"मर्ज़ बढ़ता गया - जूं जूं दवा की"
ये कहावत आज के दौर में बिल्कुल सटीक बैठता है| साईन्स ने आज इतनी तरक्की कर ली है कि आज वही आदमी सेहतमन्द है जो लैबोरेट्री में नही गया , या वो जो डाक्टर के पास नही गया| देखने में आया है कि जहां कहीं भी डाक्टर और उच्च तकनीक की स्वास्थ्य सुविधायें बहुत ज्यादा हैं ,वहाँ उतनी ही ज्यादा बीमारियां और मरिज़ होते हैं | कभी आपने सोचा कि आखिर ऐसा क्यो ?
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि जब भी जहाँ कहीं भी DOCTORS के द्वारा हड़ताल का आयोजन किया गया,तब-तब उन स्थानोँ में मरीज़ और मारीजों की मौत की संख्या में भारी कमी आ जाती है|
क्या उच्च तकनीकी संसाधन,सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल या डाक्टर इसके जिम्मेदार हैं ? ये हमारे लिए बहुत बड़ी विडंबना है जिसपर हमने कभी ध्यान ही नहीं दिया|हमलोग बस इतना जानते हैं कि बीमार पड़ गये तो डाक्टर के पास जाना है,वो दवा देगा जिसे हम खाकर स्वस्थ हो जायेंगे| हमारी मानसिकता यही है, जिसके लिए बहुत अच्छी,हाई क्वालिफाईड यानि ऊँची डिग्री के साथ सबसे ज्यादा व भारी भरकम फीस वाले डाक्टर की तलाश करते हैं|
जब हम उनके चैम्बर से बाहर आते हैं तो ऐसा मालूम होता है कि बहुत बड़ी बीमारी में गिरफ्तार हो गये,यानि जितना बड़ा डाक्टर उतनी बड़ी बीमारी|इसे हमलोग WHITE COAT SYNDROME के नाम से जानते हैं|
सच कहूँ तो हमारी शारीरिक बनावट अल्लाह ने ऐसी बनाई है जिस में ALLOPATHIC MEDICINES यानि CHEMICALS किसी भी हाल में फिट नहीं बैठता| कहा गया है कि "आप जहाँ कहीं भी रहते हो,वहाँ डेढ़ किलोमीटर के दायरे में ही आपकी सारी बिमारी का ईलाज मौजूद है|"
बीमारी चाहे जैसी भी हो,उस सबका शत् प्रतिशत ईलाज आसानी से और सुलभता से मौजूद है| ज़रा सोचिए, ALLOPATHIC MEDICINES का चलन कितना पुराना है? क्या ईन्सान उससे पहले बीमार नहीं पड़ता था,फिर क्या उसका ईलाज नहीं होता था?ये भी सच है कि जब ALLOPATHIC MEDICINES नहीं था तो लोग ईकका-दुक्का ही बीमार पड़ते थे| लोग जीवनभर स्वस्थ रसता था|
आज भी पूरी दुनिया में कितने ही ऐसे स्थान हैं जहाँ के लोग बीमार ही नहीं पड़ते|जो BLUE ZONE कहलाते हैं ,उन ईलाकों के नाम ये हैं :-
1- ALTA PEOPLE, SOLOMAN ISLANDS
2 - AUSTRALIAN ABORIGINES
3 - BOTSWANA NATIVES
4 - CARAJAS INDIAN, BRAZIL
5 - ESKIMOS GREENLAND
6 - KENYA NATIVES
7 - MELANESIANS,NORTHERN LOOK ISLANDS
8 - NATIVES NEW GUINEA
9 - SOUTH AFRICA NATIVES
10 - TARA HUMARA INDIAN, NORTHERN MEXICO
11 - UGANDAN NATIVES
12 - YANOMAMO INDIAN BRAZIL
हमारे देश में भी ऐसी ही एक जगह ANDAMAN NIKOBAR ISLANDS में है-JARAWAS,जहाँ के लोगों में कोई बीमारी पाई ही नहीं जाती|उनको DIABETES, HIGH BLOOD PRESSURE, HEART DISEASE, इत्यादि किसी प्रकार की बीमारी नहीं हुआ करती| सोचने का मक़ाम है कि जब JARAWAS के लोग स्वस्थ रह सकते , बीमार नहीं पड़ते तो हमलोग क्यों ऐसा स्वस्थ्य जीवन नहीं जी सकते?
