मेरी इस दवा को सिर्फ चार महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के काबिल हो जाएंगे। आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।

Diabetes

डायबिटीज़ एक साज़िश


अस्सलाम अलैकुम व रहमतुल्लाह वह बरकातोहु ! *डायबिटीज़ - "बीमारी नहीं,फ़ार्मा कंपनियों की साज़िश"* आज भारत में 7.5 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। इस पोस्ट को लिखने के पीछे मेरी मंशा सिर्फ एक ही है, और वो हैं आप! मुझे विश्वास है कि इस विधि से आप DIABETES से खुद को ठीक कर पाएंगे। तब आप लोगों की मदद करेंगे। जिससे वे फिर से स्वस्थ हो जाएं। स्वास्थ्य न केवल आपका अधिकार है बल्कि आपकी जिम्मेदारी भी है। आप सोच रहे होंगे कि, अगर यह तकनीक इतनी क्रांतिकारी है। फिर मैं यह क्यों नहीं जान रहा हूँ। डॉक्टर इस बारे में क्यों नहीं बताते ? इसे समझने के लिए आपको मेरे इन आँकड़ों का विश्लेषण करना होगा। पिछले *10 वर्षों में देश को DIABETES और उससे होने वाली बीमारियों के कारण 246 बिलियन डॉलर का महत्वपूर्ण नुकसान हुआ है,* जो पिछले साल के राष्ट्रीय बजट से सिर्फ 70 बिलियन डॉलर कम है। यह बहुत बड़ी रक़म है, यह एक बड़ा उद्योग है। आपकी बीमारी से किसी का बहुत बड़ा लाभ होता है। वे नहीं चाहते कि आप बीमारियों से मुक्त हों, वे केवल यही चाहते हैं कि आप बीमारियों के गुलाम हों, दवाओं के गुलाम हों। इस *साजिश को समझने के लिए आपको खाद्य और औषधि तंत्र को समझना होगा* । कृपया ध्यान दें! जब आप कुछ खाते हैं तो वह अनाज, सब्जी, चपाती, करी और फल हो। भोजन मुंह से पेट तक जाता है, आंत में जाता है। आंत में, यह छोटे कणों में टूट जाता है। यह लीवर में जाता है, लीवर में पुनर्संसाधन होता है। रक्त संचार की सहायता से भोजन पूरे शरीर में वितरित हो जाता है। ताकि वह शरीर के हर कोशिका में जाए जिसकी मदद से वह ऊर्जा पैदा कर सके, जिसकी मदद से वह शरीर की मरम्मत कर सके। इसका उपयोग शरीर के विकास में किया जा सकता है, या कुछ अन्य चयापचय गतिविधियों के लिए उपयोग किया जा सकता है, इस तरह शरीर काम करता है। इस प्रकार भोजन कोशिकाओं में जाता है। आपका शरीर भोजन के साथ कैसा व्यवहार करता है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि खाना स्वीकार करने के लिए हर सेल को अपना दरवाजा खोलना होता है। कोशिका स्वयं को नहीं खोल सकते। इसके लिए उन्हें ब्लड सर्कुलेशन में ख़ास केमिकल की जरूरत होती है, वह है "इंसुलिन"। आप कह सकते हैं कि इंसुलिन एक कुंजी है, कोशिका के दरवाजे की चाबी। इसका मतलब है, अगर इंसुलिन है, तभी कोशिका का दरवाजा खोला जा सकता है। और उसके बाद ही भोजन को कोशिकाओं में पहुँचाया जाएगा। यानी उनके शरीर की इंसुलिन बनाने वाली फैक्ट्री ठीक से काम नहीं करती है। *इंसुलिन उत्पादन फैक्ट्री का नाम PANCREAS है* । अग्न्याशय पेट के पीछे, जिगर के पीछे अंदर है। यह शरीर का एक छोटा अंग है, एक बहुत छोटा अंग है। यदि अग्न्याशय ठीक से काम नहीं करता है, तो इंसुलिन नामक कुंजी का उत्पादन नहीं होगा। इस मामले में, शरीर में भोजन के पर्याप्त संचलन के बावजूद, सेल इसका उपयोग नहीं कर पाएगा। उसे कहते हैं- हाई ब्लड शुगर, जिसे डायबिटीज कहते हैं। आप इसे अपने घर पर एक रेफ्रिजरेटर के रूप में मानते हैं जिसका दरवाजा बंद है। खाना उसके अंदर है, लेकिन तुम्हारे पास चाबी नहीं है। *यानी मधुमेह।* आप डॉक्टर के पास जाओ, वह आपको एक दवा देगा, जिसे मेटामॉर्फिन कहा जाता है। मेटामॉर्फिन सीधे लीवर पर हमला करता है, यह लीवर को ब्लड शुगर को नियमित करने के लिए मजबूर करता है। लेकिन यह तरकीब ज्यादा दिन तक नहीं चलती। *कभी-कभी "मेटामॉर्फिन" लेने के बावजूद भी रोगी को आराम नहीं मिलता है* , डॉक्टर ने "मेटामॉर्फिन" के साथ एक और दवा डाली, जिसे "सल्फ़ोनिल्युरस" कहा जाता है। यह दवा अग्न्याशय पर काम करती है। *यह दवा अग्न्याशय को अधिक इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए मजबूर करती है।* कभी-कभी, यह काम करता है। लेकिन उसके बाद दवाओं के बोझ के कारण अग्न्याशय पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है, यानी शरीर इंसुलिन का उत्पादन बिल्कुल नहीं कर रहा है। अब, डॉक्टर कहेंगे, आपके शरीर ने *इंसुलिन का उत्पादन बंद कर दिया है।* इसका मतलब है कि *आपको दिन में कई बार इंसुलिन को अपने शरीर में इंजेक्ट करना होगा।* हर बार जब आप खाना खाएंगे तो आपको इंजेक्शन लगाना होगा। क्योंकि इंसुलिन बनाने वाली बॉडी की फैक्ट्री अब बंद हो गई है। यह यहीं नहीं रुकता क्योंकि वे अग्न्याशय क्षतिग्रस्त हैं। कुछ रोगी में अग्नाशय के कैंसर का खतरा होगा। लेकिन, दवा का एक और वर्ग है, *जिसे अल्फा - ग्लुकोसिडेस इनहिबिटर कहा जाता है।* यह दवा INTESTINE में काम करती है। यह दवा आंत को धीरे-धीरे कार्बोहाइड्रेट छोड़ने के लिए मजबूर करती है। लेकिन, इसके अपने साइड इफेक्ट होते हैं। इस वजह से अग्न्याशय पर अधिक भार पड़ता है। *कुछ समय बाद ट्यूमर, कोलन कैंसर जैसे रोगों की समस्या होती है।* फिर दवा का एक और वर्ग है, जिसे ग्लिटाज़ोन कहा जाता है! *GLITAZONES एक ही समय में शरीर की प्रत्येक कोशिका पर कार्य करता है।* ताकि इन्सुलिन के प्रति कोशिकाओं की संवेदनशीलता थोड़ी बढ़ जाए। लेकिन इस दवा के साथ समस्या यह है कि जो मरीज इन दवाओं को लेते हैं। कुछ वर्षों के बाद वे ब्लैडर कैंसर के रोगी बन जाते हैं। इसीलिए फ्रांस और जर्मनी सहित कई देशों ने GLITAZONES पर प्रतिबंध लगा दिया है। *भारत में लगभग 30 लाख रोगी GLITAZONES दवा लेते हैं।* मेरा मतलब है कि यदि आप कुछ लंबे समय तक मधुमेह की दवाओं पर हैं, तो वह किसी और गंभीर बीमारी के साथ समाप्त हो जाएगा। भारत में *15% जनसंख्या जो मधुमेह रोगी हैं वह नेत्रहीन हैं। लगभग 20% आबादी ने अपना अंग खो दिया है।* *50% से अधिक आबादी दवाओं के दुष्प्रभावों के कारण वे किडनी फेल्योर के भी मरीज हैं।* *1947 तक हम अंग्रेजों के गुलाम थे और आज हम अंग्रेजी दवाओं के गुलाम हैं।* *हम सब मिलकर भारत को तीन डी - ड्रग्स, बीमारी और डॉक्टर से मुक्त करने में मदद कर सकते हैं।* BUT DON'T WORRY , डायबिटीज़ या किसी भी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ को हमेशा केलिए बाय बाय कहने का समय आ गया है। अब ये डायबिटीज़ या उच्च रक्तचाप, कैंसर या हार्ट ब्लाकेज, किडनी फेलियर हो या कि डायलिसिस -- ऐसी *तमाम बिमारियां हमेशा केलिए "रिवर्स" (REVERSE) होंगी* और वो भी केवल एक युनिक यूनानी दवा *HEALTH IN BOX ™* से। तो देर किस बात की, लगे हाथ संपर्क करें:- *हकीम मो अबू रिज़वान* बीयूएमएस, आनर्स (बीयू) *यूनानी चिकित्सक* स्पेशलिस्ट इन लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ यूनानी मेडिसींस रिसर्च सेंटर सोनबरसा रफ़ीगंज औरंगाबाद बिहार। 9334518872 8651274288 YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN website https://umrc.co.in #unaniphysician #HEALTHINBOX #DIABETES #HEARTBLOCKAGES #DIALYSIS



