मेरी इस दवा को सिर्फ चार महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के काबिल हो जाएंगे। आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।

Heart Attack Treatment

हार्ट अटैक - एक रिपोर्ट

"हार्ट अटैक- एक रिपोर्ट" हृदयाघात की दहलीज पर देश का हर चौथा युवा, प्रतिदिन हो रही 800 से ज्यादा युवाओं की मौत। करीब 20 करोड़ युवा उच्च रक्तचाप के मरीज, इनकी उम्र 30 वर्ष से कम। हर साल होने वाली कुल मौतों में 19 फीसदी हृदयरोग से संबंधित होती हैं। हृदयाघात आने के चार से पांच घंटे के भीतर उपचार मिलना बहुत जरूरी। एक अटैक आने के बाद 60 फीसदी तक प्रभावित होती है दिल की क्षमता:-


अव्यवस्थित जीवनशैली, तनाव, प्रदूषण आदि कारणों के चलते आज देश का हर चौथा युवा हृदयाघात की दहलीज पर खड़ा है। इनमें आधे से ज्यादा युवा तो अपने रोग के बारे में जानते तक नहीं। बाकी जानकर भी अंजान हो जाते हैं। यही वजह है कि मात्र 10 फीसदी युवा रोगी उपचार के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। यह जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान (आईसीएमआर) की हाल ही में आई एक रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, देश के प्रत्येक चार में से एक युवा को उच्च रक्तचाप की शिकायत है। यदि ज्यादा दिन तक इसका उपचार नहीं कराया जाए तो हृदय पर बुरा असर पड़ता है। क्षमता से करीब तीन गुना दबाव होने के कारण हृदय की पंपिंग प्रभावित हो जाती है और मरीज हृदयाघात की चपेट में आ जाता है। इसी रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार भी देश के 100 जिलों में उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए निशुल्क जांच आदि राष्ट्रीय कार्यक्रम भी शुरू कर चुकी है। भारत में छह घंटे बाद हो पाता है हृदयाघात का उपचार:- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आए दिन ऐसे मामले पहुंच रहे हैं। एम्स के हृदय रोग विभाग के वरिष्ठ डॉ. अंबुज राय बताते हैं कि हृदयरोग और हृदयाघात के कम उम्र में काफी मामले देखने को मिल रहे हैं। इन मरीजों को बचा पाने में डॉक्टरों के आगे सबसे बड़ी चुनौती गोल्डन ऑवर है। विदेशों में हृदयाघात के करीब 2 घंटे के भीतर उपचार मिल जाता है, जबकि भारत में ये करीब 6 घंटे के बाद होता है। यही वजह है, देश में सालाना 30 लाख हृदयाघात के मामलों में से कुछ ही फीसदी को डॉक्टर बचा पाते हैं। मेडिकल जर्नल लांसेट में प्रकाशित आईसीएमआर के एक और अध्ययन के अनुसार, 1990 से 2016 के बीच भारत में हृदयाघात से होने वाली मौत में कई गुना वृद्धि हुई है। इनमें 50 फीसदी से ज्यादा की मौत समय से पहले हुई है। करीब 22.9 फीसदी ग्रामीण और 32.5 फीसदी शहरी क्षेत्रों में मौत हो रही हैं। 1990 में करीब ढाई करोड़ लोग हृदय रोग ग्रस्त थे, जिनकी संख्या अब छह करोड़ से भी ज्यादा है। एम्स के अनुसार, करीब 25 फीसदी सालाना मौत 25 से 65 वर्ष की आयु के बीच हो रही हैं। बीच में ही दवा छोड़ देने से पड़ता है खतरनाक असर:- एम्स के डॉ. अंबुज राय बताते हैं कि उच्च रक्तचाप के अलावा मधुमेह, अनियंत्रित जीवनशैली, नशा आदि हृदय को बीमार कर रहा है, लेकिन ऐसे मरीज बीच में ही दवाएं छोड़ देते हैं। एम्स में हर दिन ऐसे कई मरीज आते हैं, जो पूरा उपचार नहीं लेते हैं, जबकि इन मरीजों में हृदयाघात या हृदय रोग दोहरी गति से हावी होता है। आंकड़ों पर एक नजर:-


