मेरी इस दवा को सिर्फ चार महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के काबिल हो जाएंगे। आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।

Osteo-Arthritis Treatment

चूना

अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातुहू ! *चूना 70 प्रकार की बीमारियों को ठीक कर देता है* गेहुँ के दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी *पीलिया ठीक हो जाता है।* चूना *नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है -* अगर किसी के शुक्राणु नही बनता, उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल डेढ़-साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे। जिन माताओं के शरीर में अन्डे नहीं बनते उन्हें भी इस चूने का सेवन करना चाहिए। # *डायबिटीज़ या* #शुगर :- रोज़ सुबह ख़ाली पेट एक गिलास पानी में एक छोटे चने के बराबर चुना मिलाकर पीने से डायबिटीज़ या शुगर जड़ से ख़त्म हो जाती हैं। ( समय समय पर जाँच करवाते रहें, वरना शुगर का लेवल माइनस भी हो सकता है।) विद्यार्थीयों के लिए चूना बहुत अच्छा है जो *#लम्बाई बढाता है* - गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिला कर खाना चाहिए। दही नही है तो दाल में मिला कर या पानी में मिला कर लिया जा सकता है - इससे लम्बाई बढ़ने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छी होती है । *जिन बच्चों की बुद्धि कम है, ऐसे मंदबुद्धि बच्चों के लिए सबसे अच्छी दवा है* चूना। जो बच्चे बुद्धि से कम हैं, दिमाग़ देर में काम करता है, देर में सोचते हैं, हर चीज उनकी स्लो है, उन सभी बच्चों को चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे। स्त्रियों को अपने *#मासिक_धर्म* के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसकी सबसे अच्छी दवा है चूना। मेनोपौज़ की सभी समस्याओं के लिए गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन दाल में, लस्सी में, या पानी में घोल के पीना चाहिए। ओस्टीओपोरोसिस होने की संभावना भी इसके बाद नहीं रहती। जब कोई स्त्री # *गर्भावस्था* में है तो चूना रोज खाना चाहिए, क्योंकि गर्भवती माँ को सबसे ज्यादा केल्शियम की जरुरत होती है। और चूना *केल्शियम* का सबसे बड़ा भंडार है। गर्भवती माँ को चूना खिलाना चाहिए अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर। ये मिलाकर रोज पिलाइए, नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फायदे होंगे - पहला, माँ को बच्चे के जन्म के समय कोई तकलीफ़ नहीं होगी और नॉर्मल डीलिवरी होगी। दूसरा, बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हृष्ट-पुष्ट और तंदुरुस्त होगा। तीसरा, वो बच्चा ज़िन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया। और चौथा, सबसे बड़ा लाभ है वो बच्चा बहुत होशियार होता है बहुत *Intelligent* और *Brilliant* होता है उसका *IQ* बहुत अच्छा होता है। चूना #घुटने_क_दर्द ठीक करता है , कमर का दर्द ठीक करता है , कंधे का दर्द ठीक करता है। एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis, वो चुने से ठीक होता है। कई बार हमारे रीढ़ की हड्डी में जो मनके होते है उसमें दूरी बढ़ जाती है, Gap आ जाता है जिसे ये चूना ही ठीक करता है। रीढ़ की हड्डी की सब बीमारियाँ चूने से ठीक होती है। अगर हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे ज्यादा चूने में है। इसके लिए चूने का सेवन सुबह खाली पेट करे। अगर मुंह में #ठंडा_गरम पानी लगता है तो चूना खाने से बिलकुल ठीक हो जाता है। मुंह में अगर छाले हो गए हैं तो चूने का पानी पीने से तुरन्त ठीक हो जाता है। शरीर में जब खून कम हो जाये तो चूना जरुर लेना चाहिए। एनीमिया है, या खून की कमी है तो उसकी सबसे अच्छी दवा है ये चूना। गन्ने के रस में , या संतरे के रस में , नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में डाल कर चूना लें, अनार के रस में चूना पीने से खून बहुत बढता है, बहुत जल्दी खून बनता है। एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चूना सुबह खाली पेट लें। *भारत के जो लोग चूने से पान खाते है, बहुत होशियार हैं, और वे महर्षि वाग्भट के अनुयायी हैं।* लेकिन, पान बिना तम्बाखू , सुपारी और कत्थे के लें। तम्बाखू ज़हर है और चूना अमृत है, कत्था कैन्सर करता है। पान में सौंठ , इलायची , लौंग , केसर , सौंफ , गुलकंद , चूना , कसा हुआ नारियल आदि डाल कर खाएं। अगर घुटने में घिसाव आ गया हो और डॉक्टर कहे कि घुटना बदल दो तो भी जरुरत नहीं, बल्कि चूना खाते रहिये। और हरसिंगार ( पारिजातक या प्राजक्ता ) के पत्ते का काढ़ा पीजिये , घुटने बहुत अच्छे काम करेंगे। *चूना खाइए पर चूना लगाइए मत।* *चूना लगाने के लिए नहीं है, खाने के लिए है।* -: *आवश्यक सूचना* :- आपके सामने दो आप्शन्स हैं- 1: *ऐलोपैथिक दवा खाते हुए ज़िंदा रहने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना।* 2: _HEALTH IN BOX_ युनिक यूनानी दवा का प्रयोग कर कुछ महीनों में अपनी लाइफस्टाइल बीमारियों जैसे:- *मोटापा, डायबिटीज़, हाई बीपी, हृदय रोग, कैंसर, किडनी फेल्योर,* *डायलिसिस, माइग्रेन, आर्थराइटिस, लीवर व अमाशय रोग* इत्यादि से हमेशा के लिए छुटकारा पाना। फ़ैसला आपको करना है और आज ही करना है। _HEALTH IN BOX_ के लिए संपर्क करें:- *हकीम मो अबू रिज़वान* बीयूएमएस आनर्स(बीयू) *यूनानी चिकित्सक* _स्पेशलिस्ट इन लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़_ यूनानी मेडिसींस रिसर्च सेंटर जमशेदपुर झारखंड मोबाइल 9334518872 8651274288 यूट्यूब *HAKEEM MD ABU RIZWAN* वेबसाइट *umrc.co.In*



