मेरी इस दवा को सिर्फ चार महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के काबिल हो जाएंगे। आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।

Cancer Treatment

भारत में कैंसर के 14 लाख मरीज़ !

118:- "DISEASE FREE WORLD" "भारत में कैंसर के 14 लाख मरीज, 2018 में दुनियाभर में 96 लाख मौतें" पुरुषों में सबसे ज्यादा तादाद फैफड़े के कैंसर के मरीजों की है जो कि 10.6 फीसदी है। भारत में कैंसर दूसरी सबसे ज्यादा कॉमन बीमारी बनती जा रही है जिससे सबसे ज्यादा मरीज जान गंवा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर भी यह जानलेवा बीमारी सबसे ज्यादा खतरा बनी हुई है। कैंसर की बीमारी से होने वाली मृत्यु दर सबसे ज्यादा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट कहती है कि भारत में पिछले 26 सालों में कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ा है। ब्रेस्ट कैंसर ने सबसे तेजी से अपने पांव पसारे हैं। भारतीय महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ा है। साल 2016 की ICMR की रिपोर्ट की बात करें तो भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या 14 लाख से ज्यादा है। भारत में हर साल 10 लाख मरीज कैंसर की बीमारी का इलाज कराते हैं।  पुरुषों में सबसे ज्यादा तादाद फैफड़े के कैंसर के मरीजों की है जो कि 10.6 फीसदी है जबकि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की तादाद 27.5 फीसदी है।    भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या 14 लाख से ज्यादा है:-


सरकार ने कैंसर की बीमारी के चार प्रकार को प्राथमिकता में रखा है। इनमें से पहले नंबर पर ब्रेस्ट कैंसर है। कैंसर की बीमारी में 41 फीसदी खतरा ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर, ओरल कैंसर और लंग्स  कैंसर का है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की तीन साल पुरानी रिपोर्ट में इस बात को बताया गया है।  भारत में होने वाले टॉप तीन प्रकार के कैंसर की बात करें तो इनमें ओरल कैंसर की तादाद सबसे ज्यादा है। पुरुषों में होने वाले सभी तरह के कैंसर में ओरल कैंसर की तादाद सबसे ज्यादा है। जबकि, महिलाओं में इस प्रकार के कैंसर होने की संभावना तीसरे नंबर पर है।   भारत ने साल 2012 में अपने जीडीपी का 0.36 फीसदी कैंसर पर खर्च किया था:- महिलाओं में होने वाला सबसे कॉमन कैंसर ब्रेस्ट कैंसर है। भारत ने साल 2012 में अपने जीडीपी का 0.36 फीसदी कैंसर पर खर्च किया था। कैंसर एक नहीं बल्कि 100 तरह का कैंसर होता है। लेकिन भारत में जो सबसे ज्यादा ब्रेस्ट, कैविटी और ओरल कैंसर के मरीजों की संख्या ज़्यादा है। वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉक्टर मनीष कुमार का कहना है कि जीवनशैली में सुधार के जरिए कैंसर जैसी घातक बीमारी पर रोकथाम संभव है। सही वक्त रहते अगर कैंसर की बीमारी का इलाज करा लिया जाए तो इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है। अमेरिका में 33% और भारत में 68 % कैंसर के मरीजों की होती है मौत:- GLOBOCAN की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 18 सालों में भारत में कैंसर की बीमारी का खतरा 70 फीसदी तक बढ़ सकता है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह ख़तरनाक बीमारी हमारे बदलते जीवनशैली में किस तरह से हमें प्रभावित कर रही है। इस रिपोर्ट का कहना है कि 2035 तक कैंसर के 17 लाख नए मरीज बढ़ सकते हैं।   अमेरिका में 33% और भारत में 68 % कैंसर के मरीजों की होती है मौत :- कैंसर के मरीजों की मृत्यु दर की बात की जाए तो भारत अमेरिका से भी आगे है। अमेरिका में जहां कैंसर की बीमारी से ग्रसित मरीजों की मृत्यु दर 33 फीसदी है, तो वहीं भारत में यह संख्या 68 फीसदी है। यानी कि अमेरिका से भी दोगुनी तादाद में  भारत में कैंसर की बीमारी से मरीजों की मौत होती है। साल 2016 में भारत में केंसर के मरीजों के 14.5 लाख नए केस सामने आए थे:-


