मेरी इस दवा को सिर्फ चार महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के काबिल हो जाएंगे। आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।

Abdominal Disorders Treatment

आयूष चिकित्सकों का घोर अपम

125:- "DISEASE FREE WORLD"       -:आयुष चिकित्सकों का भीषण अपमान:- आज दिनांक 8/122/2020 के दैनिक भास्कर के पृष्ठ संख्या 2 भर एक ख़बर आई, पूरी ख़बर से आप भी रूबरू होंगे तो अच्छा रहेगा। पूरी ख़बर नीचे पढ़ें:-    [आयुष चिकित्सक सर्जरी के लिए अयोग्य-डा संतोष।     आई एम ए के संयुक्त सचिव डॉक्टर संतोष गुप्ता ने कहा- इससे आयुष चिकित्सकों को बढ़ावा मिलेगा व असली चिकित्सकों की बदनामी होगी।शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जानकारी आयुष चिकित्सकों को नहीं है।इस अधिकार के तहत आयुष चिकित्सकों को जनरल सर्जरी, ई एन टी, नेत्र, हड्डी, डेंटल सहित अन्य सर्जरी करेंगे। यह फ़ैसला संस्थाओं में पिछले दरवाज़े से इंट्री का प्रयास है। उन्होंने आयुष चिकित्सकों को सर्जरी के लिए अयोग्य बताया है मौक़े पर आई एम ए सचिव डॉक्टर मृत्युंजय सिंह, संयुक्त सचिव डॉक्टर संतोष गुप्ता, डॉक्टर फ़िरोज़ अहमद, मिंटु अखौरी सिंह, डॉक्टर अशोक कुमार आदि मौजूद थे।    आई एम ए ने शनिवार को साकची आई एम ए भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलोपैथ चिकित्सकों ने मायोक्सपैथी का विरोध किया है, वहीं 11/12/2020 को शहर के सभी निजी-सरकारी अस्पतालों को बंद करने की घोषणा की है। मायोक्सपैथी के तहत आयूर्वेद, यूनानी व होमियोपैथी चिकित्सकों को सर्जरी करने का अधिकार दिया है, जो दुखद है। नेशनल मेडिकल काउंसिल ने आयुष चिकित्सकों को सभी तरह की सर्जरी करने का अधिकार दिया है। इससे ऐलोपैथी चिकित्सकों मेँ काफ़ी रोष है। इसके ख़िलाफ़ 11 दिसंबर को देश भर में ओपीडी, निजी क्लिनिक, पैथोलॉजी लैब, रेडियोलोजी सेंटर बंद रखने का निर्णय लिया गया है।सिर्फ एमरजेंसी सेवा कोविड केयर सेंटर खुले रहेंगे, ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं उठाना पड़े।]      ये ऐलोपैथिक चिकित्सक, ख़ुद को "तीसमार खां" बताने वाले दरअसल "हिप्पोक्रेट्स" की औलाद हैं।ये जो हिप्पोक्रेट्स था , उसका एक ही तर्क था-  "अगर आपको कोई भी शारीरीक विकार हो गया है तो उसका कारण यह है कि आपका "रक्त दूषित" हो गया है।" इस तर्क के कारण हज़ारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। आपको बता दें कि अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन भी इस हिप्पोक्रेट्स सिद्धांत के शिकार हुए और अपनी जान गंवाई। इशुनियश, क्लाउडियस इत्यादि हिप्पोक्रेट्स सिद्धांत के शिकार हुए।    उसने तो सिर्फ "रक्त" को ही निकालने की बात कही थी, मगर आजकल के ये हिप्पोक्रेट्स की औलादों ने तो सारी हदें पार कर दी। बस, उनका एक ही मत है-"कुछ भी है, काटकर निकाल दो। किडनी, लीवर, अपेंडिक्स, बच्चादानी, घुटने,  सब कुछ काटकर निकाल दो। अरे इन मुर्खों के मुरख को कौन समझाए कि अगर ये सारे अंग हमारे शरीर में व्यर्थ ही हैं तो क्या भगवान ही बेवक़ूफ़ था जो फ़ालतू के इस तरह के अंग बनाये।     ये महानुभव ऐलोपैथिक चिकित्सक बतायें कि पिछले ढाई सौ साल के इतिहास में तुमने लोगों को, समाज को क्या दिया? सुन लो ऐलोपैथिक चिकित्सको ! तुम्हारे पास लोगों को, समाज को देने के लिए सिर्फ और सिर्फ एक ही चीज़ है,और वो चीज़ है-"दर्द"।इससे तुम सब अच्छी तरह सहमत हो, मगर हिम्मत नहीं है कि सार्वजनिक तौर पर यह बात स्वीकार कर सको, क्योंकि तुम्हारी पोल खुल जाएगी। अपना इतिहास पढ़ो, उसमें ढूंढो कि कोई एक भी डायबिटीज़, हाई बीपी, हार्टअटैक व ब्लाकेज इत्यादि का रोगी तुम्हारी अंग्रेज़ी दवा का सेवन करने के दस, बीस, पचास साल तक लगातार सेवन करके भी ठीक हुआ क्या?    तुम ऐलोपैथिक चिकित्सकों को चैलेंज करता हूँ कि ऐसा एक भी सबूत दिखा दो।     इसे छोड़ो, सर्जरी की बात बताता हूं। हिन्दुस्तान का एक बादशाह था,उसका नाम "हैदर अली" था। बात 17575-80 ई. की है। उसके राज्य पर एक अंग्रेज़ "जेनरल कूट" हमेशा हमला किया करता था, लेकिन हर बार प्राजित हो जाता था। एकबार फिर उसने हैदर अली पर हमला किया और हार गया। गिरफ्तार हुआ और बादशाह के दरबार में पेश किया गया। वो उठा और अपनी तलवार से उसकी नाक काट दी,जबकि वो चाहते तो उसकी गर्दन उड़ा सकते थे, मगर ऐसा नहीं किया।एक घोड़ा दिया और कटी नाक उसके हाथ में थमाकर बोला कि भाग जा।