Last updated date 11/03/2022

चूना

अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातुहू ! *चूना 70 प्रकार की बीमारियों को ठीक कर देता है* गेहुँ के दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी *पीलिया ठीक हो जाता है।* चूना *नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है -* अगर किसी के शुक्राणु नही बनता, उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल डेढ़-साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे। जिन माताओं के शरीर में अन्डे नहीं बनते उन्हें भी इस चूने का सेवन करना चाहिए। # *डायबिटीज़ या* #शुगर :- रोज़ सुबह ख़ाली पेट एक गिलास पानी में एक छोटे चने के बराबर चुना मिलाकर पीने से डायबिटीज़ या शुगर जड़ से ख़त्म हो जाती हैं। ( समय समय पर जाँच करवाते रहें, वरना शुगर का लेवल माइनस भी हो सकता है।) विद्यार्थीयों के लिए चूना बहुत अच्छा है जो *#लम्बाई बढाता है* - गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिला कर खाना चाहिए। दही नही है तो दाल में मिला कर या पानी में मिला कर लिया जा सकता है - इससे लम्बाई बढ़ने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छी होती है । *जिन बच्चों की बुद्धि कम है, ऐसे मंदबुद्धि बच्चों के लिए सबसे अच्छी दवा है* चूना। जो बच्चे बुद्धि से कम हैं, दिमाग़ देर में काम करता है, देर में सोचते हैं, हर चीज उनकी स्लो है, उन सभी बच्चों को चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे। स्त्रियों को अपने *#मासिक_धर्म* के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसकी सबसे अच्छी दवा है चूना। मेनोपौज़ की सभी समस्याओं के लिए गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन दाल में, लस्सी में, या पानी में घोल के पीना चाहिए। ओस्टीओपोरोसिस होने की संभावना भी इसके बाद नहीं रहती। जब कोई स्त्री # *गर्भावस्था* में है तो चूना रोज खाना चाहिए, क्योंकि गर्भवती माँ को सबसे ज्यादा केल्शियम की जरुरत होती है। और चूना *केल्शियम* का सबसे बड़ा भंडार है। गर्भवती माँ को चूना खिलाना चाहिए अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर। ये मिलाकर रोज पिलाइए, नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फायदे होंगे - पहला, माँ को बच्चे के जन्म के समय कोई तकलीफ़ नहीं होगी और नॉर्मल डीलिवरी होगी। दूसरा, बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हृष्ट-पुष्ट और तंदुरुस्त होगा। तीसरा, वो बच्चा ज़िन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया। और चौथा, सबसे बड़ा लाभ है वो बच्चा बहुत होशियार होता है बहुत *Intelligent* और *Brilliant* होता है उसका *IQ* बहुत अच्छा होता है। चूना #घुटने_क_दर्द ठीक करता है , कमर का दर्द ठीक करता है , कंधे का दर्द ठीक करता है। एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis, वो चुने से ठीक होता है। कई बार हमारे रीढ़ की हड्डी में जो मनके होते है उसमें दूरी बढ़ जाती है, Gap आ जाता है जिसे ये चूना ही ठीक करता है। रीढ़ की हड्डी की सब बीमारियाँ चूने से ठीक होती है। अगर हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे ज्यादा चूने में है। इसके लिए चूने का सेवन सुबह खाली पेट करे। अगर मुंह में #ठंडा_गरम पानी लगता है तो चूना खाने से बिलकुल ठीक हो जाता है। मुंह में अगर छाले हो गए हैं तो चूने का पानी पीने से तुरन्त ठीक हो जाता है। शरीर में जब खून कम हो जाये तो चूना जरुर लेना चाहिए। एनीमिया है, या खून की कमी है तो उसकी सबसे अच्छी दवा है ये चूना। गन्ने के रस में , या संतरे के रस में , नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में डाल कर चूना लें, अनार के रस में चूना पीने से खून बहुत बढता है, बहुत जल्दी खून बनता है। एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चूना सुबह खाली पेट लें। *भारत के जो लोग चूने से पान खाते है, बहुत होशियार हैं, और वे महर्षि वाग्भट के अनुयायी हैं।* लेकिन, पान बिना तम्बाखू , सुपारी और कत्थे के लें। तम्बाखू ज़हर है और चूना अमृत है, कत्था कैन्सर करता है। पान में सौंठ , इलायची , लौंग , केसर , सौंफ , गुलकंद , चूना , कसा हुआ नारियल आदि डाल कर खाएं। अगर घुटने में घिसाव आ गया हो और डॉक्टर कहे कि घुटना बदल दो तो भी जरुरत नहीं, बल्कि चूना खाते रहिये। और हरसिंगार ( पारिजातक या प्राजक्ता ) के पत्ते का काढ़ा पीजिये , घुटने बहुत अच्छे काम करेंगे। *चूना खाइए पर चूना लगाइए मत।* *चूना लगाने के लिए नहीं है, खाने के लिए है।* -: *आवश्यक सूचना* :- आपके सामने दो आप्शन्स हैं- 1: *ऐलोपैथिक दवा खाते हुए ज़िंदा रहने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना।* 2: _HEALTH IN BOX_ युनिक यूनानी दवा का प्रयोग कर कुछ महीनों में अपनी लाइफस्टाइल बीमारियों जैसे:- *मोटापा, डायबिटीज़, हाई बीपी, हृदय रोग, कैंसर, किडनी फेल्योर,* *डायलिसिस, माइग्रेन, आर्थराइटिस, लीवर व अमाशय रोग* इत्यादि से हमेशा के लिए छुटकारा पाना। फ़ैसला आपको करना है और आज ही करना है। _HEALTH IN BOX_ के लिए संपर्क करें:- *हकीम मो अबू रिज़वान* बीयूएमएस आनर्स(बीयू) *यूनानी चिकित्सक* _स्पेशलिस्ट इन लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़_ यूनानी मेडिसींस रिसर्च सेंटर जमशेदपुर झारखंड मोबाइल 9334518872 8651274288 यूट्यूब *HAKEEM MD ABU RIZWAN* वेबसाइट *umrc.co.In*