हमारे लिए सबसे दुखःद स्थिति यह है कि बीमार रहते हुए लगातार ALLOPATHIC MEDICINES खाकर जीवित रहने का प्रयास करते रहते हैं|लेकिन उसका अंजाम हमेशा उलटा ही होता है|
याद रखिए दुनिया की कोई ऐसी बीमारी नहीं जिसके लिए जीवनभर दवा का सेवन करना पड़ता है|ये तो उन बड़े-बड़े दिग्गज PHARMACEUTICAL COMPANIES का "कमाल" है, जो हमारी "सेहत के ठीकेदार" बनकर हमारे मानस पटल पर छा गये|जबकि कटु सच्चाई ये है कि उनको हमारी सेहत की कोई फिक्र ही नही,बल्कि उनको अपनी ALLOPATHIC MEDICINES खिला खिलाकर बीमार रखना और अपना कारोबार सारी दुनिया में फैलाना एकमात्र उद्देश्य है|
आप लोगों ने कभी सुना या देखा है कि DIABETES, HIGH BLOOD PRESSURE, ALZHIMER,PSORIASIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, CHOLESTEROL, THYROID, ABDOMINAL DISORDER, PARKIN-SONISM , HEART DISEASE, CANCER, KIDNEY DISEASE, KIDNEY FAILURE, DIALYSIS, इत्यादि ऐसी किसी बीमारी से ALLOPATHIC MEDICINES खाकर कोई एक आदमी सेहतमंद हो गया,या उसने दवा का सेवन बंद कर दिया|ज़रा अपने आसपास तलाश तो कीजिए !
कामयाब ईलाज है मेरे भाईयो !आपके आसपास ही है,जानकारी नही है हमसब को| इन सब बीमारियो का ईलाज केवल 1-3 महीना, 6 महीना, 9 महीना में ही हो जाता है|ALLOPATHIC MEDICINES से हमेशा केलिए छुटकारा भी मिल जाता है|
क्या आपलोग चाहते हैं कि ऐसा ही हो तो देर न करें और आज ही मुझसे संपर्क करें और अपने जानने वाले, सगे संबंधियों को भी बतादें| घबराईए मत ! मैं कोई 10-12 प्रकार की दवाएं नहीं दूँगा, बल्कि हर प्रकार की बीमारी केलिए केवल एक ही दवा दूंगा।
नोट:- इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अपना विचार अवश्य व्यक्त करें,मुझे अच्छा लगेगा| साथ ही आगे अपने सर्किल में ज़रुर शेयर करें |
* मेरे पास दवा केवल एक ही है, जो पावडर की शक्ल में है| 4 - 4 ग्राम सुबह-शाम काढ़ा बनाकर पीना है|
* ₹ 3000/- रूपये एक महीना (किसी भी बीमारी के लिए) है।
* ₹ 6000/- रुपए एक महीना (CANCER & TUMOUR के लिए) है।
* इंडिया या इंडिया के बाहर कहीं भी स्पीड पोस्ट या कूरियर के द्वारा दवा भेजने का इंतज़ाम है| HAKEEM MD ABU RIZWAN
BUMS,hons.(BU)
|
ऐलोपैथिक दवाओं से दूरी बनाएं
डाबिटीज़ को दूर भगायें,कभी भी न हो हाई बीपी से सामना,कोलेस्टरोल से भयभीत न होना कभी,ये तो हमारी जिन्दगी है|चिकनगुनिया, डेन्गू,कोई भी 'फ्लू' कभी जानलेवा होता ही नहीं,बल्कि जानलेने वाला तो उस वायरल डीजीज के ईलाज में ईस्तेमाल की जानेवाली 'टैमीफ्लू' वगैरह जैसी दवायें हैं |
SCIENTIST और रीसर्चर्स का तो इतना तक कहना है कि सर्दी जुकाम या कामन कोल्ड से अगर लोग मर सकते हैँ(वही लोग जिनकी ईम्यूनिटी यानि 'रोग प्रतिरोधक छमता' गौण हो जाती है|)तो किसी भी वाययल डीजीज़ जैसे - चिकनगुनिया,डेन्गू,फ्लू,एच 1 एन 1,एच आई वी एड्स,ईत्यादि से भी किसी की मृत्यु हो सकती है|
ये सब तो आज के दौर के मेडीकल साईन्स का सबसे बड़ा फ्राड मात्र है:'एक भय का 'व्यापार' मात्र यानि'डीजीज़ मोन्जरिंग' है,जे लगातार एक 'सिस्टम' के तहत चलाया जा रहा है|जिसमें 'मेडीकल कम्पनिय़ाँ' ही हैं,जिनको अपना कारोबार चलाना है,और अपने मुनाफे भर से मतलब है,न कि हमारी सेहत से|ये डाक्टर साहिबान जो ऊँची۔ऊँची डिग्रियां लेकर ॐची۔ॐची फीस मरीज़ों से वसूलते नजर आते हैँ,ऐसा प्रतीत होता है मानो 'फार्मासियूटीकल्स कम्पनीज़' के रजिस्टर्ड 'एजेन्ट' या 'मेडीएटर' की तरह काम करने वाले हैँ,उनको सिर्फ और सिर्फ हमारी 'बीमारी' की चिन्ता रहती है न कि हमारी 'सेहत' की|क्यूंकी ऐसी ही व्यवस्था है कि उनसे ईलाज करवाना शुरु कर दिया एकबार तो फिर आप उनके परमानेन्ट कस्टमर बन गये|फिर क्या जीवन भर 'कष्ट से मरते रहिए|'
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 7अप्रैलको 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' मनाया जाता है|जानिए क्या है हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं और आमजन के सेहत की स्थिति.........