करीब 20 करोड़ युवा उच्च रक्तचाप के मरीज, इनकी उम्र 30 वर्ष से कम। पिछले एक वर्ष में सरकार 1.5 करोड़ युवाओं में उच्च रक्तचाप, 1.3 करोड़ की हो चुकी स्क्रीनिंग। हृदयाघात आने के चार से पांच घंटे के भीतर उपचार मिलना जरूरी, अन्यथा दवाएं बेअसर। 19 फीसदी सालाना मौत भारत में हृदयरोग से जुड़ी। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार दुनिया में 1.71 करोड़ लोगों की हो रही मौत। हर मरीज को आहार, व्यायाम और सात्विक जीवन का मूल मंत्र देता है एम्स। एक बार अटैक आने के बाद 60 फीसदी तक दिल की क्षमता हो जाती है प्रभावित। हृदयरोगी क्या करें:- भोजन के साथ अदरक, लौंग, लहसुन, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, लौंग, तेजपत्ता, सेंधा नमक का उपयोग करें। तनाव मुक्त व प्रसन्नचित्त रहें और योग, ध्यान तथा प्राणायाम करें, प्रतिदिन पैदल भी चलें। कम खाएं और एक समय में 80 ग्राम/80 एमएल केलोरिक भोजन से अधिक न लें। ट्रेडमिल पर चलें तो कोशिश करें कि आपका हार्ट रेट 80 हो। क्या न करें:- चावल, दही, कढ़ी, गोभी, मटर, मूली, उड़द की दाल आदि जैसे शरीर में कफ बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करें। मांस, मदिरा, धूम्रपान, अत्यधिक चाय, कॉफी, फास्ट फूड, जंकफूड,  डिब्बाबंद भोजन, खोया, मलाई, मक्खन तथा अंडे की जर्दी, नारियल के तेल, आइसक्रीम आदि के प्रयोग से बचें। अधपचे भोजन से आमाशय में सड़न पैदा होती है, जिससे शरीर में विषाक्त पदार्थ की मात्रा बढ़ती है। एक चैलेंज:- जिस किसी को भी हार्ट ब्लाकेज जैसी समस्याओं या कोई भी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ जैसे उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, मोटापा, कैंसर, कोलेस्ट्रॉल, थायराइड, अर्थराइटिस, सोरियासिस, आंत व जिगर संबंधित रोग, अस्थमा इत्यादि तकलीफ़ हो गई है उनके लिए मैंने काफ़ी रिसर्च करके एक युनिक यूनानी दवा तैयार की है जिसके सेवन से सिर्फ चार या छः या नौ महीने में उपरोक्त सभी प्रकार के रोग हमेशा केलिए रिवर्स हो जाती हैं। उस दवा का नाम है :- "HEALTH IN BOX ®" जिस दिन से इसे लेना शुरू करेंगे उसी दिन से आपकी तमाम अंग्रेज़ी दवाओं को छोड़ने केलिए आप मजबूर हो जाएंगे। इसका कोर्स पूरा करने के पश्चात् आप बिल्कुल सेहतमंद जिंदगी गुज़ार सकते हैं, बिना किसी दवा के। HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES +UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE+ JAMSHEDPUR JHARKHAND Contact 9334518872 & 8651274288 What's App 9334518872 YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN Website https://umrc.co.in/

Last updated date 19/10/2020

HEART ATTACK AND CHOLESTEROL

पूरी दुनिया में HEART ATTACK से होने वाली कुल मौतों में सबसे ज्यादा भारतीय होते हैं|अगर 100 लोग पूरी दुनिया में HEART ATTACK से मरते हैं तो उनमें 60 लोग भारतवर्ष के होते हैं,यानि 40% पूरी दुनिया के,जबकि 60% भारतीय| आम धारणा है कि HIGH BLOOD PRESSURE के कारण STROKES & HEART ATTACK आता है,जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है|STROKES & HEART ATTACK के कारण HIGH BLOOD PRESSURE बढ़ता है|HIGH BP व DIABETES अपने आप में कोई बीमारी नहीं है।यूनानी पैथी में तो DIABETES को "उम्मुल अमराज़" (समस्त रोगों की मां,जननी) बताया गया है।ये नोट करने वाली बात है और इसे समझने की ज़रूरत है। CHOLESTEROL की दवा को 'X' CATEGORY की श्रेणी में रखा गया है|इसके प्रयोग से 11% तक मर्दों में नामर्दी की शिकायत हो जाती है,कुंवारी लड़कियों में बाँझपन और शादीशुदा स्त्रियों में BREAST & UTERINE CANCER, होता है|इसके बावजूद हमारे ALLOPATHIC DOCTOR बेधड़क CHOLESTROL कम करने की दवा देते हैं,जबकि उनको ये सब पता होता है कि कोलेस्ट्रौल हमारी ज़िंदगी है।| अब तो ये ट्रैण्ड चल पड़ा है कि कोई भी 35-40 साल का ईन्सान उनके पास ईलाज केलिए जाए तो बिना कुछ सोचे CHOLESTEROL की दवा थमा देते हैं|वो जानते हैं कि इसके सेवन से आने वाले समय में HIGH BP और DIABETES ईत्यादि के रोगी बनेंगे ही,और इस तरह वो उनका PERMANENT CUSTOMER बन जाता है|इसे DISEASE MONGERING कहा जाता है| CHOLESTEROL की दवा का नाम STATIN है,इसका INVENTOR का नाम DR ENDO था| कुछ समय बाद इसपर बैन लगा दिया गया था,क्यूंकी आगे चलकर DR ENDO के दो साथियों ने रीसर्च में पाया था कि STATIN के इस्तेमाल से CANCER की बीमारी होती है|लेकिन इन दोनों ने फिर कुछ साल बाद एक रिसर्च पेपर दुनिया के सामने लाया और उस आधार पर उनहें NOBEL PRIZE से नवाजा गया,लेकिन उस पेपर में CANCER का कोई जिक्र नहीं था| DR ENDO का स्वयं का CHOLESTEROL बढ़ा तो जो खुद इस दवा का अविष्कारक था,STATIN खाने से साफ मना कर दिया। लेकिन फिर भी हमारे DOCTOR अपने मरीज़ को धड़ल्ले से खिलाते जा रहे हैं| कमोबेश यही हाल DIABETES और HIGH BP की दवाओं का है| DIABETES HIGH BP CHOLESTEROL इत्यादि की दवायें खिला खिला कर ये हमारे ALLOPATHIC DOCTOR गरीब बेबस लाचार मरीज़ों को हमेशा केलिए बीमार बनाकर रखते हैं,और उनका आर्थिक दोहन करते हैं|DISEASE MONGERING का ये खेल PHARMACEUTICAL COMPANIES के साये तले खूब धड़ल्ले से दिन दूनी रात चोगुनी रफ्तार से फल फूल रहा है| जाग जाईए,मेरे प्यारे!अपनी गाढ़ी कमाई और कीमती जिन्दगी यूँ बरबाद मत करिए|इन अंग्रेजी दवाओं के चक्रव्यूह से निकल जाईए|इस तरह की सारी बीमारियों को बगैर दवा के बिल्कुल ठीक क्या जा सकता है|यकीन न आए तो एकबार मुझसे मिलकर अपनी तसल्ली कर लें| 1947 के पहले देश अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम था,आजादी के बाद हम देशवासी अंग्रेजी दवा का गुलाम बन गये|