Last updated date 11/03/2022

معصوم بچوں پر نشانہ

بڑی دوا ساز کمپنیوں کا قابلِ مذمت عمل"  "مرض کا ایجاد"‌ صرف نوجوانوں پر ھی اثر  نہیں ڈالتا ہے بلکہ یہ آپ کے بچوں پر بھی اثرانداز ہوتا ھے۔     ایک کتاب:- Born With A Junk Food Deficiency Flax, Quacks & Hacks Pump The Public Health  - بڑی بڑی دواساز کمپنیوں کی قلعی کھولتے ہوئے انکے راز بتاتی ھیکہ کس طرح انکی سازش کے تحت کی سب سے کمزور کڑی،انکے "معصوم بچے" جال میں پھنسایے جاتے ھیں۔Ultranet کے مطابق،        "Child psychologist"  جو کبھی معمولی سی مہارت مانی جاتی تھی، آج فارما انڈسٹریز کے لئے ایک اہم اور منافع بخش کاروبار اور بازار بن چکا ھے۔ شیزوفرینیا (schizophrenia) جیسے مرض سے لیکر چڑچڑے پن اور تنک مزاجی تک ،دوا کمپنیوں کے پاس ہر ایک بچے کیلئے کوئی نہ کوئی "گولی یا دوایی" ھے۔ یہ سب ایک اچھی مارکیٹنگ کا ھی نتیجہ ھیکہ اس کا ایک چھوٹا سا بچہ تک "منی بم" میں تبدیل ہوگیا ہے، لیکن یہ ھوا کیسے؟ میڈیکل ریپرزین ٹیٹو Mr Zen Olsen کہتے ہیں کہ یہ بہت ہی آسان ھے-: "بچوں کو اسکولوں میں چھوٹی موٹی تکلیفوں کیلیے میڈیکل روم میں دواییں لینے کیلئے دباؤ ڈالا جاتا ھے۔گھروں میں دواییں لینے کے لئے ان پر والدین اور گارجین کابھی دباؤ ہوتا ھے۔وھیں اسپتال جانے پر ڈاکٹر بھی ان پر دواییں لینے کو لیکر ذھنی دباؤ ڈالتے ہیں۔اسطرح سے بچے ایک "مہذب مریض" بن جاتے ہیں۔یعنی وہ دوا کمپنیوں کے Long Life Customer بن جاتے ہیں۔ بمطابق Zen :- "جو بچے شروع میں ADHD یا BIPOLAR یا  کسی دوسرے ذھنی امراض کی دواییں لیتے ہیں ،اور بعد میں ٹھیک ھو جاتے ھیں۔وہ بہت ہی سلیقے سے اپنی زندگی گزارتے ہیں،لیکن ان بچوں میں بھی تا حیات ان ذھنی امراض کو لیکر ایک زبردست خوف و ھراس ستاتا رھتا ھے،جو انکے ذھنی، سماجی اور جذباتی ترقی پر بھی حاوی ہو جاتا ھے۔ایسا اسلیے ہوتا ہے کیونکہ بچپن میں لی گئی ادویات کا "سایڈ ایفکٹ" انکی زندگی کے ہر پہلو پر انداز ہوتا ہے۔"    ایک تازہ ترین تحقیق کے مطابق : - "بچوں کو دی جانے والی "Allergy" اور "Asthma" کی ادویات سے انکے ذھنی طور پر کمزور ھو جانے کا خطرہ بڑھ جاتا ہے۔جن بچوں کے ذھنی مریض ھونے کا پتہ چلتا ہے، وہ نہ صرف ھمیشہ کے لئے مریض، بلکہ مہنگے مریض بھی ھو جاتے ھیں۔انکی دواؤں کا ماھانہ خرچ دس ہزار یا اس سے بھی زیادہ ھو سکتا ھے۔فارما انڈسٹریز کو بیشک گورنمنٹ اور دوسرے لوگوں کی مدد مل رھی ھے۔گورنمنٹ کے ذریعہ چلائی گئی Campaigning جیسے : Polio Campaign, نوزائیدہ بچوں کی Vaccinations، الگ الگ ضروری Clinical Test وغیرہ ان فارما کمپنیوں کا کام نہایت ہی آسان کر دیتے ہیں۔ یہ ایک شرمناک واقعہ ہے کہ زیادہ تر ماھر نفسیات صلاح لکھنے میں اتنے مشغول رہتے ہیں کہ انہیں اپنی جانکاری اپڈیٹ کرنے کی بھی ضرورت محسوس نہیں ہوتی۔حال ہی میں "BMC Psychiatry" میں شایع ھونے والی ایک ریسرچ میں پایا گیا کہ بیشتر مہلک ذھنی امراض کے شکار نوجوان لڑکیوں و لڑکوں میں Vitamin D کا فقدان ہے ۔ یہ کوئی حیرت انگیز بات نہیں ھے۔ کیونکہ Vitamin D ذہنی نشوو نما کیلیے از حد ضروری ہے۔اس ریسرچ کے مطابق :- " Vitamin D کی کمی نوجوان لڑکے و لڑکیوں کے ذہنی مریض ہونے کے امکانات کو چار گنا بڑھا دیتا ھے۔"اس ریسرچ کے مطابق :- Mental Health Clinic میں مقیم بچوں میں Vitamin D کی مقدار نہایت ہی خطرناک حد تک کم پایی گیی۔نوجوان لڑکیوں میں اسکی مقدار محض 2ng/ml اور لڑکوں میں  10ng/ml پائی گئی۔اسکا Normal Range 30-74ng/ml ھے۔کوئی بھی بچہ جو Abnormal Mental & Behaviour symptoms دکھارھا ھے، اسے اپنا Vitamin-D Level چیک کروانا چاھیے۔ یہ ایک اسٹینڈرڈ ٹسٹ ہونا چاہئے لیکن ڈاکٹروں اور ماہرین نفسیات کے ذریعہ اسے نظرانداز کیا جارہا ھے۔ کیی تحقیقاتی مطالعے نے یہ ثابت کیا ھے کہ وٹامن   D کی کمی کو دور کرنے کے بعد کیی ذھنی امراض میں سدھار آگیا۔        نوٹ:اس پوسٹ کو پڑھنے کے بعد اپنے جذبات اور خیالات کا اظہار کرنا نہ بھولیں،مجھے اچھا لگے گا۔اور ساتھ ہی اس پوسٹ کو اپنے فرینڈ سرکل میں ضرور شیئر کریں۔    * میرے پاس ہر مرض کیلئے دوا صرف ایک ہی ہے،جو پاوڈر کی شکل میں ہے۔جس کا نام ®HEALTH IN BOX  ہے۔یہ کھانے کی دوا نہیں ہے،بلکہ کاڑھا یا جوشاندہ بناکر گرم گرم صبح اور شام خالی پیٹ پینا ہوتا ہے۔   * ایک پیکٹ ایک ماہ کیلئے (250  گرام) ہے۔اور 4-4 گرام ہی  صبح شام  استعمال کرنا ہے،یعنی کاڑھا یا جوشاندہ بناکر پینا ہے    * کسی بھی مرض کیلئے ایک ماہ کی دوا کی قیمت صرف   -/3000 روپیہ ہی ہے۔جبکہ CANCER اور TUMOUR کیلئے ایک ماہ کی دوا کی قیمت -/6000 روپیہ ہے۔    * ہندوستان یا ہندوستان کے باہر کہیں بھی بذریعہ اسپیڈ پوسٹ یا کوریئر دوا بھیجی جاتی ہے، جسکا چارج ادا کرنا ھوگا اور دوا کی کل رقم مع پوسٹیج چارج میرے بینک اکاونٹ میں پیشگی بھیجنا ضروری ہے۔ساتھ ہی اپنا پوسٹل ایڈریس پن کوڈ اور موبائل نمبرضرور ارسال کریں،تاکہ آپ کی دوا آپ تک پہنچنے میں دقت نہ ہو۔