Last updated date 08/08/2022

एक पैग़ाम

*🖋️ UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE* यूनानी मेडीसींस रिसर्च सेंटर *☄️ An ISO 9001: 2015 certified company* *( UDYAM-BR-03-0004688 )* ⭕ आपसे निवेदन है कि मेरे इस *"पैग़ाम"* को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने की हर मुमकिन कोशिश करें । ▶️ अगर आप बरसों से कैंसर, डायबिटीज, हाई बी.पी., हार्ट ब्लाकेज, मोटापा, थायरॉइड, कोलेस्ट्रॉल, दमा, गठियावात, सोरियासिस, किडनी फेल्योर, लीवर और ऐब्डोमिनल डिसआर्डर, डायलिसिस, इत्यादि *लाईफ स्टाईल डीज़ीज़ से पीड़ित हैं* और अंग्रेज़ी दवाओं का लगातार सेवन करने की लत लगी हुई है तो आज ही से आपकी सभी दवाएं छूट सकती है । *केवल चार से छ: माह के लिए मेरी एक युनिक यूनानी दवा* *HEALTH IN BOX™* का पाबन्दी से सेवन करेंगे तो आपकी बीमारी हमेशा के लिए "REVERSE" हो जाएगी । फिर भविष्य में कभी भी किसी दवा की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी । *इन शा अल्लाह ।* अंग्रेज़ी दवाओं के अंधा धुंध इस्तेमाल करवा कर ही आपको डायलिसिस तक धकेला जा रहा है । ☄️ डायबिटीज की दवाओं का ही नतीजा है । लोग अंधापन का शिकार हो रहे हैं, किडनी फेल हो रहा है । और लोवर लिम्ब काटने की नौबत आ रही है । ☄️ बी.पी. कम करनेवाली अंग्रेज़ी दवाओं से आपका दिल कमज़ोर हो रहा है । और नौबत हार्ट अटैक और लकवा तक पहुंच रहा है । ☄️ कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवा STATIN से हार्ट ब्लाकेज, बांझपन और नामर्दी की शिकायत बहुत ही ज़्यादा बढ़ गई है। ⭕ सावधान रहें स्वस्थ रहें, और एक बार अवश्य विचार करें कि आपको सेहतमन्द रहकर जीना है या अंग्रेज़ी दवा का सेवन करते हुए ज़िन्दा रहने का असफल प्रयास करते हुए मृत्यु को प्राप्त करना है । 🕹️ फैसला आपको ही करना है । और आज ही ! *📍 चीनी खाने से होनेवाले नुकसान* 📌 चीनी कभी न खाएं । चीनी में शरीर के काम आने वाला एक भी पोषक तत्व नहीं होता । चीनी का मीठापन SUCROSE के कारण होता है । जो कि शरीर में हज़म नहीं होता । अगर होता है तो बहुत मुश्किल से होता है । जिसके साथ इसे आप खाओगे उसे भी हज़म नहीं होने देता । जो मीठापन हमारे काम का है, वो FRUCTOSE होता है । सभी फलों में मीठापन FRUCTOSE के कारण होता है । चीनी तभी से भारत में आई है जब से अंगरेज आए हैं । 1868 में सबसे पहली चीनी की मिल लगीं । पहले इसे मुफ्त में बंटवाया गया । चीनी से मोटापा बढ़ता है । चीनी से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है । जिससे 103 बीमारियाँ आती हैं । चीनी छोड़ने के बाद घुटनों का दर्द, कमर दर्द, गर्दन का दर्द सब में आराम मिलेगा । माइग्रेन, सर्दी-जुकाम, नींद अच्छी आएगी । स्नोफिलिया, साइनस, जैसी बीमारियों में भी लाभ मिलने लगेगा । चीनी बनाने में पानी बहुत बर्बाद होता है। चीनी मिलों के कचरे से वातावरण बहुत प्रदुषित होता है । चीनी में सबसे ज्यादा सल्फर पाया जाता है । ⭕ जिसे हिन्दी में गंधक कहते हैं । जो कि पटाखे बनाने में काम आता है । ये सल्फर अंदर जानें के बाद बाहर नहीं निकलती । गुड़ में पोटैशियम, फास्फोरस, कैल्शियम आदि, जैसे सभी पोषक तत्व होते हैं । गुड़ बनाने के लिए बाहर से कुछ भी मिलाया नहीं जाता । भोजन के बाद थोड़ा गुड जरूर खायें । क्योंकि यह ख़ाना पचाने में बहुत मदद करता है । *⏺️ टूथ पेस्ट कैसे तैयार होता है ?* ⭕ हजरत एक महत्वपूर्ण बात कहना था । अगर आप बुरा न मानें तो मैं कहना चाहता हूं । कोई भी टूथ पेस्ट कैसे बनता है । इस पर शायद अब तक किसी ने शोध नहीं किया है । यदि आप, विद्वान और न्यायविद, मुफ्ती, सच्चाई जानते, तो कोई भी टूथ पेस्ट मुसलमानों के लिए बिल्कुल "हराम" होता । टूथपेस्ट बनाने के लिए दो मुख्य चीजों की जरूरत होती है। *⭕ 1) D.I. CALCIUM PHOSPHATE* *⭕ 2) SODIUM LOREN SULPHATE* ▶️ D.I. CALCIUM PHOSPHATE नामक रसायन प्राप्त करने के लिए केवल मृत जानवरों के हड्डियों के पाउडर का उपयोग किया जाता है । मरे हुए जानवरों की हड्डियों में वह कुत्ता, गधा, बैल, गाय, भैंस, सुअर किसी का भी हो सकता है । ▶️ दूसरा रसायन, SODIUM LOREN SULPHATE, झाग बनाने के लिए शैंपू में प्रयोग किया जाता है । और इन दोनों रसायनों के बिना कोई टूथपेस्ट बनाना असंभव है । ▶️ इसलिए इस उत्पाद को I.S.I. MARK नहीं मिलता है । ⏺️ क्योंकि यह सरकार की नजर में सबसे खराब गुणवत्ता वाला उत्पाद है । और आपको जानकर हैरानी होगी कि इन दोनों चीजों से "ओरल कैंसर" होता है । और आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि पिछले दस से पंद्रह सालों में "मुंह के कैंसर" के रोगियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है । वहीं दूसरी ओर दंत चिकित्सक की तो जैसे बाढ़ ही आ गई है । 👉🏻 यह मसूड़ों, और दांतों की बीमारियां उन दंत चिकित्सकों के लिए लॉटरी की तरह है । 👉🏻 यह महत्वपूर्ण बात आप विद्वानों के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचे तो बेहतर होगा । *HAKEEM MD. ABU RIZWAN* BUMS hons ( B U ) UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE 📱*9334518872* *8651274288* 🕹️



Last updated date 11/04/2022

भारत में डायबिटीज़ से मरने वालों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि

तेज़ अनुवांशिक गड़बड़ी और बदलती जीवनशैली के कारण भारत में मधुमेह से होने वाली मौतों में साल 2005 से 2015 के बीच 50 फीसदी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है और यह देश में मौत का सातवां सबसे बड़ा कारण है, जो कि 2005 में 11वां सबसे बड़ा कारण था। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजिज (जीबीडी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। वहीं, मौत का सबसे बड़ा कारण हृदय रोग बना हुआ है, उसके बाद क्रॉनिक फेफड़े का रोग, ब्रेन हेमरेज, श्वसन तंत्र में संक्रमण, दस्त रोग और तपेदिक का नंबर है। जीबीडी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015 में तपेदिक से कुल 3,46,000 लाख लोगों की मौत हुई, जो सालभर में हुई कुल मौतों का 3.3 फीसदी है। इसमें साल 2009 से 2.7 फीसदी का इजाफा हुआ है।हर एक लाख की आबादी पर 26 लोगों की मौत डायबटीज से हो जाती है। मधुमेह विकलांगता का भी प्रमुख कारण है और 2.4 फीसदी लोग इसके कारण ही विकलांग हो जाते हैं। भारत में कुल 6.91 करोड़ लोग मधुमेह के शिकार हैं जो कि दुनिया में चीन के बाद दूसरा नंबर है।


चीन में कुल 10.9 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। अंतर्राष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन के डायबिटीज एटलस के मुताबिक भारत में मधुमेह से पीड़ित 3.6 करोड़ लोगों की जांच तक नहीं हुई है। देश के 20 से 79 साल की उम्र की आबादी का करीब 9 फीसदी मधुमेह से ग्रसित है। ये आंकड़े चिंताजनक है, क्योंकि मधुमेह एक क्रॉनिक रोग है, जो न केवल पैंक्रियाज की इंसुलिन निर्माण करने की क्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि इसके कारण हृदय रोग, स्ट्रोक, गुर्दे की विफलता, दृष्टि की हानि और न्यूरोपैथी या तंत्रिका तंत्र क्षति होती है जिसे पांव काटने तक की नौबत आ जाती है। 40 से 59 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा हो रही बीमारी:- अन्य देशों की तरह जहां ज्यादातर 60 साल के ऊपर के लोग ही मधुमेह के शिकार होते हैं। भारत में यह 40 से 59 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा पाया जाता है। इससे आबादी की उत्पादकता भी प्रभावित होती है। फोर्टिस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर डायबिटीज के मेटाबोलिक डिजिज एंड एंडोक्राइनोलॉजी के अध्यक्ष अनूप मिश्रा ने आईएएनएस को बताया, "भारत में दुनिया से एक दशक पहले से ही मधुमेह फैला है। इससे उत्पादकता घटती है और जटिलताएं पैदा होती हैं। हमें मधुमेह से लड़ने के लिए पल्स पोलिया जैसा अभियान चलाने की जरूरत है, क्योंकि यह समस्या टीबी, एचआईवी और मलेरिया से भी बड़ी है।"


एक चैलेंज:- जिस किसी को भी #डायबिटीज़ या कोई भी #लाइफस्टाइल #डीज़ीज़ जैसे #उच्च रक्तचाप, #हृदय संबंधी प्राब्लम, #मोटापा, #कैंसर, #कोलेस्ट्रॉल, #थायराइड, #अर्थराइटिस, #सोरियासिस, #आंत व जिगर संबंधित रोग, #अस्थमा इत्यादि तकलीफ़ हो गई है उनके लिए मैंने काफ़ी रिसर्च करके एक युनिक यूनानी दवा तैयार की है जिसके सेवन से सिर्फ चार या छः या नौ महीने में उपरोक्त सभी प्रकार के रोग हमेशा केलिए रिवर्स हो जाती हैं। उस दवा का नाम है :- #HEALTH IN BOX ®" जिस दिन से इसे लेना शुरू करेंगे उसी दिन से आपकी तमाम अंग्रेज़ी दवाओं को छोड़ने केलिए आप मजबूर हो जाएंगे। इसका कोर्स पूरा करने के पश्चात् आप बिल्कुल सेहतमंद जिंदगी गुज़ार सकते हैं, बिना किसी दवा के। इस दवा अबतक हज़ारों लोग इस तरह की लाइफस्टाइल डीज़ीज़ से मुक्त हो चुके हैं। आप भी आज़मा कर देख लें। #HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES +UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE+

Last updated date 17/10/2020

मधुमेह के लक्षण

मधुमेह (Diabetes ) को तमाम बिमारियों का जनक माना गया है।तिब्बे यूनानी में डायबिटीज़ को "उम्मुल अमराज़" कहा गया है। मधुमेह होने के बाद शरीर को बहुत सी बीमारियाँ आसानी से घेर लेती है । 35 वर्ष के बाद तो नियमित रूप से लोगों में "चेक अप" कराने की होड़ लगी रहती है। लेकिन आपकी जानकारी के लिए आपको बताता चलूं कि आज हमारा मेडिकल साइंस इतना तरक़्क़ी कर गया है कि "आज वही लोग सेहतमंद हैं जो कभी डॉक्टर के पास नहीं गए, या जिन्होंने कभी चेक अप नहीं कराया। वैसे बहुत से ऐसे शुरूआती लक्षण है जिनसे मधुमेह होने का संकेत मिलने लगता है। इसलिए शरीर पर इन लक्षणों के नज़र आते ही सावधान हो जाना चाहिए , अपने खान-पान का ध्यान रखे , और कुशल चिकित्सक के पास जाकर शीघ्र ही परामर्श करने की कोशिश भी नहीं करें, क्योंकि वो तो जीवन भर ऐलोपैथिक मेडिसिन पर रखकर आपको वहां तक पहुंचाने वाले हैं जहां ये भी याद नहीं रहेगा कि पहली बार किस बीमारी के लिए दवा शुरू किया था। अगर डायबिटीज़ के लक्षण दिखाई देने लगे तो पहली फुरसत में ही मुझसे संपर्क करें और मेरी ख़ुद की बनाई हुई यूनानी मेडिसींस "HEALTH IN BOX" मंगवाकर कम से कम चार महीने प्रयोग करें।आप पायेंगे कि ये लोग जिसके लिए जीवन भर ऐलोपैथिक दवा लेने वाले थे,इन चंद महीनों में ही इनकी डायबिटीज़ हमेशा के लिए REVERSE हो गई है। एलोपैथी ड्रग माफिया के द्वारा खींची गई आंकड़ों के अनुसार FASTING , PP और Hb1Ac तो केवल आपको TRAP करने के लिए भर है।स्थिर आंकड़ा तो केवल मृत शरीर में ही रह सकता है, जबकि आप तो ज़िंदा हैं। आपका शूगर लेवल कुछ भी हो सकता है। आंकड़ों पर कभी भी भरोसा न करें।आप केवल इन लक्षणों को देखकर ही समझ सकते हैं कि आपके शरीर में डायबिटीज़ का हमला होने वाला है:-


1. बार-बार पेशाब आना। 2. बहुत ज्यादा प्यास लगना। 3. बहुत पानी पीने के बाद भी गला सूखना। 4. खाना खाने के बाद भी बहुत भूख लगना। 5. मितली होना और कभी-कभी उल्टी होना। 6. हाथ-पैर में अकड़न और शरीर में झंझनाहट होना। 7. त्वचा में रूखापन आना। 8. चिड़चिड़ापन। 9. सिरदर्द। 10. शरीर का तापमान कम होना। 11. मांसपेशियों में दर्द। 12. वजन में कमी होना।


यदि आप थोड़ी सी सावधानी बरतें, अपने जीवनशैली , खान-पान की आदतों में सुधार करें तो इसपर अवश्य ही विजय प्राप्त कर सकते हैं। आपका शुभ चिंतक- HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN specialist in LIFESTYLE DISEASES +UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE+ SHRUTI CHOWK PURANI BASTI ROAD JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND CONTACT 8651274288 & 9334518872 WHAT'S APP 9334518872 & 8651274288 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN

Last updated date 29/09/2020

ASPARTAME

ASPARTAME was invented by GD-SEARLE in 1965 and submitted for pre-marketing safety evaluation in early 1980s.


The studies conducted by GD-SEARLE to evaluate the potential carcinogenic risks of aspartame did not show any effect. Because of the great commercial diffusion of aspartame,in 1997 the RAMAZZINI INSTITUTE started a large EXPERIMENTS project on rodents to rest the carcinogenic effects of aspartame in our EXPERIMENTAL model with more sensitive characteristics, namely large number of Rats and Mice, observation until NATURAL death. Overall the project included the study of 2,270 Rats and 852 Mice starting the Treatment from prenatal life or in mature age and lasting all life.