NAME OF MEDICINE:- HEALTH IN BOX® PRICE :- ₹ 3000/- for ONE MONTH (EXCEPT CANCER TUMOUR & HIV-AIDS). PRICE :- 6000/- for ONE MONTH (CANCER TUMOUR HIV-AIDS). अपना "पोस्टल एड्रेस पिन कोड नं के साथ" भेजें। अगले दिन ही आपकी दवा स्पीड पोस्ट से भेज दी जाएगी। .............................. 1:- ACCOUNT DETAILS IDBI SAKCHI BRANCH , JAMSHEDPUR MOHAMMAD ABU RIZWAN A/C NO 0883104000001038 IFSC CODE IBKL0000883


2:- CANARA BANK BRANCH DR M A RIZWAN DIAGONAL ROAD BISTUPUR JAMSHEDPUR. A/C NO 0324101031398 IFSC CODE CNRB0000324 .......................... HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES

Last updated date 30/09/2020

हृदय रोग

याद रखिये कि भारत मैं सबसे ज्यादा मौतें कोलस्ट्रोल बढ़ने के कारण हार्ट अटैक से होती हैं।आप खुद अपने ही घर में ऐसे बहुत से लोगो को जानते होंगे जिनका वजन व कोलस्ट्रोल बढ़ा हुआ हे। अमेरिका की कईं बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत में दिल के रोगियों (HEART PATIENTS) को अरबों की दवाई बेच रही हैं ! अगर आपको कोई तकलीफ हुई तो डॉक्टर कहेगा ANGIOPLASTY (एन्जीओप्लास्टी) करवाओ। इस ऑपरेशन में डॉक्टर दिल की नली में एक SPRING डालते हैं, जिसे STENT कहते हैं। यह STENT अमेरिका में बनता है और इसका COST OF PRODUCTION सिर्फ 3 डॉलर (रू.150-180) है। इसी STENT को भारत मे लाकर 3-5 लाख रूपए मे बेचा जाता है और आपको लूटा जाता है। डॉक्टरों को लाखों रूपए का COMMISSION मिलता है। इसलिए वो आपसे बार-बार कहता है कि ANGIOPLASTY करवाओ। CHOLESTEROL, BP, HEART ATTACK आने की मुख्य वजह है, ANGIOPLASTY ऑपरेशन।


यह कभी किसी का सफल नहीं होता। क्यूँकी डॉक्टर, जो SPRING दिल की नली मे डालता है वह बिलकुल PEN की SPRING की तरह होती है।कुछ ही महीनो में उस SPRING की दोनों साइडों पर आगे व पीछे BLOCKAGE (CHOLESTEROL व FAT) जमा होना शुरू हो जाता है। इसके बाद फिर आता है दूसरा HEART ATTACK ( हार्ट अटैक ) डॉक्टर कहता हें फिर से ANGIOPLASTY करवाओ। आपके लाखो रूपए लुटता है और आपकी जिंदगी इसी में निकल जाती हैं। नोट:- इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अपना विचार अवश्य व्यक्त करें, मुझे अच्छा लगेगा| साथ ही आगे अपने सर्किल में ज़रुर शेयर करें | * मेरे पास दवा केवल एक ही है, जो पावडर की शक्ल में है| 4 - 4 ग्राम सुबह-शाम काढ़ा बनाकर पीना है|


NAME OF MEDICINE:- HEALTH IN BOX® PRICE :- ₹ 3000/- for ONE MONTH (EXCEPT CANCER TUMOUR & HIV-AIDS). PRICE :- 6000/- for ONE MONTH (CANCER TUMOUR HIV-AIDS). * इंडिया या इंडिया के बाहर कहीं भी स्पीड पोस्ट या कूरियर के द्वारा दवा भेजने का इंतज़ाम है| HAKEEM MD ABU RIZWAN

Last updated date 28/09/2020

हृदय रोग - एक बहुत बड़ी साज़िश !

96:- "DISEASE FREE WORLD" "हृदय रोग" - एक बहुत बड़ी साज़िश !    "इन्सान वही सुनना चाहता है जो वह सुनना पसंद करता है,बाक़ी बातों को वह अनसुना कर देता है।"    ठीक वैसे ही जैसे सैंकड़ों वर्षों तक कहा जाता था कि, " सुर्य पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है।" जब कॉपरनिकस ने 1543 ई में  "DE REVOLUTIONIBUS ORBIUM COELESTIUM" प्रकाशित किया,और कहा कि- "पृथ्वी सुर्य के चारों ओर चक्कर काटती है।" तो उन पर चारों ओर से व्यंग बाण छोड़े गये। उनका तर्क तात्कालिक दृष्टिकोणों के आधार पर रद्द कर दिया गया। उन्हें बहुत से लोगों के कोप का शिकार होना पड़ा। उनके सारे तर्क खोखले क़रार दिए गये। बाद में उसी जानकारी को पूरी दुनिया स्वीकार कर चुकी है। यह सर्वविदित हो चुका है कि पृथ्वी सुरज के चारों ओर गर्दिश करती है।    उसी तरह कुछ सच्चाई है जिसे हम स्वीकार नहीं कर पाते। उसे भी हमारे समाज (मुनाफा कमाने की इच्छा रखने वालों) द्वारा नामंज़ूर करने की कोशिश की जाती है।       हमारे देश में मरीजों का शोषण हमेशा होता रहा है। कई बार बीमारी का ऐसा रूप पेश किया जाता है कि आप डर के मारे सही निर्णय नहीं कर सकते। खास कर लाइफ स्टाइल डीजीज (LIFESTYLE DISEASE) जैसे:- मधुमेह,हृदय रोग, रक्तचाप, दमा, कॉलेस्ट्रॉल आदि का।    हमें ह्रदय रोगों की चिकित्सा में एक अहम बदलाव की ज़रुरत है,जो बिना चीर-फाड़ के की जाने वाली चिकित्सा की ओर ले जाती हो।