Last updated date 30/09/2020

ڈاکٹرز MASS MURDERER

(اس پوسٹ کو پڑھنے کے بعد یقینی طور پر       ”MATHEMATICS OF DISEASES“  سمجھ میں آ جاٸیگا۔اور آپ یہ جان کر حیران ھوں گے کہ کیسے آپکو ”دو دونی آٹھ“ کے اس مکڑ جال میں ھمیشہ کیلٸے پھنسا دیا جاتا ھے۔)     میں آپ کو 1975 کے اس زمانےمیں لےجاتا ھوں جہاں دنیا کی ٹاپ 10 کمپنیوں میں سے دوسرے نمبر کی کمپنی MERCK کی بات کریں گے۔اس کمپنی کے CEO کا نام تھا ”HENRY GODSON“ ۔جس کا کہنا تھا: ”ان کے دل میں ایک ہی تکلیف ھے کہ دنیا میں صرف ”مریض“ ھی ان کی کمپنی کی تیار کردہ پروڈکٹ کا استعمال کر پاتے ھیں“۔”وہ اس دن کا خواب دیکھ رھے تھےجب وہ دنیا کے تمام صحت مند طبقے کو بھی اپنی پروڈکٹس بیچ سکیں گے“۔ اسکا مطلب یہ ھوا کہ وہ چاھتےتھے: ”ساری دنیا بیمار پڑ جاٸے یا بیمار نہ بھی ہڑے، پھر بھی ان کے پروڈکٹس ضرور بکیں“۔جیسے کہ: ”چیونگم“۔ دنیا میں ھر انسان اسے چبانا پسند کرتا ھے، چاھے وہ چھوٹا ھو یا بڑا بیمار ھویا صحت مند۔اسی طرح دنیا کی سبھی دوا کمپنیاں یہی چاھتی ھیں کہ: ”انکی دواٸیں دنیا کے سبھی لوگ بار بار لیں۔“ یہ ثابت کرنے کے لٸےآپ کچھ مثالیں دیکھٸے:    فرض کیجٸے، کہ آپ کو نیند نہیں آرہی ھے۔بھلے ھی اسکا سبب کچھ بھی ھو۔لیکن آپ نیند لانے والی دوا کھا لیتے ھیں۔آپ لگاتار اسی عمل کو جاری رکھتے ھیں،اورکچھ عرصہ بعد نوبت یہ آجاتی ھیکہ آپ کو نیند کی دوا کھاٸے بغیر نیند آنی ھی بند ھو جاتی ھے۔ اسی طرح، اگر آپ کو depression ھے تو کچھ دن تک ”ڈپریشن“ کی دوا کھانے کا اثر ایسا ھوگا کہ آپ ان ”گولیوں“ کو نہ کھانے پر خود کو ”ڈپریشن“ سے گھرا پاٸیں گے۔ایسا لگے گا کہ آپ کی زندگی میں کوٸی کمی سی ھے۔ اسی طرح، اگر آپ کو ڈاٸبٹیز کی شکایت نہیں ھے اور پھر بھی آپ ”ڈاٸبٹیز“ کنٹرول کرنے کیلٸے دوا لیتے ھیں تو کچھ ھی دنوں میں آپ اس پر منحصر ھو جاٸیں گے۔ یہ سب ”کورے قصے“ نہیں ھیں۔ GLAXO SMITHKLINE نام کی ایک بڑی دواساز کمپنی ڈاکٹروں کو مسلسل 20 سالوں تک رشوت دیتی رہی، تاکہ انکی دواٸیں زیادہ سے زیادہ صحت مند لوگوں کو دی جاٸیں۔شاید وہ جانتے تھے کہ اگر ان کی دواٸیں صحت مند لوگوں کو بھی دی جاٸیں گی تو کچھ ھی دنوں میں بہت سے لوگ ان پر منحصر ھو جاٸیں گے۔ان کی دواٸیوں کے بغیر لوگوں کا کام نہیں چلے گا۔ پورے 20 سال بعد ان کی یہ ”ناپاک سازش“ بے نقاب ھوتی ھے اور 20 جولاٸی  2010 میں لوگوں کو اس بات کا پتہ چلتا ھے۔اسوجہ سے اس کمپنی کو 16,000 کروڑ روپیہ سے بھی زیادہ کا جرمانہ دینا پڑا۔سوال یہ پیدا ھوتا ھے کہ کیا صرف جرمانہ بھر دینے سے ھی وہ اس ”اخلاقی جرم“ سے بَری ھو گٸے،جو انھوں نے انسانی برادری کے خلاف کیا تھا؟ صرف یہی ایک مثال نہیں ھے، جب دوا کمپنیوں نے اپنا۔منافع کمانے کے مقصد کو سب سے آگے رکھتے ھوٸے باقی دوسری چیزوں و ذمہ داریوں کو بالاٸے طاق رکھ دیا ھو۔ان کا کسی کی بھی”صحت“سے کوٸی لینا دینا نہیں ھے۔ وہ صرف بیماریوں کو بڑھاوا دینا چاھتے ھیں۔ وہ چاھتے ھیں کہ زیادہ سے زیادہ لوگ بیمار پڑیں اور تاعمر بیماری کی چپیٹ میں مبتلا رھیں۔اسی میں تو ان کا منافع اور فاٸدہ ھے، کمپنیاں چلیں گی تو وہ مالا مال ھوں گے۔میں مثال کے طور پر کچھ مرض کے متعلق بتاتا ھوں:-  *  DIABETES:-  1997 تک یہ مانا جاتا تھا کہ ”فاسٹنگ بلڈ شوگر“ 140mg/dl ھے تو آپ DIABETIC ھو سکتے ھیں۔لیکن 1997 میں ڈبلیو ایچ اور (world health organisation) نے اسے revise کرنےکے لٸے ایک کمیٹی بناٸی، جس کا نام:-  "Expert Committee On Diagnosis & Classification Of Diabetes“ رکھا۔اس کمیٹی نے یہ رپورٹ دی کہ اسے 140mg/dl سے کچھ کم کر دیا جاٸے، اور اس کے بعد اسے 126mg/dl کر دیا گیا۔اس کا مطلب یہ ھوا کہ راتوں رات لاکھوں کروڑوں افراد جو کل تک Diabetes کے مریض نہیں تھے،اگلی صبح کااخبار پڑھتے ھی Diabetes کے مریض بن گٸے۔کل ملا کر دنیا کے 14 فیصدی لوگ جو Diabetic نہیں تھے وہ Diabetes کے گھیرے میں آ گٸے۔ غورطلب ھے کہ WHO نے17 لوگوں کی جو Expert committee بناٸی تھی انمیں سے 16 لوگ Diabetes کی دواٸیاں بنانے والی کمپنیوں کے ایجنٹ، مشیر اور ترجمان تھے اور ان میں سے کٸی تو انکے ساٸنسداں بھی تھے، جنہیں باقاعدہ کمپنی کی جانب سےاجرت دی جاتی تھی۔ان کمپنیوں کے نام درج ذیل ھیں:- Aventis pharmaceuticals Bristol-Myors Sqibb Eli Lilly GlaxoSmithkline  Novartis Merck Pfizer.  اب سوچا گیا کہ Fasting sugar126mg/dl سے کم ھے، تو ان کو گھیرے میں کیسے لایا جاٸے؟ تب ایک Term لانچ کیا گیا اور اس کا نام دیا گیا: ”pre-diabetic“ یعنی ”ڈاٸبیٹیز“ سے پہلا Step، اور یہ کہا گیا کہ ڈاٸبیٹیز سے پہلے Fasting Blood Sugar اگر 126mg/dl سے کم ھے تو اسے pre-diabetic کہیں گے۔ یعنی اب کچھ اور لوگ اس گھیرے میں آ گٸے۔ یعنی کل تک جو لوگ Diabetic نہیں تھے اب وہ Prediabetic term کے حساب سے  Diabetic ھو گٸے۔  * HYPERTENSION:-   ایسا ھی کچھ”ھاٸیپرٹنشن“کے ساتھ بھی ھوا۔ 1977میں ھی WHO نے ایک Panel بنایا جس کے مکھیا "DR ALBERTO JAIN CHETTI تھے۔ان کی مدد سے 11 لوگوں کی کمیٹی تشکیل دی گٸی-جس کا کام تھا 1997 تک Systolic Hyper tension کی حد کو 160mmhg سےگھٹا کر 140mmhg کر دیا جاٸے اور Diastolic Hypertension جو 100mmhg تھا اسے 90mmhg کر دیا جاٸے۔ یعنی راتوں رات 35 فی صد لوگ جو کل تک Hypertension کے شکار نہیں تھے، آج اچانک Hypertension کے مریض بن گٸے۔ اس ”کارخیر“ کو انجام دینے والے ان 11 لوگوں کے بارے میں پتہ کیا گیا تو معلوم ھوا کہ ان میں سے 9 لوگ یا تو Hypertension کی دواٸی بنانے والی کمپنی کے ترجمان مشیر ساٸنسداں ھیں یا کسی نہ کسی شکل میں اس سے جڑے ھیں۔ THE JOURNAL OF AMERICAN ASSOCIATION کے ذریعہ یہ رپورٹ جاری کی گٸی ھے۔) اب سوال یہ پیدا ھوا کہ جنکا بلڈ پریشر 140 mmhg سے کم ھے، انہیں گھیرے میں کیسے لیں؟ تب اسی کمیٹٕی نے ایک نٸے Term کو یہ نام دیا: ”PRE-HYPERTENSION“۔ یہ طے کیا گیا کہ جن کا سسٹولک بلڈپریشر 120mmhg سے اوپر ھے اور ڈاٸسٹولک بلڈپریشر 80mmhg سے اوپر ھے، انہیں ”PRE-HYPERTENSION“ کہہ دیں گے۔ایسا ھونے کے بعد CIEATAL TIMES نیوز پیپر کے مطابق : ”دنیا کی آدھی سے زیادہ آبادی یا تو HYPERTENSION کا شکار ھو گٸی یا پھر PRE-HYPERTENSION کے گھیرے میں آگٸی“۔    *   CHOLESTEROL :-    ٹھیک اسی طرح اب ھم CHOLESTEROL کی بات کرتے ھیں۔ 1998 تک کولسٹرول 240 hg/dl سے اوپر چلے جانے سے ھائی کولسٹرول مانا جاتا تھا۔ لیکن 1998 میں ”WHO" نے ” TEXAS CORONARY  ATHEROSCLEROSIS  STUDY" نام سے ایک پینل بنایا، جس کا کام تھا کہ CHOLESTEROL LEVEL کےطریقے و ضابطے کو نٸے سرے سے پیش کیاجاٸے۔    اسی سال 1998میں کولسٹرول لیول کے طریقے و ضابطے کو 200hg/dl کر دیا گیا اور یہ اعلان کر دیا گیا کہ جن لوگوں کا کولسٹرول لیول 200hgdl سے اوپر ھے، وہ ھاٸی کولسٹرول کا شکار مانے جاٸیں گے۔ %56 لوگ جو اب تک صحت مند تھے، ضابطہ بدلتے ھی ھاٸی کولسٹرول کے مریض بن گٸے۔ *   OSTEOPIROSIS:-    اسی طرح OSTEOPOROSIS کامعاملہ ھے۔ 2003 میں WHO نے نیا PANEL ”نیشنل آسٹیوپوروسس فاٶنڈیشن“ (NATIONAL OSTEO POROSIS FOUNDATION) بٹھایا۔ اس پینل کو بھی آسٹیوپروسس کے ضابطوں پر نٸے سرے سے غور و خوز کرنے کو کہا گیا۔ 2003 سے قبل 2.5- سے کم T-SCORE والے کو آسٹیوپوروسس کامریض بتایا جاتا تھا، لیکن 2003 میں اس پینل نےT-SCORE کا لیول گھٹا کر 2.5- سے گھٹا کر 2.0- کر دیا جس سےتقریباً %85 دیگر لوگ بھی آسٹیوپوروسس کےگھیرے میں آگٸے۔ اس طرح اکثر و بیشتر امراض کی آخری حد کو کم کر دیا گیا تاکہ کثیر تعداد میں لوگ مریض بن جاٸیں۔اور بتانے کی قطعی ضرورت نہیں کہ مریضوں سے صرف اسپتالوں، فارما سیوٹیکل کمپنیوں و ان سے جڑے افراد کو ھی فاٸدہ ھوتا ھے۔ اب آگے دیکھیٸے کہ امراض کی گاٸڈ لاٸن کیسے بنتی ھے؟ 1948 میں UNO نے WHO کی بنیاد رکھی۔ جس کا کام تھا دنیا میں ھیلتھ سے جڑے اداروں و ضابطوں کو قاٸم کرنا اور انہیں ایک بہتر حالات تک پہنچانا۔ دنیا میں جن جن امراض سے زیادہ لوگ مررھے ھیں، WHO ان پر رسرچ کرتی ھے۔ پھر کچھ چنندہ میڈیکل یونیورسٹی جیسے: آکسفورڈیونیورسٹی ھارورڈیونیورسٹی ٹورنٹو یونیورسٹی کیمبرج یونیورسٹی  وغیرہ سے DATA & FEEDBACK لیتی ھے کہ کون سی بیماری زیادہ ”جان لیوا“ ثابت ھو رھی ھے۔اور اسی کےمطابق ”پینل“ بنایا جاتا ھے۔ اکثر یہ ”پینل“      PHARMACEUTICAL COMPANIES کے ذریعہ SPONSORED ھوتی ھیں۔ یعنی کہ ”پینل“ کے ممبران PHARMA COMPANY کے ھی EMPLOYEES ھوتے ھیں۔ اسکا مطلب یہ ھے کہ ”پینل کے ذریعہ تیار کردہ GUIDE LINES چاھے وہ ”ھاٸپرٹینشن“ کی ھوں یا ”کولسٹرول“ کی یا پھر ”آسٹیوپوروسس“ کی، وہ ھمیشہ دوا کمپنیوں کےحق میں ھی ھوتی ھیں۔ ایک بار گاٸڈ لاٸنس بن جانے کے بعد انہیں ڈاکٹر تک پہنچانے کا کام ”پوسٹ مین“ بننے کا کام ”دوا کمپنیوں“ کے ”میڈیکل ایجنٹ“ کرتے ھیں۔ یا آٸے دن منعقد ھونے والی ”میڈیکل کانفرنس“ کے ذریعہ دنیا بھر میں مشتہر کیا جاتا ھے۔ اور پھر ڈاکٹر انہیں ”مریضوں“ تک یعنی آپ تک پہنچاتے ھیں۔    ڈاکٹروں اور ورلڈھیلتھ آرگناٸزیشن (WHO) کے بیچ ھوتی ھیں”دواکمپنیاں“۔اور کمپنیوں کا واحد ”مقصد“ ھوتاھے- ”منافع کمانا“۔اگر آپ چاھتے ھیں کہ آپ کو اصلیت پتہ چلے تو:- ”ڈاکٹروں، دوا کمپنیوں و نٸی گاٸڈ لاٸنوں“ کو بیچ سے ھٹا کر قابل اعتماد یونیورسٹیز سے سیدھا جڑنے کی کوشش کریں۔ *کسی بیماری کو تیار کر کے کیسے بڑھاوا دیا جاتا ھے؟*    دواساز کمپنیوں کا ”ڈاکٹروں“ سے”تعلق“:-    *دواساز کمپنیاں ڈاکٹروں کو اپنا صلاح کار یا ترجمان کے طور پر بلاتی ھیں۔    * ڈاکٹروں کے ریسرچ پیپرس کو یہ دواساز کمپنیاں ھی اسپانسر کرتی ھیں۔اسکی اشاعت میں پیش۔پیش رھتی ھیں۔    *ڈاکٹروں کے ذریعہ دواساز کمپنیوں کو                             صلاح:-   * نٸی دواٶں کے استعمال میں انکی مدد کرتے ھیں۔   *مارکیٹنگ کے معاملے میں انہیں صلاح دیتے ھیں۔   *دیگر ماھرین بھی انہیں دواٶں کی لاٶنچنگ میں تعاون کرتے ھیں۔ اور FDA سے ان نٸی دواٶں کی منظوری لینے کیلٸے بھی کمپنیوں کا تعاون کرتے ھیں۔   *کچھ ڈاکٹروں کا ”پیسہ“ بھی اِن کمپنیوں میں لگا ھوتا ھے۔ اسلٸے وہ بھی وقتاً فوقتاً انہیں صلاح اور تعاون دیتے رہتے ھیں۔    "بیماریوں کو متعارف کرنا“:-   * دو اساز کمپنیاں ایک میٹنگ آرگناٸز کرتی ھیں، جہاں ”ماھرین“ امراض کی”نیا تعارف“ دینے کیلٸے تیار ھوتے ھیں۔   * پرانے امراض کو پھر سےجدید پیراٸے میں متعارف کیا جاتا ھے اور ماھرین ان کے علاج کیلٸے نٸی گاٸڈ لاٸنس تحریر کرتے ھیں۔جن کے توسط سے دیگر ڈاکٹروں کو ذہن نشیں کرایا جاتا ھے کہ زیادہ سے زیادہ دواٶں کا استعمال کیسے کیا جانا چاھٸے؟     * کسی بھی ”مرض“ کو مشتھر کرنا:   * گاٸڈ لاٸنس لکھنے والوں سمیت کمپنی کے ماھرین بھی ڈاکٹروں کو”مرض“سے متعلق نیا تعارف و دیگر نٸی معلومات فراھم کراتے ھیں۔ (تمام شد)       نوٹ:اس پوسٹ کو پڑھنے کے بعد اپنے جذبات اور خیالات کا اظہار کرنا نہ بھولیں،مجھے اچھا لگے گا۔اور ساتھ ہی اس پوسٹ کو اپنے فرینڈ سرکل میں ضرور شیئر کریں۔    * میرے پاس ہر مرض کیلئے دوا صرف ایک ہی ہے،جو پاوڈر کی شکل میں ہے۔جس کا نام ®HEALTH IN BOX  ہے۔یہ کھانے کی دوا نہیں ہے،بلکہ کاڑھا یا جوشاندہ بناکر گرم گرم صبح اور شام خالی پیٹ پینا ہوتا ہے۔   * ایک پیکٹ ایک ماہ کیلئے (250  گرام) ہے۔اور 4-4 گرام ہی  صبح شام  استعمال کرنا ہے،یعنی کاڑھا یا جوشاندہ بناکر پینا ہے    * کسی بھی مرض کیلئے ایک ماہ کی دوا کی قیمت صرف   -/3000 روپیہ ہی ہے۔جبکہ CANCER اور TUMOUR کیلئے ایک ماہ کی دوا کی قیمت -/6000 روپیہ ہے۔    * ہندوستان یا ہندوستان کے باہر کہیں بھی بذریعہ اسپیڈ پوسٹ یا کوریئر دوا بھیجی جاتی ہے، جسکا چارج ادا کرنا ھوگا اور دوا کی کل رقم مع پوسٹیج چارج میرے بینک اکاونٹ میں پیشگی بھیجنا ضروری ہے۔ساتھ ہی اپنا پوسٹل ایڈریس پن کوڈ اور موبائل نمبرضرور ارسال کریں،تاکہ آپ کی دوا آپ تک پہنچنے میں دقت نہ ہو۔         ...........................            HAKEEM MD ABU RIZWAN                              BUMS,hons.(BU)