* पाँच लाख डाक्टर्स की कमी है देश में|10,189 लोगों पर 'एक सरकारी डाक्टर' है|विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानक के मुताबिक 'एक हजार लोगों पर एक डाक्टर' होना चाहिए|
* महज़ 56 हजार छात्र हर साल 462 मेडिकल कालेजों से ग्रेजुएट होते हैं,जबकि देश की जनसंख्या प्रतिवर्ष 2.6 करोड़ बढ़ रही है|
* 90,343 लोगों के बीच एक सरकारी अस्पताल है देश में|12 किलोमीटर औसतन दूरी आम भारतीय को तय करनी पड़ती है मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं केलिए|
* 13 राज्यों के 64 ज़िलों में क़रीब 27 करोड़ लोगों केलिए एक भी ब्लड बैंक नहीं है|
* 68.3 वर्ष है भारत में जीवन प्रत्याशा की दर|पुरुषों की औसत आयु 66.9 वर्ष तथा महिलाओं की 69.9 वर्ष हे|
* एक हजार बच्चों में 41 बच्चों की मृत्यु जन्म के एक साल के भीतर हो जाती है
* प्रति 10,000 में से 174 मातृ मृत्यु दर|मतलब हर घंटे में 5 महिलाओं की प्रसव के दौरान होनेवाली जटिलताओं के कारण मृत्यु हो जाती है|
* भारत में सबसे ज्यादा मौतें हृदय से संबंधित बीमारी की वजह से होती हैं|2005 से 2016 के बीच इन मौतों में 53% की बढोतरी हुई है|
* 25 लाख लोगों की असामयिक मृत्यु अकेले प्रदुषण से हो जाती हैं।
नोट:-
* इसी तरह के पोस्ट जो मोडर्न साइंस की पोल खोलने वाली होंगी,मेरे फेसबुक टाईमलाईन पर जाएं,या मेरे Whatsapp no 9334518872 पर जाएं।उर्दू,हिन्दी और अंग्रेजी में ढेर सारे पोस्ट पढ़कर सच्चाई से रूबरू होंगे और देखेंगे कि कैसे ये फार्मासियुटीकल कंपनियां बेवकूफ बनाकर जनता को कंगाल बना रही हैं।
|
एक क़दम नेचर की तरफ़
आज हम सब 12500 बीमारियों के बीच ज़िन्दा रहने की कोशिश कर रहे हैं।हर कोई किसी न किसी बीमारी से परेशान है।हर घर में बीमारी का साम्राज्य है।आप किसी के जनाज़े में शरीक हों,पूछताछ में पता चलता है कि मरने वाला फलां फलां बीमारी से बरसों से ग्रस्त था, अन्त तक ईलाज भी चलता रहा, और फिर ये दुखद अंत और घर कंगाल।
मैं आपको चेतावनी देते हुए कहना चाहता हूँ कि बीमारी होने पर किसी भी हाल में अंग्रेजी दवाओं से और ऐलोपैथ डॉक्टर से दूर ही रहें।ये ऐलोपैथिक डॉक्टर आपकी सेहत से खिलवाड़ करने को आतुर रहते हैं।कभी भी नहीं चाहते कि आप स्वस्थ रहें।ये डॉक्टर हमारी सेहत की नहीं बल्कि बीमारी की देखभाल करने में माहिर होते हैं। फार्मास्युटिकल कंपनियों की साज़िशें हमारी ज़िंदगी बरबाद कर रही हैं।और ये डॉक्टर इनके एजेंट की तरह काम करते हैं।ये चाहते हैं कि आप हमेशा बीमार रहें, ताकि अपनी बरसों की गाढ़ी कमाई इनकी झोली में डालते रहें।