अगर आप अपनी रोज़ ली जाने वाली डायबिटीज की दवा, हाई बीपी या कालेस्ट्रौल कम करने की दवा लेने वाले हैं, या फिर इन्सुलिन का इंजेक्शन लेने वाले हैं। या डाक्टर के चैम्बर में हैं और ऐन्जियोग्राफी, ऐन्जियो प्लास्टी या बाईपास सर्जरी के लिए किसी फार्म पर हस्ताक्षर करने ही जा रहे हैं तो ज़रा रुकिए !    और अपना कीमती समय और व्यस्तता के बावजूद  इस लेख को शुरू से अंत तक अनमने अटपटे ढंग से ही एक बार पढ़ने के आप जरूर मनन करेंगे ।  आप उस "इंडस्ट्री" की आप के मन में बनाई गई आदर-भाव, और इज़्ज़त की तस्वीर निगाह से बिल्कुल नहीं देख पाएंगे। आपको एहसास होगा कि आप की मौजूदा सेहत एक ऐसे "मकड़ जाल" में फंस गई है जिसे "कल इन्डस्ट्री" ने सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने "मुनाफे" के लिए फैला रखा है।    ह्रदय रोग विशेषज्ञ व सर्जन, इंटरवेंशनल कार्डियो लॉजिस्ट (जो ऐन्जीयोग्राफी करके स्टेंट लगाते हैं), विगत कई वर्षों से मुनाफा कमाने के लिए ह्रदय रोगियों  का …...। ये एक ऐसा "कड़वा सच" है जिससे आप इनकार नहीं कर सकते। वो ये नहीं बताते कि "ह्रदय रोग" कैसे होता है या "ब्लाकेज" रोकने के उपाय क्या हैं, या रोग की गंभीरता को कम करने या उसको खत्म करने के लिए क्या कुछ कर सकते हैं ? उनके पास जाने वाले इन "बदनसीब रोगियों के दिल का तो ऑपरेशन ही कर देते हैं या उन्हें एंटी अन्जाइनल मेडीसीन पर डाल देते हैं। शायद यही वजह है कि "दिल की बिमारियों" और "हार्ट अटैक" से मरने वालों की संख्या में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी ही हो रही है। हालांकि,आज हर शहर में जगह-जगह हार्ट हास्पिटल" भी बन रहे हैं। लेकिन हालत यह है कि आज पूरी दुनिया में ह्रदय रोग से मरने वाले ज्यादातर भारतीय ही होते हैं। अंदाज़ा लगा सकते हैं कि हमारे देश में मरीजों की चिकित्सा का संयंत्र कितना नीचे गिर गया है।      हर साल मार्च के महीने में (27 - 29 मार्च या 17 - 19 मार्च) 3 दिवसीय सम्मेलन कैलिफोर्निया शहर में आयोजित किया जाता है। इस सम्मेलन में दुनिया भर के "ह्रदय रोग विशेषज्ञ" हिस्सा लेते हैं। उनकी मौज-मस्ती,सैर सपाटा,शापिंग इत्यादि का सारा व्यय फार्मास्युटिकल कंपनियां करती है।     ज़रा सोचिए,इन ह्रदय रोग विशेषज्ञों की क्या जरूरत रह गयी?    डायबिटीज़ रोगी का भी तकरीबन यही हाल है। डायबिटीज़ के मरीज़ नियमित दवा खाने और इन्सुलिन का इंजेक्शन लेने के बावजूद ठीक नहीं हो सकते हैं।     ज़रा ग़ौर किजिए,ऐसी दवा-इलाज का क्या फ़ायदा?


 "ब्लाकेज के कारणों के बारे में मरीजों को जानकारी की कमी ही उन मुनाफाखोर के लिए वरदान साबित हुआ है।"    यही एकमात्र रहस्य है। लोग "हार्ट अटैक" या "मौत" की फ़िक्र करते हैं। आम आदमी को यह नहीं पता कि थोड़ी सी सावधानी, जानकारी उन्हें हो तो हार्ट अटैक,ब्लाकेज की वृद्धि को रोका जा सकता है, लेकिन ये बताने वाला कोई नहीं,डॉक्टर साहब भी नहीं बताते। इसके ठीक उल्टा, जब मरीज़ "हार्ट अस्पताल" में सर्जन के पास पहुंचता है तो "इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट" और "हार्ट सर्जन" (जो बाईपास सर्जरी करते हैं), उनके सामने एक ख़ौफनाक और डरावनी तस्वीर पेश करते हैं कि, "बस उन्हें एक ही मिनट में हार्ट अटैक होने वाला है। इसी ख़ौफ की वजह से कई मरीज़ और उनके रिशतेदार हार्ट सर्जरी की इजाज़त दे देते हैं।"    फिर क्या, आपकी ज़िन्दगी भर की सारी जमा पूंजी उन नाम-निहाद डाक्टरों की झोली में चली जाती है, या यूं कहिए कि, "50 साल की कमाई सिर्फ 50 दिन के भीतर आप गंवा देते हैं।"आम तौर पर "कल माफिया" इसी तरह काम करता है।    आप सभी इस बात को जानते हैं कि प्रायः हर क्लिनिक का अपना दवाखाना होता है। आप अमुक साहब का दवा अमुक औषधालय से ही खरीदने को मजबूर कर दिये जाते हैं अन्यथा आपका इलाज बंद। आखिर ऐसा क्यों? सिर्फ मुनाफे के लिए।  HAKEEM MD ABU RIZWAN