साल 2016 में भारत में केंसर के मरीजों के 14.5 लाख नए केस सामने आए थे। वहीं भारत में कैंसर से मरने वाले मरीजों की संख्या 736,000 से ज्यादा थी। साल 2030 तक कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़कर 17.3 लाख से ज्यादा होने की संभावना है। वहीं 2020 तक इस बीमारी से मरने वाले मरीजों की संख्या 880,000  को पार कर सकती है। ये आंकड़ें इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के हैं। कैंसर की बीमारी को लेकर एक सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि 80 फीसदी कैंसर के मरीजों का पता एडवांस स्टेज में चलता है। ऐसे में भारत में कैंसर सेंटर भी मरीजों के इलाज के लिए कम पड़ सकते हैं। डॉ मनीष कुमार का कहना है वर्तमान सरकार ने कैंसर के प्रति जागरुकता अभियान चलाया है और कई राज्यों में एम्स खोले हैं। लेकिन अभी भारत में इस बीमारी से लड़ने के लिए और ज्यादा कैंसर केयर यूनिट की जरूरत है। कैंसर की बीमारी को लेकर एक सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि 80 फीसदी कैंसर के मरीजों का पता एडवांस स्टेज में चलता है। ये ही वजह है कि भारत में कैंसर से मरने वाले मरीजों की संख्या 68 फीसदी से भी ज्यादा है। अगर वक्त पर कैंसर की बीमारी का पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है। भारत में कितने फीसदी महिला और पुरुष हैं कैंसर की बीमारी से पीड़ित?:- पुरुष:- लंग कैंसर- 10.6 फीसदी स्टॉमक कैंसर- 7.6 फीसदी प्रोस्टेट कैंसर- 7 फीसदी ब्रेन कैंसर-   5 फीसदी महिलाएं:- ब्रेस्ट कैंसर- 27.5 फीसदी गर्भाशय कैंसर-12.3 फीसदी माउथ कैंसर- 3.9 फीसदी अंडाशय कैंसर- 5.5 फीसदी 2018 में हुई कैंसर से 96 लाख मौतें:- आपको जानकर हैरानी होगी साल 2018 में दुनियाभर में कैंसर से 96 लाख से ज्यादा मौतें हुई थी। वहीं विकासशील देशों की बात करें तो यहां कैंसर से मौतें सबसे ज्यादा हुई हैं। विकासशील देशों में कैंसर की बीमारी से मरने वाले की तादाद 70 फीसदी है। 22 फीसदी मरीजों को कैंसर तंबाकू के सेवन से हो रहा है। (आंकड़ें- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और नेशनल कैंसर रजिस्ट्री (ICMR)) एक चैलेंज:- जिस किसी को भी किसी भी प्रकार के कैंसर की समस्या या कोई भी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ जैसे उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, मोटापा, हार्ट ब्लाकेज, कोलेस्ट्रॉल, थायराइड, अर्थराइटिस, सोरियासिस, आंत व जिगर संबंधित रोग, अस्थमा इत्यादि तकलीफ़ हो गई है उनके लिए मैंने काफ़ी रिसर्च करके एक युनिक यूनानी दवा HEALTH IN BOX ® तैयार की है जिसके सेवन से सिर्फ चार या छः या नौ महीने में उपरोक्त सभी प्रकार के रोग हमेशा केलिए "रिवर्स" हो जाती हैं। उस दवा का नाम है :- "HEALTH IN BOX ®" जिस दिन से इसे लेना शुरू करेंगे उसी दिन से तमाम अंग्रेज़ी दवाओं को छोड़ने केलिए आप मजबूर हो जाएंगे। इसका कोर्स पूरा करने के पश्चात् आप बिल्कुल सेहतमंद जिंदगी गुज़ार सकते हैं, बिना किसी दवा के। HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES +UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE+ JAMSHEDPUR JHARKHAND Contact 9334518872 & 8651274288 What's App 9334518872 YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN Website https://umrc.co.in/