नाक कटना बहुत बड़ी बात होती है। भागते-भागते एक गाँव से गुज़र रहा था तो एक आदमी ने उसे रोककर कटी नाक के बारे में पूछा तो उसे बताया कि पत्थर से कट गया, मगर उस देहाती ने सच बताया कि तुम्हारी नाक तलवार से कटी हुई है। मेरे गांव में एक आदमी है जो तुम्हारी नाक जोड़ देगा। जेनरल कूट उसके पास गया और मात्र तीन साढ़े तीन घंटे में उस नाई जाति के 21-22 साल के यूवक उसकी नाक जोड़ दी, उसी विधा को आज तुम माडर्न साइंस का दंभ भरने वालो प्लास्टिक सर्जरी या नैनो सर्जरी कहते हो जिसके लिए एक पैसा नहीं लिया। पंद्रह दिनों तक अपने घर में रखा और जाते हुए उसने आयूर्वेदिक दवा का लेप दिया और कहा कि तीन महीने तक इस लेप को लगाया करना। जेनरल कूट ने ये घटना अपनी डायरी में लिखी और ब्रिटिश संसद में सबको दिखाते हुए अपनी ये घटना सुनाई, जिसे देखकर कोई भी अंग्रेज़ मानने को तैयार नहीं था।फिर उसने अपने चंद डॉक्टर दोस्तों को भारत लेकर आया और यहां के विभिन्न स्थानों में घूमकर भारतीय शल्य चिकित्सक से सर्जरी सीखा।वापस जाकर इंग्लैंड में "फेलो आफ रोयाल सोसायटी" की  स्थापना की।और तुम ऐलोपैथिक चिकित्सको वहां से "एफ आर एस एच" की सर्टीफिकेट मंगवाकर अपने बोर्ड पर "एफ आर एस एच" दर्शाते हो और लोगों को भ्रमित करने का कार्य करते हो,धिक्कार है तुम और तुम्हारी काली करतूतों पर। हमारा देश सैंकड़ों साल तक अंग्रेजों की ग़ुलामी में रहा और हमारी संस्कृति, स्वास्थ्य, शिक्षा यानी सबकुछ बरबाद कर दिया, लूट कर सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत देश को कंगाल कर दिया।हमारे गुरुकुलों को तबाह कर दिया। और अपनी सुविधा के अनुसार ऐलोपैथिक दवा का चलन भारत में शुरू किया, बस यही तेरे ऐलोपैथिक चिकित्सा का इतिहास है।     और हां, जिस "एम बी बी एस" की डिग्री पर तुम इतराते हो ना, वो भी बकवास है। इसका फुल फार्म बताओगे - "बैचलर ऑफ मेडिसिन ऐंड बैचलर ऑफ सर्जरी"। लेकिन इसका शार्ट फार्म तो "बी एम बी एस" होना चाहिये। एक और डिग्री है तुम्हारी - "एम डी"। कोई इसका फुल फार्म पूछे तो तुम कहोगे - "डॉक्टर आफ मेडिसिन"। क्या ये सही है? असल में तो इसका फुल फार्म "मार्केटिंग आफ ड्रग्स" होना चाहिये। वाक़ई तुम ऐलोपैथिक चिकित्सक, किसी बीमारी का ईलाज नहीं करते, बल्कि "दवाओं की मार्केटिंग" ही करते हो, और ऐसी दवाएं लिखते हो जिसमें लंबा कमीशन मिलता हो।अपने दिल पर हाथ रखो और अंरात्मा की आवाज़ सुनो, डूब मरो तुम सब।    रामायण तो पढ़े ही होगे। जब रावण से युद्ध हुआ जिसमें लक्ष्मण मुर्छित हो गए तो हनुमानजी ने कौनसा "ऐलोपैथिक औषधि" हिमालय पर्वत से लाए थे, बताओ ज़रा। मेरे कहने का सार यह है कि भारत में आयूर्वेद का इतिहास लाखों वर्ष पुराना है, इसे नकारा नहीं जा सकता।तुम्हारे कहने से सच्चाई थोड़े ही बदल जाएगी।वो तो भला हो अंग्रेज़ हुकूमत का जिसने अपने शासनकाल में  आयूर्वेद को बरबाद कर दिया।अंग्रेज़ तो चले गए मगर उसकी आत्मा यहां के नेताओं में समा गयी, जो अंग्रेज़ी और अंग्रेज़ियत को भारत में बढ़ावा देते चले गये।वरना तुम्हारी औक़ात आयूर्वेद और यूनानी के आगे कुछ भी नहीं है।     मैं चैलेंज करता हूँ। आजतक तुम लोग लीवर की बीमारी में आयूर्वेद ही इस्तेमाल करते हो। कोई एक भी डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज का पेशेंट ठीक हुआ हो तो बताओ?     तुम्हें तो सिर्फ काटकर निकालना आता है क्योंकि लाखों रुपए मिलते हैं। और चाहते हो कि किसी की बीमारी कभी भी ठीक ही न हो और जीवन भर ऐलोपैथिक दवाओं का सेवन करते हुए तुम्हारे परमानेंट कस्टमर बने रहें, हर महीने तुम्हारे पास फीस देते रहें।अंजाम क्या होता है शुगर के मरीज़ों का- आंखों की रोशनी जाती है, किडनी फेल होती है या पैर कटवाना पड़ता है।     उसी आयूर्वेद से यूनानी चिकित्सा पद्धति का उद्भव हुआ है। दोनों में भाषा और तरीकों के सिवाय कोई फर्क़ नहीं है।होम्योपैथिक के जनक डॉक्टर हैनिमन तो स्व्यं ही "एम बी बी एस" यानी ऐलोपैथिक चिकित्सक थे। #HAKEEMMDABURIZWAN  #UNANIPHYSICIAN  Spl in #LIFESTYLEDISEASES  #UNANIMEDICINESRESEARCHCENTRE JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND  contact                              what's App 9334518872                    9334518872 8651274288                    8651274288 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN website https://umrc.co.in/