Last updated date 28/09/2020

हिप्पोक्रेटिस ऐलोपैथ का जनक

  माडर्न मेडिकल साइंस, अंग्रेज़ी या ऐलोपैथिक चिकित्सा पद्धति का जनक HIPPOCRATES को माना जाता है। उसका सिद्धांत था-"जब भी शरीर में कोई बीमारी आती है तो उसका एकमात्र कारण है- रक्त का प्रदुषित होना।


यानी, आपको कोई रोग हो गया है तो रक्त प्रदुषित हो गया है, और ये तब तक ठीक नहीं होगा जब तक दुषित रक्त न निकाला जाए। HIPPOCRATES के इस सिद्धांत ने यूरोप, ग्रीक के भूतकाल में हज़ारों राजा महाराजाओं की जानें ले ली हैं। जैसे अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन, ऐशुनियस, मैगास्थनीज, क्लाउडियस इत्यादि अनेक प्रतिष्ठित व्यक्ति HIPPOCRATES के इस सिद्धांत के शिकार हो गए। प्राचीन काल में तो चिकित्सक इस सिद्धांत पर आधारित ईलाज करते और केवल प्रदुषित रक्त ही निकाल देना काफी समझते थे, हालांकि उस क्रिया में जान ही निकल जाती थी। बचता कोई नहीं था, क्योंकि वो तो केवल रक्त निकालना जानते थे, रक्त बनाना नहीं जानते थे।


"यानी वो तो यहीं तक सीमित थे। लेकिन बधाई के पात्र हैं इस नए दौर के ये क़ाबिल/क़ातिल डॉक्टर्स जिनकी आम धारणा यह बन गई है कि कुछ भी हो "काट" कर निकाल दो। किडनी काट कर निकाल दो, गाल ब्लैडर काटकर निकाल दो, कुछ भी हो बस काट काट कर निकाल दो। गर्भाशय, अपेंडिक्स इत्यादि काट काट कर निकाल दो। और बड़े ही विनम्र भाव से कहते हैं कि ये आपके शरीर में "फालतू" था। अगर ये अंग हमारे शरीर में फालतू था तो ईश्वर ने इसको "बनाने की इतनी बड़ी ग़लती" क्यों कर दी?

Last updated date 21/09/2020

हिप्पोक्रेटिस ऐलोपैथ का जनक

  माडर्न मेडिकल साइंस, अंग्रेज़ी या ऐलोपैथिक चिकित्सा पद्धति का जनक HIPPOCRATES को माना जाता है। उसका सिद्धांत था-"जब भी शरीर में कोई बीमारी आती है तो उसका एकमात्र कारण है- रक्त का प्रदुषित होना।


यानी, आपको कोई रोग हो गया है तो रक्त प्रदुषित हो गया है, और ये तब तक ठीक नहीं होगा जब तक दुषित रक्त न निकाला जाए। HIPPOCRATES के इस सिद्धांत ने यूरोप, ग्रीक के भूतकाल में हज़ारों राजा महाराजाओं की जानें ले ली हैं। जैसे अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन, ऐशुनियस, मैगास्थनीज, क्लाउडियस इत्यादि अनेक प्रतिष्ठित व्यक्ति HIPPOCRATES के इस सिद्धांत के शिकार हो गए। प्राचीन काल में तो चिकित्सक इस सिद्धांत पर आधारित ईलाज करते और केवल प्रदुषित रक्त ही निकाल देना काफी समझते थे, हालांकि उस क्रिया में जान ही निकल जाती थी। बचता कोई नहीं था, क्योंकि वो तो केवल रक्त निकालना जानते थे, रक्त बनाना नहीं जानते थे।


"यानी वो तो यहीं तक सीमित थे। लेकिन बधाई के पात्र हैं इस नए दौर के ये क़ाबिल/क़ातिल डॉक्टर्स जिनकी आम धारणा यह बन गई है कि कुछ भी हो "काट" कर निकाल दो। किडनी काट कर निकाल दो, गाल ब्लैडर काटकर निकाल दो, कुछ भी हो बस काट काट कर निकाल दो। गर्भाशय, अपेंडिक्स इत्यादि काट काट कर निकाल दो। और बड़े ही विनम्र भाव से कहते हैं कि ये आपके शरीर में "फालतू" था। अगर ये अंग हमारे शरीर में फालतू था तो ईश्वर ने इसको "बनाने की इतनी बड़ी ग़लती" क्यों कर दी?

Last updated date 21/09/2020

पशु-पक्षियों को हार्ट अटैक क्यों नहीं आते ?

किसी भी चिड़िया को डायबिटीज नहीं होती। किसी भी बन्दर को हार्ट अटैक नहीं आता । कोई भी जानवर न तो आयोडीन नमक खाता है और न ब्रश करता है, फिर भी किसी को थायराइड नहीं होता और न दांत खराब होता है । बन्दर शरीर संरचना में मनुष्य के सबसे नजदीक है, बस बंदर और आप में यही फर्क है कि बंदर के पूँछ है आप के नहीं है, बाकी सब कुछ समान है। तो फिर बंदर को कभी भी हार्ट अटैक, डायबिटीज , high BP , क्यों नहीं होता है? एक पुरानी कहावत है बंदर कभी बीमार नहीं होता और यदि बीमार होगा तो जिंदा नहीं बचेगा मर जाएगा! बंदर बीमार क्यों नहीं होता? एक बड़ा गहरा रिसर्च किया गया कि बंदर को बीमार बनाओ। तो वैज्ञानिकों ने तरह - तरह के virus और बैक्टीरिया बंदर के शरीर में डालना शुरू किया, कभी इंजेक्शन के माध्यम से कभी किसी और माध्यम से । वैज्ञानिक परेशान, 15 साल असफल रहे , लेकिन बंदर को कुछ नहीं हुआ । आपको बता देता हूँ कि बंदर का जो RH factor है वह सबसे आदर्श है । कोई डॉक्टर जब आपका RH factor नापता है, तो वह बंदर के ही RH Factor से तुलना करता है , वह डॉक्टर आपको बताता नहीं, यह अलग बात है।