Last updated date 20/10/2020

ریفائنڈ آئل کیسے تیار کیا جاتا ہے ؟

اگر ہندوستان میں کوئی بھی ایسی چیز ہے جس میں سب سے زیادہ اموات ہوں ، تو اس "ریفائنڈ تیل کہی جاتی ہے۔ کیرالہ آیورویدک یونیورسٹی ریسرچ سینٹر کے مطابق ، "ریفائنڈ تیل" ہر سال 20 لاکھ افراد کی ہلاکت کا سبب بنتا ہے۔ "ریفائنڈ تیل ڈی این اے کو ، آر این اے کو نقصان پہنچانے والی ، دل کا دورہ ، دل کی رکاوٹ ، دماغ کو نقصان ، فالج، شکر (ذیابیطس) ، بلڈ پریشر ، نامردی، کینسر ، ہڈیوں کا کمزور ہونا ، جوڑوں کا درد ، کمر میں درد ، گردے کو نقصان ، جگر کے نقصان کا سبب بنتا ہے۔ کولیسٹرول ، آنکھوں کی روشنی کم ہونا ، لیکوروریا ، بانجھ پن ، ڈھیر ، جلد کی بیماری وغیرہ ہزاروں بیماریوں کی سب سے بڑی وجہ ہیں۔ "ریفائنڈ تیل " کیسے بنائے جاتے ہیں؟ تیل کو چھلکے ہوئے بیجوں کے ساتھ نکالا جاتا ہے ، اس طریقے سے ، تیل میں جو بھی نقائص آتا ہے ، وہ صاف کرکے اس کو بہتر بنایا جاتا ہے تاکہ تیل کا ذائقہ ، بو اور بے رنگ ہوسکے۔ دھلائی: - پانی ، نمک ، کاسٹک سوڈا ، گندھک ، پوٹاشیم ، تیزاب اور دیگر مضر تیزاب دھونے کے ل. استعمال ہوتے ہیں ، تاکہ نقائص ختم ہوجائیں۔ یہ بنانے کے لئے استعمال کیا جاتا ہے یہ تیل تیزاب کی وجہ سے زہر آلود ہوگیا ہے۔ تشخیص: - تیل کے ساتھ کاسٹک یا صابن ملا کر 180 ° F پر گرم کیا جاتا ہے۔ جس کی وجہ سے اس تیل کے تمام غذائی عنصر ختم ہوجاتے ہیں۔ بلیچنگ: اس طریقہ کار میں ، تیل کا رنگ اور شامل کیمیکل 130 P F پر گرم کیا جاتا ہے جو P O P (پلاسٹر آف پیرس ، جو مکانات بنانے کے لئے استعمال ہوتا ہے) کا استعمال کرتے ہیں! ہائیڈروجنسیشن: - کسی ٹینک میں تیل کے ساتھ نکول اور ہائیڈروجن کا ملاوٹ ہل جاتا ہے۔ ان سارے عمل میں ، تیل کو 7-8 بار گرم اور ٹھنڈا کیا جاتا ہے ، جس سے تیل میں "پولیمر" تشکیل پاتا ہے ، جو "نظام انہضام" کو خطرہ بناتا ہے ، اور کھانے کی کم ہضم عمل کا سبب بنتا ہے۔ نکیل: - کیٹالسٹ میٹل (آئرن) کی ایک قسم ہے جس سے ہمارے جسم کے ریپریٹری نظام ، زندہ ، سکین ، میٹابولزم ، ڈی این اے ، آر این اے کو شدید نقصان ہوتا ہے۔ "ریفائنڈ کرکے تیل کے تمام عناصر کو ختم کر دیا جاتا ہے اور تیزاب (کیمیائی) شامل کیا جاتا ہے ، اس سے اندرونی اعضاء کو نقصان ہوتا ہے۔ گندا نالیوں کا پانی پیجئے ، کچھ نہیں ہوگا ، کیونکہ ہمارے جسم میں قوت مدافعت ان بیکٹیریا سے لڑتی ہے اور اسے ختم کردیتی ہے ، لیکن "ریفائنڈ تیل کھانے والا شخص وقت سے پہلے ہی مرنا یقینی ہے ۔ہمارا جسم کروڑوں سیل (خلیوں) پر مشتمل ہوتا ہے۔ بنا ہوا ، پرانے CELLS جسم کو زندہ رکھنے کے لئے نئے CELLS سے REPLACE کرتا ہے ، جسم نئے CELLS (خلیات) بنانے کے لئے خون کا استعمال کرتا ہے ، اگر "ریفائنڈ تیل استعمال کریں تو خون میں TOXINS کی مقدار بڑھ جاتی ہے۔ ، اور جسم کو نئے خلیے بنانے میں رکاوٹیں آتی ہیں ، اس کے بعد بہت ساری قسم کی بیماریوں جیسے - کینسر ، ذیابیطس ، دل کا دورہ ، بچ PROے کی دشواریوں ، الرجیوں ، اسٹومک السر ، پریشر ، امپوتینس ، آرتھرائٹس ، ڈپریشن ، ہائی بلڈ پریشر وغیرہ۔ ہو جائے گا. "ریفائنڈ تیل بنانے کے عمل سے تیل بہت مہنگا ہوجاتا ہے ، لہذا اس میں "پام آئل" شامل کیا جاتا ہے! (کھجور کا تیل خود ہی میٹھا زہر ہے) گورنمنٹ آرڈر: - ہمارے ملک کی پالیسی امریکی حکومت کے کہنے پر چلتی ہے۔ امریکہ کے پام آئل کو بیچنے کے لئے "،" منموہن حکومت "نے ایک آرڈیننس لاگو کیا جس میں یہ کہا گیا ہے کہ ہر تیل کمپنیوں کو پام آئل کو 40٪ خوردنی تیل میں شامل کرنا ہے ، بصورت دیگر لائسنس منسوخ ہوجائے گا۔اس سے امریکہ کو بہت فائدہ ہوا۔ اس کی وجہ سے ، لوگ زیادہ بیمار ہونا شروع ہوگئے ، دل کا دورہ پڑنے کے امکانات ٪ 99بڑھ گئے ، پھر دوائیں بھی امریکہ سے آنے لگیں ، دل میں لگنے والی STENTS دو لاکھ روپے میں فروخت ہوتی ہے ، یعنی امریکہ کے دونوں ہاتھوں میں لڈو :- "پام آئل" اور اس کی "دوائیں" بھی۔ اب بہت ساری معروف کمپنیاں ، یہاں تک کہ "پام آئل" سے بھی کم سستا ، نے کار سے کالا تیل (جسے آپ صرف کار سروس کے پاس چھوڑ دیتے ہیں) ، جو صاف اور خوردنی تیل میں بھی شامل کیا جاتا ہے ، کئی بار اخبارات میں اس کے پکڑے جانے کی اطلاعات آتی ہیں سویابین دال ہے ، تیل نہیں۔ دالیں :- مونگ ، چنے ، سویا بین اور ہر طرح کی دالیں۔ تیلہن :-سرسوں ، مونگ پھلی ، ناریل ، بادام وغیرہ شامل ہیں۔ لہذا ، سویا بین کا تیل خالص پام آئل ہے۔ سویابین کا استعمال پام آئل کو بہتر بنانے کے لئے کیا جاتا ہے۔ سویا بین کی ایک خصوصیت یہ ہے کہ یہ ہر ایک مائع کو جذب کرتا ہے ، پام آئل مکمل طور پر کالی اور الکترو کی مانند ہوتا ہے ۔اس میں سویا بین ڈال دیا جاتا ہے تاکہ سویا بین کا بیج پام کے تیل کی نرمی کو جذب کرے ، اور پھر سویا بین گھسائی کرنے والی جگہ لے جا تا ہے ، جو چکنائی مادہ "تیل" اور "آٹے" کو الگ کرتا ہے ، سویا مانگوڈی آٹے سے بنی ہوتی ہے! اگر آپ چاہیں تو ، سویا بین کو کسی بھی تیل نکالنے والے کے پاس لے جائیں اور اس سے تیل نکالنے کو کہیں۔ یہاں تک کہ ایک لاکھ روپے ادا کرنےکے بھی تیل نہیں نکالے گا ، کیوں کہ سویا بین کا آٹا بنتا ہے ، تیل نہیں! سورج مکھی ، چاول کی بھوسی (چارہ) وغیرہ کا تیل "ریفائنڈ کیے بغیر نہیں نکالا جاسکتا ، لہذا یہ زہریلا ہے! "خوش قسمتی" کا مطلب ہے آپ اور آپ کے اہل خانہ کا "مستقبل"۔ "سفولا" ، یعنی سانپ کے بچے کو "سپولا" کہا جاتا ہے۔ 5 سال کھانے کے بعد جسم کو زہر کردیا گیا "سپولا" (سانپ کاٹنے والا) 10 سال بعد "سانپ" بن گیا ہے۔ * موت کے 15 سال بعد ، یعنی "سفولا" اب "ڈریگن" بن گیا ہے اور وہ آپ کو نگل لے گا۔ غلط کھانوں کی وجہ سے قبل از وقت موت واقع ہوجاتی ہے۔ دماغ ، دولت اور روح کی تسکین کے لئے صرف کچی گھانی ، تل ، سرسوں ، مونگ پھلی ، ناریل ، بادام وغیرہ کا استعمال کریں۔ "کچے گھانی" کا نکالا ہوا تیل ہی استعمال کریں گے! آج کل سبھی کمپنیاں اپنی مصنوعات پر کچی گھانی تیل لکھتی ہیں ، جو سراسر غلط ہے ، سراسر دھوکہ ہے۔ کچی گھانی کا مطلب لکڑی ، مارٹر اور لکڑی سے بنا ہوا کولہو ہونا چاہئے ۔اس میں لوہے کا رگڑ نہیں ہونا چاہئے۔ اسے "کچی گھانی" کہا جاتا ہے ، جسے بیل چلاتے ہیں۔ آج کل موٹر بیل کی جگہ لائی گئی ہے! لیکن موٹر بیل کے بہ نسبت تیز دوڑتی ہے! لوہے کی بڑی مشینیں جن کے سلنڈر انتہائی تیز رفتار سے چلتے ہیں ، تیل کے تمام غذائیت پسند عناصر کو ختم کردیتے ہیں ، اور وہ لکھتے ہیں - "کچی گھانی"۔ نوٹ:- اس پوسٹ کو پڑھنے کے بعد ، اپنے خیالات کا اظہار کریں ، مجھے اچھا لگے گا۔ نیز ، اپنے دائرے میں مزید شیئر کریں۔ * میرے پاس صرف ایک دوا ®HEALTH IN BOX ہے ، جو پاؤڈر کی شکل میں ہے۔ اللہ کا شکر ہے کہ اس ایک ہی دوا سے تمام اقسام کے بیماریوں کا علاج بآسانی کیا جاتا ہے اور ہر اس بیماری کا علاج کلی طور پر هو جاتا ہے جسکے لیے ڈاکٹر حضرات اعلان کر دیا کرتے ہیں کہ تا حیات انگریزی دواؤں کے استعمال سے ہی زندہ رہ سکتے ہیں۔ مگر آپ کو یہ جان کر حیرانی ہوگی کہ میری اس دوا سے ہر قسم کی لاعلاج اور لائف سٹائل ڈیزیزیز ہمیشہ کے لیے REVERSE هو جاتی ہیں اور D 3 یعنی (ڈیزیز، ڈرگس اور ڈاکٹر) سے ہمیشہ کے لیے چھٹکارا۔ صبح اور شام 4 سے 4 گرام کاڑھی بنائیں اور استعمال کریں۔ کسی بھی بیماری میں کم از کم چار ماہ۔ حکیم محمد ابو رضوان (بی یو ایم ایس (آنرس یونانی فزیسیئن