Last updated date 30/09/2020

کوکھ سے قبر تک

تاریخ شاھد ھے کہ دنیا کے امیر ترین لوگ بھی اکثر بیماریوں کی چپیٹ میں آنے کے کچھ دنوں بعد ھی جان گنوا بیٹھتے ہیں۔انکی بے شمار دولت بھی انکی جان نہیں بچا پاتی۔ بیماری کے لئے نہ کوئی أمیر ھے اور نہ کوئی غریب،نہ کوئی بڑا ھے نہ چھوٹا۔بیماری مذھب کا بھی بھید بھاؤ نہیں کرتی،یہاں تک کہ بڑے سے بڑا اسپتال اور اسمیں رکھی گئی قیمتی مشینیں بھی کسی مریض کی جان نہیں بچا سکتیں۔ WHO کی رپورٹ کے مطابق ترقی پزیر ممالک میں دس فیصد اموات کی وجہ اسپتال کی غلطیوں اور دواؤں کی سایڈ افیکٹ یعنی (IATROGENIC) ھوتی ھیں۔    ساینس کہتا ھے کہ جب کوئی مریض موت کے دھانے پر ہوتا ھے تب موت کے چند منٹ قبل تک اس کے جسم کی لگ بھگ 50 ٹریلین خلیوں (CELLS) میں سے صرف ایک فیصد خلیے ھی ایسی ہوتی ھیں جو اس انسان کو موت کی جانب کھینچتی ھیں،جبکہ 99 فیصد خلیے آخری لمحات تک جینا چاھتی ھیں۔اسکا مطلب یہ ھے کہ زندگی کی یہ جنگ جیتی جا سکتی ھے اور اپنے لئے یہ کام صرف اور صرف آپ ھی کر سکتے ھیں کیونکہ آپ ھی خود سے جڑے ھیں اور ان سبھی 50 ٹریلین خلیوں سے آپ کا سیدھا تعلق ھے۔یہی نہیں،بلکہ ان کا کنٹرول بھی آپ ھی کے پاس ھے۔مریض چاھے کینسر کے چوتھے اسٹیج پر ھو یا ڈایبٹیز کی ایڈوانس اسٹیج ت، کھوئی صحت پھر سے واپس پایی جا سکتی ھے۔یہ ایک ایسا SCIENTIFIC SECRET KNOWLEDGE ھے جس کی مدد سے کسی بھی بیماری کو تین سے چھ مہینے میں دور کیا جا سکتا ھے۔اسے "UNIVERSAL LAWS OF RE-BALANCING کے نام سے جانا جاتا ھے۔دنیا میں سات (SEVEN) ایسی CIVILIZATIONS ھیں جہاں اکثر لوگ اپنا 100واں جنم دن مناتے ھیں،وہ بھی بغیر کسی مرض کے۔ان مقاماتِ پر ,DIABETES CARDIOVASCULAR DISEASE, CANCER, & MIGRAINE جیسی بیماریاں شاذونادر ھی دیکھنے کو ملتی ھیں،اس لئے وھاں میڈیکل اسٹورس، ھاسپٹل، اور ڈاکٹر بھی نہ کے برابر ھی دیکھنے کو ملتے ھیں۔ان ساتوں CIVILIZATIONS میں ایک چیز COMMON ھے، اور وہ یہ ھے کہ جانے انجانے میں ھی وہ سب "UNIVERSAL LAWS OF RE-BALANCING" بر عمل پیرا ھیں۔    جب اس ایک طریقہ پر عمل کرنے والے اسی سرزمین کے وہ سات CIVILIZATIONS صحت مند زندگی اور لمبی عمر (100-110سال) تک، بنا کسی بیماری، دوا، یا ڈاکٹر و ہاسپٹل کا چکر لگایے زندہ رہ سکتے ھیں تو ھم آپ کیوں نہیں۔میری مانیے،اور آپ اپنی "طرز زندگی" بدلنے کی کوشش کیجیے۔ یقین جانئے کہ بہت جلد آپ کو یہ محسوس ہوگا کہ آپ اور آپ کی فیملی صرف ایک "لایف اسٹایل"کو بدل دینے بھر سے ھی ھر فرد اپنے آپ کو پہلے سے بہتر صحت کا مالک ہوگا۔پھر آپ 3D's یعنی ڈاکٹر (DOCTOR) ، ڈرگس (DRUGS) ، ڈیزیز (DISEASE) سے کوسوں دور ھوں گے۔    بیمار رھتے ہویے ڈاکٹر کی دوا کھا کھا کر زندہ رھنے کی کوشش کرنا ۔۔۔۔۔بھی کوئی زندگی ھے۔ایک عمر گزرنے کے بعد زندگی کے آخری ادوار میں بیمار رھتے ہویے مرنے کی تیاری کیا جائے،کیوں؟صحتمند رھتے ہویے لحد تک کا سفر مکمل ھو،کیا حرج ھے۔