मैं तो कहता हूँ कि आप ऐसी ज़िंदगी जीएं कि बीमार ही न पड़ें, और अगर बदक़िस्मती से बीमार हो भी जाएं तो ऐलोपैथिक डॉक्टर के पास कभी न जाएं और ऐलोपैथिक दवाओं का कभी भी प्रयोग न करें।
अल्लाह ने हमें नेचुरल चीजों से बनाया है और शरीर के अंदर कोई विकार हो जाए तो उस विकार को नेचुरल तरीके से ही दूर किया जा सकता है।
लाख टके का सवाल यह है कि जब तक किसी "डॉक्टर" , "हकीम" या "वैध" को यही नहीं मालूम कि कोई बीमारी कैसे होती है या किस कारण से होती है , तो कोई "डॉक्टर" , "हकीम" या "वैध" किसी मामूली से मामूली या बड़ी से बड़ी बीमारी का ईलाज कैसे कर पाएगा?ऐसे में वो ईलाज तो करेगा ही , मगर सिर्फ अंधेरे में तीर चलाएगा, "लगा तो तीर नहीं तो तुक्का"।
चिंतन का समय है.........कि...........जब सभी बीमारियों की वजह GLUCOSE और INSULIN का आपसी तालमेल में गड़बड़ी होना ही है,तो फिर क्या वजह है कि सभी बीमारियों केलिए "एक ही दवा" काफि क्यों नहीं? इस MECHANISM को समझना जरूरी है।
मेरा मतलब है कि GLUCOSE और INSULIN के बीच जो असामान्य स्थिति हमारे शरीर के भीतर उत्पन्न हो चुकी है, जिसके कारण कोई "रोग" सामने आया है।"रोग" के पीछे न पड़कर, "रोग" के "कारण" यानी "जड़" को दुरुस्त कर देने भर से ही कोई भी ईन्सान अपनी बड़ी से बड़ी बीमारी छुटकारा पा लेता है।
मैं ने बरसों की मेहनत और रिसर्च के बाद यूनानी जड़ी बूटियों का अचूक मिश्रण तैयार किया है। "HEALTH IN BOX" उसका नाम रखा है। ट्रेडमार्क लाईसेंस भी मिल गया है।ये खाने की दवा नहीं है, बल्कि इस पावडर के चार ग्राम को काढ़ा बनाकर सुबह शाम पिया जाता है। पहले बता चुका हूँ कि सारी बिमारियों की एक ही वजह है तो दवा भी यही एक ही है।इस दवा के साथ कुछ परहेज़ भी है, जैसे:-दूध और दूध से बनी कोई भी चीज़ न लें,आयोडीन युक्त नमक का सेवन कभी न करें, चीनी से बनी हुई कोई भी वस्तु का सेवन कभी न करें और रिफाइंड तेल को सदा के लिए बाई बाई कहदें।सुबह से रात तक खाना पीना मेरे बताये मुताबिक़ ही लें।
यक़ीन मानिये, आप चाहे जिस प्रकार की भी बीमारी से ग्रस्त होंगे चंद महीनों में ही वो बीमारी REVERSE हो जाएगी।आप बिल्कुल स्वस्थ्य हो जाएंगे, जैसे कि कभी बीमार न हुए हों।
और अगर बताई गई परहेज़ को पूरे परिवार में लागू करें तो मेरा दावा है कि उस परिवार का कोई भी सदस्य 3 D's यानि :- DISEASE, DOCTORS और DRUGS से हमेशा के लिए दूर हो जाएगा।
जरा सोचिए - ! विज्ञान हमे कहाँ ले आया ?