Last updated date 09/10/2020

किर्ज़िदा राड्रिग्ज़ के आख़िरी अल्फ़ाज़

विश्व प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर, ब्लॉगर और लेखक *किर्ज़िदा रोड्रिग्ज* द्वारा लिखा गया एक नोट कैंसर से मरने से पहले। --- 1. दुनिया की सबसे महंगी ब्रांड कार मेरे गैरेज में पड़ी है। लेकिन मुझे व्हीलचेयर में बैठना होगा। 2. मेरा घर हर तरह के डिजाइन के कपड़े, जूते, महंगी चीजों से भरा है। लेकिन मेरा शरीर अस्पताल द्वारा प्रदान की गई एक छोटी सी चादर में ढका हुआ है। 3. बैंक का पैसा मेरा पैसा है। लेकिन वह पैसा अब मेरे किसी काम का नहीं है। 4. मेरा घर एक महल की तरह है लेकिन मैं अस्पताल में एक जुड़वां आकार के बिस्तर पर लेटी हूं। 5. मैं एक फाइव स्टार होटल से दूसरे फाइव स्टार होटल में जाती थी । लेकिन अब मैं अपना समय अस्पताल में एक प्रयोगशाला से दूसरे में जाने में लगा रही हूं। 6. मैंने सैकड़ों लोगों को ऑटोग्राफ दिया है - और आज डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन मेरा ऑटोग्राफ है।


6. मेरे बालों को सजाने के लिए मेरे पास सात ब्यूटीशियन थे - आज मेरे सिर पर एक भी बाल नहीं है। 6. एक निजी जेट में, मैं जहां चाहे उड़ सकती थी । लेकिन अब मुझे अस्पताल के बरामदे में जाने के लिए दो लोगों की मदद लेनी होगी। 9. हालांकि दुनिया भर में कई खाद्य पदार्थ हैं, मेरा आहार दिन में दो गोलियां और रात में खारा कुछ बूँदें हैं।


यह घर, यह कार, यह जेट, यह फर्नीचर, इतने सारे बैंक खाते, इतनी प्रतिष्ठा और इतनी प्रसिद्धि, इनमें से कोई भी मेरे लिए किसी काम का नहीं है। इसमें से कोई भी मुझे थोड़ा आराम नहीं दे सकता। यह केवल दे सकता है - कुछ प्यारे लोगों के चेहरे, और उनका स्पर्श। " मृत्यु से अधिक सत्य कुछ भी नही है।

Last updated date 09/10/2020

कैंसर

लाख टके का सवाल यह है कि जब तक किसी "डॉक्टर" , "हकीम" , "वैध" को यही नहीं मालूम कि कोई बीमारी कैसे होती है या किस कारण से होती है , तो कोई "डॉक्टर" , "हकीम" , "वैध" किसी मामूली से मामूली या बड़ी से बड़ी बीमारी का ईलाज कैसे कर पाएगा।ऐसे में वो ईलाज तो करेगा मगर सिर्फ अंधेरे में तीर चलाएगा, "लगा तो तीर नहीं तो तुक्का"।आपसे अनुरोध है कि इस सच्चाई को जन जन तक पहुंचाने में मेरी मदद करें। सोचने का समय आ गया है....................! कैंसर कोई बीमारी नहीं,बल्कि चिकित्सा जगत में पैसा कमाने का साधन मात्र है।पिछले कुछ सालों में कैंसर को एक तेजी से बढ़ती बीमारी के रूप में प्रचारित किया गया,जिसके ईलाज के लिए कीमोथैरेपी, सर्जरी या और उपायों को अपनाया जाता है,जो महंगे होने के साथ-साथ मरीज के लिए उतने ही खतरनाक भी होते हैं। लेकिन,अगर हम कहें कि कैंसर जैसी कोई बीमारी है ही नहीं तो ?


जी हां...! यह बात बिल्कुल सच है कि कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि को स्वास्थ्य जगत में कैंसर का नाम दिया गया है और इससे अच्छी खासी कमाई भी की जाती है।लेकिन, इस विषय पर लिखी गई एक किताब "THE WORLD WITHOUT CANCER" (वर्ल्ड विदाउट कैंसर),जो कि कैंसर से बचाव के हर पहलू को इंगित करती है,और अब तक विश्व की कई भाषाओं में ट्रांसलेट की जा चुकी है। इस किताब का दावा है कि कैंसर कोई बीमारी नहीं,बल्कि शरीर में "विटामिन बी 17" की कमी होना है।आपको यह बात जरूर जान लेना चाहिए कि कैंसर नाम की कोई बीमारी है ही नहीं,बल्कि यह शरीर में "विटामिन बी 17" की कमी से ज्यादा कुछ भी नहीं है।इस कमी को ही कैंसर का नाम देकर चिकित्सा के क्षेत्र में एक व्यवसाय के रूप में स्थापित कर लिया गया है,जिसका फायदा मरीज को कम और चिकित्सकों को अधिक होता है।चूंकि कैंसर मात्र शरीर में किसी विटामिन की कमी है तो इसकी पूर्ति करके इसे कम किया जा सकता है और इससे बचा जा सकता है।यह उसी तरह का मसला है जैसे सालों पहले "SCURVEY" रोग से कई लोगों की मौते होती थी,लेकिन बाद में खोज में यह सामने आया कि यह कोई रोग नहीं बल्कि विटामिन सी की कमी या अपर्याप्तता थी। कैंसर को लेकर भी कुछ ऐसा ही है। विटामिन बी 17 की कमी को कैंसर का नाम दिया गया है,लेकिन इससे डरने या मानसिक संतुलन खोने क बिल्कुल ज़रूरत नहीं है। मैं ने जो एक यूनानी दवा विकसित की है, उससे ये "कैंसर" चाहे जिस स्टेज का ही क्यों न हो,आप शत्- प्रतिशत सदा के लिए छुटकारा पा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए मोबाइल नंबर पर मुझसे CONTACT कर सकते हैंl