Last updated date 30/09/2020

HEALTH IN BOX

My Dear friends,    The above mentioned UNANI MEDICINE "HEALTH IN BOX" is a unique product made by myself, for all kinds of LIFESTYLE diseases like: OBESITY, DIABETES, HIGH BP, HEART PROBLEM, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, KIDNEY FAILURE, ARTHRITIS, MIGRAINE, PSORIASIS, CANCER, CHOLESTEROL, THYROID, and others.   Why i say that a SINGLE UNANI MEDICINE is useful for all kinds of LIFESTYLE DISEASES?


  Understand this:- Imbalance of "GLUCOSE" & "INSULIN" in my body is totally responsible for any kind of DISEASES. so, it is very simple matter.If you have any queries, please contact me anytime.


So i request you to taking this UNANI MEDICINE for reverse your lifestyle DISEASES forever, for which, your DOCTOR say "you must take the ALLOPATHIC MEDICINE life long."    No, never, your life is very COSTLY, don't ignore it.

Last updated date 30/09/2020

रसोई घर - सेहत घर

+यूनानी मेडिसींस रिसर्च सेंटर+ * अपने #रसोईघर से इन सभी को बाहर निकालें:- रिफाइंड तेल, आयोडीन युक्त नमक, चीनी, एनीमल फुड जैसे- #दूध व दूध से बनी चीजें, #मांस, #मछली, #अंडा, #डेयरी प्रोडक्ट्स और #फैक्ट्री प्रोडक्ट। आने वाली नस्लें #बीमारी, #डॉक्टर और #दवा से दूर रहेंगी, ईन्शा अल्लाह। * "1947 से पहले देश #अंग्रेजों का ग़ुलाम था, #आज़ादी के बाद हम भारतीय अंग्रेज़ी दवाओं के ग़ुलाम हो गए हैं।" इसलिए फेंक दीजिए अंग्रेज़ी दवाओं को जिसे बरसों से भोजन की तरह इस्तेमाल करके स्वस्थ तो नहीं होते, बल्कि दुखदाई जीवन जीते हुए #दर्दनाक मौत की ओर बढ़ रहे हैं। *  #बीमारीअनेक, #समाधानएक सभी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ जैसे:- #मोटापा, #हाई बीपी, #हृदय रोग, #कैंसर, #डायबिटीज़, #कोलेस्ट्रॉल, #थायरॉइड, #किडनी फेलियर, #लीवर व अमाशय रोग, #आर्थराइटिस, #माइग्रेन, #आस्थमा, #चर्म रोग इत्यादि के लिए केवल एक ही दवा-----


  #HEALTH IN BOX® HAKEEM MD ABU RIZWAN         BUMS hons.(BU)       UNANI PHYSICIAN


(Specialist in LIFESTYLE DISEASES) contact         8651274288 & 9334518872 what's app   8651274288 & 9334518872 Email umrcjamshedpur1966@gmail.com YouTube: HAKEEM MD ABU RIZWAN

Last updated date 21/09/2020

Osteo Treatments

Osteoarthritis (OA) is a chronic condition of the joints in which the cartilage cushioning the ends of the bones gradually loses its elasticity and wears away.


Without the protective cartilage, the bones begin to rub against each other, causing stiffness, inflammation, and loss of movement. Hakim Mo Abu Rizwan Unani Remedies for Osteo-Arthritis Treatment , Prepare the herbal medicine formulations to treat It. Our unani remedies have been successfully used in treating Arthritis Problems permanently. He is confident that the medicine would treat major and minor cardiac problems without side effects or any need of operation.


We have been trying to make our life healthy with the resources set by nature, one of this Unani medicine called HEALTH IN BOX®. With this one herbal medicine, all lifestyle diseases are always REVERSE. That is, every disease in which doctors fail and tell you to eat allopathic medicine for a lifetime, on the contrary, the first stop of allopathic medicine became part of your life for many years as soon as I started taking my medicine.

Last updated date 26/08/2020


Osteo-Arthritis

Osteoarthritis (OA) is a chronic condition of the joints in which the cartilage cushioning the ends of the bones gradually loses its elasticity and wears away. Without the protective cartilage, the bones begin to rub against each other, causing stiffness, inflammation, and loss of movement. Hakim Mo Abu Rizwan Unani Remedies for Osteo-Arthritis Treatment , Prepare the herbal medicine formulations to treat It. Our unani remedies have been successfully used in treating Arthritis Problems permanently. He is confident that the medicine would treat major and minor cardiac problems without side effects or any need of operation. We have been trying to make our life healthy with the resources set by nature, one of this Unani medicine called HEALTH IN BOX®. With this one herbal medicine, all lifestyle diseases are always REVERSE. That is, every disease in which doctors fail and tell you to eat allopathic medicine for a lifetime, on the contrary, the first stop of allopathic medicine became part of your life for many years as soon as I started taking my medicine.