेंगे, भला सरकार ऐसा क्यों चाहेगी? हालांकि, अगर कोरोनावायरस के संदर्भ में देखा जाए तो इस वायरस या किसी भी वायरल डीज़ीज़ का ईलाज केलिए किसी भी पैथी में कोई "दवा" नहीं बन सकती, कभी नहीं,कभी भी नहीं बन सकती है। ये तो बिना किसी दवा के तीन से सात दिनों में या अधिकतम चौदह दिनों में घर पर रहकर ही मरीज़ बिल्कुल सेहतमंद हो जाते हैं। लेकिन यहां तो अरबों खरबों डॉलर का बिज़नेस करना है, चाहे पब्लिक मरती रहे। जबकि अभी तक ईलाज के नाम पर जो ऐलोपैथिक दवा दी जा रही है वह EXPERIMENTAL DRUGS ही हैं। यूनानी पद्धति से इलाज शत् प्रतिशत मुमकिन है मगर सरकार ने पाबंदी लगा दी है कि हम यूनानी पद्धति वाले कोरोनावायरस पीड़ितों का इलाज नहीं कर सकते, सलाह भी नहीं दे सकते, वरना "जेल" की हवा खानी पड़ सकती है। 3:- डब्ल्यूएचओ पर किन देशों का कब्जा है? उत्तर:- WHO यानी "वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन" वो संगठन या संस्था है जो दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य का ठीकादार है। लेकिन ये असल में अमेरिका और फार्मास्युटिकल कंपनियों का कठपुतली संगठन मात्र भर है। ये एक ऐसी संस्था है जो ऐसे शेर की तरह है जिसके मुंह में दांत है ही नहीं, और सिर्फ ग़ुर्राता है।ये वही करता है जो अमेरिका चाहता है और फार्मास्युटिकल कंपनियों का जिसमें फायदा हो। 4:- कोरोनावायरस से अधिक अन्य किन बीमारियों से भारत में लोग अब तक मर चुके हैं? उत्तर:- कोरोनावायरस के नाम पर दुनिया भर में अब तक आठ लाख से अधिक लोगों को मारा जा चुका है, मैं तो यही कहूंगा। लेकिन अगर आप अन्य बीमारियों से होने वाली मौतों पर नज़र डालें तो हर साल हमारे भारत देश में टीबी से लगभग 6,50000 लोग, कैंसर से 1500 लोग हर दिन मर जाते हैं, पूरी दुनिया में अगर एक लाख लोग हृदयाघात से मरते हैं तो उसमें से 60% लोग भारतीय होते हैं। इतना ही नहीं, डेंगू से प्रति वर्ष 45000 लोगों की मौत हो जाती है। जबकि 3,69,602 लोग कामन कोल्ड, 3,40,584 लोग मलेरिया से,मर गये। 3,53,696 लोगों ने आत्महत्या की है। 3,93479 लोग हर साल सड़क दुघर्टनाओं में मर जाते हैं। 2,40950 लोग HIV AIDS से, 5,58,471 अल्कोहल से, 8,16,498 लोग धुम्रपान से, 8,16498 लोग कैंसर से हर साल मरते हैं। आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कोरोनावायरस क्या वाक़ई इतना ख़तरनाक है? जिसके तहत 81% तो एकदम से MILD CASES हैं, और 14% MODERATE CASES की श्रेणी में आते हैं, जबकि कोरोनावायरस के मात्र 5% मरीज़ ही CRITICAL CASES की श्रेणी में आते हैं। बता दें कि SARS से मृत्यु दर सबसे ज्यादा 10%, SWINE FLUE में मृत्यु दर 2.8% जबकि COVID-19 में मृत्यु दर मात्र 2% है। जबसे COVID-19 का हंगामा हुआ है तब से लेकर पहली मई तक कैंसर से 26,283, हृदय संबंधी रोगों से 24,641और 4,300 लोगों ने डायबिटीज़ से दम तोड़ा है। जबकि कोरोनावायरस से जितनी मौतें हुई हैं उससे 28 गुना ज़्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली है। मच्छरों के काटने से 2,740 और सांप के काटने से 137 लोग प्रतिदिन मर जाते हैं।



Last updated date 16/09/2020

STEP TOWARDS CURE OF COVID-19

STEPS TOWARDS CURE OF COVID-19" SUBJECT: Regarding ensuring participation in the prevention, causes and treatment of COVID-19 (Corona Virus) epidemic in the country and the world. Sir, With due respect, I, Hakeem Md. Abu Rizwan, [BUMS hons. (BU), Unani Physician, UNANI MEDICINE RESEARCH CENTRE, Jamshedpur, Jharkhand] passed out in 1992 from Rajkiya Tibbi College, Patna, and from that time to till now I have been treating patients continuously by the Unani Methods Only. That means I have almost 27-28 years of experience in this profession, and a long experience in treating lifestyle diseases, viral diseases, etc. I am also shocked by this epidemic in the country and want to do true service to our nation’s people with the kind dedication. It is good that we, on behalf of the Ministry of Ayush, are being given an opportunity to serve the Nation through the Unani practices which are appreciable. I will be glad to be the participant of this group. It is a great pleasure to inform you that I have tried the treatment of any other viral disease on patients from outside my home and got better results. As per my experience, I can say that any viral diseases can be cured in only three days. Therefore, if you want, I will be glad by entrusted with the responsibility. At the hospital, where corona virus patients are housed, the responsibility given by you will be accepted with pleasure. It is a different matter, “We can also touch sun's wrist We poor do not get support”. I have sent this heartily desire to all respected Chief Ministers through E-mail that there is Cent Percent possibility of the treatment Of Corona virus patients through Unani Methods. Around 20,000 peoples are connected to my WhatsApp Group and I am leaving no stone unturned in sharing whole info and treatment procedure of this viral disease (corona virus). Also through social media, like: Facebook and YouTube, I have shared the prevention and treatment of this corona virus. I am daring to present my way of treatment in front of you. I am trying to claim before you the infallible cure of this corona virus or any viral disease. PREVENTION OF CORONA VIRUS OR ANY OTHER VIRAL DISEASE: Whenever there is an outbreak of such an epidemic, one should take appropriate measures to avoid it at the outset and no one will have a viral attack. For this the person should focus on strengthening his immunity power with very easy way. Take a natural dose of Vitamin C (0.2 gram per day) to your daily diet to boost your immune system (don’t take any tablets, capsules or syrups to boost Vitamin C). For this, you can take a Guava or two Mosambi (Sweet Lemon) or two Oranges or three Mangoes or four Tomatoes (Anyone from these) daily. (In this way, we strengthen the "dendritic cells" outside and inside our bodies that help to keep us safe by fighting off the harmful bacteria that enter to our body: bacteria, pathogens and viruses.) And stay away from any animal protein and dairy products, means not a little bit use of it. As we are aware of the fact that human body is built by the nature. So, whenever any problem or any illness arises inside it, then it will be cured only by “natural methods” not by any chemicals (Allopathic Medicines). Virus can never be killed by any medicine. This is the only way that it can be destroyed and thrown outside the body. I would like to mention in particular that the treatment of viral disease especially this corona virus with Unani method, the patient will become completely well in three to four days. I would like you to approve my proposal so that I have an opportunity to prove my talent. In this regard, I also have many research papers based on thousands of pages as evidence. Sir, I hope you agree with my words what is mentioned above. Kindly give acceptance to my proposal and I will be pleased if you approve this proposal. Undoubtedly, I will feel pride when I give my service to the nation. Yours Faithfully, HAKEEM MD. ABU RIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES



Last updated date 15/09/2020

बेवक़ूफ लोग अक़लमंदों केलिए वरदान

"बेवक़ूफ लोग अक़लमंदों केलिए वरदान" एक कहावत हम सभी ने सुनी है - " जब तक इस धरती पर बेवक़ूफ ज़िंदा है, अक़लमंद कभी भूखा नहीं मरेगा।" आज "कोरोनावायरस" के माहौल में ये कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है। कोरोनावायरस कोई नया नहीं है, बल्कि इसके पहले भी ये पहली बार 1965 में US में 229 E के नाम से, 2004 में NL 63 के नाम से NETHERLANDS में, सन् 2005 में HKU 1 के नाम से HONGKONG में अपनी धौंस जमा चुका है। मतलब ये है कि ये जो NOVEL CORONA VIRUS बताकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है और डराया जा रहा है, इसके पीछे का साइंस और कामर्स समझना होगा। वायरस चाहे जितना भी बुरा हो, बड़ा हो, असल में ये वैसा है ही नहीं जितना बुरा, ख़तरनाक और बड़ा बताया गया है, बल्कि इस वायरस से ज़्यादा ख़तरनाक तो इसका इलाज है।आज सारी दुनिया कोरोनावायरस के ईलाज केलिए दवा ढूंढने में लगी है। अलग-अलग कंपनियों के दावे सामने आ रहे हैं। जबकि दुनिया की सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि आप वायरस को कभी भी किसी भी दवा से नहीं मार सकते। WHO ने इस कोरोनावायरस को एक ऐसा भयंकर तबाही मचाने वाला वायरस बताया कि करोड़ों लोग मारे जाएंगे। जबकि सच्चाई तो यह है कि लोग वायरस से नहीं मरे, बल्कि EXPERIMENTAL DRUGS (REMDESIVIR, ANTIPYRETIC, ANTIMALARIAL, HIV-AIDS, ANTIBIOTICS) से लोगों को मौत के घाट उतारा गया है। हमारे मेडिकल साइंस में एक नया विषय अवश्य शामिल करना चाहिए - "थेथेरोलौजी"। जब सब जानते हैं कि वायरस की दवा नहीं बन सकती तो क्या वजह है कि ज़बरदस्ती ज्ञान पेलने वालों की लाइन लगी है कि अमुक अमुक दवाएं वायरस को मार देंगे, घोर कलयुग है भाई ! कंपनियों में होड़ मची है कोरोनावायरस की दवा बनाने की।सत्य से परे, दिमाग़ से परे, लोगों को भ्रम में डाल कर, डरा कर अपना "धंधा" करना है। इस धरती पर मानव निवास से पहले से ही वायरस का वास है और अंत तक रहेगा ही।हम सब वायरस से हमेशा घिरे हुए हैं। वायरस से बचने की चिंता तो हमें करना ही नहीं चाहिए, ये हमारा काम है ही नहीं और जिसका काम है उसी को करने देना चाहिए। हमें वायरस से सुरक्षित रखने वाला ख़ुद का "इम्युनिटी पॉवर" है, जिसका केवल सहयोग हमलोग करेंगे तो हमें पता भी नहीं चलेगा कि कब कौन सा वायरस हमारे शरीर में आया और आकर चला भी गया। हमें तो बस इतना ही करना था कि अपने इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाने पर ज़ोर देते, सरकार को भी इस इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाने के तरीक़े से लोगों को अवगत करा देती। लेकिन अंधी निकम्मी सरकार और सरकारी कारिंदे जो दिन रात "ऐलोपैथिक फार्मास्युटिकल कंपनियों" के "व्यापार" को बढ़ाने केलिए जुटी हैं, जो "अरबों खरबों डालर" का "कारोबार" कर रही हैं और लाखों लोगों को मौत के घाट उतार रही हैं।ये सब जानबूझ कर किया जा रहा है और ये जो पब्लिक है बिल्कुल "मासूम" जैसे "गिनी पिग" बन कर रह गई है, अस्पतालों में भर्ती होकर मरने को तैयार बैठी है। ज़रा सोचिए, जिस वायरल डीज़ीज़ का ईलाज घर में ही है, उस के लिए लोग अस्पतालों में लाखों रुपए खर्च कर रहे हैं। अस्पतालों की बेशर्मी और ढिठाई तो देखिए कि उनको ज़रा भी अफसोस नहीं है कि उनके पास जब दवा है ही नहीं तो इतनी बड़ी बड़ी रक़म क्यों और कैसे वसूल रही हैं। बस, बात वहीं पर आकर रूक जाती है - " जबतक इस धरती पर बेवक़ूफ ज़िंदा है अक़लमंद कभी भी भूखा नहीं मरेगा।" HAKEEM MD ABU RIZWAN



Last updated date 15/09/2020

टीबी से मरने वालों की संख्या भारत में सबसे अधिक

दुनिया में टीबी से मरने वालों की संख्या में भारत TOP पर: 24 मार्च विश्व टीबी डे है, इस दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में टीबी के कारण होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा मौत भारत में होती है। चौंकाने वाली बात यह है कि WHO (डब्ल्यूएचओ) ने "वर्ल्ड टीबी डे" के मौके पर वर्ष 2016 में यह रिपोर्ट जारी की थी जिसके बाद जनवरी 2018 में इस रिपोर्ट को RENEW कर दिया गया और आज भी यह आंकड़ा नहीं बदला। आइए जानते हैं इस रिपोर्ट की कुछ खास बातें "वर्ल्ड टीबी डे" हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है। दुनिया में मौत के 10 कारणों में टीबी से होने वाली मौत सबसे ज्यादा है। वर्ष 2016 में पूरे विश्व में 10.4 मिलियन लोग टीबी के शिकार हुए, जिनमें से 1.7 मिलियन की मौत हो गई। इनमें से 95 फीसदी मौतें निम्न और मध्यम आयवर्ग वाले देशों में हुई। दुनिया में टीबी के मरीजों की संख्या का 64 प्रतिशत सिर्फ सात देशों में है, जिनमें भारत सबसे ऊपर है। भारत के बाद इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका है। वर्ष 2016 में दुनियाभर में करीब 10 लाख बच्चों को टीबी हुई, इनमें से ढाई लाख बच्चों की मौत हो गई। इनमें वे बच्चे भी शामिल थे जिनमें टीबी के साथ-साथ "एचआईवी" के भी लक्षण पाए गए थे। "एचआईवी" से पीड़ित होने वाले रोगियों की मौत का सबसे बड़ा कारण टीबी ही है। 2016 में ही टीबी से ग्रसित जिन मरीजों की मौत हुई उनमें से 40% मरीज "एचआईवी" के शिकार हो गए थे। WHO (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि दुनिया के सभी देश अगर सही तरीके से टीबी का इलाज होता रहे तो वर्ष 2030 तक इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। भारत सरकार से मैं ये मांग करता हूं कि आज जिस तरह से WHO (डब्लू एच ओ) के फ़रमान पर कोरोनावायरस से पीड़ित रोगियों को बचाने के लिए लड़ाई की जा रही है, टीबी केलिए क्यों नहीं? जबकि कोरोनावायरस के मुक़ाबले टीबी के मरीजों की तादाद कई गुना ज़्यादा है। टीबी केलिए क्यों नहीं लाकडाउन किया जाता है,मास्क लगाना क्यों नहीं ज़रूरी किया गया? वजह मैं बताता हूं। "टीबी" केलिए "वैक्सीन" नहीं बनाई जा सकती है।" और जब वैक्सीन नहीं तो फार्मास्युटिकल कंपनियों को फ़ायदा नहीं। आपको बता दें कि कोरोनावायरस का ये सारा खेल फार्मास्युटिकल कंपनियों को व्यापारिक दृष्टि से फ़ायदा पहुंचाने के लिए खेला गया है। ये खेल तबतक जारी रहेगा जबतक कोरोनावायरस का "वैक्सीन" बाज़ार में नहीं आता, भले ही टीबी से लाखों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़े।