नोट:- इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अपना विचार अवश्य व्यक्त करें, मुझे अच्छा लगेगा| साथ ही आगे अपने सर्किल में ज़रुर शेयर करें | * मेरे पास दवा केवल एक ही है, जो पावडर की शक्ल में है| 4 - 4 ग्राम सुबह-शाम काढ़ा बनाकर पीना है| * ₹ 3000/- रूपये एक महीना (किसी भी बीमारी के लिए) है। * ₹ 6000/- रुपए एक महीना (CANCER , HIV-AIDS & TUMOUR के लिए) है। * इंडिया या इंडिया के बाहर कहीं भी स्पीड पोस्ट या कूरियर के द्वारा दवा भेजने का इंतज़ाम है|

Last updated date 30/09/2020

PROSTATE CANCER

अस्सलाम अलैकुम। मेरे एक मरीज़ जिनका नाम "RAM SHARAN SHUKLA है।ATTARRA,BANDA(UP) के रहने वाले हैं। इनका MOBILE NO 8840847810 है।उनसे आप सीख सकते हैं कि कैंसर से कैसे जीत सकते हैं।ये PROSTATE CANCER,(4th. STAGE) से पीड़ित थे। मैं जो कहता हूं कि,"CANCER का इलाज "CHEMOTHERAPY" से करना ऐसा ही है जैसे कि आपके गाल पर "मच्छर" बैठे और उसे मारने के लिए "MISSILE" का इस्तेमाल करें। मेरा दावा है कि किसी भी बीमारी को हमेशा के लिए "REVERSE" करना मेरी इस एक यूनानी दवा से शत् प्रतिशत संभव है। मेरी दवा शुरू होने के बाद 55वें दिन की रिपोर्ट बता रहे हैं। खुद उन्हीं की जुबानी सुनिए।


जिस किसी हकीम, वैध या डॉक्टर को यह पता ही नहीं है कि किसी रोग का कारण क्या है तो वो क्या इलाज कर पाएगा। वो तो आपको जांच की लिस्ट, दवा की लिस्ट , ढेर सारी बीमारियो के शिकार होने की संभावना और उसके बुरे परिणाम का भय,और अपनी बजट जो उसे नज़राना के रूप में चाहिए , वही थमाएगा। क्योंकी,भाई लोग,उसे तो धंधा करना है। ये छुटभैय्ए खानदानी हकीम वैध या बड़े बड़े डिग्री धारक डॉक्टर्स की दुकानदारी युंही नहीं चलती। ऐसे ऐसे डरावने, लुभावने सपने दिखा दिखा कर,डरा डरा कर छोटी से छोटी बीमारी को जैसे फुंसी का भगंदर बनाने के माहिर होते हैं। मेरा लिखा हुआ पोस्ट ध्यान से पढ़ें, मेरा वीडियो देखने के लिए YOUTUBE CHANNEL पर जाएं, टाइप करें:- UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE और देखें , जिसमें इलाज की बिल्कुल ऐसी नयी-नयी चौंकाने वाली जानकारी प्राप्त करेंगे, जो कभी कोई बड़े से बड़ा डॉक्टर,हकीम वैध आपको नहीं बताएगा। इलाज कोई खेल तमाशा नहीं है। बीमारी चाहे जो भी हो, सभी रोगों का कारण एक ही है-GLUCOSE & INSULIN का UNBALANCE होना इसे REBALANCE कर देने से ही कोई भी बीमारी हमेशा के लिए REVERSE हो जाती है।उस METHOD को "UNIVERSAL LAW OF REBALANCING" कहते हैं।जो केवल एक ही यूनानी दवा से किया जाता है। मैं ने ही यह दवा बनाई है। आप किसी भी प्रकार की बीमारियो का इलाज इस एक यूनानी दवा से करेंगे तो आप की बरसों से चलती आ रही अंग्रेजी दवाएं भी बन्द हो जाएंगी और बीमारी भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।


नोट:- किसी भी प्रकार की बीमारी की दवा मंगवाने के लिए ज़रूरी रक़म मेरे एकाउंट नं में डालें। BANK ACCOUNT DETAIL:- A/C NO 0324101031398 IFSC CODE CNRB0000324 DR M A RIZWAN CANARA BANK BRANCH DIAGONAL ROAD BISTUPUR JAMSHEDPUR JHARKHAND. * CANCER और TUMOUR को छोड़कर अन्य सभी रोगों के लिए:- Rs 3000/-(एक महीना के लिए) Rs 5600/-(दो महीने के लिए) Rs 8400/-(तीन महीने के लिए) * CANCER & TUMOUR की दवा कम से कम नौ महीने तक सेवन करना है।जिसका मूल्य:- Rs 6000/-(एक महीना के लिए) Rs 12000/-(दो महीने के लिए) डालें, और अपना "पोस्टल एड्रेस पिन कोड नं के साथ" भेजें। अगले दिन ही आपकी दवा स्पीड पोस्ट से भेज दी जाएगी। HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons(BU) UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND INDIA WHATSAPP NO 9334518872 CONTACT NO 8651274288