Last updated date 12/12/2020

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125:- "DISEASE FREE WORLD"       -:आयुष चिकित्सकों का भीषण अपमान:- आज दिनांक 8/122/2020 के दैनिक भास्कर के पृष्ठ संख्या 2 भर एक ख़बर आई, पूरी ख़बर से आप भी रूबरू होंगे तो अच्छा रहेगा। पूरी ख़बर नीचे पढ़ें:-    [आयुष चिकित्सक सर्जरी के लिए अयोग्य-डा संतोष।     आई एम ए के संयुक्त सचिव डॉक्टर संतोष गुप्ता ने कहा- इससे आयुष चिकित्सकों को बढ़ावा मिलेगा व असली चिकित्सकों की बदनामी होगी।शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जानकारी आयुष चिकित्सकों को नहीं है।इस अधिकार के तहत आयुष चिकित्सकों को जनरल सर्जरी, ई एन टी, नेत्र, हड्डी, डेंटल सहित अन्य सर्जरी करेंगे। यह फ़ैसला संस्थाओं में पिछले दरवाज़े से इंट्री का प्रयास है। उन्होंने आयुष चिकित्सकों को सर्जरी के लिए अयोग्य बताया है मौक़े पर आई एम ए सचिव डॉक्टर मृत्युंजय सिंह, संयुक्त सचिव डॉक्टर संतोष गुप्ता, डॉक्टर फ़िरोज़ अहमद, मिंटु अखौरी सिंह, डॉक्टर अशोक कुमार आदि मौजूद थे।    आई एम ए ने शनिवार को साकची आई एम ए भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलोपैथ चिकित्सकों ने मायोक्सपैथी का विरोध किया है, वहीं 11/12/2020 को शहर के सभी निजी-सरकारी अस्पतालों को बंद करने की घोषणा की है। मायोक्सपैथी के तहत आयूर्वेद, यूनानी व होमियोपैथी चिकित्सकों को सर्जरी करने का अधिकार दिया है, जो दुखद है। नेशनल मेडिकल काउंसिल ने आयुष चिकित्सकों को सभी तरह की सर्जरी करने का अधिकार दिया है। इससे ऐलोपैथी चिकित्सकों मेँ काफ़ी रोष है। इसके ख़िलाफ़ 11 दिसंबर को देश भर में ओपीडी, निजी क्लिनिक, पैथोलॉजी लैब, रेडियोलोजी सेंटर बंद रखने का निर्णय लिया गया है।सिर्फ एमरजेंसी सेवा कोविड केयर सेंटर खुले रहेंगे, ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं उठाना पड़े।]      ये ऐलोपैथिक चिकित्सक, ख़ुद को "तीसमार खां" बताने वाले दरअसल "हिप्पोक्रेट्स" की औलाद हैं।ये जो हिप्पोक्रेट्स था , उसका एक ही तर्क था-  "अगर आपको कोई भी शारीरीक विकार हो गया है तो उसका कारण यह है कि आपका "रक्त दूषित" हो गया है।" इस तर्क के कारण हज़ारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। आपको बता दें कि अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन भी इस हिप्पोक्रेट्स सिद्धांत के शिकार हुए और अपनी जान गंवाई। इशुनियश, क्लाउडियस इत्यादि हिप्पोक्रेट्स सिद्धांत के शिकार हुए।    उसने तो सिर्फ "रक्त" को ही निकालने की बात कही थी, मगर आजकल के ये हिप्पोक्रेट्स की औलादों ने तो सारी हदें पार कर दी। बस, उनका एक ही मत है-"कुछ भी है, काटकर निकाल दो। किडनी, लीवर, अपेंडिक्स, बच्चादानी, घुटने,  सब कुछ काटकर निकाल दो। अरे इन मुर्खों के मुरख को कौन समझाए कि अगर ये सारे अंग हमारे शरीर में व्यर्थ ही हैं तो क्या भगवान ही बेवक़ूफ़ था जो फ़ालतू के इस तरह के अंग बनाये।     ये महानुभव ऐलोपैथिक चिकित्सक बतायें कि पिछले ढाई सौ साल के इतिहास में तुमने लोगों को, समाज को क्या दिया? 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असल में तो इसका फुल फार्म "मार्केटिंग आफ ड्रग्स" होना चाहिये। वाक़ई तुम ऐलोपैथिक चिकित्सक, किसी बीमारी का ईलाज नहीं करते, बल्कि "दवाओं की मार्केटिंग" ही करते हो, और ऐसी दवाएं लिखते हो जिसमें लंबा कमीशन मिलता हो।अपने दिल पर हाथ रखो और अंरात्मा की आवाज़ सुनो, डूब मरो तुम सब।    रामायण तो पढ़े ही होगे। जब रावण से युद्ध हुआ जिसमें लक्ष्मण मुर्छित हो गए तो हनुमानजी ने कौनसा "ऐलोपैथिक औषधि" हिमालय पर्वत से लाए थे, बताओ ज़रा। मेरे कहने का सार यह है कि भारत में आयूर्वेद का इतिहास लाखों वर्ष पुराना है, इसे नकारा नहीं जा सकता।तुम्हारे कहने से सच्चाई थोड़े ही बदल जाएगी।वो तो भला हो अंग्रेज़ हुकूमत का जिसने अपने शासनकाल में  आयूर्वेद को बरबाद कर दिया।अंग्रेज़ तो चले गए मगर उसकी आत्मा यहां के नेताओं में समा गयी, जो अंग्रेज़ी और अंग्रेज़ियत को भारत में बढ़ावा देते चले गये।वरना तुम्हारी औक़ात आयूर्वेद और यूनानी के आगे कुछ भी नहीं है।     मैं चैलेंज करता हूँ। आजतक तुम लोग लीवर की बीमारी में आयूर्वेद ही इस्तेमाल करते हो। कोई एक भी डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज का पेशेंट ठीक हुआ हो तो बताओ?     तुम्हें तो सिर्फ काटकर निकालना आता है क्योंकि लाखों रुपए मिलते हैं। और चाहते हो कि किसी की बीमारी कभी भी ठीक ही न हो और जीवन भर ऐलोपैथिक दवाओं का सेवन करते हुए तुम्हारे परमानेंट कस्टमर बने रहें, हर महीने तुम्हारे पास फीस देते रहें।अंजाम क्या होता है शुगर के मरीज़ों का- आंखों की रोशनी जाती है, किडनी फेल होती है या पैर कटवाना पड़ता है।     उसी आयूर्वेद से यूनानी चिकित्सा पद्धति का उद्भव हुआ है। दोनों में भाषा और तरीकों के सिवाय कोई फर्क़ नहीं है।होम्योपैथिक के जनक डॉक्टर हैनिमन तो स्व्यं ही "एम बी बी एस" यानी ऐलोपैथिक चिकित्सक थे। #HAKEEMMDABURIZWAN  #UNANIPHYSICIAN  Spl in #LIFESTYLEDISEASES  #UNANIMEDICINESRESEARCHCENTRE JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND  contact                              what's App 9334518872                    9334518872 8651274288                    8651274288 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN website https://umrc.co.in/