Last updated date 15/09/2020

कोरोना की करूणामयी पुकार

कोरोना" की करूणामयी पुकार" हे दुष्ट मानव! ये क्या हाहाकार मचा रखा है मेरे नाम पर,मैं तो अतिप्राचीनकाल से ही इस पूरे ब्रह्माण्ड में घूमता फिरता रहता हूं। वो कहावत तो तूने सुना है ना-"चलो तुम ऊधर की,हवा हो जिधर की।" ठीक उसी तरह से ये वायु मुझे जिधर ले जाए ,मैं उधर चला जाता हूं। क्योंकि मैं तो मृतप्राणी हूं,ज़िन्दा तो हूं नहीं। रास्ते में जो मिल जाए उसी से लिपट जाता हूं,और उसके अंदर उसके ख़ून में भी नहीं रहता हूं,बल्कि उसके कोशिकाओं के पहले दूसरे नहीं अपितु तीसरे लेयर में चला जाता हूं। और तब उन कोशिकाओं के अंदर ही उसी से भोजन पाकर जीवित हो उठता हूं। वहीं पर मैं अपनी आबादी बढ़ाता हूं और तुझे बुख़ार खांसी वग़ैरह आता है। तुम बेचैन होते हो और डाक्टर के पास भागते हो। तुम क्या समझते हो कि वो डाक्टर मुझे मारकर समाप्त कर देगा ! हरगिज़ हरगिज़ नहीं। उसके बाप की भी मजाल नहीं कि मेरा बाल भी बांका करदे। क्योंकि जहां मेरा वास होता है ना वहां कोई दवा आदि नहीं पहुंच सकता है। हां ,इतना ज़रूर होता है कि तुम बेमौत मारे जाते हो,और शायद तुम्हें नहीं पता कि मैं नहीं मारता बल्कि वो डाक्टर तुम्हें जो दवा देता है उससे ही तुम मारे जाते हो। मुझे मारने के लिए और मुझसे लड़ने के लिए तो तुम्हारा इम्युनिटी सिस्टम ही काफी था। जिसके हमले से मैं केवल तीन दिनों में ही पस्त हो जाता हूं और तुम स्वस्थ हो जाते। मेरी आबादी जब कोशिका के अंदर काफी बढ़ जाती है तो मैं वहां से निकलना चाहता हूं लेकिन तेरे ख़ून का हाई टेम्परेचर मुझे मार डालता है। और तेरे शरीर से बाहर भी फेंक डालता है। और तब तुम फिर से स्वस्थ हो जाते हो। यानि मेरा दुशमन केवल तेरे शरीर का उच्च तापमान ही है जिससे मैं हार जाता हूं और तुम जीतते हो। लेकिन जिन दवाओं से तेरा डाक्टर मुझे मारने के लिए तुझे देता है उसके चलते तो तेरी कोशिकाओं को क्षति पहुंचता है। और जब कोशिकाएं डैमेज होती हैं तो तेरा अंत भी हो जाता है।अब तुम ही बताओ तुझे किसने मारा? मैंने या तेरे डाक्टर ने। याद रख ऐ दुष्ट मानव! तुमलोग ख़ुद ही एक दूसरे के दुशमन हो। लेकिन इल्ज़ाम मुझे देते हो। मैं तो मुरदा हूं, मुझे क्या मारोगे, ओ डाक्टर! और फिर ये डाक्टर भी बेचारा क्या करे? वो तो ठहरा फार्मासियुटिकल कंपनियों,वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाईज़ेशन और अपनी सरकारों का " मात्र एक एजेंट" ही ना। मेरे मारने के चक्कर में वो तुझे मारता है,उसे इसका ईनाम मिलता ही है। जिस अस्पताल में तेरे ईलाज के दौरान तेरी मृत्यु हो जाती है ना ,तो उसे भी अथाह रीवार्ड मिलता है और अगले दिन के सभी समाचार पत्रों में मोटे मोटे अक्षरों में तेरी मौत की ख़बरें छप जाती हैं,ताकि समाज में " भय का माहौल" बने।और यही भय का व्यापार है जिसे DISEASE MONGERING कहते हैं। ख़ूब समझ लो हे मानव! ये सारा खेल "भय का व्यापार" ही तो है। सरकार तुझे एक उंगली के ईशारे पर नचाती और डराती है मुझ मुर्दे के नाम पर,कुछ समझ में आया क्या?और सरकारों को व वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाईज़ेशन जैसी संस्थाएं फार्मासियुटिकल कंपनियां की मुट्ठियों में क़ैद होती हैं। हां, मेरे नाम पर फार्मासियुटिकल कंपनियां अपना अरबों खरबों का व्यापार अवश्य कर लेती हैं। यानि मेरे कंधे बंदूक़ रखकर चलाती हैं। ख़ूब दवाएं बिकती हैं,पता लगाने के लिए कि मैं "कोरोना" हूं,"एच 1एन1" हूं," डेंगू" हूं, "चिकेनगुनिया" हूं, "स्वाईन फ्लु" हूं या कोई और। ढेरों जांच करते हो मगर कुछ पता चलता है क्या तुझे? पीसीआर टेस्ट से भी कुछ हासिल नहीं होता,बल्कि मेरे प्रोटीन और जेनेटिक सिक्वेंस का ही पता कर पाते हो।क्योंकि मेरा कोई एक रूप या शक्ल नहीं होता, इसलिए मेरी पहचान मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, और जब मुझे पहचान ही नहीं पाओगे तो मारोगे कैसे? तेरे जिस वैज्ञानिक "कैरी मूलस" ने पीसीआर टेस्ट का अविष्कार किया है उसी से पूछो ना ,उसका भी यही कहना है। लेकिन उस जांच की बदौलत ख़ूब कमाई भी कर लेते हो। दुनिया के टॉप दस रिसर्चर में से जिनका नाम "लियोनार्ड होरोविझ" है , ने अपनी पुस्तक " इमर्जिंग वायरस" में बता दिया है सब कुछ तुझे,लेकिन मेरे बारे में जानकारी हासिल करने का समय ही नहीं। उसने "ईबोला", "ज़ीका" इत्यादि नामों के वायरस का खुलासा कर दिया तो अमेरिकी सरकार ने उससे उसका सरकारी मकान छीन लिया,देशद्रोह क़रार दे दिया। उसने तो यहां तक बता दिया कि जितना ख़तरनाक मामूली "कॉमन कोल्ड" है उतना ही ख़तरनाक मैं या कोई और दूसरा वायरस जैसे "डेंगु", चिकेनगुनिया","एच1एन1",ज़ीका", "स्वाईन फ्लु" भी है। कभी तूने सुना है कि "कॉमन कोल्ड" से भी आदमी मरा हो,नहीं ना।"डेंगू" तो मच्छरों से फैलता है। तुझे कितना ख़तरनाक बताया जाता है। ज़रा सोचो,जिस मच्छर में डेंगु का वायरस होता है तो उस वायरस से जब एक मच्छर तक नहीं मर सकता है तो तुम कैसे मर सकते हो? तुम ऐलोपैथिक दवाओं से मारे जाते हो। लेकिन इल्ज़ाम उस बेचारे डेंगु वायरस को दे डालते हो। तुम सैनिटाईज़र से जितना चाहे लोगों के हाथ धुलवाओ बल्कि नहलाओ भी,मगर मैं नहीं मरने वाला क्योंकि मैं तो मुर्दा हूं,मैं मरा हुआ हूं,मुझे कैसे मार सकते हो उस सैनिटाईज़र से। हां,उससे तुम अपने फ्रेंडली बैक्टीरिया, माइक्रोब्स और पैथोजींस को अवश्य ही मार डालते हो और मैं फिर भी तेरे हाथों में चिपका रहता हूं,क्योंकि मैं तो मुर्दा हूं। यानि मुझे मारने के चक्कर में अपना ही नुक़सान कर बैठते हो। मतलब मेरे कहने का ये है कि न तो तुम बाहर की दुनिया में मुझे मार सकते हो और न ही भीतरी कोशिकाओं में। फिर तो तुम मुझे मारने के नाम पर अरबों का कारोबार ही करते हो ना। चेहरे पर लगाने वाले मास्क की ख़ूब बिक्री करते हो,यानी लाखों करोड़ों का व्यापार कर ही लेते हो। अच्छा है,बहुत ही अच्छा है कि मेरे नाम पर ही तेरा व्यापार टिका है। नोट:- मैं ने एक ही यूनानी दवा बनाई है जिसका नाम HEALTH IN BOX® है। इस एक ही दवा से सभी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ सदा के लिए REVERSE हो जाती हैं। यानी हर वो बीमारी जिसमें डॉक्टर फ़ेल हो जाते हैं और आपको ऐलोपैथिक दवा ज़िन्दगी भर खाने को बता दिया करते हैं, ठीक उसके उलट मेरी दवा HEALTH IN BOX® का सेवन शुरू करते ही सबसे पहले तो बरसों से आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बनी ऐलोपैथिक दवा बंद हो जाएगी और मेरी इस दवा को सिर्फ चार महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के काबिल हो जाएंगे। आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। इस दवा की पैकिंग एक महीना केलिए 240 ग्राम होती है जिसकी क़ीमत मात्र ₹ 3000/- है। हिन्दुस्तान में हर जगह स्पीड पोस्ट से ये दवा भेजी जाती है।