उसका कारण यह है कि, उसे कोई बीमारी आ ही नहीं सकती । उसके ब्लड में कभी कॉलेस्टेरॉल नहीं बढ़ता , कभी ट्रायग्लेसराइड नहीं बढ़ती , न ही उसे कभी डायबिटीज होती है । शुगर को कितनी भी बाहर से उसके शरीर में इंट्रोडयूस करो, वो टिकती नहीं । तो वैज्ञानिकों को समझ में आया कि यही चक्कर है , कि बंदर सबेरे-सबेरे ही भरपेट खाता है। जो आदमी नहीं खा पाता है , इसीलिए उसको सारी बीमारियां होती है। सूर्य निकलते ही सारी चिड़िया , सारे जानवर खाना खाते हैं। जब से मनुष्य इस ब्रेकफास्ट , लंच , डिनर के चक्कर में फंसा तबसे मनुष्य ज्यादा बीमार रहने लगा है । प्रोफेसर रवींद्रनाथ शानवाग ने अपने सभी मरींजों से कहा कि *सुबह सुबह भरपेट खाओ।*


उनके मरीज बताते है कि:- जबसे उन्हांने सुबह भरपेट खाना शुरू किया तबसे उन्हें डायबिटीज यानि शुगर कम हो गयी, किसी का कॉलेस्टेरॉल कम हो गया, किसी के घुटनों का दर्द कम हो गया , किसी का कमर का दर्द कम हो गया गैस बनाना बंद हो गई, पेट मे जलन होना बंद हो गया ,नींद अच्छी आने लगी,वगैरह-वगैरह। और यह बात बागभट्ट जी ने 3500 साल पहले कहा, कि सुबह का किया हुआ भोजन सबसे अच्छा है । सुबह सूरज निकलने से ढाई घंटे तक यानि 9.30 बजे तक, ज्यादा से ज्यादा 10 बजे तक आपका भरपेट भोजन हो जाना चाहिए* । और ये भोजन तभी होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे । यह नाश्ता का प्रचलन हिंदुस्तानी नहीं है , यह अंग्रेजो की देन है , और रात्रि का भोजन सूर्य अस्त होने से आधा घंटा पहले कर लें । तभी बीमारियों से बचेंगे । सुबह सूर्य निकलने से ढाई घंटे तक हमारी जठराग्नि बहुत तीव्र होती है । हमारी जठराग्नि का सम्बन्ध सूर्य से है ।हमारी जठराग्नि सबसे अधिक तीव्र स्नान के बाद होती है । स्नान के बाद पित्त बढ़ता है , इसलिए सुबह स्नान करके भोजन कर लें । तथा एक भोजन से दूसरे भोजन के बीच ४ से ८ घंटे का अंतराल रखें बीच में कुछ न खाएं, और दिन डूबने के बाद बिल्कुल न खायें। चूंकि यह पक्षियों और जंगली जानवरों की दिनचर्या में सम्मिलित है, अत: वे अमूमन बीमार नहीं होते। स्वस्थ रहे, स्वस्थ रखे,"यूनानी" अपनाएं, निरोग जीवन जिएं।

Last updated date 21/09/2020

इन्सान वही सुनना चाहता है जो उसको पसंद है

41:-"DISEASE FREE WORLD" "ईन्सान वही सुनना चाहता है जो उसको सुनने की चाहत होती है, बाक़ी बातों को वह अनसुना कर देता है।"ठीक वैसे ही जैसे सैंकड़ों वर्षों तक कहा जाता था कि,"सुर्य पृथ्वी चारों ओर चक्कर लगाता है। "जब कॉपरनिकस ने 1543 ई में "DE REVOLUTIONIBUS ORBIUM COELESTIUM" प्रकाशित की और कहा कि "पृथ्वी सुर्य के चारों ओर चक्कर काटती है।" तो उन पर चारों ओर से व्यंगबाण छोड़े गये।उनका तर्क साईंटीफिक और धार्मिक दृष्टिकोणों के आधार पर रद्द कर दिया गया।उन्हें बहुत से लोगों के कोप का शिकार होना पड़ा।उनके सारे तर्क खोखले क़रार दिए गये। उसी तरह जो सच्चाई मैं आपके सामने समय समय पर उजागर करने की कोशिश कर रहा हूं,उसे भी हमारे समाज (मुनाफा कमाने की इच्छा रखने वालों) द्वारा नामनज़ूर करने की कोशिश की जायेगी। हार्ट सर्जन और कार्डियोलौजिस्ट द्वारा मरीजों के शोषण का बहुत ही विस्तृत चित्र प्रस्तुत करती है।हमें ह्रदय रोगों की चिकित्सा में एक अहम बदलाव की ज़रुरत है,जो बिना चीर फाड़ के की जाने वाली चिकित्सा की ओर ले जाती हो। ''आपको कोई लाईलाज असाध्य बीमारी या अन्य पुरानी तकलीफ व परेशानी रहती है तो अवश्य संपर्क करें|''