Last updated date 12/12/2020

لندن پہنچا HEALTH IN BOX

[12/10, 10:38 PM] HIB FAZAL RASOOL MANCHESTER UK:! السلام علیکم محترم حکیم صاحب ! آپ انگلینڈ ہیلتھ ان بوکس والی دوائی بھیجتے ہیں؟ [12/10, 11:07 PM] HIB FAZAL RASOOL MANCHESTER UK: بہت معذرت ہندی مجھے پڑھنی نہیں آتی. [12/10, 11:08 PM] HAKEEM MD AB RIZWAN: کوئی بات نہیں، اردو میں لکھوں گا۔ " ہیلتھ ان باکس" انگلینڈ بھیج سکتا ہوں [12/10, 11:09 PM] HAKEEM MD ABU RIZWAN: آپ کہاں سے ہیں۔ براہ کرم فون کریں- کبھی بھی تاکہ تفصیل سے بتا سکوں- [12/10, 11:09 PM] HIB FAZAL RASOOL MANCHESTER UK: ابھی کر لوں؟ [12/10, 11:10 PM] HAKEEM MD ABU RIZWAN: Ji [13/10, 6:24 PM] HIB FAZAL RASOOL MANCHESTER UK:! السلام علیکم محترمی آپ کے پاس Western union کی کوئی برانچ ہے؟ میرے لیے وسٹر یونین کے ذریعہ رقم بھیجنا آسان ہے- [13/10, 6:30 PM] HAKEEM MD ABU RIZWAN: !وعلیکم السلام ورحمتہ اللہ وبرکاتہ جی بہت ہے، ہمارے آس پاس کئی کیفے ہیں جو ویسٹرن یونین کے برانچ چلاتے ہیں- [13/10, 6:38 PM] HIB FAZAL RASOOL MANCHESTER UK: آپ کو ID کی ضرورت ہوگی وسٹرن یونین سے رقم وصول کرنے کے لیے اور مجھے آپ کے آئی ڈی پر جو نام ہے اسکی ضرورت ہوگی- [13/10, 6:42 PM] HAKEEM MD ABU RIZWAN: آپکو اپنے ادھار کارڈ کی کاپی بھیج رہا ہوں۔ وہی یہاں پر ویسٹرن یونین آفس میں دکھانا ہوتا ہے۔ [13/10, 6:45 PM] HIB FAZAL RASOOL MANCHESTER UK:- جی بہتر [13/10, 10:29 PM] HIB FAZAL RASOOL MANCHESTER UK: میرا نام اور ایڈریس Name : Fazal Rasool Address : 03 colenso road bolton, Greater Manchester BL2 6DA [14/10, 1:02 PM] HAKEEM MD ABU RIZWAN: !السلام وعلیکم ورحمتہ اللہ وبرکاتہ الحمدللہ، ابھی ابھی اسپیڈ پوسٹ کردیا۔ کل -/ 2290 +12000=14290 روپیہ لگا۔ یعنی آپ مجھے بقایا رقم ٹرانسفر کرنے کی زحمت کریں۔ والسلام۔ [14/10, 1:37 PM] HIB FAZAL RASOOL MANCHESTER UK:! وعلیکم السلام ورحمۃ اللہ بہت نوازش بقیہ رقم ٹرانسفر کر دیتا ہوں اور اندازاً کتنے دن لگیں گے پہنچے میں؟ [14/10, 2:15 PM] HAKEEM MD ABU RIZWAN: جزاک اللہ خیرا لگ بھگ ایک ہفتے یا پہلے یا بعد۔ [14/10, 9:35 PM] HIB FAZAL RASOOL MANCHESTER UK: حضرت یہ میرے لیے ہے یا جنرل پوسٹ ہے؟ [14/10, 9:55 PM] HAKEEM MD ABU RIZWAN: . السلام وعلیکم ورحمتہ اللہ وبرکاتہ. یہ آپ کے لئے ہی ہے ،دوا کے ہر پیکٹ میں ایسا پیپر ملیگا لیکن وہ ہندی میں ہے۔ تو میں نے اردو میں لکھ بھیجا تاکہ دقت نہ ہو آپکو۔ اب آپ اسی طریقے پر صبح سے رات تک عمل کریں گے۔ دوا کا کورس مکمل ہونے کے بعد بھی۔ ویسے آپ کہاں کے رہنے والے ہیں؟ [14/10, 10:15 PM] HIB FAZAL RASOOL MANCHESTER UK: وعلیکم السلام ورحمۃ اللہ و برکاتہ۔ بہت شکریہ! میرا تعلق پاکستان لاہور سے ہے یہاں قریب گیارہ سال سے ہوں. یہ سب دوا شروع کرنے کے ساتھ کرنا ہے؟ نیبو پانی سے خوراک کی نالی میں جلن میں کافی اضافہ ہو جاتا ہے کاڑھے میں تلسی کے پتے یہاں نہیں ملیں گے، کھانا گائے کے گھی میں پکتا ہے جو خود گھر میں بنایا جاتا ہے اور دودھ صرف چائے میں استعمال کرتا ہوں اور وہ بھی دن میں ایک یا دو مرتبہ اور دھوپ یہاں پر نہیں نکلتی سخت سردی اور تقریباً ہر وقت بادل اور بارش اسی لیے پسینہ نہیں آتا شاید یہ بھی ایک وجہ ہے یہاں بیماریوں کی اور ترش اور کھٹی چیزوں سے خوراک کی نالی میں جلن میں کافی اضافہ ہو جاتا ہے. دودھ یہاں پر گائے کا ملتا ہے اور غالباً جو دودھ بڑھانے کے لئے ٹیکہ لگایا جاتا ہے وہ ادھر نہیں لگتا خالص دودھ ملتا ہے بچوں کو وہی دیتے ہیں شاید یہی وجہ ہے منع کرنے کی. گڑ، پھل اور سبزیاں مل جاتی ہیں اور یہاں پر نمک آئیوڈین کے بغیر والا مل جاتا ہے. دھوپ نہ ہونے کی وجہ سے یہاں وٹامن ڈی کی کمی بہت عام ہے اور عام طور پر جن چیزوں میں سے وٹامن ڈی حاصل کیا جاتا ہے جیسے دودھ وغیرہ ان چیزوں میں یہاں پر قدرتی طور پر وٹامن ڈی بہت کم ہوتا ہے جسکی وجہ سے ڈاکٹر بچوں اور بڑوں سب کو وٹامن ڈی کی گولیاں کھانے کا کہتے ہیں اگر مناسب سمجھیں تو کچھ اس بارے میں بھی مشورہ سے نوازیں [15/10, 8:13 AM] HAKEEM MD ABU RIZWAN: السلام وعلیکم ورحمتہ اللہ وبرکاتہ قدرتی طور پر دہوپ سے حاصل ہونے والی وٹامن ڈی کا کوئی الٹرنیٹ یا بدل نہیں۔ ہاں ، اس کمی کو پھلوں و سبزیوں سے ہی پوری کرنے کی کوشش کریں- جہاں تک ہوسکے ان دیے گئے چارٹ کو ہی اپنی زندگی کا حصہ بنانے کی سوچیں۔ فیکٹری پروڈکٹ، اینیمل پروڈکٹ، بیکری پروڈکٹ، ریفائنڈ آیل، آیوڈائذڈ نمک، کو گھر سے باہر نکالنے کی کوشش کریں-۔



Last updated date 15/10/2020

LIFESTYLE DISEASES - 100% REVERSIBLE

जिस किसी हकीम, वैध या ऐलोपैथिक डॉक्टर को यही नहीं पता कि किसी बीमारी के होने का "कारण" क्या है, तो वो ईलाज कैसे कर सकता है? इस पोस्ट को ग़ौर से पढ़ें........। "LIFESTYLE DISEASES 100% REVERSIBLE" "Please Read This Post Very Carefully And Share To All Your Friends:- Niche likhi kuchh la-ilaaj bimariyan jisko hamlog "LIFESTYLE DISEASES" ke naam se jaante hain,is tarah ki sari bimariyon ka mukammal ilaaj mumkin hai,wo bhi sirf 1 hi medicine se.Kyunki sari bimariyan "GLUCOSE+INSULIN" ki gadbadi ki wajah se hi wajood me aati hain,body part's k hisab uska naam diya jata hai. GLUCOSE,INSULIN ke bich me jabtak taalmel sahi hai,ham aap sehatmand hain.Yahi sabse badi sachayi hai jo hamse chhupayi gayi hai badi-badi "pharmaceutical company" ki taraf se,taki wo apna BUSINESS chala saken.Hamen daraya gaya hamesha,isi ko "DISEASES MONGERING" yani "BHAI KA VYAPAAR" kahte hain. DIABETES HIGH BP CHOLESTEROL THYROID ANY TYPES OF VIRAL DISEASES DENGUE H1N1 SWINE-FLUE CHIKANGUNIA HIV-AIDS etc. sabki HAQEEQAT ab duniya k samne aa chuki hain,jisko hamlog "LIFE STYLE DISEASE" ke naam se jaante hain. "ZARURAT HAI SIRF AWAAM, JANTA, SAMAAJ, SOCIETY, LOGON K JAAGNE KI." AAGE AAIYE,IS AWAAMI SAMAAJI BEDAARI CAMPAIGN ka hissa baniye.