Last updated date 15/09/2020

डेंगू - कोरोनावायरस से भी भयानक

डेंगू" कोरोनावायरस से भी भयानक !" पिछले सालों में कितने लोगों को हो चुका है डेंगू, ये हैं हैरान करने वाले आंकड़े:- डेंगू का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन हर साल हज़ारों लोग इसकी चपेट में आकर मर जाते हैं। अगर पिछले सालों का आंकड़ा देखें तो डेंगू से होने वाली मौतों और डेंगू के केस में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सरकारी आंकड़ो पर नजर डालें तो लाखों लोग हर साल डेंगू से पीड़ित होते हैं और उसमें से कई लोग डेंगू से जिंदगी की जंग नहीं जीत पाते हैं। आज हम बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में किस तरह डेंगू का प्रभाव बढ़ता जा रहा है... आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में 40571 लोग इसका शिकार हुए और अगले ही साल यह आंकड़ा दोगुना हो गया। वहीं साल 2015 में 99913 लोगों में डेंगू के मामले सामने आए। उसके बाद साल 2016 में 129166 और 2017 में 150482 लोग डेंगू से प्रभावित हुए। वहीं साल 2018 में भी इन आंकड़ो में काफी बढ़ोतरी हुई है। वैसे आपको बता दें कि दुनिया में हर साल 10 लाख से ज्यादा लोग मच्छर के काटने से होने वाली बीमारियों की वजह से मर जाते हैं। भारत में भी इन मौतों का आंकड़ा काफी बड़ा है। राज्यवार आंकड़ों को देखें:- AndhraPradesh- 4381, ArunachalPradesh- 15 Assam- 4346, Bihar- 1804, Chhattisgarh- 388, Goa- 238, Gujarat- 4420, Haryana- 4333, Himachal Pradesh- 442, Jammu & Kashmir- 403, Jharkhand- 689, Karnataka- 16342, Kerala- 19694, Madhya Pradesh- 2566, Meghalaya- 40, Maharashtra- 6894, Manipur- 187, Mizoram- 107, Nagaland- 191, Odisha- 4055, Punjab- 15002, Rajasthan- 7768, Sikkim- 659, Tamil Nadu- 21350, Tripura- 103 Telangana- 2773, Uttar Pradesh- 3032, Uttrakhand- 958, West Bengal- 10697, A&N Island- 13, Chandigarh- 1083, Delhi- 8896, D&N Haveli- 1972, Daman & Diu- 59, Puducherry- 4586 = Total- 150482. अगर हर राज्य की बात करें तो साल 2017 में इतने डेंगू के मामले सामने आए थे।