* पहले वो कुँए का मैला कुचैला पानी पीकर भी 100 वर्ष जी लेते थे और अब RO का शुद्ध पानी पीकर 40 वर्ष में बुढे हो रहे हैं।
* पहले वो घाणी का मैला सा तेल खाकर बुढ़ापे में भी मेहनत कर लेते थे।और अब हम डबल-ट्रिपल फ़िल्टर तेल खा कर जवानी में भी हाँफ जाते हैं।
* पहले वो डले वाला नमक खाकर बीमार ना पड़ते थे। और अब हम आयोडीन-युक्त खाकर हाई-लो बीपी लिये पड़े हैं।
* पहले वो नीम,बबूल,कोयला,नमक से दाँत चमकाते थे और 80 वर्ष तक भी चबा-चबा कर खाते थे।और अब कॉलगेट सुरक्षा वाले रोज डेंटिस्ट के चक्कर लगाते है।
* पहले वो नाड़ी पकड़ कर रोग बता देते थे और अब आज जाँचे कराने पर भी रोग नहीं जान पाते है।
* पहले वो 7-8 बच्चे जन्मने वाली माँ 80 वर्ष की अवस्था में भी खेत का काम करती थी।और अब पहले महीने से डॉक्टर की देख-रेख में रहती हैं और फिर भी बच्चे पेट फाड़ कर जन्मते हैं।
* पहले काले गुड़ की मिठाइयां ठोक-ठोक के खा जाते थे और अब खाने से पहले ही सुगर की बीमारी हो जाती है।
* पहले बुजर्गो के भी घुटने नहीं दुखते थे और अब जवान भी घुटनों और कन्धों के दर्द से कहराता है।
* समझ नहीं आता कि ये "विज्ञान का युग" है या "अज्ञान का युग" है ?*
* अब डॉक्टर्स (धरती के भगवान्) हमारी बीमारी पर ही शत् प्रतिशत ध्यान लगाते हैं,सेहत पर नहीं।वो चाहते हैं कि हम हमेशा बीमार रहें और उनकी दवाएँ खाते रहें।
* यही तो शायद मेरी बदनसीबी है,लोगों को यक़ीन ही नहीं हो रहा,क्योंकि रिवाज नहीं है ना।ऐलोपैथ वालों ने लोगों के दिमाग में यह बात लिख कर लॉक कर दिया है कि बीमार पड़ो तो जीवन भर दवा खाते रहो।
सर जी ! ये भी कोई बात हुई।मैं ऐसा ही करता हूँ कि चाहे जैसी भी बीमारी हो,दवा खाओ और ठीक हो जाओ,फिट रहो।और आपको मानना पड़ेगा।
नोट:- बीमारी चाहे जैसी भी हो,शत् प्रतिशत् ईलाज मौजूद है।कोई भी बीमारी लाईलाज नहीं,बल्कि किसी भी बीमारी को लाईलाज बताकर हमें डराकर जीवन भर बीमार रखकर दवा खिलाते रहने का व्यापार चलाना उनका मक़सद है।जिसमें ये डॉक्टर्स,दवा कंपनियाँ,जाँच सेंटर्स का आपस में बेहतरीन तालमेल है।
लेकिन ये बात आपलोग बहुत अच्छी तरह से याद रखिए कि अब इनकी "पोल" खुल गयी है।
हर बीमारी 100% ठीक होती है और वो भी इन महान डॉक्टरों के पास जाए बिना।इन डॉक्टरों को किसी भी बीमारी का कारण ही नहीं पता तो ईलाज किस चीज का करेंगे !
मुझे पता है,बीमारियों का कारण केवल "एक" है।इसलिए उस एक "कारण" को ख़त्म करने से ही सभी तरह की लाइफस्टाइल डीज़ीज़ हमेशा केलिए रिवर्स हो जाती हैं।
|
Skin Treatments
Acne is one of the commonest skin problems. It produces unsightly spots on the face, neck, chest, back & upper arms. Our skin gradually becomes rough & parched. These disorders can be treated successfully through our Unani herbal preparation. Hakim Mo Abu Rizwan Unani Remedies for Skin Diseases Treatment , Prepare the herbal medicine formulations to treat It. Our unani remedies have been successfully used in treating Skin Diseases Problems permanently. He is confident that the medicine would treat major and minor cardiac problems without side effects or any need of operation.
We have been trying to make our life healthy with the resources set by nature, one of this Unani medicine called HEALTH IN BOX®. With this one herbal medicine, all lifestyle diseases are always REVERSE. That is, every disease in which doctors fail and tell you to eat allopathic medicine for a lifetime, on the contrary, the first stop of allopathic medicine became part of your life for many years as soon as I started taking my medicine HEALTH IN BOX®.
|