"पोस्ट को ध्यान से पढें,फिर आपको मुझसे कुछ भी विचार-विमर्श या पूछताछ करने की ज़रुरत ही नहीं पड़ेगी|नीचे दिए पते पर पहुँच कर अपना मुकम्मल ईलाज करा लें|सदा सुखी व स्वस्थ्य जीवन का आनंद लेते रहें|" नीचे लिखी कुछ लाईलाज बीमारियाँ जिसको हमलोग LIFESTYLE DISEASE के नाम से जानते हैं और इस तरह की सारी बीमारियों का मुकम्मल ईलाज 100% मुमकिन है,वो भी सिर्फ यूनानी मेडिसीन "HEALTH IN BOX" से, जो मैंने बरसों की मेहनत, रिसर्च और अथक प्रयास से केवल आपके लिए एक अनमोल तोहफ़ा। क्योंकि सारी बीमारियाँ GLUCOSE और INSULIN की गड़बड़ी की वजह से ही वजूद में आती हैं,मगर शरीर के विभिन्न अंगों के हिसाब से उसका नाम दे दिया जाता है|लेकिन सारे रोग DIABETES की बदली हुई शक्ल व रुप ही हैं|GLUCOSE और INSULIN के बीच में जब तक तालमेल सही है,हम सेहतमंद और स्वस्थ्य हैं| यही सबसे बड़ी सच्चाई है जिसे सैंकडों वर्षों से हमसे छुपाई गई बड़ी-बड़ी PHARMACEUTICALS COMPANIES की ओर से,ताकि वो अपना धंधा चला सकें|हमें डराया गया है हमेशा,जिसे DISEASE MONGERING यानि भय का व्यापार कहते हैं और इसका फायदा हम सब को उल्लू बनाकर उठाया जाता रहा है ! “DIABETES HIGH BP CHOLESTEROL THYROID ANY TYPES OF VIRAL DISEASES DENGUE H1N1 SWINE FLUE CHIKANGUNIA HIV AIDS" वगैरह बीमारियों की सारी हकीकत अब दुनिया के सामने आ चुकी है,जिसको हमलोग LIFESTYLE DISEASE के नाम से जानते हैं|और मैं अपनी इस बात को किसी भी मंच पर सबके सामने साबित कर सकता हूँ कि तमाम बीमारियाँ बिल्कुल पूरी तरह हमेशा केलिए REVERSE हो जाती हैं,जिसके लिए जीवनभर ALLOPATHIC MEDICINES खिलाया जाता है यानी जीवनभर बीमार रखा जाता है|ज़रुरत है सिर्फ और सिर्फ अवाम जनता समाज,सोसाईटी और लोगों के जागने की|आगे आईए!इस अवामी-समाजी बेदारी अभियान का हिस्सा बनिए जिसे "DISEASE FREE WORLD" नाम रखा है| तमाम बीमारियाँ एक निश्चित समय में बिल्कुल REVERSE हो जाती हैं| DEAR FRIEND ! जो दवा मैं देता हूँ,जो बातें मैं बताता हूँ,वो UNANI MEDICINE सबसे अलग होता है|लोगों को बिल्कुल अजूबा लगता है,कयूँकी ALLOPATHIC UNANI AYURVEDIC & HOMEOPATHIC वालों ने इतना प्रोपगैण्डा फैलाया हुआ है कि लोग इसको सुनने समझने को ही तैयार नहीं|3-4 घंटे लगते हैं ये इस साजिश यानि CONSPIRACY को समझाने बताने में|सारा कच्चा चिट्ठा खोलकर जबतक नहीं बताता तबतक लोगों को यकीन नहीं होता| DIABETES और अन्य सभी किस्म की बीमारियों यानि LIFESTYLE DISEASES की ALLOPATHIC MEDICINES पहले दिन से ही छूट जाती है,फिर हमेशा के लिए| और भविष्य में कभी उसकी ज़रुरत भी नहीं|आजतक लोगों को PHARMACEUTICALS COMPANIES ALLOPATHIC UNANI AYURVEDIC & HOMEOPATHIC COMPANIES & DOCTORS HAKEEM VAIDYA बेवकूफ बनाती रही हैं जो कम्पनियों के एजेन्ट की तरह काम करते हैं|मगर अब बस ! DIABETES या किसी भी LIFESTYLE DISEASE के होने के कारण को नज़र अंदाज़ किया किया जाता रहा है ताकि ये और इस तरह की तमाम बीमारियों में जिन्दगी भर ALLOPATHIC MEDICINES खिलाते रहें PERMANENT CUSTOMER बनाकर लूटते रहें| मैं जो केवल एक MEDICINE हर बीमारी केलिए देता हूँ,उसको लेना शुरु करने के दिन से ही अपना असर दिखाता है|ALLOPATHIC UNANI AYURVEDIC & HOMEOPATHIC MEDICINES छोड़ना पड़ता है हमेशा केलिए|तीन माह के बाद ये मेरी UNANI MEDICINE भी बन्द हो जाती है|ईन्शा अल्लाह | **Aapko ya aapke kisi apnon ko koi problem ho to likhe huwe ADDRESS par zarur aakar mil sakte hain.** नोट:-


इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अपना विचार अवश्य व्यक्त करें|मुझे अच्छा लगेगा|साथ ही आगे अपने सर्किल में ज़रुर शेयर करें | * दवा केवल पावडर की शक्ल में है|4 - 4 ग्राम सुबह-शाम काढ़ा बनाकर पीना है| * भारत में कहीं भी स्पीड पोस्ट या कूरियर के द्वारा दवा भेजने का ईन्तजाम है|इसके लिए अलग से कोई चार्ज नहीं लिया जाता है। धन्यवाद ! * نوٹ:- * इसी तरह के पोस्ट जो मोडर्न साइंस की पोल खोलने वाली होंगी,मेरे फेसबुक टाईमलाईन पर जाएं या मेरे Whats app पर जाएं।जहां उर्दू,हिन्दी और अंग्रेजी में ढेर सारे पोस्ट पढ़कर सच्चाई से रूबरू होंगे। और, देखेंगे कि कैसे ये फार्मासियु- टीकल कंपनियां बेवकूफ बनाकर जनता को कंगाल बना रही हैं। HAKEEM MD ABU RIZWAN BUMS,hons.(BU) UNANI PHYSICIAN Spl in LIFESTYLE DISEASES +UNANI MEDICINES RESEARCH CENTRE+ SHRUTI CHOWK PURANI BASTI ROAD JUGSALAI JAMSHEDPUR JHARKHAND CONTACT 8651274288 & 9334518872 WHAT'S APP 9334518872 & 8651274288 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube HAKEEM MD ABU RIZWAN

Last updated date 20/09/2020

Heart Problem

I Preparing the herbal medicine formulations to treat It. Our unani remedies have been successfully used in treating Heart Problems permanently. I'm confident that the medicine would treat major and minor cardiac problems without side effects or any need of operation.


I have been trying to make your life healthy with the resources set by nature, one of this Unani medicine called HEALTH IN BOX®.


With this one herbal medicine, all lifestyle diseases are always REVERSE. That is, every disease in which doctors fail and tell you to eat allopathic medicine for a lifetime, on the contrary, the first stop of allopathic medicine became part of your life for many years as soon as I started taking my medicine HEALTH IN BOX®. I will be able to stop this medicine after four months of use and will be able to live a healthy life. We will give you the Heart Problems Treatment. In Unani medicine, conditions are often treated with herbal formulas containing a variety of natural substances.

Last updated date 26/08/2020


हार्ट अटैक - एक रिपोर्ट

हार्ट अटैक- एक रिपोर्ट" हृदयाघात की दहलीज पर देश का हर चौथा युवा, प्रतिदिन हो रही 800 से ज्यादा युवाओं की मौत। करीब 20 करोड़ युवा उच्च रक्तचाप के मरीज, इनकी उम्र 30 वर्ष से कम। हर साल होने वाली कुल मौतों में 19 फीसदी हृदयरोग से संबंधित होती हैं। हृदयाघात आने के चार से पांच घंटे के भीतर उपचार मिलना बहुत जरूरी। एक अटैक आने के बाद 60 फीसदी तक प्रभावित होती है दिल की क्षमता:- अव्यवस्थित जीवनशैली, तनाव, प्रदूषण आदि कारणों के चलते आज देश का हर चौथा युवा हृदयाघात की दहलीज पर खड़ा है। इनमें आधे से ज्यादा युवा तो अपने रोग के बारे में जानते तक नहीं। बाकी जानकर भी अंजान हो जाते हैं। यही वजह है कि मात्र 10 फीसदी युवा रोगी उपचार के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। यह जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान (आईसीएमआर) की हाल ही में आई एक रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, देश के प्रत्येक चार में से एक युवा को उच्च रक्तचाप की शिकायत है। यदि ज्यादा दिन तक इसका उपचार नहीं कराया जाए तो हृदय पर बुरा असर पड़ता है। क्षमता से करीब तीन गुना दबाव होने के कारण हृदय की पंपिंग प्रभावित हो जाती है और मरीज हृदयाघात की चपेट में आ जाता है। इसी रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार भी देश के 100 जिलों में उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए निशुल्क जांच आदि राष्ट्रीय कार्यक्रम भी शुरू कर चुकी है। भारत में छह घंटे बाद हो पाता है हृदयाघात का उपचार:- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आए दिन ऐसे मामले पहुंच रहे हैं। एम्स के हृदय रोग विभाग के वरिष्ठ डॉ. अंबुज राय बताते हैं कि हृदयरोग और हृदयाघात के कम उम्र में काफी मामले देखने को मिल रहे हैं। इन मरीजों को बचा पाने में डॉक्टरों के आगे सबसे बड़ी चुनौती गोल्डन ऑवर है। विदेशों में हृदयाघात के करीब 2 घंटे के भीतर उपचार मिल जाता है, जबकि भारत में ये करीब 6 घंटे के बाद होता है। यही वजह है, देश में सालाना 30 लाख हृदयाघात के मामलों में से कुछ ही फीसदी को डॉक्टर बचा पाते हैं। मेडिकल जर्नल लांसेट में प्रकाशित आईसीएमआर के एक और अध्ययन के अनुसार, 1990 से 2016 के बीच भारत में हृदयाघात से होने वाली मौत में कई गुना वृद्धि हुई है। इनमें 50 फीसदी से ज्यादा की मौत समय से पहले हुई है। करीब 22.9 फीसदी ग्रामीण और 32.5 फीसदी शहरी क्षेत्रों में मौत हो रही हैं। 1990 में करीब ढाई करोड़ लोग हृदय रोग ग्रस्त थे, जिनकी संख्या अब छह करोड़ से भी ज्यादा है। एम्स के अनुसार, करीब 25 फीसदी सालाना मौत 25 से 65 वर्ष की आयु के बीच हो रही हैं। बीच में ही दवा छोड़ देने से पड़ता है खतरनाक असर:- एम्स के डॉ. अंबुज राय बताते हैं कि उच्च रक्तचाप के अलावा मधुमेह, अनियंत्रित जीवनशैली, नशा आदि हृदय को बीमार कर रहा है, लेकिन ऐसे मरीज बीच में ही दवाएं छोड़ देते हैं। एम्स में हर दिन ऐसे कई मरीज आते हैं, जो पूरा उपचार नहीं लेते हैं, जबकि इन मरीजों में हृदयाघात या हृदय रोग दोहरी गति से हावी होता है। आंकड़ों पर एक नजर:-