Last updated date 15/09/2020

ہم بھی چھو سکتے ہیں سورج کی کلائی

ہم بھی چھو سکتے ہیں سورج کی کلائی. ہم غریبوں کو حمایت نہیں ملتی حضرات ! کچھ تلخ حقیقت آپ کے سامنے رکھونگا شاید آپ میں سے کچھ اختلاف کریں گے اور زیادہ تر ضرور حمایت کریں گے۔ آج کا برننگ ٹاپک ہے "کورونا وائرس" ۔ سرکاری طور پر کورونا وائرس کا علاج صرف اور صرف ایلوپیتھی ادویہ سے کیا جائیگا۔ جبکہ ایلوپیتھی میں کسی بھی وائرس کے علاج کی کوئی دوا بن ہی نہیں سکتی۔ اسکے برعکس ہمارے طب یونانی میں بالکل کارگر علاج موجود ہے۔ لیکن وائے قسمت، حکومت ہند کی طرف سے روکا گیا ہے۔ یہ ایک زبردست سازش کی طرف اشارہ کرتا ہے۔ دراصل سچائی یہ ہے کہ ہمارا جسم نیچرل چیزوں سے بنا ہے۔ اس جسم میں جب بھی کوئی گڑبڑی ہوگی تو اس کو درست کرنے میں نیچرل چیزیں ہی کارگر ہونگی نا کہ کیمیکلز۔ ایلوپیتھی ادویہ تو خالص "کیمیکل" ہیں۔یہ کیمیکلز ہماری ایمیونیٹی پاور کو ہمیشہ کمزور کرتے ہیں۔ ابھی ایک خبر بڑی تیزی سے وائرل ہورہاہے جو افریقی ملک تنزانیہ کا ہے، خود ہی ملاحظہ فرمائیں:- ‎کرونا ٹیسٹنگ کٹس کا بھانڈا پھوٹ گیا وہ بھی افریقی ملک تنزانیہ میں۔ الجزیرہ نیوز نے خبر دی ہے کہ‎تنزانیہ میں کرونا کیسز 22 سے اچانک 480 پر پہنچے تو کیمسٹری کی ڈگری رکھنے والے ملک کے صدر جان مغوفولی کو شک گزرا کہ "کچھ گڑبڑ ہے"۔ انہوں نے ایک "عجیب و غریب" تجربہ کیا۔ ‎انہوں نے ایک بھیڑ، بکری اور پپیتہ ، بٹیر اور انجن آئل سے لئے گئے نمونے ٹیسٹ کے لئے ملک کی مرکزی لیبارٹری بھجوائے۔ بھجوائے گئے نمونوں کو مختلف انسانی نام اور مختلف عمریں دی گئیں۔ حیران کن طور پر دو جانوروں بکری اور بھیڑ اور ایک پھل پپیتہ کا رزلٹ مثبت ایا۔ اس کے بعد انہوں نے بیرون ممالک سے درآمد کردہ تمام ٹیسٹنگ کٹس فوج کی تحویل میں دے دی اور انکوائری کرانے کا حکم دیا ہے۔ تنزانیہ کے صدر کا کہنا ہے کہ ضرور کوئی "بڑی گڑبڑ" ہے۔ ‎واقعہ کے بعد بین الاقوامی اداروں اور اپوزیشن کی جانب سے تنزانیہ کے صدر کے اس فعل کی مذمت کی جارہی ہے۔ حالانکہ بین الاقوامی اداروں اور خود تنزانیہ کی اپوزیشن کو کرونا ٹیسٹنگ کٹس کے معیار اور کام پر سوالات اٹھانے چاہئیں کہ کس طرح ایک بکری۔ بھیڑ اور پپیتے کا کرونا ٹیسٹ مثبت آگیا؟ اب سوال ٹیسٹ کی کوالٹی پر اٹھنا چاہئے یا ٹیسٹنگ کٹس کی کوالٹی پر؟ اب یہ ایک نیا پنڈورا باکس کھل گیا ہے۔۔۔ اب مسلمانوں کو اس بات کا احساس ہونا چاہئے کہ سائنس و تحقیق کے میدان سے دور رہ کر ہم نے اپنا کتنا بڑا نقصان کرلیا ہے اور ہم ہر طرح سے مغرب کے محتاج بن چکے ہیں۔ اب کرونا ٹیسٹنگ کٹس پر بھی سوال اٹھ گئے ہیں کہ آیا ان کٹس میں کچھ خرابی ہے یا یہ کٹس ڈیزائن ہی اس طرح کی گئ ہیں کہ ایک مخصوص تعداد میں کرونا ٹیسٹ پازیٹو ظاہر ہو! دوسری طرف مختلف ممالک کی روایتی ھربل ادویات کرونا کے مریضوں کے لئے مفید ثابت ہورہی ہیں لیکن WHO سختی سے ان تمام دعووں کو رد کردیتا ہے کہ اس کے نزدیک صرف وہی دوا اور علاج کارگر ہوگا جس کو ان کی اپنے سائنسدان اور لیبارٹریز تصدیق کر دیں۔ اس لنک پر پوری خبر دیکھ سکتے ہیں۔ https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10221462898431418&id=1519356423 اب ایک دوسری خبر پر نظر ڈالیں یہ ڈاکٹر مائکرو بائیولوجسٹ ہے اور (Immune) امیون سسٹم اسپیشلسٹ بھی ہے،ان دونوں ڈاکٹرز کی براہ راست نیوز کانفرنس 80 لاکھ سے زائد افراد نے دیکھی،اورFox News سمیت کئی نیوز چینلز پر وائرل ہوگئی، پوری ویڈیو کا لنک نیچھے کمٹنس میں ہے۔ ڈاکٹر ڈینئل ایرکسن اورڈاکٹر آرٹین امریکہ میں وائرل اور سانس کے انفیکشن کے سب سے تجربہ کار ڈاکٹروں میں سے ہیں۔ ڈاکٹر ڈینئل کورونا وائرس ، COVID-19 پر کام کر رہے ہیں ، انہوں نے کورونا وائرس کو کسی بھی دوسرے موسمی فلو کی طرح بیان کیا، ان کا دعوی ہے جو کہ COVID-19 موسمی فلو سے زیادہ مہلک نہیں ہے۔اور اسکی شرح اموات 0.03 فیصد ہے، اس نے اس پریس کانفرنس میں یہ اہم انکشافات کئے ہیں۔ کہتا ہے کہ زیادہ ہاتھ دھونے ایک دوسرے سے دور رہنے اور زیادہ جراثیم کش (سینیٹائزرز) استعمال کرنے سے(immune) امیون سسٹم تباہ ہوجاتا ہے انسان کا امیون سسٹم بنا ہے ایک دوسرے کے وائرس شئیر کرنے کے لیے ۔ جب ہاتھ ملا کے وائرس بیکٹیریا شئیر ہوتے ہیں تو نئے قسموں کے وائرس کی اینٹی باڈی بنتی ہیں جس سے براڈ سپیکٹرم اینٹی باڈی رسپانس تیار ہوتا ہے پھر جب کوئی نیا خطرناک وائرس آتا ہے۔ اس سے ملتے جلتے کسی وائرس سے آپ پہلے ہی نپٹ چکے ہوتے ہو۔ تو پھر وہ اتنا پرابلم نہیں کرتا۔ مٹی میں کھیلنا بچوں کا ہر چیز منہ میں ڈال لینا ہاتھ ملانا۔ بچوں کو گند میں کھیلنے کا شوق۔ یہ قدرت کی طرف سے نیچرل ویکسین سسٹم ہے جن ملکوں میں یہ سب نہیں ہوتا جہاں کچھ زیادہ ہی صفائی کا خیال ہوتا ہے۔ وہ کمزور وائرس سے بھی مارے جاتے ہیں، ،انہوں نے معیشت کو دوبارہ کھولنے اور معاشرتی دوری کے احکامات کو ختم کرنے کاپرزور مطالبہ کیا،ان دونوں ڈاکٹرز کا پیغام پوری دنیا میں پھیلائیے، آپ بھی اس کار خیر میں حصہ ڈالیے، اور سچائی کو سامنے کے لیےتمام نیٹ ورک پر شئیر کریں، جزاک اللہ ۔ اب آپ کی یہ ذمہ داری ہے کہ حکومت سے ایک سوال پوچھیں کہ اس وقت کورونا وائرس کے سلسلے میں rtPCR کٹس سے زیادہ سے زیادہ ٹیسٹ کرنے پر زور دیا جارہا ہے،ایسا کیوں ؟ایسے ٹیسٹ کرنے کا فیصلہ کیوں کیا گیا ؟ اسلئے کہ فارماسیوٹیکل کمپنیوں کے کاروبار میں بے پناہ اضافہ ہو اور زیادہ سے زیادہ منافع ہو۔ rtPCR test kit کے مؤجد مسٹر کیری مولیس نے صاف طور پر کہا ہے کہ یہ کٹس صرف ریسرچ کے لئے ہے نہ کہ ڈائگنوسس کیلئے ہے۔ کوئی بھی چیز جیسے ٹی وی فریز کار موبائل وغیرہ خریدیں تو ایک یوزر مینوول بھی ملتا ہے جس میں اس پروڈکٹ کا استعمال کا طریقہ درج ہوتا ہے۔ ٹھیک اسی طرح جب آپ rtPCR کٹس خریدیں گے تو ایک یوزر مینوول ملیگا۔ دھیان سے پڑھیں تو اس میں صاف صاف طور پر لکھا ہوتا ہے (Regulatory Status:- " FOR RESEARCH USE ONLY, NOT FOR USE IN DIAGNOSTIC PROCEDURES".) تب اس طرح سے جبری طور پر کورونا وائرس کے جانچ کا کیا مطلب ؟ ویسے بھی اگر سو صحت مند انسان کو جانچ کریں تو اس میں سے ایک آدمی کورونا پوزیٹو مل ہی جائے گا۔ WHO کی جانب سے خصوصی طور پر زیادہ سے زیادہ ٹیسٹ کرنے کا فیصلہ کیا گیا ہے۔ کیا آپ اب بھی نہیں سمجھتے کہ یہ سب ایک زبردست سازش کے تحت فارماسیوٹیکل کمپنیوں کو فروغ دینے اور زیادہ سے زیادہ فائدہ پہنچانے کے لیے کیا جارہا ہے۔ مطلب صاف ہے کہ جتنا زیادہ ٹیسٹ کیا جائے گا اتنا ہی ان کمپنیوں کو منافع کمانے کا موقع ملیگا۔ اب آئیے کورونا وائرس کے مریضوں کے علاج کے لیے استعمال کی جانے والی دواؤں کی بابت بات کرتے ہیں۔ کورونا وائرس کے علاج میں جن ایلوپیتھی ادویہ کا استعمال کیا جارہا ہے اسمیں REMDESIVIR, ANTIMALARIAL, ANTIBIOTICS, HIV AIDS MEDICINE, BCG VACCINE وغیرہ ہیں۔ ان دواؤں سے مریض تو ٹھیک نہیں ہی ہونگے، البتہ وہ مارے جارہے ہیں۔ آپ نے غور کیا ہوگا کہ اب تک ایک بھی کورونا وائرس کا مریض اپنے گھر میں نہیں مرا۔ جتنے بھی مریضوں کی موتیں ہوئیں وہ اسپتال میں علاج کے دوران ہی ہوئی ہیں۔ اور جو اس خطرناک دواؤں سے علاج کے بعد زندہ بچ گئے وہ انکی اپنی ایمیونیٹی پاور مضبوط ہونے کے سبب ہی۔ یعنی فارماسیوٹیکل کمپنیوں نے انسانوں کو GUINEA PIG بنا کر EXPERIMENTAL DRUGS استعمال کرکے اپنا منافع کمانے کا دھندہ پھیلا دیا ہے۔ اس میں ہماری حکومت WHO اور PHARMACEUTICAL COMPANIES سے دامے درمے سخنے، قدم سے قدم ملا کر چل رہی ہے۔ سب کو پتہ ہے کہ کورونا وائرس ہی نہیں بلکہ کسی بھی وائرس کی دوا بن ہی نہیں سکتی۔ یعنی دوا سے مارنا ناممکن ہے۔ آپ کسی بھی وائرس یا بیکٹیریا کو تبھی مار پائیں گے جب وہ بلڈ میں رہے۔ لیکن ان " نام نہاد اعلی تعلیم یافتہ جاہل ڈاکٹر صاحبان" کو یہ کیوں نہیں پتہ ؟ درحقیقت یہ سب کچھ ان سے زبردستی کروایا جاتا ہے۔ اگر وہ اس کے خلاف آواز اٹھانے کی ہمت کریں گے تو انڈین میڈیکل ایسوسی ایشن انکی ڈگری چھین کر نوکری سے نکال دیگی۔ ویسے بھی ایلوپیتھک ڈاکٹر ہوتے ہیں وہ فارماسیوٹیکل کمپنیوں کے ایجنٹ ہی تو ہیں۔ انکو انسانوں کی صحت سے کوئی مطلب نہیں، وہ تو انسان کی بیماری بچانے کی حتی الامکان کوشش کرتے ہیں، تاکہ ان کی دوکان داری جلتی رہے۔ اب بات کرتے ہیں SANITIZER کی۔ کورونا وائرس کے گائیڈ لائن میں سخت تنبیہ کی گئی ہے کہ لگاتار سینیٹائزر سے ہاتھ دھونا ضروری ہے۔ آپ کو شاید نہیں پتہ کہ جتنی مرتبہ سینیٹائزر سے ہاتھ دھوئیں گے تو اتنا ہی آپ کا ایمیونیٹی پاور کمزور ھوگا۔ تب تو ظاہر ہے وائرس کے شکار ہو ہی جائیں گے۔ یہی تو وہ چاہتے ہیں۔ اس سے جو دوسرا نقصان ہوتا ہے وہ یہ کہ سینیٹایزر سے ہاتھ دھو کر آپ چار پہیہ گاڑی ڈرائیو کرنے نکلیں اور اتفاق سے کہیں چیکنگ پوائنٹ پر پولیس نے بریتھنگ انالائزر لگایا تو آپکو چالان کردیگا کہ آپ نے شراب پی رکھی ہے۔ اس میں 80 فیصد الکحل ہوتا ہے جسے لگاتے ہی جلد کے اندر ہی داخل نہیں ہوتے بلکہ یہ بہت تیزی سے ہمارے خون میں شامل ہو جاتا ہے۔ ایسے کیمیکلز ہماری ایمیونیٹی پاور کمزور کرتے ہیں اور پھر وائرس کیا کسی بھی بیماری کے شکار ہو سکتے ہیں۔ اور فارماسیوٹیکل کمپنیوں کی سازش کے پھندے میں پھنسے چلے جارہے ہیں۔ آگے بڑھتے ہیں اور ماسک (MASK) کی سچائی جاننے کی کوشش کرتے ہیں۔ یہ کہہ کر ماسک پہننے کی صلاح دی جاتی ہے کہ کورونا وائرس سے تحفظ فراہم کریگا۔ کسی بھی وائرس سے تحفظ کے لئے سورج کی روشنی اور صاف شفاف ہوا ہی سب سے زیادہ ضروری ہے جو قدرتی طور پر بے مول ملتا ہے۔ ماسک اور ڈائپر (MASK & DIAPER) کا برابر رول ہے۔ آپ اسے خود سمجھ سکتے ہیں۔ وائرس کا سائز محض 100 نینومیٹر ہے اور ایک اسپرم (SPERM) کا سائز 5000 نینومیٹر ہے۔ اب آپ ایک ماسک میں پانی ڈالیں، اسپرم ڈالئے تو دیکھتے ہیں کہ وہ تو ماسک سے باہر ٹپکنے لگی ہے۔ اسپرم اپنے سائز کے اعتبار سے فٹبال ہے جبکہ وائرس اسکے مقابلے میں ایک ٹینس بال ٹھہرا نا۔ اب جبکہ اس ماسک سے فٹبال پاس کر جائے گا تو ٹینس بال کیسے رکے گا۔ پھر ماسک لگائیں تو کس لیے؟ دوسرا نقصان وہ ہوتا ہے جو ڈائپر سے ہو سکتا ہے۔ Edit Delete