ASPARTAME is a carcinogenic agent including a significant dose-related increased incidence of several types of malignant tumors and, among them, hematological neoplasias. Later this effects was confirmed tan EPIDEMIOLOGICAL study conducted by a group of the HARVARD UNIVERSITY. एक चैलेंज:- मैंने एक ही यूनानी दवा बनाई है जिसका नाम "HEALTH IN BOX®" है। इस एक दवा से सभी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ सदा के लिए REVERSE हो जाती हैं। क्योंकि सारी बीमारियां सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण से होती हैं। और वो कारण है:-"ग्लूकोज़" और "इन्सुलिन" का "इम्बैलेंस" होना।" तो सिर्फ इस "इम्बैलेंस" को "रिबैलेंस" कर देने भर से ही कोई भी बीमारी सदा केलिए रिवर्स हो जाती है। (इस विधि को "यूनिवर्सल ला आफ रीबैलेंसिंग" कहा जाता है।) यानी हर वो बीमारी जिसमें डॉक्टर फ़ेल हो जाते हैं और आपको ऐलोपैथिक दवा ज़िन्दगी भर खाने को बता दिया करते हैं, ठीक उसके उलट मेरी दवा "HEALTH IN BOX®" का सेवन शुरू करते ही सबसे पहले तो बरसों से आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बनी ऐलोपैथिक दवा बंद हो जाएगी और मेरी इस दवा को चार, छः या नौ महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के क़ाबिल हो जाएंगे। आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। इस दवा की पैकिंग एक महीना केलिए 240 ग्राम होती है जिसकी क़ीमत मात्र ₹ 3000/- है। हिन्दुस्तान में हर जगह स्पीड पोस्ट से ये दवा भेजी जाती है। #HAKEEMMDABURIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in #LIFESTYLEDISEASES #UNANIMEDICINESRESEARCHCENTRE SHRUTI CHOWK PURANI BASTI ROAD JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND CONTACT 9334518872 & 8651274288 WHAT'S APP 8651274288 & 9334518872 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN website https://umrc.co.in/

Last updated date 29/09/2020

DIABETES - A CONSPIRACY.......!

"Till 1947 , the country was slave to the ENGLISH MEN and, today it is slave to ENGLISH MEDICINES."     Nothing is the world can destroy your happiness, more than you trying to live with ILLNESSES,more than you trying to live with SICKNESS.In this world the most painful things to know keep trying to live with SICKNESS.It is possible that this time your mind is wandering in to so many thought. But still, this means there is some ray of hope at some corner of your mind that you wish your DIABETES can be cured. I want to tell you about one of the kind of REVOLUTIONARY LIFE STYLE method, with help of which, not only you will face yourself from the CLUTCHES of DIABETES.But you will be able to help people so that even they are able to cure the DIABETES. What are we required to do this? Are we supposed to take precautions? Are we required to be hungry? you are not required to be hungry stomach. Instead, you have to eat in plenty. Rather most of my DIABETIC PATIENTS.      Within the first week of applying this LIFE STYLE method, they are able to drink a glass of       " SUGARCANE JUICE", or if they like A DOZEN OF "BANANA",or may be A KG of  "MANGO".You have to eat in plenty.    Today in INDIA, 6.5 chores people are suffering from DIABETES.


My intention behind the writing of this post is only one, and that is you!     I believe that with this method you will be able to cure yourself from DIABETES. Then you will help people. So that they are healthy again. Health is not just your right it is your responsibility as well.      You must be thinking that, if this technique is so REVOLUTIONARY. Then why I am not knowing this! why do DOCTORS not tell about this? To understand this, you will have to analyse these data of mine, in the last 10 years the nation has suffered the significant loss of  $ 246 billion due to DIABETES & its resultant diseases, which is just  $ 70 billion lesser than last year national budget. It is the huge money, it is a big industries. your illness is someone's HUGE PROFIT! !!They do not want you to be FREE FROM ILLNESSES, they only wish you to be SLAVE to diseases, SLAVE to medicines.     To understand this CONSPIRACY, you need to understand the FOOD AND DRUG MECHANISMS. Focus please! when you eat something be it CEREAL, VEGETABLE, CHAPATI, CURRY & FRUIT. The food goes from mouth to stomach, it goes to the intestine.At intestine, it breaks down into small particles. It goes to LIVER, there is reprocessing in liver. with the help of blood circulation, the food gets distributed in whole body. So that it goes to every CELLS of the body with the help of which it may produce energy, with the help of which, it may repair body. It may be used in the body growth, or may use for some other metabolic activities, that's how the body works. That's how the food goes into CELLS. That how your body behave with the food. But the interesting things is that in order to accept food. Every CELLS has to open its door. CELLS cannot open themselves. For this, they require the special chemical in blood circulation. That is "INSULIN".You can say INSULIN is a key.      A key for the doorsof CELLS. It means, if INSULIN is there, only then the CELLS door can be opened. And only then food will be transported into the CELLS. Means, the INSULIN producing factory of their body does not function well. The INSULIN production factory is named as PANCREAS. PANCREAS is somewhere behind stomach, somewhere behind the liver, somewhere inside. You can see here, but it is a small organ of the body, a very small organ.If PANCREAS  does not function well, the key named INSULIN will not be produced. In the case, in spite of the enough circulation of food in the body, CELLS won't be able to utilise it. That is called - HIGH BLOOD SUGAR, that is called DIABETES. you consider it as a REFRIGERATOR at your home with its door locked. The food is inside it, but you don't have the key. That is DIABETES. You go to DOCTOR. He will give you a class of DRUG, called - METAMORPHINE. METAMORPHINE directly attacks liver, it force liver to regularise the BLOOD SUGAR. But this trick does not last for long.


After sometimes, in spite of taking METAMORPHINE, the patient does not get relief, DOCTOR added one more drug with METAMORPHINE, that is called SULFONILUREAS. This drug works on PANCREAS. This drug forces PANCREAS to produce more INSULIN. For sometimes, it works. But after that because of the burden of the MEDICINES, PANCREAS stop working altogether, that means the body is not producing INSULIN at all. Now, the DOCTOR will say, your body has stopped producing INSULIN. It means you need to inject INSULIN in your body several times in a day. You will have to inject every time you have food. Because the factory of the body to produce INSULIN is now shut down. It doesn't stop here since those PANCREAS are damaged .Few patients. In few will prone to PANCREATIC CANCER. But, there is another class of drug,that is called ALPHA-GLUCOSIDASE INHIBITOR. This drug works in INTESTINE. This drug forces intestine to release CARBOHYDRATES slowly. But, it has its own side effects. Because of this, the PANCREAS  are over-burdened.After sometime, there is the problem in the INTESTINE & COLON of such patients like TUMER , COLON CANCER.Then there is another class of drug,that is called GLITAZONES ! GLITAZONES works on every CELLS of the body at the same time. So that the CELLS sensitivity towards INSULIN to be raised a little.But the problem with this drug is that patients who take these drugs.After few years they endup becoming a BLADDER CANCER patient.    That why many countries has banned GLITAZONES including FRANCE & GERMANY. In INDIA near about 3 million patients take GLITAZONES drug. I mean if you are on a DIABETIC DRUGs for some long time, then that will be ending up with some another more serious illness. Tod,in INDIA 15% population who is DIABETIC is BLIND also. About 20% of the population  has lost their LIMBS. More than 50% of the population because of the side effects of the MEDICINES. They are also the KIDNEY FAILURE patients. Till 1947 , we were slave to the ENGLISH MEN and today we are slave to ENGLISH MEDICINES. Together we can help INDIA FREE FROM three D - DRUGS, DISEASE AND DOCTOR. एक चैलेंज:- मैंने एक ही यूनानी दवा बनाई है जिसका नाम "HEALTH IN BOX®" है। इस एक दवा से सभी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ सदा के लिए REVERSE हो जाती हैं। क्योंकि सारी बीमारियां सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण से होती हैं। और वो कारण है:-"ग्लूकोज़" और "इन्सुलिन" का "इम्बैलेंस" होना।" तो सिर्फ इस "इम्बैलेंस" को "रिबैलेंस" कर देने भर से ही कोई भी बीमारी सदा केलिए रिवर्स हो जाती है। (इस विधि को "यूनिवर्सल ला आफ रीबैलेंसिंग" कहा जाता है।) यानी हर वो बीमारी जिसमें डॉक्टर फ़ेल हो जाते हैं और आपको ऐलोपैथिक दवा ज़िन्दगी भर खाने को बता दिया करते हैं, ठीक उसके उलट मेरी दवा "HEALTH IN BOX®" का सेवन शुरू करते ही सबसे पहले तो बरसों से आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बनी ऐलोपैथिक दवा बंद हो जाएगी और मेरी इस दवा को चार, छः या नौ महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के क़ाबिल हो जाएंगे। आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। इस दवा की पैकिंग एक महीना केलिए 240 ग्राम होती है जिसकी क़ीमत मात्र ₹ 3000/- है। हिन्दुस्तान में हर जगह स्पीड पोस्ट से ये दवा भेजी जाती है। #HAKEEMMDABURIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in #LIFESTYLEDISEASES #UNANIMEDICINESRESEARCHCENTRE SHRUTI CHOWK PURANI BASTI ROAD JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND CONTACT 9334518872 & 8651274288 WHAT'S APP 8651274288 & 9334518872 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN website https://umrc.co.in/