Last updated date 29/09/2020

صحت مند انسان

لوگ صحتمند رہنا ھی نھیں چاہتے۔ اسلئے دوائیں کھاتے ھوئے زندہ رہنے کی ناکام کوشش کرتے رہتے ھیں۔ انگریزی دوائیں کیمیکل ھوتی ھیں جو کسی بھی لحاظ سے ھمارے جسم کیلئے کسی بھی حالت میں فائدہ مند ھو ھی نھیں سکتے۔ اسکا رول ھمارے جسم کے اندر ایک "آتنکوادی" کی طرح ھے۔ ایک آتنکوادی سے اچھائی کی امید کرنا جاگتے میں سپنا دیکھنے جیسا ھی ھے۔تو پھر سوال یہ اٹھتا ھے کہ جب ھم بیمار ھوں تو کیا کریں؟ میرا یہ سوال ھے کہ قدیم زمانے میں بھی لوگ بیمار پڑتے تھے،تو وہ کیا کرتے تھے اور کیسے ٹھیک ھوتے تھے؟سب سے پہلی بات تو یہ ھے کہ وہ لوگ اکا دکا ھی بیمار پڑتے تھے اور لمبی عمریں گزار کر مرتے تھے۔ بیمار ھوئے بھی تو قدرتی چیزیں کھا کر ٹھیک ھو جایا کرتے تھے۔ انسان نیچر کی پیداوار ھے اور اسے بیمار ھونے پر نیچرل چیزیں ھی صحتمند کر سکتی ھیں۔ دوسری کوٸی بھی چیز نھیں کر سکتی ھیں۔ أج کے زمانے میں جدھر بھی نظریں گھماٸیں عجب غضب بیماریاں اور بیمار لوگ نظر أ جاٸیں گے۔ خیر خیریت پوچھنے پر بڑے ھی نرالے ڈھنگ سے انکا جواب ھوتا ھے :- " ھاں سب کچھ ٹھیک ٹھاک چل رھا ھے۔شوگر, بلڈ پریشر, کولیسٹرول, وٹامن, وغیرہ کی دواٸیں بلا ناغہ صبح شام لیا کرتا ھوں اور بس ٹھیک ھوں۔ اب ذرا اندازہ لگاٸیے کہ اتنی ساری دواٸیں لینے والا انسان گزشتہ کٸی سالوں سے کھاتے أرھا ھے اور پھر بھی کہتا ھے کہ "ٹھیک ھوں-" سننے میں کیسا اٹپٹا سا لگتا ھے کہ دن بھر میں صبح سے رات تک دواٶں کی خوراک لیتے رہنے والا انسان خود کو ٹھیک ٹھاک کہ رھا ھے۔وہ بیمار انسان تین وقت کا کھانا کھانے کو اتنا ترجیح نھیں دیتا جتنی دواٶں کے لٸے چوکنا رھتا ھے۔کیا مجال جو ایک وقت کی بھی دوا کھانے سے رہ جاٸے۔ ایسا کیسے ھو سکتا ھے؟ اجی جناب ! دوا کھانے والا تو بیمار کہلاتا ھے ٹھیک کیسے کہ رھا ھے خود کو۔ علاج تو ایسا ھونا چاھٸے کہ دوا کچھ دن یا کچھ ماہ کھاٸیے اور ٹھیک ہو جاٸیے۔ اصل میں ان سب کے پیچھے ایک بہت بڑی اور سوچی سمجھی سازش ھے جو پوری دنیا میں چند لوگوں کی طرف سے رچی گٸی ھے اور جسکا شکار ساری دنیا کے لوگ ھو گٸے ھیں۔ایک قسم کا "DISEEASE MONGERING" ھے یعنی "خوف کا کاروبار"۔ کچھ لوگ چاھتے ھیں کہ دنیا کی آبادی %15 کم ھو جاٸے۔اسلٸے انکی چاھت ھے کہ سارے لوگ انکی دواٶں کا استعمال کریں یعنی سبھی بیمار رہیں۔ PHARMACEUTICAL COMPANIES اور ALLOPATH DOCTORS اور PATHOLOGICAL LABS. اور دیگر صحت کے دشمن ھی یہ ساری سازشیں رچنے والے ھیں۔پوری دنیا میں انھوں نے قسم قسم کے "جال" بچھا رکھیں ھیں اور اس جال دنیا میں لاتعداد لوگ پھنستے چلے جا رھے ھیں۔لیکن لوگوں کو بالکل بھی احساس نھیں ھو رہا ھے کہ جسے وہ NEXT TO GOD مان بیٹھے ھیں اور اسکے ھر حکم کو من و عن مانتے جا رھے ھیں وہ ھماری صحت کا نھیں بلکہ ھماری "بیماری کا محافظ" ھے۔ اور اسطرح لوگ ھمیشہ بیمار رہتے ھوٸے ان نام نھاد ڈاکٹرس کے چکر لگاتے رھیں اونچی اونچی فیس دیکر انکی تجوری بھرتے رھیں۔ لوگ کنگال ھوتے رھیں۔حتی کہ گھر بار گروی رکھنا پڑے پھر بھی کم پڑ جاٸے۔ لیکن انکو کوٸی فرق نھیں پڑتا۔ وہ اس بات سے خوش ھیں کہ میرے چیمبر کے آگے لمبی قطار کھڑی ھے۔لوگ اس شوق میں اور اس خوش فھمی میں مبتلا ھیں کہ بس ایک بار ڈکٹر صاحب سے ملاقات ھوجاٸےتو سارے دکھ دور ھو جاٸیں گے۔ مگر سارے ارمان تب چکناچور ھو جاتے ھیں جب وہ ڈاکٹر بہت اچھی سی رونی صورت بناتے ھوٸے اپنے چیمبر سے باھر آکر کہتا ھے کہ میں نے اپنی جانب سے بڑی کوشش کی مگر آپکے مریض کی جان نھیں بچا سکا۔ میرے کہنے کا یہ مطلب ھے کہ وہ لوگوں کو صرف اپنا CUSTOMER بناکر رکھنا چاھتے ھیں اور یہی انکا اصل مقصد ھے۔لوگ انکی بھاری بھرکم فیس ادا کرتے رھیں اور مہنگی مہنگی دواٸیں استعمال کرتے رھیں۔ ذرا سوچٸے ! لوگ انہیں اپنی "صحت کا محافظ" سمجھتے ھیں اور وہ لوگوں کو صرف اور صرف اپنا CUSTOMER ۔ اور لوگوں کو یہ احساس ھی نہیں ھورھا ھے کہ وہ میرا تن بیکار کر رھا ھے۔میری زندگی بیکار کر رھا ھے۔زندگی بھرکی کماٸی کو دھیرے دھیرے کھینچ کر اپنی تجوری بھر رھا ھے۔مجھے کنگال کر رھا ھے اور قرضدار بنا دیا ھے۔ "پھر بھی ھم کہتے ھیں کہ ٹھیک ھیں۔ جبکہ روزانہ صبح سے شام تک ١٠۔١٠ اور ١٥۔١٥ گولیاں کھاتے ھوٸے زندہ رھنے کی ناکام کوشش کر رھے ھیں۔ بھلا یہ کیسی زندگی ھے میرے عزیز دوست؟ کوٸی بتاٸے گا مجھے کہ اسے کون سی زندگی کہتے ھیں؟ اب ذرا غور سے سنٸے ! ریسرچ کہتا ھے کہ "ساری بیماریوں کی وجہ صرف اور صرف "ایک" ھے۔اور جسم کے جس عضو میں کوٸی تکلیف رونما ھو جاٸے تو اسی عضو کی مناسبت سے مرض کا نام رکھ دیا جاتا ھے۔ اب جبکہ یہ ثابت ھو چکا ھے کہ سبھی اقسام کی بیماریوں کا سبب ایک ھی ھے تو کیا ھوا, "علاج" یعنی "دوا" بھی صرف اور صرف "ایک" ھی ھونا چاھٸے۔اور واقعی ایسا ھی ھے۔ کہ "ھر مرض کی ایک ھی دوا۔" میں نے یہی کیا ھے کہ سارے امراض کی ایک ھی دوا بنادی ھے اور کوٸی بھی کیسی بھی بیماری لیکر آتا ھے اسے وھی "ایک دوا" دے دیتا ھوں۔ چونکٸے مت! ہاں رزلٹ کے بارے میں جان کر ضرور چونک جاٸیں گے۔ تو سنٸیے جناب ! رزلٹ ٩٩ فیصد مل رھا ھے۔ اکثروبیشتر امراض میں تو اول روز سے ھی ve+ رزلٹ ملنا شروع ھو جاتا ھے۔ ورنہ تین ھفتے بعد تو ضرور ۔لیکن احتیاطاً تین مہینوں تک اس دوا کا استعمال اکثر امراض میں کافی ھوتا ھے۔ پھر دوا کی ضرورت نہیں۔ کچھ ھی امراض میں چھ سے نو مہینوں تک استعمال کرنا ھوتا ھے۔پھر بیماریوں اور دواٶں سے مکمل آزادی۔ ان شاء اللہ! کیا آپ بھی چاھتے ھیں کہ آ ٸندہ ساری زندگی بغیر دوا اور مرض کے گزرے۔تو دیر نہ کریں مجھ سے رابطہ کریں۔ اور اپنی ھر اس بیماری سے ھمیشہ کے لٸے چھٹکارہ پا لیں جسکے لٸے ڈاکٹر نے تا حیات دوا کھانے کی مہر لگادی ھو۔ سر سے پاٶں تک سبھی امراض کی صرف اور صرف ایک ھی دوا ھے۔ کیونکہ ھر مرض کی وجہ صرف اور صرف ایک ھی ھے۔ HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES +UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE+ SHRUTI CHOWK PURANI BASTI ROAD JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND CONTACT 8651274288 & 9334518872 WHAT'S APP 9334518872 & 8651274288 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN



Last updated date 23/09/2020

कैंसर - बीमारी या व्यवसाय ?

INDIAN CANCER SOCIETY का विज्ञापन प्रकाशित हुआ। पढ़िए, समझिए और मंथन कीजिए, कि कैसे-कैसे डरावने सपने दिखाए जाते हैं। आपको डराया जाता है, भय और डर दिखाकर इस तरह की "जांच" के लिए आपको "प्रेरित" किया जाता है। उनके अनुसार निश्चित अवधि में समय-समय पर MAMMOGRAPHY करवाएं और उनकी "कमाई" में इज़ाफ़ा करते हुए अनचाहे रोग "कैंसर"को न्योता दे कर जीवन भर उस अभिषाप यानी "कैंसर" का सबसे दुखदाई ईलाज झेलते रहें, अस्पतालों और डाक्टरों की तिजोरियों को भरते रहें,स्व्यं को कंगाल बनाते रहें। और जब आपकी सारी जमा पूंजी ख़त्म हो जाती है तो "वो" भगवान् रूपी "डॉक्टर" आपके सामने दोनों हाथ जोड़कर बड़ी विनम्रता और दर्द भरे लहजे में जवाब देगा कि "मैं ने आपके मरीज़ को अंतिम समय तक बचाने की कोशिश की,मगर अब मेरे पास करने को कुछ भी नहीं है, अतः आप इसे अब घर ले जाईए, क्योंकि अब इनकी ज़िन्दगी दो चार महीने की ही है। और .... फिर हाथ झटक कर आपके सामने से ग़ायब।     यही विडंबना है। जिसका जीता जागता उदाहरण है नीचे का ये "विज्ञापन",आप भी पढ़िए, होशियार हो जाईए..................