Last updated date 15/09/2020

कोरोना NO MEDICATION ONLY EDUCATION

अस्सलाम अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातोहू ! मास्क सैनिटाइजर सोशल डिस्टेंसिग लाकडाउन टेस्ट इत्यादि के नाम पर प्रशासन की आमदनी का नया द्वार खुल गया है अंग्रेजों की ग़ुलामी के ज़माने से भी अधिक अन्याय है ये तो। मास्क सैनिटाइजर से वायरस का कौन सा बाल बांका कर लेंगे, बल्कि उसके उलट सिर्फ और सिर्फ स्वंय का ही नुकसान होता है। अब इस संकट की घड़ी में, जबकि लोगों का रोज़गार छिन गया,दो रोटी का जुगाड़ भी कठिन है। और बदकिस्मती से आपलोग मास्क, सैनिटाइजर, सोशल डिस्टेंसिग,लाकडाउन, टेस्ट को अकारण ही सरकारी आमदनी का जरिया बना लिया है। अगर आम जनता से इतनी ही हमदर्दी है तो मास्क सैनिटाइजर आदि लोगों को बांटने चाहिए क्योंकि इस so called महामारी से बचाव हो। लेकिन प्रशासन को इस से क्या मतलब? आमदनी का एक नया श्रोत का अविष्कार जो हो गया। WHO का कौन सा गाइड लाइन है जिसमें बिना मास्क सैनिटाइजर वाले को दंडित करो या उसकी पिटाई करें या जेल में डाल दिया जाए? बहुत ही दुखी मन से मैं ने ये बातें लिखी हैं क्योंकि मैं इस गोरखधंधे के सुत्रधारकों के काले कारनामों को भलिभांति जानता हूं। सबूत व साक्ष्य भी मौजूद हैं। सारी सच्चाई से परे, आम जनता को भी इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि मास्क सैनिटाइजर सोशल डिस्टेंसिग लाकडाउन टेस्ट इत्यादि के बारे में जानकारी हासिल करे , या सरकार से इस पर स्पष्टीकरण ही मांगे। मगर शायद आपको मालूम नहीं है कि भारत की जनता हर तरह का ज़ुल्म सहने की ताक़त रखती है। हमारा देश सैंकड़ों हज़ारों बरसों से ग़ुलामी देखती आई है। हमें पता है कि एक ग़ुलाम को कैसे रहना चाहिए। बहरहाल! इस "कोरोना" महामारी के नाम पर जो कुछ घटित हो रहा है वो बड़ा घिनौना खेल ही है, और कुछ भी नहीं। हमें जागरूक होने की ज़रूरत है। वरना हमारी आने वाली पीढ़ियां अबसे बीमार और विसंगतियों से परिपूर्ण जन्म लेंगी। फार्मास्युटिकल कंपनियों की जाल, वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन की "चाल" और देश की सरकार का "जंजाल" जनता को "बेहाल" करके छोड़ेगी। वायरस की कोई दवा नहीं होती,न ही कोई वैक्सीन बन सकती है,जो हो रहा है शत् प्रतिशत ग़लत हो रहा है और जो होगा वो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण ही होगा। इसका बस एकमात्र उपाय है:- "NO MEDICATION ONLY EDUCATION" आपका शुभ चिंतक हकीम मो अबू रिज़वान यूनानी चिकित्सक जमशेदपुर झारखंड 9334518872 8651274288 YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN website https://umrc.co.in



Last updated date 15/09/2020

#TREATMENT

#TREATMENT# OF CORONAVIRUS" #IMMUNITYPOWERबढ़ानाहीएकमात्र बचाव #FreshAirऔरSunlightऔरNaturalVitaminCकीभरपूरमात्रालेंऔरसुरक्षितरहेंनिडररहें #शरीरकाHIGHTEMPERATUREवायरसकादुशमन #हमसबNATUREद्वारानिर्मितहैं #NATUTALयानीGODmadeitemsसेकिसीवायरलडिज़ीज़काईलाजशतप्रतिशतसंभव #ITSmyCHALLANGE #HAKEEMMDABURIZWANjamshedpurUNANIMEDICINESRESEARCHCENTRE #NoMedicationOnlyEducation #VIRUSब्लडमेंरहताहीनहींतोदवासेकैसेमारोगे #कोईदवाCELLकेभीतरपहुंचतीहैक्या #RemdesivirAntimalarialsAntibioticsAntiHIVdrugs&BCGvaccineAREexperimentalDrugs #यानीआपमानवनहींGUINEAPIGहोइसीलिएतो #इनदवाओंकोआपपरआज़मायाजारहाहैफिरलगातोतीरनहींतोतुक्का #डाक्टरोंकीवेषभभूसाऐसीजैसेडरावनेASTRONAUTSमतलबकिसीनाटकेकैरेक्टर #इतनीमौतेंउसीऐलोपैथीईलाजकानतीजा #वायरसकीदवायाटीकाबनीहीनहीं #औरनहीबनसकतीहै #Pharmacompaniesकाढोंगहै #WorldHealthOrganizationकीसरपरस्ती #विश्वके194देशWHOकेग़ुलाम #LockdownNoSOLUTION #SOCIALDISTSNCINGभीNosolution #IsolationभीकोईSolutionनहींहै #FACEMASKisjustlikeDIAPER #SANITIZERतोआपकीImmunitypowerकोकमज़ोरकररही #PHARMCEUTICALCOMPANIESमीलियनट्रीलीयनडालरकीकमाईमेंजुटीहैं #जागोईंडियाजागोक्योंकिसरकारआपकोआपकेघरमेंक़ैदीबनानेजारहीहै #Isolationcentreभीजेलयाक़ैदख़ाना



Last updated date 15/09/2020

हम भी छू सकते हैं सूरज की कलाई....!