Last updated date 28/09/2020

سچائی اور ایمانداری کا روزگار

*سچائی اور ایمانداری کا روزگار:- DISCOUNTS :- 1:- 5 - 9 Packet's = 20% , 2:- 10 - 19 Packet's = 25% , 3:- 20 - 49 Packet's = 30% & 4:- 50 - 100 Packet's = 40% HEALTH IN BOX® کا ایک پیکٹ ایک ماہ کے لیے ہے۔ ایک پیکٹ کی قیمت صرف تین ہزار روپے (-/3000) ہے۔ مکرمی السلام وعلیکم ورحمتہ اللہ وبرکاتہ ! امید ہے کہ مزاج گرامی بخیر ہونگے۔ الحمدللہ! آپ میری مہم سے جڑکر مندرجہ ذیل طریقہ سے اپنی آمدنی حاصل کر سکتے ہیں:- میں حکیم محمد ابو رضوان (جمشیدپور جھارکھنڈ) 1993 سے کلی طور پر صرف اپنی تیار کردہ یونانی دواؤں سے اپنے نجی مطب (UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE)میں طبی خدمات انجام دیتا آ رہا ہوں۔ کافی عرصہ سے ریسرچ و تحقیق وغیرہ کا کام بھی چلتا رہا اور جس کا نتیجہ ہے پچھلے چند سالوں سے اب صرف اور صرف "ایک ہی دوا" ®HEALTH IN BOX سے تمام اقسام کے بیماریوں کا علاج کرنے لگا۔ نتیجہ خاطر خواہ۔ پھر کیا تھا، میرے پاس تو جتنے بھی مریض آتے ہیں ان سب کو صرف اور صرف یہی ایک دوا دیتا ہوں۔ حضرت ! میں نے دیکھا ہے کہ مساجد کے امام، مدرسے کے مدرسین، حفاظ کرام، مفتی کرام، قاری حضرات، علماء کرام وغیرہم اپنی قلیل آمدنی اور محدود وسائل کے سبب ہر وقت تنگدستی کا شکار رہتے ہیں۔ تو، کیوں نہ وہ اس کام کو کرکے اپنی آمدنی میں اضافہ کرنے کی کوشش کریں۔ آج کے دور میں بھی علاج اتنا آسان ہے کہ میری اس دوا " HEALTH IN BOX" سے کوئی بھی انسان کسی بھی بیمار کا بآسانی علاج کر سکتا ہے۔ تو پھر آپ کیوں نہیں؟ اس مصیبت کی گھڑی میں جہاں کروڑوں لوگوں کے روزگار چھن گئے، بالخصوص بیروزگار مسلم نوجوان آگے بڑھ کر میرے اس پیشکش کو گلے لگانے کی کوشش کریں۔ "HEALTH IN BOX®" مکمل طور پر یونانی میڈیسن ہے ۔اسکے تمام اجزاء یونانی مفردات پر مشتمل ہے۔ اس دوا کا استعمال ہر عمر، ہر قسم کے امراض کے علاج میں کیا جاتا ہے۔ رزلٹ ماشاءاللہ۔ دوا کی پرچی پر جتنے ضوابط درج ہیں انکو صد فیصد فالو کرنے والے کو ہی صد فیصد رزلٹ پانے کا متمنی رہنا چاہیے۔ یہ در اصل کسی بیماری کے علاج کی دوا نہیں ہے، بلکہ یہ کسی بھی بیماری کے ہونے کے "اسباب" پر کام کرتا ہے۔ آپ کو یہ جان کر حیرانی ہوگی کہ تمام بیماریوں کے اسباب صرف اور صرف ایک ہی ہیں، اور وہ ہے:- " گلوکوز اور انسولین کا تال میل گڑبڑ ہونا۔" یعنی GLUCOSE اور INSULIN جب IMBALANCE هو جاتا ہے تو ہمارے جسم میں کوئی بھی بیماری ہو جائے گی۔ اس IMBALANCE کو REBALANCE کرنے سے ہی کوئی بھی بیماری ہو وہ REVERSE ہو جائے گی ہمیشہ کے لیے۔ اس METHOD کو UNIVERSAL LAW OF REBALANCING کہا جاتا ہے۔ HEALTH IN BOX ® تمام اقسام کی لائف سٹائل ڈیزیزیز جیسے:-کینسر، ڈائبیٹیز، ہائی بی پی، موٹاپا، ہارٹ بلاکیج، لیور ایبڈامینل اور کڈنی پرابلم، ڈائلیسس، سورائسس، سیکس پرابلم، مینٹل ہیلتھ پرابلم، کولسٹرول، تھائیرائڈ پرابلم، ہڈیوں و جوڑوں کے درد، وغیرہ بیماریوں کے لئے استعمال کیا جاتا ہے۔ اکثروبیشتر امراض میں اس دوا کا رزلٹ پہلے ہی روز مل جاتا ہے اور بڑی بڑی بیماریاں جس کے بارے میں ڈاکٹر حضرات تاحیات انگریزی دواؤں کے استعمال کرتے رہنے کی تاکید کرتے ہیں، ہمیشہ کے لیے "REVERSE" ہو جاتی ہیں، اور انگریزی دواؤں سے ہمیشہ کے لیے چھٹکارا بھی مل جاتا ہے اور آپ زندگی بھر آپ صحت مند زندگی گزاریں گے۔ یعنی یہ دوا اول روز سے ہی کام کرنا شروع کر دیتاہے۔ انشاءاللہ۔ "آپ سے خصوصی اپیل ہے کہ آپ میری بات پر غور کریں اور اپنا ذریعہ معاش بنائیں۔"یعنی، آپ میرے مشورے پر عمل کرکے "حکمت" کا پیشہ اختیار کریں گے تو بہتر ہوگا اور سب سے بڑی بات یہ ہے کہ آپ جس منصب پر فائز ہیں وہاں اس کام کو بخوبی انجام دے سکتے ہیں۔ اور اچھا خاصا انکم کر سکتے ہیں۔ اس معاملے میں ہر قسم کا تعاون کرونگا۔ آپکا خیر اندیش HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons. UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES +UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE+ SHRUTI CHOWK PURANI BASTI ROAD JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND Contact 8651274288 what's App 9334518872 YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN website:- https://umrc.co.in