 * जब सही लक्षण और उपाय जानेंगे तभी स्तन कैंसर से आगे रहेंगे। आज कैंसर का पता लगाने से लेकर उपचार तक, तकनीक से लेकर जागरूकता तक बहुत तरक्की हो चुकी है, और इसलिए इसे पछाड़ने में हम पहले से कहीं ज़्यादा सफल हो रहे हैं, तो अब बात करते हैं स्तन कैंसर की, और कैसे उससे आगे रहा था सकता है। भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे अधिक पाया जाता है। 28 में से 1 महिला को स्तन कैंसर होने की संभावना है। लक्षणों पर नज़र रखना है ज़रूरी: यहां दिए हुए लक्षण कैंसर ही हों, यह ज़रूरी नहीं, पर इनके नज़र आने पर एकबार डाक्टर से सलाह ज़रूर लें:-     स्तन पर या बगल में गांठ     निप्पल पर खुजली या चकत्ते आना    स्तन या बगल में दर्द    स्तन के आकार या माप में बदलाव    मांसपेशी का एक जगह पर मोटा होना    स्तन में सूजन,या उसका काला या लाल पड़ना    निप्पल से रिसाव    चर्चा का संतरे के छिलके जैसा दिखना    निप्पल का उलट जाना    जांच रखेगी आगे:-स्क्रीनिंग यानी कैंसर की जांच,लक्षण नज़र आने के पहले कैंसर को पकड़ लेती है और इन तीन तरीकों से की जा सकती है:- खुद की हुई जांच:- अपने स्तन और बगलों की जांच,हर महीने, माहवारी के एक हफ्ते बाद,20 साल से ज़्यादा की महिलाओं के लिए। डॉक्टर या नर्स द्वारा क्लिनिकल जांच:-20 से 30 वर्ष की औरतें हर तीन साल पर कराएं और 40 की उम्र के बाद हर साल। मैमोग्राफी यानी स्तन का एक्स-रे:- 45 वर्ष की उम्र के बाद डॉक्टर की सलाह पर इन सभी बातों को ध्यान में रख कर व जीवन शैली में छोटे छोटे परिवर्तन ला कर हम कैंसर से आगे रह सकते हैं और जब आप जान ही गए हैं तो अपने आसपास के लोगों को भी बताईए। खुद भी दो क़दम आगे रहिए और उनको भी आगे रखिए।


 याद रखिए:- गांठ, ट्यूमर, गिल्टी ईत्यादि होने का यह अर्थ नहीं है कि वह "कैंसर" है।ये गांठ या ट्यूमर "कैंसर" का रूप तभी ले सकता है जब आप डॉक्टर के पास जा कर चेक अप करवाएंगे। कैंसर का सबसे बड़ा कारण BIOPSY और MAMMOGRAPHY या X-RAY आदि है। हर किसी के शरीर में कैंसर, ट्यूमर, सर्पों रहता ही है,ये न हो तो हम जीवित नहीं रह सकते।उनको जबतक छेड़-छाड़ नहीं करेंगे तब तक ये कैंसर में परिवर्तित नहीं होंगे।     एक निवेदन:- जागरूकता ही एकमात्र विकल्प है। अगर, ट्यूमर, कैंसर का चले तो इसे छेड़छाड़ करने से रुक जाइए। मुझसे संपर्क करें,पुर्ण समाधान बिल्कुल मुमकिन है।वो भी घर बैठे, बिना किसी तकलीफ़ के ही आप कुछ ही महीनों में बिल्कुल सेहतमंद हो जाएंगे।    आपका शुभचिंतक     HAKEEM MD ABU RIZWAN                       BUMS,hons.(BU) Specialist in LIFESTYLE DISEASES             UNANI PHYSICIAN +UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE+ SHRUTHI CHOWK PURANI BASTI ROAD JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND INDIA CONTACT NO       8651274288 WHAT'S APP NO  9334518872 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com

Last updated date 23/09/2020





Cancer

अगर आप बरसों से कैंसर, डायबिटीज, हाई बीपी, हार्ट, मोटापा, थायरॉइड, कोलेस्ट्रॉल, दमा, गठियावात, सोरियासिस, किडनी फेल्योर, लीवर और ऐब्डोमिनल डिस आर्डर, इत्यादि लाईफ स्टाईल डीज़ीज़ से पिड़ित हैं और अंग्रेज़ी दवाओं का लगातार सेवन करने की लत लगी हुई है तो आज ही से आपकी सभी दवाएं छूट सकती है। केवल चार से छ: माह के लिए मेरी एक यूनानी दवा "HEALTH IN BOX" का पाबन्दी से सेवन करेंगे तो आपकी बीमारी हमेशा के लिए REVERSE हो जाएगी।फिर भविष्य में कभी भी किसी दवा की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी। * अंग्रेज़ी दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल करवाकर ही आपको डायलिसिस तक धकेला जा रहा है। डायबिटीज की दवाओं का ही नतीजा है लोग अंधापन का शिकार हो रहे हैं, किडनी फेल हो रहा है और लोवर लिम्ब काटने की नौबत आ रही है। * बी पी लो करनेवाली अंग्रेज़ी दवाओं से आपका दिल कमज़ोर हो रहा है, और नौबत हार्ट अटैक और लकवा तक पहुंच रहा है। * कोलेस्ट्रॉल कम करने की दव STATIN से हार्ट ब्लाकेज, बांझपन और नामर्दी की शिकायत बहुत ही ज़्यादा बढ़ गई है। सावधान रहें स्वस्थ रहें, और एक बार अवश्य विचार करें कि आपको सेहतमन्द रहकर जीना है या अंग्रेज़ी दवा का सेवन करते हुए ज़िन्दा रहने का असफल प्रयास करते हुए मृत्यु को प्राप्त करना है। फैसला आपको ही करना है, और आज ही। एक चैलेंज:- मैंने एक ही यूनानी दवा बनाई है जिसका नाम "HEALTH IN BOX®" है। इस एक दवा से सभी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ सदा के लिए REVERSE हो जाती हैं। क्योंकि सारी बीमारियां सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण से होती हैं। और वो कारण है:-"ग्लूकोज़" और "इन्सुलिन" का "इम्बैलेंस" होना।" तो सिर्फ इस "इम्बैलेंस" को "रिबैलेंस" कर देने भर से ही कोई भी बीमारी सदा केलिए रिवर्स हो जाती है। (इस विधि को "यूनिवर्सल ला आफ रीबैलेंसिंग" कहा जाता है।) यानी हर वो बीमारी जिसमें डॉक्टर फ़ेल हो जाते हैं और आपको ऐलोपैथिक दवा ज़िन्दगी भर खाने को बता दिया करते हैं, ठीक उसके उलट मेरी दवा "HEALTH IN BOX®" का सेवन शुरू करते ही सबसे पहले तो बरसों से आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बनी ऐलोपैथिक दवा बंद हो जाएगी और मेरी इस दवा को चार, छः या नौ महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के क़ाबिल हो जाएंगे। आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। इस दवा की पैकिंग एक महीना केलिए 240 ग्राम होती है जिसकी क़ीमत मात्र ₹ 3000/- है। हिन्दुस्तान में हर जगह स्पीड पोस्ट से ये दवा भेजी जाती है।