हम भी छू सकते हैं सूरज की कलाई। हम गरीबों को हिमायत नहीं मिलती। सज्जनों! मैं कुछ कड़वी सच्चाई आपके सामने रखूंगा। हो सकता है कि आप में से कुछ असहमत हों और आप में से अधिकांश निश्चित रूप से समर्थन करेंगे। आज का ज्वलंत विषय "कोरोना वायरस" है। आधिकारिक तौर पर, कोरोना वायरस का इलाज केवल एलोपैथिक दवा के साथ किया जाएगा। एलोपैथी में, हालांकि, किसी भी वायरस का कोई इलाज नहीं है। इसके विपरीत, हमारी यूनानी चिकित्सा में बहुत प्रभावी उपचार है। लेकिन दुर्भाग्य से, इसे भारत सरकार ने रोक दिया है। यह एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है। तथ्य यह है कि हमारे शरीर प्राकृतिक चीजों से बने हैं। जब भी इस शरीर में कोई समस्या होती है, तो केवल प्राकृतिक चीजें, न कि "रसायन" इसे सही करने में प्रभावी होंगे। एलोपैथिक दवाएं शुद्ध "रसायन" हैं। ये रसायन हमेशा हमारी प्रतिरक्षा शक्ति को कमजोर करते हैं। एक खबर वायरल हो रही है जो अफ्रीकी देश तंजानिया की है, खुद देखें:-अफ्रीकी देश तंजानिया में कोरोना परीक्षण किट का भांडा फोड़ हुआ। अल जज़ीरा न्यूज़ की रिपोर्ट है कि जब तंजानिया में कोरोना मामलों की संख्या अचानक 22 से 480 हो गई, तो देश के राष्ट्रपति, जॉन मैगोफ़ोली, जिनके पास रसायन विज्ञान में डिग्री है, को संदेह हो गया कि "कुछ गलत है"। उनके पास एक "अजीब" अनुभव था। उन्होंने परीक्षण के लिए एक भेड़, बकरी और पपीता, बटेर और इंजन तेल से नमूने देश की केंद्रीय प्रयोगशाला में भेजे। भेजे गए नमूनों को अलग-अलग मानव नाम और अलग-अलग उम्र दिए गए थे। आश्चर्यजनक रूप से, दो जानवर, एक बकरी और एक भेड़, और एक फल, पपीता के रिपोर्ट सकारात्मक निकले। फिर उन्होंने विदेश से आयात किए गए सभी परीक्षण किट सेना को सौंप दिए और एक जांच का आदेश दिया। तंजानियाई राष्ट्रपति का कहना है कि निश्चित रूप से एक "बड़ी गड़बड़" है। तंजानिया के राष्ट्रपति के कार्यों की अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और घटना के बाद से विपक्ष ने निंदा की है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और तंजानियाई विपक्ष को खुद ही कोरोना टेस्टिंग किट की गुणवत्ता और कार्य, कैसे एक बकरी है, के बारे में सवाल उठाने चाहिए। भेड़ और पपीता का कोरोना परीक्षण सकारात्मक कैसे आया? अब प्रश्न परीक्षण किट की गुणवत्ता पर या परीक्षण किट की गुणवत्ता पर उठाया जाना चाहिए? अब एक नया भानुमती का पिटारा खुल गया है ... अब मुसलमानों को यह महसूस करना चाहिए कि विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र से दूर रहकर हमने कितना कुछ खोया है और हम हर तरह से पश्चिम के जरूरतमंद बन गए हैं। अब यह सवाल कोरोना टेस्टिंग किट पर भी उठने लगा है कि क्या इन किटों में कोई खराबी है या इन किटों को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि निश्चित संख्या में कोरोना टेस्ट पॉज़िटिव दिखाई दें! दूसरी ओर, विभिन्न देशों की पारंपरिक हर्बल दवाएं कोरोनरी हृदय रोग के रोगियों के लिए उपयोगी साबित हो रही हैं, लेकिन डब्लूएचओ ने सभी दावों का खंडन करते हुए कहा है कि एकमात्र दवा और उपचार जो अपने स्वयं के वैज्ञानिकों और प्रयोगशालाओं द्वारा प्रभावी माना जा सकता है, प्रभावी है। पूरी खबर आप इस लिंक पर देख सकते हैं। https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10221462898431418&id=1519356423 अब एक और खबर पर नजर डालते हैं यह डॉक्टर एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट है और एक इम्यून सिस्टम स्पेशलिस्ट भी है। इन दोनों डॉक्टरों के लाइव न्यूज कॉन्फ्रेंस को 8 मिलियन से ज्यादा लोगों ने देखा और फॉक्स न्यूज समेत कई न्यूज चैनलों पर वायरल हुआ। डॉ डैनियल एरिकसन और डॉ आर्टिन वायरल और श्वसन संक्रमण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अनुभवी डॉक्टरों में से एक हैं। डॉ डैनियल, कोरोना वायरस पर काम कर रहे, COVID-19, कोरोना वायरस को किसी भी अन्य मौसमी फ्लू के रूप में वर्णित किया, यह दावा करते हुए कि COVID-19 मौसमी फ्लू से अधिक घातक नहीं है, और इसकी मृत्यु दर 0.03% है, उन्होंने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये अहम खुलासे किए हैं। कहते हैं कि अधिक हाथ धोना, एक दूसरे से दूर रहना और अधिक सैनिटाइज़र का उपयोग करने से प्रतिरक्षा प्रणाली नष्ट हो जाती है। मानव प्रतिरक्षा प्रणाली एक दूसरे के साथ वायरस साझा करने के लिए बनाई गई है। जब हाथ से मिश्रित वायरस बैक्टीरिया साझा करते हैं, तो वायरस के नए उपभेद एंटीबॉडी बनाते हैं जो एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीबॉडी प्रतिक्रिया का उत्पादन करते हैं। फिर जब कोई नया खतरनाक वायरस आता है। आप पहले से ही एक समान वायरस से निपट सकते हैं। तब उसके पास इतनी समस्या नहीं है। कीचड़ में खेलते हुए बच्चे हाथ हिलाते हुए सब कुछ मुंह में डाल लेते हैं। बच्चों को गंदगी में खेलना पसंद है। यह प्रकृति द्वारा एक प्राकृतिक टीका प्रणाली है जिन देशों में यह स्थिति नहीं है, वहाँ अति-स्वच्छ होने की प्रवृत्ति है। वे एक कमजोर वायरस द्वारा मारे जाते हैं,उन्होंने अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने और सामाजिक बहिष्कार के आदेश को खत्म करने का आह्वान किया। दुनिया भर में इन दोनों डॉक्टरों के संदेश को फैलाएं, इस में योगदान करें और सभी नेटवर्क पर सच्चाई साझा करें। अब यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप सरकार से एक सवाल पूछें कि फिलहाल कोरोना वायरस के संबंध में अधिक से अधिक rtPCR किट के परीक्षण पर जोर है, क्यों? इस तरह के परीक्षण करने का निर्णय क्यों लिया गया? क्योंकि दवा कंपनियों का कारोबार बेहद बढ़ जाना चाहिए और मुनाफे को अधिकतम करना चाहिए। rtPCR परीक्षण किट के आविष्कारक, श्री केरी मुलिस ने यह स्पष्ट किया है कि ये किट केवल शोध के लिए हैं न कि निदान के लिए। यदि आप टीवी, फ्रीज़, कार, मोबाइल आदि कुछ भी खरीदते हैं, तो आपको एक उपयोगकर्ता पुस्तिका(युज़र मैनुअल) भी मिलेगी जो यह बताती है कि इस उत्पाद का उपयोग कैसे किया जाए। इसी तरह, जब आप rtPCR किट खरीदते हैं, तो आपको एक उपयोगकर्ता पुस्तिका मिलेगी। यदि आप इसे ध्यान से पढ़ते हैं, तो यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है (विनियामक स्थिति: - "केवल रिसर्च के लिए, व्यावहारिक प्रक्रियाओं में उपयोग के लिए नहीं") इस तरह से कोरोना वायरस के परीक्षण के लिए मजबूर होने का क्या मतलब है? वैसे भी, यदि आप सौ स्वस्थ लोगों की जांच करते हैं, तो उनमें से एक कोरोना पॉजिटिव पाया जाएगा। WHO ने और विशेष रूप अत्यधिक परीक्षण करने का निर्णय लिया है। क्या आप अभी भी यह नहीं समझते हैं कि यह सब दवा कंपनियों के मुनाफे को बढ़ावा देने और अधिकतम व्यापार करने के लिए एक भव्य साजिश के तहत किया जा रहा है? निहितार्थ यह है कि अधिक परीक्षण किए जाते हैं, इन कंपनियों को अधिक लाभ होगा। अब बात करते हैं कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की। कोरोना वायरस के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एलोपैथिक दवाओं में रेमेडिविर, एंटी मलेरियल, एंटीबायोटिक्स, एचआईवी एड्स की दवा, बीसीजी वैक्सीन, आदि शामिल हैं। मरीज इन दवाओं से ठीक नहीं होंगे, लेकिन उन्हें मार दिया जा रहा है। आपने देखा होगा कि अपने घर में अब तक एक भी कोरोना वायरस रोगी की मृत्यु नहीं हुई है। अस्पताल में इलाज के दौरान सभी मरीजों की मौत हो गई। और जो लोग इस खतरनाक दवा के उपचार से बच गए वे अपनी मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण बच गए। यानी, फार्मास्युटिकल कंपनियों ने इंसानों को GUINEA PIG बनाकर और EXPERIMENTAL DRUGS का इस्तेमाल करके मुनाफा कमाने का कारोबार फैलाया है। इसमें हमारी सरकार WHO और PHARMACEUTICAL कंपनियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। हर कोई जानता है कि कोरोना या कोई वायरस ऐसा नहीं है जो किसी भी दवा से ठीक कर सकता है। यही है, दवा से मारना असंभव है। आप किसी भी वायरस या बैक्टीरिया को तभी मार सकते हैं जब वे रक्त में हों। लेकिन ये "तथाकथित उच्च शिक्षित अज्ञानी डॉक्टर" क्यों नहीं जानते? वास्तव में, वे यह सब करने के लिए मजबूर हैं। अगर वह बोलने की हिम्मत करता है, तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उससे उसकी डिग्री छीन लेगा और उसे आग लगा देगा। वैसे भी, एलोपैथिक डॉक्टर हैं, दवा कंपनियों के एजेंट हैं। वे मानव स्वास्थ्य के बारे में परवाह नहीं करते हैं, वे मानव रोग को बचाने की पूरी कोशिश करते हैं, ताकि उनका व्यवसाय चलता रहे। अब बात करते हैं SANITIZER की। कोरोनावायरस दिशानिर्देश दृढ़ता से चेतावनी देते हैं कि सैनिटाइज़र के साथ नियमित रूप से अपने हाथ धोना महत्वपूर्ण है। आप नहीं जानते होंगे कि जितना अधिक बार आप अपने हाथों को सैनिटाइजर से धोते हैं, उतना ही कमजोर आपका प्रतिरक्षा तंत्र होगा। फिर स्पष्ट रूप से आप वायरस से संक्रमित हो जाएंगे। यही तो वे चाहते हैं। इसका दूसरा नुकसान यह है कि यदि आप अपने हाथों को सैनिटाइज़र से धोते हैं और एक चार पहिया वाहन चलाने के लिए बाहर जाते हैं, और संयोग से पुलिस एक चेकपॉइंट पर एक BREATH ANALYZER से जांच करती है, तो वो आपको चालान करेंगे कि आप शराब पी कर गाड़ी चला रहे हैं। इसमें 80% अल्कोहल होता है, जो लगाते ही त्वचा में प्रवेश करता है, यह हमारे रक्त में बहुत जल्दी प्रवेश करता है। ऐसे रसायन हमारी प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करते हैं और फिर वायरस या किसी भी बीमारी का शिकार हो सकते है। और इस तरह से दवा कंपनियां साजिश के जाल में फंसा रही हैं। आगे पढ़िए, और MASK के बारे में सच्चाई जानने की कोशिश करते हैं। एक मुखौटा पहनने की सिफारिश की जाती है क्योंकि यह कोरोना वायरस से रक्षा करेगा। किसी भी वायरस से बचाने के लिए धूप और साफ हवा सबसे महत्वपूर्ण चीज है, जो स्वाभाविक रूप से अमूल्य है। मास्क और डायपर (MASK & DIAPER) की समान भूमिकाएँ हैं। इसे आप खुद समझ सकते हैं। एक वायरस का आकार केवल 100 नैनोमीटर है और एक शुक्राणु का आकार 5000 नैनोमीटर है। अब आप एक मास्क में पानी डालें, शुक्राणु डालें और आप देखें कि यह मास्क से बाहर टपक रहा है। स्पर्म आकार में फुटबॉल है, जबकि वायरस एक टेनिस बॉल है। अब वह फुटबॉल इस MASK से गुज़र रहा है, तो टेनिस बॉल कैसे रुकेगी? फिर मास्क क्यों पहनते हैं? दूसरा नुकसान डायपर के साथ क्या हो सकता है आपतो खुद समझदार हैं।