Last updated date 22/09/2020

डायबिटीज़- एक बड़ी साज़िश

आपका स्वागत है इस बीमार दुनिया में।आप सब किसी न किसी बीमारी में मुब्तला हैं।फिर या तो आप बरसों से डॉक्टर का चक्कर काट रहे हैं या उसके सुझाव पर सुबह से शाम तक अनगिनत दवाएं ले रहे हैं। आज का सबसे चर्चित बीमारी "डायबिटीज" ही तो है जो हमारे तिब्ब यूनानी चिकित्सा पद्धति में सिरे से बीमारी है ही नहीं।बल्कि यह किसी बीमारी का "लक्षण" ही तो है। आप मेरे इस पोस्ट को पढ़कर अपना ईरादा बदलने पर मजबूर हो जाएंगे, और ऐलोपैथिक दवा कभी भी नहीं लेंगे, ये मेरा दावा है।क्योंकि संसार के किसी भी हिस्से में आजतक ऐसा नहीं देखा गया कि दस,बीस, तीस या चालीस साल तक ऐलोपैथिक दवा का सेवन करने वाला "डायबिटीज" का रोगी स्वस्थ्य हो गया और दवाओं का सेवन बंद कर दिया। डायबिटीज के मेकानिज़्म को समझना जरूरी है।अगर अब भी न समझे तो ये फार्मास्युटिकल कंपनियां आगे भी आपको बीमारियों और दवाओं के बीच झूला झुलाती रहेंगी।क्योंकि, "डायबिटीज" यानि "ब्लड शुगर" ही सारे रोगों की जड़ है।तो,आइये मेकानिज़्म समझते हैं:- हम कुछ भी खाते हैं तो वो " ग्लूकोज़" ही बनता है जिससे हमें "एनर्जी" मिलती है।लेकिन, वो एनर्जी तभी मिलेगी जब ये "ग्लूकोज़" शरीर के हर "सेल" में जाए।ट्रक समान ब्लड "ग्लूकोज़ को लेकर भ्रमण करते हुए हर सेल के दरवाजे तक पहुंचता है,मगर सेल के अंदर दाखिल नहीं हो पाता, क्योंकि सेल का दरवाजा बंद रहता है। जिसे खोलने के लिए एक चाभी की ज़रूरत पड़ती है, जिसका नाम "ईन्सुलीन" है। ईन्सुलीन की प्रचूर मात्रा जबतक हमारे शरीर के भीतर मौजूद है तबतक ये मेकानिज़्म सुचारू ढंग से चलता रहता है। ड्रामा तो तब शुरू होता है जब ईन्सुलीन की कमी होने लगती है। अगर ग्लूकोज़ सेल का दरवाजा बंद होने की सूरत में सेल के अंदर दाखिल न हो पाया तो उसके दरवाजे पर ही BLOOD आर्ट्रीज़ के अंदर ग्लूकोज़ गिरा देता है।


जिससे उस जगह पर चिपचिपा पन होने लगता है,और फिर वहाँ INFLAMMATION हो जाता है और फिर वहां पर कोलेस्ट्रॉल, इन्ज़ाइम, वसा ,खनिज,लवण ईत्यादि चिपकने लगते हैं। और रक्त धमनियों के अंदर उन कचरों के जमाव की वजह से संकरा होने लगता है। ये सूरतहाल अधिक समय तक रहने पर सेल की बजाय खून में ही ग्लूकोज़ घूमता रहता है। खून की जांच करने पर पता चलता है कि आपका शूगर लेवल बहुत बढ़ गया है। डॉक्टर आपको दवा देकर ग्लूकोज़ का नम्बर घटाकर बोलता है कि आपका शूगर लेवल नार्मल आ गया है, मगर दवाएं हमेशा लेते रहें वरन शूगर बढ़ जाएगा। इनकी चालाकी देखिये कि दवा खिलाकर शूगर का नम्बर तो घटा दिया, मगर आप ही उनसे सवाल करें कि ब्लड शुगर का लेवल तो घट गया, लेकिन ब्लड वाला बढ़ा हुआ शूगर कहां चला गया? इस सवाल का जवाब उनके पास है ही नहीं।और, दूसरा ये कि आज मेडिकल साईंस इतना तरक्की कर गया है, मगर खून की नली में जमने वाले उस कचरे को साफ करनेवाली दवा आजतक नहीं ईजाद की जा सकी। वरना "डायबिटीज" से एक भी ईन्सान घुट घुटकर नहीं मरता, आंखों की रौशनी नहीं खोता, किसी की किडनी फेल नहीं होती, और गैंगरीन होने की स्थिति में किसी का पांव नहीं काटना पड़ता। इसी तरह के "कचरे" का जमाव किसी भी बीमारी का कारण बनता है।यानी सभी प्रकार के रोगों का एक मात्र कारण यही "कचरे" का जमाव है।ये "कचरा" ग्लूकोज़ और ईन्सुलीन के बीच का आपसी तालमेल गड़बड़ हो जाना है। अगर इस कचरे को साफ कर दिया जाए और ग्लूकोज़ व ईन्सुलीन के अनुपात को ठीक कर दिया जाए तो डायबिटीज ही नहीं,बल्कि हर प्रकार की बीमारियां हमेशा केलिए समाप्त हो जाएंगे। लेकिन ऐसाआजतक नहीं हो पाया,जबकि मेडिकल साईंस इतना तरक्की कर गया है। मैं ने एक दवा तैयार की है जो ये सारे काम करने में सक्षम है।


मुझे पता है,बीमारियों का कारण केवल "एक" है।इसलिए उस एक "कारण" को दुरुस्त कर देने से कोई भी रोग दुरुस्त हो जाता है। एक चैलेंज:- मैंने एक ही यूनानी दवा बनाई है जिसका नाम "HEALTH IN BOX®" है। इस एक दवा से सभी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ सदा के लिए REVERSE हो जाती हैं। क्योंकि सारी बीमारियां सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण से होती हैं। और वो कारण है:-"ग्लूकोज़" और "इन्सुलिन" का "इम्बैलेंस" होना।" तो सिर्फ इस "इम्बैलेंस" को "रिबैलेंस" कर देने भर से ही कोई भी बीमारी सदा केलिए रिवर्स हो जाती है। (इस विधि को "यूनिवर्सल ला आफ रीबैलेंसिंग" कहा जाता है।) यानी हर वो बीमारी जिसमें डॉक्टर फ़ेल हो जाते हैं और आपको ऐलोपैथिक दवा ज़िन्दगी भर खाने को बता दिया करते हैं, ठीक उसके उलट मेरी दवा "HEALTH IN BOX®" का सेवन शुरू करते ही सबसे पहले तो बरसों से आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बनी ऐलोपैथिक दवा बंद हो जाएगी और मेरी इस दवा को चार, छः या नौ महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के क़ाबिल हो जाएंगे। आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। इस दवा की पैकिंग एक महीना केलिए 240 ग्राम होती है जिसकी क़ीमत मात्र ₹ 3000/- है। हिन्दुस्तान में हर जगह स्पीड पोस्ट से ये दवा भेजी जाती है। #HAKEEMMDABURIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in #LIFESTYLEDISEASES #UNANIMEDICINESRESEARCHCENTRE SHRUTI CHOWK PURANI BASTI ROAD JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND CONTACT 9334518872 & 8651274288 WHAT'S APP 8651274288 & 9334518872 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN website https://umrc.co.in/

Last updated date 20/09/2020

एलोपैथी चिकित्सा पद्धति का "नंगा" मगर "कड़वा" सच

Allopathic क्या है? आधुनिक चिकित्‍सा विज्ञान को एलोपैथी (Allopathy) या एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति (Allopathic medicine) कहते हैं। और इस चिकित्सा में जो दवाइयां उपयोग में आती हैं उनको "ऐलोपैथिक मेडिसिन" कहा जाता है। यह नाम होम्योपैथी (Homeopathy) के जन्मदाता सैमुअल हैनिमैन ने दिया था। जिनका यह नाम देने का आशय यह था कि प्रचलित चिकित्सा-पद्धति (अर्थात एलोपैथी) रोग के लक्षण के बजाय अन्य चीज की दवा करता है। (Allo = अन्य तथा pathy = पद्धति, विधि) स्वास्थ्य से जुड़ी कैसी भी समस्या हो, जब इलाज की बात आती है तो हम तुरंत एलोपैथी इलाज लेते हैं, ताकि इन दवाओं से तुरंत आराम मिल सके। एलोपैथी का बेहतर यूज क्या है? एक्यूट कंडीशन(Acute Conditions)- जहाँ तुरंत इलाज की जरूरत हो, हार्ट अटैक, सीवियर इन्फेक्शन, (Severe Infections) सर्जरी, (Surgery) एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) वगैरह में यह काफी फायदेमंद है।जो बिल्कुल मिथ्या है। एलोपैथी के फायदे क्या हैं? तुरंत आराम, सर्जिकल ऑपरेशन के लिए ज्यादा बेहतर सुविधाएं, इंजेक्शन और एंटीबायोटिक्स की बड़ी रेंज मौजूद हैं। ये सबसे बड़ा झूठ है। एलोपैथी के नुकसान क्या हैं?