3 MONTHS-DIABETES HIGH CHOLESTEROL, INTESTINAL DISORDER,THYROID HIGH BP 3-6 MONTH-ARTHRITIS,KIDNEY DYSFUNC- TION,OBESITY(5 kg/month),LIVER DISOR- DER, HEART DISEASES. 6 MONTHS-ASTHMA 9 MONTHS-SKIN DISORDER, ADVANCE STAGE OF CANCER.


Jo 1 UNANI MEDICINE main deta hun,Jo beaten main batata hun,wo sabse alag hota hai.Logon ko bilkul ajuba lagta hai,kyunki ALLOPATHIC UNANI AYURVEDIC & HOMEO PATHIC walon ne itna propaganda phailaya huwa hai ki isko sunne,samajhne ko koi taiyar nahi, 3 to 4 hrs lagte hain Logon ko samajhane,batane me.Sara kacha chittha kholkar jabtak nahin batata tabtak Logon ko yaqeen nahin hota.Aap chahen to main kahin bhi,kisi bhi platform par,hazaron Logon k darmiyan sabit karke dikha sakta hun. DIABETES and others LIFESTYLE DISEASES Ki ALLOPATHIC medicines 1st day se hi chhut jati hai,phir hamesha k liye "REVERSE" ho jati hai. 10000% GHALAT! aajtak logon ko pharma- ceutical companies, ALLOPATHIC UNANI, AYURVEDIC & HOMEO PATHIC COMPANIES & DOCTORS HAKEEM, VAIDYA bewaqoof banati rahi hain, company ke AGENTS ki tarah kaam karte hain,magar ab bas! DIABETES ya kisi bhi LIFESTYLE bimariyon k hone ke karan ko nazar andaz kiya jata raha,taki ye,and is tarah ki tamam bimariyon me zindagi bhar medicines khilate rahen, permanent customers banakar luten. jo medicine deta hun wo lene se pahle din se hi asar dikhata hai, ALLOPATHIC,UNANI AYURVEDIC HOMEOPATHIC MEDICINES chhodna padta hai,hamesha k liye.3 months k baad ye MERI UNANI MEDICINES bhi band.INSHA ALLAH ! FIRST YOU understand ME AND THEN CALL ME ON MY PHONE NUMBER 8651274288 FOR FURTHER QUERIES. **"Aapko ya aapke kisi apnon ko koi problem ho to likhe huwe ADDRESS par zarur aakar mil sakte hain."** * इसी तरह के पोस्ट जो मोडर्न साइंस की पोल खोलने वाली होंगी,मेरे फेसबुक टाईमलाईन पर जाएं,या मेरे Whatsapp no 9334518872 पर जाएं।उर्दू,हिन्दी और अंग्रेजी में ढेर सारे पोस्ट पढ़कर सच्चाई से रूबरू होंगे और देखेंगे कि कैसे ये फार्मासियुटीकल कंपनियां बेवकूफ बनाकर जनता को कंगाल बना रही हैं। नोट:- इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अपना विचार अवश्य व्यक्त करें, मुझे अच्छा लगेगा| साथ ही आगे अपने सर्किल में ज़रुर शेयर करें | * मेरे पास दवा केवल एक ही है, जो पावडर की शक्ल में है| 4 - 4 ग्राम सुबह-शाम काढ़ा बनाकर पीना है| * ₹ 3000/- रूपये एक महीना (किसी भी बीमारी के लिए) है। * ₹ 6000/- रुपए एक महीना (CANCER & TUMOUR के लिए) है। * इंडिया या इंडिया के बाहर कहीं भी स्पीड पोस्ट या कूरियर के द्वारा दवा भेजने का इंतज़ाम है| ........................... 1:- ACCOUNT DETAILS IDBI SAKCHI BRANCH , JAMSHEDPUR MOHAMMAD ABU RIZWAN A/C NO 0883104000001038 IFSC CODE IBKL0000883 2:- CANARA BANK BRANCH DR M A RIZWAN DIAGONAL ROAD BISTUPUR JAMSHEDPUR. A/C NO 0324101031398 IFSC CODE CNRB0000324 .......................... HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES

Last updated date 30/09/2020

सेंधा नमक

सेंधा नमक भारत से कैसे गायब कर दिया गया? शरीर के लिए BEST ALKALIZER है।आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ? आइये आज मैं आपको बताता हूं कि नमक कितने प्रकार होते हैं। एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक (ROCK SALT) जिसे "नमक लाहौरी" कहा जाता है। सेंधा नमक बनता नहीं है, पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘नमक लाहौरी’ आदि आदि नाम से जाना जाता है । जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ और सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है। यह ह्रदय के लिये उत्तम, ठंडी तासीर वाला, पचने में हल्का है । इससे पाचक रस बढ़ता हैं। तो आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकलें। काला नमक या सेंधा नमक प्रयोग करे, क्योंकि ये प्रकृति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है। भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था, विदेशी कंपनीयां भारत में नमक के व्यापार में आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही अंग्रेज़ी शासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है। हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ , आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आओडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है,आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गईं । और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो बिकता था । उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है। सेंधा नमक का भाव एकाएक महीने भर के अंदर 4 गुना क्यों हो जाता है? महीने भर के अंदर सेंधा नमक 15 रुपए किलो से 60 रुपए किलो होने का कारण भारत सरकार ने सेंधा नमक पर 70% टैक्स लगा दिया, सिर्फ इसलिए कि इसकी पहुंच साधारण वर्ग से दूर रहें, एक तरफ लोकल - वोकल की बात करने वाले देश के सबसे बड़े राष्ट्र भक्त से भी यह सवाल है ऐसी क्या मजबूरी थी कि एकाएक सेंधा नमक का रेट 4 गुना कर दिया गया। दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले BAN कर दिया। अमेरिका में नहीं है जर्मनी में नहीं है फ्रांस मे नहीं ,डेन्मार्क में नहीं , डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ? उनकी सरकार ने कहा हमने मे आओडीन युक्त नमक खिलाया , (1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए। जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया । उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होंने बैन लगाया। और शुरू के दिनो में जब हमारे देश में ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ तो इस देश के बेशर्म नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत मे बिक नहीं सकता । वो तो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया। आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था, सब सेंधा नमक ही खाते थे । सेंधा नमक के फ़ायदे:-


सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप के अलावा बहुत आरे गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है । क्योंकि ये अम्लीय नहीं बल्कि क्षारीय (ALKALINE) है। क्षारीय चीज जब अम्ल में मिलती है तो वो न्यूट्रल हो जाता है और रक्त में अम्लता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं । ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि ग़ैर मुस्लिम उपवास ,व्रत मे सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ? सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्त्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्त्वों की कमी पूरी नहीं होने के कारण ही लकवे (PARALYSIS) का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है। सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में भी बताया गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि ये वात, पित्त और कफ को दूर करता है। यह पाचन में सहायक होता है, और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं, यूनानी और आयुर्वेदिक औषधियों में भी प्रयोग किया जाता है। समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :-


ये जो समुद्री नमक है यूनानी और आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप में बहुत खतरनाक है ! क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है। अब आयोडीन भी दो तरह का होता है। एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है । दूसरा होता है INDUSTRIAL IODINE जो बहुत ही ख़तरनाक है। तो, समुद्री नमक जो पहले से ही ख़तरनाक है उसमें कंपनियां अतिरिक्त INDUSTRIAL IODINE डाल कर पूरे देश को बेच रही हैं। जिससे बहुत सी गंभीर बीमारियां हम लोगो को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है। आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक उच्च रक्तचाप (HIGH BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनती हैं । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (ACIDIC) होता है । जिससे रक्त की अम्लता बढ़ती है और रक्त की अम्लता बढ़ने से 48 तरह के रोग आते है । ये नमक पानी में कभी पूरी तरह नहीं घुलता है, हीरे (DIAMOND ) की तरह चमकता रहता है। इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है । ये नमक नपुंसकता और लकवा (PARALYSIS ) का बहुत बड़ा कारण है। समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है ! और बीमारियां जरूर साथ मे मिल जाती हैं ! रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नहीं है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए TRICALCIUM PHOSPHATE, MAGNESIUM CARBONATE, SODIUM ALUMINO SILICATE जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते हैं। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना बढ़ जाती है, और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है। 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओ के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है। निवेदन : हज़ारों साल पुरानी यूनानी चिकित्सा पद्धति में भोजन में सेंधा नमक ही इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था जो स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए। आप आयोडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये ! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक मे होता है। सेंधा नमक में भी आयोडीन होता है, बस फर्क इतना है कि इस सेंधा नमक मे प्रकृति के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आयोडीन होता है। इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है। HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES +UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE+ SHRUTI CHOWK PURANI BASTI ROAD JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND CONTACT 8651274288 & 9334518872 WHAT'S APP 9334518872 & 8651274288 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN

Last updated date 29/09/2020

लाइफस्टाइल डीज़ीज़ 100% रिवर्सिबल है

जिस किसी हकीम, वैध या ऐलोपैथिक डॉक्टर को यही नहीं पता कि किसी बीमारी के होने का "कारण" क्या है, तो वो ईलाज कैसे कर सकता है? इस पोस्ट को ग़ौर से पढ़ें........। "LIFESTYLE DISEASES 100% REVERSIBLE" "Please Read This Post Very Carefully And Share To All Your Friends:- Niche likhi kuchh la-ilaaj bimariyan jisko hamlog "LIFESTYLE DISEASES" ke naam se jaante hain,is tarah ki sari bimariyon ka mukammal ilaaj mumkin hai,wo bhi sirf 1 hi medicine se.Kyunki sari bimariyan "GLUCOSE+INSULIN" ki gadbadi ki wajah se hi wajood me aati hain,body part's k hisab uska naam diya jata hai. GLUCOSE,INSULIN ke bich me jabtak taalmel sahi hai,ham aap sehatmand hain.Yahi sabse badi sachayi hai jo hamse chhupayi gayi hai badi-badi "pharmaceutical company" ki taraf se,taki wo apna BUSINESS chala saken.Hamen daraya gaya hamesha,isi ko "DISEASES MONGERING" yani "BHAI KA VYAPAAR" kahte hain. DIABETES HIGH BP CHOLESTEROL THYROID ANY TYPES OF VIRAL DISEASES DENGUE H1N1 SWINE-FLUE CHIKANGUNIA HIV-AIDS etc. sabki HAQEEQAT ab duniya k samne aa chuki hain,jisko hamlog "LIFE STYLE DISEASE" ke naam se jaante hain. "ZARURAT HAI SIRF AWAAM, JANTA, SAMAAJ, SOCIETY, LOGON K JAAGNE KI." AAGE AAIYE,IS AWAAMI SAMAAJI BEDAARI CAMPAIGN ka hissa baniye. 3 MONTHS-DIABETES HIGH CHOLESTEROL, INTESTINAL DISORDER,THYROID HIGH BP 3-6 MONTH-ARTHRITIS,KIDNEY DYSFUNC- TION,OBESITY(5 kg/month),LIVER DISOR- DER, HEART DISEASES. 6 MONTHS-ASTHMA 9 MONTHS-SKIN DISORDER, ADVANCE STAGE OF CANCER.


Jo 1 UNANI MEDICINE main deta hun,Jo beaten main batata hun,wo sabse alag hota hai.Logon ko bilkul ajuba lagta hai,kyunki ALLOPATHIC UNANI AYURVEDIC & HOMEO PATHIC walon ne itna propaganda phailaya huwa hai ki isko sunne,samajhne ko koi taiyar nahi, 3 to 4 hrs lagte hain Logon ko samajhane,batane me.Sara kacha chittha kholkar jabtak nahin batata tabtak Logon ko yaqeen nahin hota.Aap chahen to main kahin bhi,kisi bhi platform par,hazaron Logon k darmiyan sabit karke dikha sakta hun. DIABETES and others LIFESTYLE DISEASES Ki ALLOPATHIC medicines 1st day se hi chhut jati hai,phir hamesha k liye "REVERSE" ho jati hai. 10000% GHALAT! aajtak logon ko pharma- ceutical companies, ALLOPATHIC UNANI, AYURVEDIC & HOMEO PATHIC COMPANIES & DOCTORS HAKEEM, VAIDYA bewaqoof banati rahi hain, company ke AGENTS ki tarah kaam karte hain,magar ab bas! DIABETES ya kisi bhi LIFESTYLE bimariyon k hone ke karan ko nazar andaz kiya jata raha,taki ye,and is tarah ki tamam bimariyon me zindagi bhar medicines khilate rahen, permanent customers banakar luten. jo medicine deta hun wo lene se pahle din se hi asar dikhata hai, ALLOPATHIC,UNANI AYURVEDIC HOMEOPATHIC MEDICINES chhodna padta hai,hamesha k liye.3 months k baad ye MERI UNANI MEDICINES bhi band.INSHA ALLAH ! FIRST YOU understand ME AND THEN CALL ME ON MY PHONE NUMBER 8651274288 FOR FURTHER QUERIES.