Last updated date 15/09/2020

PROPOSAL TO AYUSH MINISTRY

"PROPOSAL to AYUSH MINISTRY" मैं, हकीम मो अबू रिज़वान, बी यू एम एस, आनर्स(बी यू), (यूनानी चिकित्सक, यूनानी मेडिसींस रिसर्च सेंटर, जमशेदपुर झारखंड।) 1992 ई में राजकीय तिब्बी कालेज पटना से पास आउट हूं, और उस समय से अबतक लगातार सिर्फ और सिर्फ यूनानी पद्धति द्वारा मरीजों का इलाज करता आ रहा हूं। यानी इस प्रोफेशन में लगभग 27-28 वर्षों का तजुर्बा हो चुका है, और लाइफ स्टाइल डीज़ीज़, वायरल डीज़ीज़ वगैरह के ईलाज में काफी लंबा अनुभव रहा है। देश में इस महामारी से मैं भी आहत हूं, और अपने अनुभव से सहृदय समर्पित भाव से अपने देश की जनता की सच्ची सेवा करना चाहता हूं। ये तो बड़ी अच्छी बात है कि आयूष मंत्रालय की ओर से हम यूनानी पद्धति वालों को सेवा का मौक़ा दिया जा रहा है। जो स्वागत योग्य है। मुझे बड़ी खुशी होगी कि इस ग्रूप का मैं भी हिस्सा बनूं। आपको ये सुचित करते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि मैं ने किसी अन्य वायरल डीज़ीज़ का ईलाज का प्रयोग अपने घर से लेकर बाहर तक के मरीजों पर आज़माया और नतीजा बेहतर मिला। कोई भी वायरल डीज़ीज़ हो उनको तीन दिनों में ही ठीक किया जा सकता है, ऐसा मैं अपने अनुभव से कहता हूं। इसलिए आप अगर चाहें तो मुझे इसकी ज़िम्मेदारी सौंपी जाए। ऐसा अस्पताल जहां कोरोनावायरस के मरीजों को रखा गया है वहां पर आपके द्वारा दी गई ज़िम्मेदारी सहर्ष सहृदय स्वीकार्य होगा। ये अलग बात है कि, हम भी छू सकते हैं सूरज की कलाई हम गरीबों को हिमायत नहीं मिलती। इस प्रकार की अपनी हार्दिक इच्छा मैं सभी माननीय मुख्यमंत्रियों को भी ईमेल के ज़रिए भेज चुका हूं कि अमुक तरीक़े से यूनानी पद्धति में बहुत ही आसान ईलाज शत् प्रतिशत संभव है। मेरे व्हाट्सएप से लगभग बीस हजार लोग जुड़े हैं जिनसे इस वायरल डीज़ीज़ (कोरोना वायरस) के ईलाज के बारे में पूरी पूरी जानकारी साझा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।सोशल मीडिया , फेसबुक और यूट्युब चैनल के द्वारा भी लोगों से इस कोरोनावायरस से बचाव और ईलाज साझा कर चुका हूं। आपके सामने मैं अपने ईलाज के तरीक़े पेश करने की हिम्मत कर रहा हूं। कोरोनावायरस या किसी भी वायरल डीज़ीज़ का अचुक इलाज का मैं आपके सामने दावा करने की कोशिश कर रहा हूं। कोरोनावायरस या किसी भी वायरल डीज़ीज़ से बचाव:- जब भी कभी इस तरह की महामारी का प्रकोप फैले तो आरंभ में ही इससे बचने हेतु उचित उपाय कर लिया जाए तो किसी को भी वायरल अटैक होगा ही नहीं। उसके लिए व्यक्ति को अपना "रोग प्रतिरोधक क्षमता" मज़बूत करने पर ध्यान देना चाहिए।उसका भी बहुत आसान तरीक़ा है।रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए नित्य प्रति दिन अपने भोजन में "विटामिन सी" की उचित मात्रा (0.2 ग्राम/दिन) नेचुरल तरीक़े से लें(गोली, कैप्सुल या सीरप कदापि नहीं)। इस के लिए आपको एक अमरूद, या दो मौसम्मी या दो संतरे या तीन आम या चार टमाटर (इनमें से कोई भी एक) रोज़ाना लें। (इस तरह ऐसा करके हम अपने शरीर के बाहर और अंदर मौजूद "डेन्ड्रिटिक सेल" को मज़बूत करते हैं जो हमारे अंदर प्रवेश करने वाले वाह्य हानिकारक जीवाणुओं जैसे :-बैक्टिरिया,पैथोजींस और वायरस से लड़ कर हमें सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।) और कोई भी एनीमल प्रोटीन और डेयरी प्रोडक्ट्स से दूर रहें, यानी इस्तेमाल बिल्कुल ही नहीं करें। लाख टके का सवाल यह है कि इंसानी शरीर नेचर से निर्मित है। और जब इसके भीतर कोई परेशानी या बीमारियां उत्पन्न हो जाए तो उसे "नेचुरल विधि" ही ठीक करेंगी,न कि कोई केमिकल (ऐलोपैथिक दवाएं)। वायरस को कभी भी किसी भी दवा से नहीं मार सकते। सिर्फ यही वो तरिक़ा है जिससे उसे ख़त्म किया जा सकता है और शरीर के बाहर भी फेंका जा सकता है। इस बात का मैं ख़ास तौर पर उल्लेख करना चाहूंगा कि वायरल डीज़ीज़ कोरोना वायरस का यूनानी पद्धति से इलाज करने पर मरीज़ तीन या चार दिन में ही पूरी तरह सेहतमंद हो जाता है। मैं चाहूंगा कि आप मेरे इस प्रस्ताव को मंजूरी दें ताकि मुझे अपनी प्रतिभा साबित करने का अवसर मिले। इस बाबत मेरे पास हजारों पन्नों पर आधारित अनेकानेक रिसर्च पेपर्स बतौर साक्ष्य भी मौजूद हैं। श्रीमान,आशा करता हूं कि आप उल्लेखित बातों से सहमत हों। और मेरे इस प्रस्ताव को मंजूरी देने की कृपा करेंगे। निस्संदेह मैं अपने आप को देशसेवा में लीन हो कर ख़ुद को गौरवान्वित महसूस करूंगा।



Last updated date 15/09/2020

Viral Disease

Viral diseases are extremely widespread infections caused by viruses, a type of microorganism. There are many types of viruses that cause a wide variety of viral diseases. The most common type of viral disease is the common cold, which is caused by a viral infection of the upper respiratory tract (nose and throat)