सिंथेटिक दवाएं, (Synthetic Medicines) एलर्जी, (Allergy) साइड इफेक्ट, (Side Effects) कई बीमारियों का परमानेंट हल नहीं, कई बीमारियों का ऑपरेशन के बिना इलाज नहीं हो सकता। ऐसा नहीं है, बल्कि सच तो यह है कि इन्सान नेचर की पैदावार है और इसके भीतर की ख़राबी यानी रोगों को सिर्फ और सिर्फ नेचुरल चीज़ों और तरीकों बिल्कुल ठीक और सेहतमंद क्या जा सकता है। एलोपैथिक शब्द की परिभाषा रोचक है। वर्तमान समय में जो आधुनिक चिकित्सा पद्धति डॉक्टरों के द्वारा अपनाई जाती है उसी संपूर्ण चिकित्सा पद्धति के लिए हम "एलोपैथी" शब्द का प्रयोग करते हैं। दरअसल एलोपैथिक या एलोपैथी शब्द प्रचलन में तब आया जब होम्योपैथी के जनक सैमुअल हैनीमैन ने होम्योपैथी के सिद्धांतों और अन्य चिकित्सा पद्धति के सिद्धांतों में भेद करने के लिए "एलोपैथी" शब्द का प्रयोग करना प्रारंभ किया। HOMEO (होम्यो) शब्द का अर्थ होता है "समान', तथा ALLO (एलो) शब्द का अर्थ होता है "असमान"। एलोपैथी चिकित्सा पद्धति मुख्य रूप से लक्षणों का निवारण करने का काम करती है। इसी लिए यह विपरीत लक्षण पैदा करने वाली दवाई से शरीर में संतुलन पैदा करती है, जैसे यदि शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ रही है तो एलोपैथी में शुगर कम करने वाली दवाई दी जाएगी। इसके विपरीत होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार शरीर को जो कष्ट है उसका इलाज समान लक्षण पैदा करने वाली वस्तु से ही संभव है। उदाहरण के लिए यदि आपको किसी चीज से एलर्जी है तो होम्योपैथिक की दवाई उसी चीज से निर्मित की जाएगी लेकिन उसकी मात्रा बहुत ही कम होगी, जिससे कि आपका शरीर स्वयं ही अनुकूलन के द्वारा अपनी एलर्जी का इलाज कर ले। आधुनिक चिकित्‍सा विज्ञान को एलोपैथी या एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति कहते हैं। यह नाम होम्योपैथी के जन्मदाता सैमुएल हैनीमेन ने दिया था जिनका यह नाम देने का आशय यह था कि प्रचलित चिकित्सा-पद्धति (अर्थात एलोपैथी) रोग के लक्षण के बजाय अन्य चीज की दवा करता है। (Allo = अन्य तथा pathy = पद्धति, विधि)। स्वास्थय से जुड़ी कोई भी समस्या हो, जब इलाज की बात आती है तो हम तुरंत एलॉपथी इलाज लेते हैं, ताकि इन दवाओं से तुरंत आराम मिल सके।सत्य भी यही है किसी भी बड़ी से बड़ी बीमारी में भी ऐलोपैथिक दवाओं के सेवन से सिर्फ और सिर्फ वक्ती तौर पर Relief (आराम) ही मिलता है, कोई भी व्यक्ति अपनी बीमारी से कभी छुटकारा नहीं पा सकता है। चिकित्सा की इस पद्यति के कुछ फायदे हैं तो कुछ नुक्सान भी हैं।


एलोपैथी से लाभ:-  एलोपैथी चिकित्सा मनुष्य को तुरंत लाभ देती है। मनुष्य यह चाहता है की उसे कम से कम दर्द सहना पड़े, एलोपैथी चिकित्सा ऐसा करने में सफल रही है। एलोपैथी ने शल्य चिकित्सा में बहुत ही ज़्यादा सफलता हासिल की है। इनके जनक के सिद्धांत के अनुसार, "कुछ भी हो काट कर निकाल दो।" अब तो विज्ञान निरंतर इस और प्रयत्नशील है की जहाँ तक हो सके, शल्य चिकित्सा में कम से कम चीर - फाड़ हो। एलोपैथी से हानियां:- इस पद्धति का सबसे बड़ा दोष है, दवाइयों का साइड इफ्फेक्ट। एक तो दवाइया रोग को दबा देती है साथ ही वह किसी अन्य रोग को जन्म भी दे देती है। पेट से सम्बंधित जितने भी रोग है, डॉक्टर्स उनके लिए एंटीबायोटिक दवाईया देते है जो लाभ कम और नुक्सान ज्यादा करती है। इन दवाईयों का पेट पर सीधा दुष्प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति की पाचन किर्या उलट-पुलट हो जाती है। यह बात सही है की एलॉपथी चिकित्सा वैज्ञानिक कसौटी पर खरी उतरी है इसलिए इसका प्रचार -प्रसार भी अधिक हो सका, परन्तु मेरे विचार से यह चिकित्सा पद्यति अपने आप में पूर्ण नहीं है। इस चिकित्सा पद्यति में औषधि से अधिक सिर्फ शल्य चिकित्सा सफल हो पायी है। आप तमाम महानुभावों से सादर अनुरोध है कि कोई भी बीमारी के उपचार हेतु एक बार अवश्य सोचिए कि कौन सी चिकित्सा पद्धति की सेवाएं ली जा सकती हैं। आप को मेरी सलाह है कि सबसे पहले तो आप अपने "डॉक्टर" ख़ुद ही बनें। अगर ये संभव नहीं है तो फिर अपने शरीर को जानिए कि उसे क्या तकलीफ़ हो रही है,वो ही सच बताएगा। और उसी की सुनिए।ज़रा सोचिए, आपको कोई बीमारी है, इसमें डॉक्टर का क्या दोष या ग़लती थी जो उसके पास चले गए। याद रखिए, आप नेचर की पैदावार हैं और कोई भी विकार या तकलीफ़ या बीमारी आपके शरीर में मौजूद है तो उसको केवल नेचुरल चीज़ों से ही इलाज करके "आराम" नहीं हमेशा केलिए "स्वस्थ" और "REVERSE" किया जा सकता है। ख़ुद को और नेचर को पहचान लीजिए,तो ये आपके बीच में भगवान रुपी राक्षसों और डाकुओं से सुरक्षित रहेंगे और स्वस्थ भी रहेंगे। एक चैलेंज:- मैंने एक ही यूनानी दवा बनाई है जिसका नाम "HEALTH IN BOX®" है। इस एक दवा से सभी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ सदा के लिए REVERSE हो जाती हैं। क्योंकि सारी बीमारियां सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण से होती हैं। और वो कारण है:-"ग्लूकोज़" और "इन्सुलिन" का "इम्बैलेंस" होना।" तो सिर्फ इस "इम्बैलेंस" को "रिबैलेंस" कर देने भर से ही कोई भी बीमारी सदा केलिए रिवर्स हो जाती है। (इस विधि को "यूनिवर्सल ला आफ रीबैलेंसिंग" कहा जाता है।) यानी हर वो बीमारी जिसमें डॉक्टर फ़ेल हो जाते हैं और आपको ऐलोपैथिक दवा ज़िन्दगी भर खाने को बता दिया करते हैं, ठीक उसके उलट मेरी दवा "HEALTH IN BOX®" का सेवन शुरू करते ही सबसे पहले तो बरसों से आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बनी ऐलोपैथिक दवा बंद हो जाएगी और मेरी इस दवा को चार, छः या नौ महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के क़ाबिल हो जाएंगे। आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। इस दवा की पैकिंग एक महीना केलिए 240 ग्राम होती है जिसकी क़ीमत मात्र ₹ 3000/- है। हिन्दुस्तान में हर जगह स्पीड पोस्ट से ये दवा भेजी जाती है। #HAKEEMMDABURIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in #LIFESTYLEDISEASES #UNANIMEDICINESRESEARCHCENTRE SHRUTI CHOWK PURANI BASTI ROAD JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND CONTACT 9334518872 & 8651274288 WHAT'S APP 8651274288 & 9334518872 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN website https://umrc.co.in/