**"Aapko ya aapke kisi apnon ko koi problem ho to likhe huwe ADDRESS par zarur aakar mil sakte hain."** * इसी तरह के पोस्ट जो मोडर्न साइंस की पोल खोलने वाली होंगी,मेरे फेसबुक टाईमलाईन पर जाएं,या मेरे Whatsapp no 9334518872 पर जाएं।उर्दू,हिन्दी और अंग्रेजी में ढेर सारे पोस्ट पढ़कर सच्चाई से रूबरू होंगे और देखेंगे कि कैसे ये फार्मासियुटीकल कंपनियां बेवकूफ बनाकर जनता को कंगाल बना रही हैं। नोट:- इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अपना विचार अवश्य व्यक्त करें, मुझे अच्छा लगेगा| साथ ही आगे अपने सर्किल में ज़रुर शेयर करें | * मेरे पास दवा केवल एक ही है, जो पावडर की शक्ल में है| 4 - 4 ग्राम सुबह-शाम काढ़ा बनाकर पीना है| * ₹ 3000/- रूपये एक महीना (किसी भी बीमारी के लिए) है। * ₹ 6000/- रुपए एक महीना (CANCER & TUMOUR के लिए) है। * इंडिया या इंडिया के बाहर कहीं भी स्पीड पोस्ट या कूरियर के द्वारा दवा भेजने का इंतज़ाम है|

Last updated date 23/09/2020

Abdominal Disorders

The common symptom for abdominal present is trouble swallowing, gastrointestinal hemorrhage or metastases (mainly in the liver). I, Hakim Md Abu Rizwan, Unani Remedies for Abdominal Disorder Treatment , Prepare the herbal medicine formulations to treat It.


Our unani remedies have been successfully used in treating Abdominal Disorder Problems permanently. He is confident that the medicine would treat major and minor cardiac problems without side effects or any need of operation. We have been trying to make our life healthy with the resources set by nature, one of this Unani medicine called HEALTH IN BOX®. With this one herbal medicine, all lifestyle diseases are always REVERSE. That is, every disease in which doctors fail and tell you to eat allopathic medicine for a lifetime, on the contrary, the first stop of allopathic medicine became part of your life for many years as soon as I started taking my medicine HEALTH IN BOX®. I will be able to stop this medicine after four months of use and will be able to live a healthy life.


We will give you the Abdominal Disorder and UNANI MEDICINE. Please contact me:- HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND INDIA cont no 933418872 8651274288 YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN Email umrcjamshedpur1966@gmail.com Website https://umrc.co.in/

Last updated date 29/08/2020


आयूष चिकित्सकों का घोर अपम

25:- "DISEASE FREE WORLD" -:आयुष चिकित्सकों का भीषण अपमान:- आज दिनांक 8/122/2020 के दैनिक भास्कर के पृष्ठ संख्या 2 भर एक ख़बर आई, पूरी ख़बर से आप भी रूबरू होंगे तो अच्छा रहेगा। पूरी ख़बर नीचे पढ़ें:- [आयुष चिकित्सक सर्जरी के लिए अयोग्य-डा संतोष। आई एम ए के संयुक्त सचिव डॉक्टर संतोष गुप्ता ने कहा- इससे आयुष चिकित्सकों को बढ़ावा मिलेगा व असली चिकित्सकों की बदनामी होगी।शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जानकारी आयुष चिकित्सकों को नहीं है।इस अधिकार के तहत आयुष चिकित्सकों को जनरल सर्जरी, ई एन टी, नेत्र, हड्डी, डेंटल सहित अन्य सर्जरी करेंगे। यह फ़ैसला संस्थाओं में पिछले दरवाज़े से इंट्री का प्रयास है। उन्होंने आयुष चिकित्सकों को सर्जरी के लिए अयोग्य बताया है मौक़े पर आई एम ए सचिव डॉक्टर मृत्युंजय सिंह, संयुक्त सचिव डॉक्टर संतोष गुप्ता, डॉक्टर फ़िरोज़ अहमद, मिंटु अखौरी सिंह, डॉक्टर अशोक कुमार आदि मौजूद थे। आई एम ए ने शनिवार को साकची आई एम ए भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलोपैथ चिकित्सकों ने मायोक्सपैथी का विरोध किया है, वहीं 11/12/2020 को शहर के सभी निजी-सरकारी अस्पतालों को बंद करने की घोषणा की है। मायोक्सपैथी के तहत आयूर्वेद, यूनानी व होमियोपैथी चिकित्सकों को सर्जरी करने का अधिकार दिया है, जो दुखद है। नेशनल मेडिकल काउंसिल ने आयुष चिकित्सकों को सभी तरह की सर्जरी करने का अधिकार दिया है। इससे ऐलोपैथी चिकित्सकों मेँ काफ़ी रोष है। इसके ख़िलाफ़ 11 दिसंबर को देश भर में ओपीडी, निजी क्लिनिक, पैथोलॉजी लैब, रेडियोलोजी सेंटर बंद रखने का निर्णय लिया गया है।सिर्फ एमरजेंसी सेवा कोविड केयर सेंटर खुले रहेंगे, ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं उठाना पड़े।] ये ऐलोपैथिक चिकित्सक, ख़ुद को "तीसमार खां" बताने वाले दरअसल "हिप्पोक्रेट्स" की औलाद हैं।ये जो हिप्पोक्रेट्स था , उसका एक ही तर्क था- "अगर आपको कोई भी शारीरीक विकार हो गया है तो उसका कारण यह है कि आपका "रक्त दूषित" हो गया है।" इस तर्क के कारण हज़ारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। आपको बता दें कि अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन भी इस हिप्पोक्रेट्स सिद्धांत के शिकार हुए और अपनी जान गंवाई। इशुनियश, क्लाउडियस इत्यादि हिप्पोक्रेट्स सिद्धांत के शिकार हुए। उसने तो सिर्फ "रक्त" को ही निकालने की बात कही थी, मगर आजकल के ये हिप्पोक्रेट्स की औलादों ने तो सारी हदें पार कर दी। बस, उनका एक ही मत है-"कुछ भी है, काटकर निकाल दो। किडनी, लीवर, अपेंडिक्स, बच्चादानी, घुटने, सब कुछ काटकर निकाल दो। अरे इन मुर्खों के मुरख को कौन समझाए कि अगर ये सारे अंग हमारे शरीर में व्यर्थ ही हैं तो क्या भगवान ही बेवक़ूफ़ था जो फ़ालतू के इस तरह के अंग बनाये। ये महानुभव ऐलोपैथिक चिकित्सक बतायें कि पिछले ढाई सौ साल के इतिहास में तुमने लोगों को, समाज को क्या दिया? सुन लो ऐलोपैथिक चिकित्सको ! तुम्हारे पास लोगों को, समाज को देने के लिए सिर्फ और सिर्फ एक ही चीज़ है,और वो चीज़ है-"दर्द"।इससे तुम सब अच्छी तरह सहमत हो, मगर हिम्मत नहीं है कि सार्वजनिक तौर पर यह बात स्वीकार कर सको, क्योंकि तुम्हारी पोल खुल जाएगी। अपना इतिहास पढ़ो, उसमें ढूंढो कि कोई एक भी डायबिटीज़, हाई बीपी, हार्टअटैक व ब्लाकेज इत्यादि का रोगी तुम्हारी अंग्रेज़ी दवा का सेवन करने के दस, बीस, पचास साल तक लगातार सेवन करके भी ठीक हुआ क्या? तुम ऐलोपैथिक चिकित्सकों को चैलेंज करता हूँ कि ऐसा एक भी सबूत दिखा दो। इसे छोड़ो, सर्जरी की बात बताता हूं। हिन्दुस्तान का एक बादशाह था,उसका नाम "हैदर अली" था। बात 17575-80 ई. की है। उसके राज्य पर एक अंग्रेज़ "जेनरल कूट" हमेशा हमला किया करता था, लेकिन हर बार प्राजित हो जाता था। एकबार फिर उसने हैदर अली पर हमला किया और हार गया। गिरफ्तार हुआ और बादशाह के दरबार में पेश किया गया। वो उठा और अपनी तलवार से उसकी नाक काट दी,जबकि वो चाहते तो उसकी गर्दन उड़ा सकते थे, मगर ऐसा नहीं किया।एक घोड़ा दिया और कटी नाक उसके हाथ में थमाकर बोला कि भाग जा।नाक कटना बहुत बड़ी बात होती है। भागते-भागते एक गाँव से गुज़र रहा था तो एक आदमी ने उसे रोककर कटी नाक के बारे में पूछा तो उसे बताया कि पत्थर से कट गया, मगर उस देहाती ने सच बताया कि तुम्हारी नाक तलवार से कटी हुई है। मेरे गांव में एक आदमी है जो तुम्हारी नाक जोड़ देगा। जेनरल कूट उसके पास गया और मात्र तीन साढ़े तीन घंटे में उस नाई जाति के 21-22 साल के यूवक उसकी नाक जोड़ दी, उसी विधा को आज तुम माडर्न साइंस का दंभ भरने वालो प्लास्टिक सर्जरी या नैनो सर्जरी कहते हो जिसके लिए एक पैसा नहीं लिया। पंद्रह दिनों तक अपने घर में रखा और जाते हुए उसने आयूर्वेदिक दवा का लेप दिया और कहा कि तीन महीने तक इस लेप को लगाया करना। जेनरल कूट ने ये घटना अपनी डायरी में लिखी और ब्रिटिश संसद में सबको दिखाते हुए अपनी ये घटना सुनाई, जिसे देखकर कोई भी अंग्रेज़ मानने को तैयार नहीं था।फिर उसने अपने चंद डॉक्टर दोस्तों को भारत लेकर आया और यहां के विभिन्न स्थानों में घूमकर भारतीय शल्य चिकित्सक से सर्जरी सीखा।वापस जाकर इंग्लैंड में "फेलो आफ रोयाल सोसायटी" की स्थापना की।और तुम ऐलोपैथिक चिकित्सको वहां से "एफ आर एस एच" की सर्टीफिकेट मंगवाकर अपने बोर्ड पर "एफ आर एस एच" दर्शाते हो और लोगों को भ्रमित करने का कार्य करते हो,धिक्कार है तुम और तुम्हारी काली करतूतों पर। हमारा देश सैंकड़ों साल तक अंग्रेजों की ग़ुलामी में रहा और हमारी संस्कृति, स्वास्थ्य, शिक्षा यानी सबकुछ बरबाद कर दिया, लूट कर सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत देश को कंगाल कर दिया।हमारे गुरुकुलों को तबाह कर दिया। और अपनी सुविधा के अनुसार ऐलोपैथिक दवा का चलन भारत में शुरू किया, बस यही तेरे ऐलोपैथिक चिकित्सा का इतिहास है। और हां, जिस "एम बी बी एस" की डिग्री पर तुम इतराते हो ना, वो भी बकवास है। इसका फुल फार्म बताओगे - "बैचलर ऑफ मेडिसिन ऐंड बैचलर ऑफ सर्जरी"। लेकिन इसका शार्ट फार्म तो "बी एम बी एस" होना चाहिये। एक और डिग्री है तुम्हारी - "एम डी"। कोई इसका फुल फार्म पूछे तो तुम कहोगे - "डॉक्टर आफ मेडिसिन"। क्या ये सही है? असल में तो इसका फुल फार्म "मार्केटिंग आफ ड्रग्स" होना चाहिये। वाक़ई तुम ऐलोपैथिक चिकित्सक, किसी बीमारी का ईलाज नहीं करते, बल्कि "दवाओं की मार्केटिंग" ही करते हो, और ऐसी दवाएं लिखते हो जिसमें लंबा कमीशन मिलता हो।अपने दिल पर हाथ रखो और अंरात्मा की आवाज़ सुनो, डूब मरो तुम सब। रामायण तो पढ़े ही होगे। जब रावण से युद्ध हुआ जिसमें लक्ष्मण मुर्छित हो गए तो हनुमानजी ने कौनसा "ऐलोपैथिक औषधि" हिमालय पर्वत से लाए थे, बताओ ज़रा। मेरे कहने का सार यह है कि भारत में आयूर्वेद का इतिहास लाखों वर्ष पुराना है, इसे नकारा नहीं जा सकता।तुम्हारे कहने से सच्चाई थोड़े ही बदल जाएगी।वो तो भला हो अंग्रेज़ हुकूमत का जिसने अपने शासनकाल में आयूर्वेद को बरबाद कर दिया।अंग्रेज़ तो चले गए मगर उसकी आत्मा यहां के नेताओं में समा गयी, जो अंग्रेज़ी और अंग्रेज़ियत को भारत में बढ़ावा देते चले गये।वरना तुम्हारी औक़ात आयूर्वेद और यूनानी के आगे कुछ भी नहीं है। मैं चैलेंज करता हूँ। आजतक तुम लोग लीवर की बीमारी में आयूर्वेद ही इस्तेमाल करते हो। कोई एक भी डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज का पेशेंट ठीक हुआ हो तो बताओ? तुम्हें तो सिर्फ काटकर निकालना आता है क्योंकि लाखों रुपए मिलते हैं। और चाहते हो कि किसी की बीमारी कभी भी ठीक ही न हो और जीवन भर ऐलोपैथिक दवाओं का सेवन करते हुए तुम्हारे परमानेंट कस्टमर बने रहें, हर महीने तुम्हारे पास फीस देते रहें।अंजाम क्या होता है शुगर के मरीज़ों का- आंखों की रोशनी जाती है, किडनी फेल होती है या पैर कटवाना पड़ता है। उसी आयूर्वेद से यूनानी चिकित्सा पद्धति का उद्भव हुआ है। दोनों में भाषा और तरीकों के सिवाय कोई फर्क़ नहीं है।होम्योपैथिक के जनक डॉक्टर हैनिमन तो स्व्यं ही "एम बी बी एस" यानी ऐलोपैथिक चिकित्सक थे।