Last updated date 20/09/2020


डायबिटीज़ एक साज़िश

अस्सलाम अलैकुम व रहमतुल्लाह वह बरकातोहु ! *डायबिटीज़ - "बीमारी नहीं,फ़ार्मा कंपनियों की साज़िश"* आज भारत में 7.5 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। इस पोस्ट को लिखने के पीछे मेरी मंशा सिर्फ एक ही है, और वो हैं आप! मुझे विश्वास है कि इस विधि से आप DIABETES से खुद को ठीक कर पाएंगे। तब आप लोगों की मदद करेंगे। जिससे वे फिर से स्वस्थ हो जाएं। स्वास्थ्य न केवल आपका अधिकार है बल्कि आपकी जिम्मेदारी भी है। आप सोच रहे होंगे कि, अगर यह तकनीक इतनी क्रांतिकारी है। फिर मैं यह क्यों नहीं जान रहा हूँ। डॉक्टर इस बारे में क्यों नहीं बताते ? इसे समझने के लिए आपको मेरे इन आँकड़ों का विश्लेषण करना होगा। पिछले *10 वर्षों में देश को DIABETES और उससे होने वाली बीमारियों के कारण 246 बिलियन डॉलर का महत्वपूर्ण नुकसान हुआ है,* जो पिछले साल के राष्ट्रीय बजट से सिर्फ 70 बिलियन डॉलर कम है। यह बहुत बड़ी रक़म है, यह एक बड़ा उद्योग है। आपकी बीमारी से किसी का बहुत बड़ा लाभ होता है। वे नहीं चाहते कि आप बीमारियों से मुक्त हों, वे केवल यही चाहते हैं कि आप बीमारियों के गुलाम हों, दवाओं के गुलाम हों। इस *साजिश को समझने के लिए आपको खाद्य और औषधि तंत्र को समझना होगा* । कृपया ध्यान दें! जब आप कुछ खाते हैं तो वह अनाज, सब्जी, चपाती, करी और फल हो। भोजन मुंह से पेट तक जाता है, आंत में जाता है। आंत में, यह छोटे कणों में टूट जाता है। यह लीवर में जाता है, लीवर में पुनर्संसाधन होता है। रक्त संचार की सहायता से भोजन पूरे शरीर में वितरित हो जाता है। ताकि वह शरीर के हर कोशिका में जाए जिसकी मदद से वह ऊर्जा पैदा कर सके, जिसकी मदद से वह शरीर की मरम्मत कर सके। इसका उपयोग शरीर के विकास में किया जा सकता है, या कुछ अन्य चयापचय गतिविधियों के लिए उपयोग किया जा सकता है, इस तरह शरीर काम करता है। इस प्रकार भोजन कोशिकाओं में जाता है। आपका शरीर भोजन के साथ कैसा व्यवहार करता है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि खाना स्वीकार करने के लिए हर सेल को अपना दरवाजा खोलना होता है। कोशिका स्वयं को नहीं खोल सकते। इसके लिए उन्हें ब्लड सर्कुलेशन में ख़ास केमिकल की जरूरत होती है, वह है "इंसुलिन"। आप कह सकते हैं कि इंसुलिन एक कुंजी है, कोशिका के दरवाजे की चाबी। इसका मतलब है, अगर इंसुलिन है, तभी कोशिका का दरवाजा खोला जा सकता है। और उसके बाद ही भोजन को कोशिकाओं में पहुँचाया जाएगा। यानी उनके शरीर की इंसुलिन बनाने वाली फैक्ट्री ठीक से काम नहीं करती है। *इंसुलिन उत्पादन फैक्ट्री का नाम PANCREAS है* । अग्न्याशय पेट के पीछे, जिगर के पीछे अंदर है। यह शरीर का एक छोटा अंग है, एक बहुत छोटा अंग है। यदि अग्न्याशय ठीक से काम नहीं करता है, तो इंसुलिन नामक कुंजी का उत्पादन नहीं होगा। इस मामले में, शरीर में भोजन के पर्याप्त संचलन के बावजूद, सेल इसका उपयोग नहीं कर पाएगा। उसे कहते हैं- हाई ब्लड शुगर, जिसे डायबिटीज कहते हैं। आप इसे अपने घर पर एक रेफ्रिजरेटर के रूप में मानते हैं जिसका दरवाजा बंद है। खाना उसके अंदर है, लेकिन तुम्हारे पास चाबी नहीं है। *यानी मधुमेह।* आप डॉक्टर के पास जाओ, वह आपको एक दवा देगा, जिसे मेटामॉर्फिन कहा जाता है। मेटामॉर्फिन सीधे लीवर पर हमला करता है, यह लीवर को ब्लड शुगर को नियमित करने के लिए मजबूर करता है। लेकिन यह तरकीब ज्यादा दिन तक नहीं चलती। *कभी-कभी "मेटामॉर्फिन" लेने के बावजूद भी रोगी को आराम नहीं मिलता है* , डॉक्टर ने "मेटामॉर्फिन" के साथ एक और दवा डाली, जिसे "सल्फ़ोनिल्युरस" कहा जाता है। यह दवा अग्न्याशय पर काम करती है। *यह दवा अग्न्याशय को अधिक इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए मजबूर करती है।* कभी-कभी, यह काम करता है। लेकिन उसके बाद दवाओं के बोझ के कारण अग्न्याशय पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है, यानी शरीर इंसुलिन का उत्पादन बिल्कुल नहीं कर रहा है। अब, डॉक्टर कहेंगे, आपके शरीर ने *इंसुलिन का उत्पादन बंद कर दिया है।* इसका मतलब है कि *आपको दिन में कई बार इंसुलिन को अपने शरीर में इंजेक्ट करना होगा।* हर बार जब आप खाना खाएंगे तो आपको इंजेक्शन लगाना होगा। क्योंकि इंसुलिन बनाने वाली बॉडी की फैक्ट्री अब बंद हो गई है। यह यहीं नहीं रुकता क्योंकि वे अग्न्याशय क्षतिग्रस्त हैं। कुछ रोगी में अग्नाशय के कैंसर का खतरा होगा। लेकिन, दवा का एक और वर्ग है, *जिसे अल्फा - ग्लुकोसिडेस इनहिबिटर कहा जाता है।* यह दवा INTESTINE में काम करती है। यह दवा आंत को धीरे-धीरे कार्बोहाइड्रेट छोड़ने के लिए मजबूर करती है। लेकिन, इसके अपने साइड इफेक्ट होते हैं। इस वजह से अग्न्याशय पर अधिक भार पड़ता है। *कुछ समय बाद ट्यूमर, कोलन कैंसर जैसे रोगों की समस्या होती है।* फिर दवा का एक और वर्ग है, जिसे ग्लिटाज़ोन कहा जाता है! *GLITAZONES एक ही समय में शरीर की प्रत्येक कोशिका पर कार्य करता है।* ताकि इन्सुलिन के प्रति कोशिकाओं की संवेदनशीलता थोड़ी बढ़ जाए। लेकिन इस दवा के साथ समस्या यह है कि जो मरीज इन दवाओं को लेते हैं। कुछ वर्षों के बाद वे ब्लैडर कैंसर के रोगी बन जाते हैं। इसीलिए फ्रांस और जर्मनी सहित कई देशों ने GLITAZONES पर प्रतिबंध लगा दिया है। *भारत में लगभग 30 लाख रोगी GLITAZONES दवा लेते हैं।* मेरा मतलब है कि यदि आप कुछ लंबे समय तक मधुमेह की दवाओं पर हैं, तो वह किसी और गंभीर बीमारी के साथ समाप्त हो जाएगा। भारत में *15% जनसंख्या जो मधुमेह रोगी हैं वह नेत्रहीन हैं। लगभग 20% आबादी ने अपना अंग खो दिया है।* *50% से अधिक आबादी दवाओं के दुष्प्रभावों के कारण वे किडनी फेल्योर के भी मरीज हैं।* *1947 तक हम अंग्रेजों के गुलाम थे और आज हम अंग्रेजी दवाओं के गुलाम हैं।* *हम सब मिलकर भारत को तीन डी - ड्रग्स, बीमारी और डॉक्टर से मुक्त करने में मदद कर सकते हैं।* BUT DON'T WORRY , डायबिटीज़ या किसी भी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ को हमेशा केलिए बाय बाय कहने का समय आ गया है। अब ये डायबिटीज़ या उच्च रक्तचाप, कैंसर या हार्ट ब्लाकेज, किडनी फेलियर हो या कि डायलिसिस -- ऐसी *तमाम बिमारियां हमेशा केलिए "रिवर्स" (REVERSE) होंगी* और वो भी केवल एक युनिक यूनानी दवा *HEALTH IN BOX ™* से। तो देर किस बात की, लगे हाथ संपर्क करें:- *हकीम मो अबू रिज़वान* बीयूएमएस, आनर्स (बीयू) *यूनानी चिकित्सक* स्पेशलिस्ट इन लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ यूनानी मेडिसींस रिसर्च सेंटर सोनबरसा रफ़ीगंज औरंगाबाद बिहार।